WHAT’S HOT NOW

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

Never-before-exhibited portrait by Caravaggio to go on public display

A privately-owned portrait by Baroque master Caravaggio is going on public display for the first time at the National Galleries of Ancient Art in Rome. The Portrait of Monsignor Maffeo Barberini, created around 1599, will be exhibited in the palace built by its subject after he was elected Pope Urban VIII in 1623.

Art historian Roberto Longhi first published the portrait as an autograph work by Caravaggio in 1963. His research found that the painting was in the Barberini family collection from the time it was painted until around 1935 when much of the great collection was dispersed. It has been in a private collection in Florence for decades and has never been loaned to a museum or shown to the public. The owners are so secretive that they literally refused to answer calls or open the door to Caravaggio experts. People who have written books and papers on Caravaggio and have seen everything else he painted a thousand times have never caught so much as a glimpse of this one. Even now that they have at long last agreed to loan it for exhibition, the owners have chosen to remain anonymous.

Caravaggio’s works consist almost entirely of religious and mythological subjects. While he is thought to have made a number of portraits of patrons in the Curia, friends and at least one lover during his time in Rome, only five of them, all of them of clerics, are known to have survived. He painted the Barberini portrait early in his career. It is one of the first three portraits in his catalogue and was an important step in the development of Caravaggio’s signature style. Art historian Giovan Pietro Bellori wrote in 1672 that Caravaggio first began to “intensify the darks” in this portrait, creating the vivid contrast of light and shadow that characterize the “chiaroscuro” technique that define his oeuvre.

The Portrait of Monsignor Maffeo Barberini depicts the subject seated in an armchair at angle that propels him out of the inky dark background into a beam of light. His misaligned eyes look to the side and points in that direction with his right hand, while he clutches a folded letter in his left. His side-eye and hand gesture suggests he’s engaging with someone to his right, and the intensity in his gaze and hands convey a dynamic naturalism that was unusual in portraiture for the period.

Caravaggio. The Portrait Unveiled exhibition opens at the Sala Paesaggi of Palazzo Barberini today and runs through February 23, 2025. The portrait will be in the same gallery as three other iconic works by Caravaggio which are part of the museum’s permanent collection: Narcissus (1597-1599), Judith and Holofernes (ca. 1599), Saint Francis in Meditation (1606-1607). It’s a unique opportunity for Caravaggio pilgrims to view bucket list masterpieces and one they may well never have another opportunity to see again, although Italian Culture Ministry officials are hoping against hope that now that the owners have given an inch, the state might be able to take a mile and persuade them to sell.



* This article was originally published here

रणबीर की शादी देखना चाहते थे ऋषि कपूर:रिद्धिमा ने पिता की आखिरी दो ख्वाहिशों का किया खुलासा, बोलीं- उन्हें पूरा करना काफी इमोशनल था

बॉलीवुड के दिवंगत दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर का निधन 30 अप्रैल 2020 को हुआ था। अब हाल ही में रिद्धिमा कपूर साहनी ने अपने पिता ऋषि कपूर की दो आखिरी ख्वाहिशों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनके पिता रणबीर की शादी और बांद्रा में स्थित उनका घर पूरी तरह से बनकर तैयार देखना चाहते थे। ज़ूम के साथ बातचीत में रिद्धिमा कपूर साहनी ने कहा, ‘पापा की आखिरी दो इच्छाएं थीं, पहली रणबीर की शादी करना और दूसरी घर को तैयार करना। अब घर लगभग तैयार है और रणबीर की भी शादी हो चुकी है। जब उनकी ये दोनों इच्छाएं पूरी हो रही थीं, तब हम सभी काफी इमोशनल थे। मैं वाकई चाहती हूं कि वह हमारे साथ यहां होते, लेकिन मुझे लगता है कि भगवान का कुछ और ही प्लान था।' रिद्धिमा ने आगे कहा, 'पापा हमेशा से चाहते थे कि मेरी शादी बड़े धूमधाम से हो और उन्होंने ऐसा कराया भी। लेकिन जब रणबीर की शादी का समय आया तो भाई ने साफ कहा कि हमारे परिवार में एक बार बड़ी शादी हो चुकी है, इसलिए अब मैं अपनी शादी सिंपल चाहता हूं। आलिया और रणबीर दोनों ही बहुत सिंपल इंसान हैं।' इसके अलावा रिद्धिमा साहनी ने आलिया भट्ट की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, 'आलिया परिवार के मुश्किल समय में साथ खड़ी रहीं। जब पिता ऋषि कपूर इलाज के लिए गए थे, उसी दौरान मेरी दादी का निधन हो गया था, तब आलिया न केवल मेरे साथ रहीं, बल्कि सारे इंतजाम भी निजी तौर पर किए थे।' बता दें, ऋषि कपूर को ल्यूकेमिया हो गया था। जिसका इलाज लंबे समय तक न्यूयॉर्क में चला था। इसके बाद वे 2019 में भारत वापस आए गए थे। उनका 30 अप्रैल 2020 को निधन हो गया था।

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/1tzTRbw
via IFTTT

काजोल को शाहरुख की बहन बनाना चाहते थे मंसूर:एक्ट्रेस ने कर दिया था इनकार, फिर हुई थी फिल्म जोश में ऐश्वर्या की एंट्री

प्रोड्यूसर मंसूर खान ने हाल ही में फिल्म 'जोश' को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में पहले वह काजोल को शाहरुख की बहन के रोल में कास्ट करना चाहते थे, लेकिन उन दोनों की जोड़ी पहले ही एक रोमांटिक कपल के तौर पर फेमस हो चुकी थी। ऐसे में मंसूर ने ऐश्वर्या राय बच्चन को शाहरुख खान की बहन के रोल में कास्ट किया। इंडिया नाउ एंड हाउ पर बातचीत में मंसूर खान ने बताया कि उन्होंने फिल्म जोश में शाहरुख और ऐश्वर्या को भाई-बहन के तौर पर कास्ट करने का फैसला क्यों लिया। मंसूर खान ने कहा, 'जोश फिल्म में भाई-बहन का रोल भी था, जिसे शाहरुख खान और ऐश्वर्या ने निभाया था। हालांकि, मैं ऐश्वर्या की जगह काजोल को कास्ट करना चाहता था। मैंने फिल्म की कहानी भी उन्हें सुनाई थी। लेकिन जैसे ही काजोल ने कहानी सुनी, वह गुस्से से उठकर जाने लगीं। तब मैंने उनसे पूछा कि क्या तुम फिल्म कर रही हो? तो उन्होंने कहा था नहीं, मुझे तो मैक्स का रोल चाहिए और फिर वह चली गईं।' मंसूर खान ने कहा, 'काजोल और शाहरुख खान इससे पहले 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के अलावा कई और फिल्में कर चुके थे, जिससे उनकी एक रोमांटिक कपल के तौर पर इमेज बन गई थी। तो ऐसे में काजोल को बहन के रोल में कास्ट करना गलत होता।' मंसूर खान की मानें तो उन्हें डर था कि कोई भी मैक्स की बहन का रोल नहीं करना चाहेगा, लेकिन ऐश्वर्या ने खुशी-खुशी फिल्म करने के लिए हां कहा। वह पूरी तरह से प्रोफेशनल थीं। उन्होंने कभी शिकायत नहीं की और न ही यह कहा कि कैमरा कहां होना चाहिए। मंसूर खान ने आगे कहा, 'मैं शाहरुख को हमेशा मैक्स के रोल के लिए सोच रहा था, और आमिर को चंद्रचूर सिंह के रोल में कास्ट करना चाहता था। जब मैंने आमिर को कहानी सुनाई, तो उन्होंने सोचा कि वह मैक्स का रोल करेंगे। फिर मैंने शाहरुख से बात की, वह बहुत खुश थे। लेकिन जब मैंने उनसे पूछा क्या तुम फिल्म कर रहे हो? तो उन्होंने कहा कि वह नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें पता था कि मैं आमिर को फिल्म में ले रहा हूं। हालांकि, ऐसा कुछ नहीं था मैं फिल्म में शाहरुख को ही कास्ट करना चाहता था।' साल 2000 में रिलीज हुई थी जोश बता दें, जोश फिल्म साल 2000 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में शाहरुख और ऐश्वर्या जुड़वां भाई बहन बने। ऐश्वर्या जैसी आंखें शाहरुख की भी लगें, इसके लिए मंसूर खान ने शाहरुख को पूरी फिल्म में कॉन्टेक्ट लेंस पहनाए।

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/gPRlt4w
via IFTTT

टिकटॉकर महक बुखारी, जिसे दोहरे हत्याकांड में मिली उम्रकैद:मां के नाजायज रिश्ते से छुटकारा पाने के लिए कातिल बनीं, ब्लैकमेलिंग होने पर रची साजिश

"मुझे बचाओ, वो लोग मेरा पीछा कर रहे हैं, मुझे मार डालेंगे।" 11 फरवरी 2022 को इंग्लैंड के लीसेस्टर शहर की पुलिस के पास देर रात एक कॉल आई, जिसमें एक शख्स चिल्ला-चिल्ला कर मदद की गुहार लगा रहा था। वो लगातार कह रहा था कि एक तेज रफ्तार कार उसकी कार का पीछा कर रही है। पुलिस मदद कर पाती, उससे पहले ही कॉल पर तेज चीखें सुनाई दीं और फिर शांति छा गई। कुछ देर बाद वो कॉल कट गई। लोकेशन ट्रेस कर पुलिस जब मौके पर पहुंची तो देखा एक कार सड़क किनारे जल रही थी। उस कार के साथ ही दो लाशें भी आग में जल रही थीं। जाहिर है उन जलती लाशों में से एक उसी शख्स की थी, जिसने कुछ देर पहले पुलिस को कॉल कर मदद मांगी थी। मामले की जांच लीसेस्टर पुलिस को पाकिस्तानी-ब्रिटिश टिकटॉकर महक बुखारी तक ले गई। महक टिकटॉक और सोशल मीडिया की एक उभरती स्टार थीं, लाखों में उनके फॉलोअर्स और फैंस थे। लंबे चले ट्रायल के बाद कोर्ट ने महक बुखारी और उनकी मां अनसरीन को दोहरे हत्याकांड में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। आखिर ग्लैमरस टिकटॉक स्टार महक बुखारी का मरने वाले उन दो लड़कों से क्या रिश्ता था? आखिर वो क्या वजह थी, जिसने एक 23 साल की स्टार को कातिल बना दिया? आखिर क्यों महक बुखारी को ताउम्र सलाखों के पीछे जिंदगी काटनी पड़ी? आज अनसुनी दास्तान के 4 चैप्टर्स में पढ़िए नाजायज रिश्ते, ब्लैकमेलिंग, बदले और हत्या की सिलसिलेवार कहानी- इंग्लैंड के स्टैफोर्डशायर में महक बुखारी अपने पिता रजा अली और मां अनसरीन और छोटे भाई के साथ रहती थीं। महज 18 साल की उम्र में ही उन्हें टिकटॉक से दुनियाभर में पहचान मिलने लगी थी। टिकटॉक पर उनके 1 लाख 30 हजार और इंस्टाग्राम पर 45 हजार फॉलोअर्स थे, जबकि उनके यूट्यूब चैनल के 3900 सब्सक्राइबर्स थे। मेकअप, स्टाइलिंग और लग्जरी लाइफ पर बनाए गए उनके वीडियोज को लाखों लोग लाइक करते थे। इसी की बदौलत उन्हें सोशल मीडिया पर स्टार का दर्जा मिला। बढ़ती पॉपुलैरिटी के बीच महक ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और फुल टाइम कंटेंट क्रिएटर बन गईं। ब्रांड प्रमोशन और इवेंट का हिस्सा बनकर महक की अच्छी कमाई होने लगी थी। साल 2022 तक महक बुखारी को दुनियाभर में पहचान मिल ही रही थी कि एक रोज खबर आई कि उन्हें दोहरे हत्याकांड में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। वीडियो से सुर्खियों में रहने वालीं महक अब कातिल बनने पर सुर्खियों में थीं। उनकी जिंदगी के इस स्याह पन्ने की वजह थीं उनकी मां अनसरीन बुखारी। वही अनसरीन, जिन्हें कई दफा महक के वीडियोज में भी देखा जा चुका था। 2021 में एक रोज महक ने देखा कि उनकी मां कुछ घबराई हुई सी लग रही हैं। महक ने उनसे वजह जाननी चाही, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से साफ इनकार कर दिया। बीतते समय के साथ अनसरीन आए दिन परेशान दिखने लगीं। मां की चिंता महक से देखी नहीं गई और उन्होंने दबाव बनाकर उनसे चिंता की वजह उगलवा ली। 46 साल की अनसरीन का था 21 साल के साकिब से नाजायज रिश्ता मां टूट गईं और उन्होंने परत-दर-परत अपने एक नाजायज रिश्ते की सच्चाई खोल दी। 46 साल की अनसरीन ने महक से बताया कि 2019 से उनका 21 साल की उम्र के साकिब हुसैन से अफेयर है। अनसरीन की साकिब से ऑनलाइन चैटिंग एप आजर के जरिए बातचीत शुरू हुई थी। लंबी-लंबी बातचीत करते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। बातचीत में साकिब खुद को 27 साल का बताता था, जबकि वो असल में महज 21 साल का था। वहीं दूसरी तरफ अनसरीन शादीशुदा थीं और उनकी 23 साल की बेटी थी, साथ ही उनकी और साकिब की उम्र में लंबा फासला था, लेकिन इन सभी बातों का उन पर कोई असर नहीं था। कुछ हफ्ते गुजरे ही थे कि चैटिंग के बाद मुलाकातों का सिलसिला भी शुरू हो गया। दोनों अक्सर रेस्टोरेंट, कैफे, शीशा लॉन्च और होटलों में मिला करते थे। पति राज से चोरी-छिपे अनसरीन ने ये सिलसिला करीब 2 साल तक जारी रखा। साल 2021 के आखिर में अनसरीन को एहसास हो गया था कि वो इस नाजायज रिश्ते को ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं सकतीं। उन्हें पति का डर था, तो उन्होंने एक रोज साकिब हुसैन से अलग होने की बात कह डाली। अनसरीन को प्राइवेट तस्वीरें पति को भेजने की धमकी देता था साकिब साकिब पर रिश्ते का ऐसा जुनून सवार था कि उसने रिश्ता खत्म करने से साफ इनकार कर दिया। जब अनसरीन ने सख्ती से कहा कि वो ये रिश्ता जारी नहीं रखेंगी, तो साकिब ने उन्हें कुछ प्राइवेट तस्वीरें भेजनी शुरू कर दीं। हर बार ब्रेकअप की बात होने पर साकिब अनसरीन को ब्लैकमेल करता था कि वो दोनों की प्राइवेट तस्वीरें और वीडियोज उनके पति को भेज देगा। ब्लैकमेलिंग से अनसरीन परेशान रहने लगी थीं। महक के कहने पर मां ने साकिब को मिलने बुलाया मां अनसरीन की बात सुनकर महक बुखारी ने खुद इस मामले को निपटने का फैसला कर लिया। वैसे तो महक को इस तरह के मामले के लिए पुलिस की मदद लेनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने इसके बजाय एक साजिश रच दी। वही साजिश जिसका अंत सलाखों के पीछे जाकर हुआ। मां अनसरीन को साकिब से छुटकारा दिलाने के लिए महक बुखारी ने अपने मैकेनिक दोस्त रेकान कारवान (27) से मदद मांगी, जो अपने साथ रईस जमान (23), नताशा अख्तर (23), अमीर जमाल (28) और सनफ गुलमुस्तफा (23) को भी ले आया। प्लान के तहत अनसरीन को साकिब को मिलने के लिए बुलाना था, जहां सभी उस पर दबाव बनाकर उसके फोन से प्राइवेट फोटो डिलीट करवाने वाले थे। इस प्लान को अंजाम देने के लिए अनसरीन ने साकिब को कॉल कर कहा कि वो उन्हें 3000 पाउंड लौटाना चाहती हैं, जो 2 सालों के रिलेशनशिप में उन्होंने खर्च किए हैं। 3000 पाउंड के लालच में मिलने पहुंचा साकिब ये सुनते ही साकिब उनसे मिलने के लिए राजी हो गया। लीसेस्टर के एक पार्क में सभी ने मिलना तय किया। साकिब ने अपने बचपन के दोस्त मोहम्मद हाशिम ऐजाजुद्दीन को भी राजी कर लिया। हाशिम ये नहीं जानता था कि उसका दोस्त साकिब ब्लैकमेलिंग में इन्वॉल्व है। वो बिना कुछ पूछे ही साथ चलने को राजी हो गया। सवाल ये है कि अगर महक बुखारी अपने दोस्तों के साथ सिर्फ तस्वीरें डिलीट करवाने गई थीं, तो आखिर ऐसा क्या हुआ जो उन दोनों की हत्या कर दी गई। 11 फरवरी 2022 साकिब हुसैन देर रात अपने दोस्त के साथ लीसेस्टर के पार्क में पहुंचा। कुछ देर बाद वहां अनसरीन और उनकी बेटी महक बुखारी पहुंचीं। अनसरीन ने साकिब से कहा कि वो अपने फोन से सभी तस्वीरें डिलीट कर दे, लेकिन साकिब वहीं गुस्से में आ गया। वो समझ गया कि 3000 पाउंड देने की बात महज उसे बुलाने के लिए की गई है। महक और साकिब की छीनाझपटी होने लगी, जिसे देख उनके दोस्त कार से उतरने लगे। खतरे का अंदाजा लगते ही साकिब तुरंत अपनी कार में बैठकर वहां से भागने लगा। साकिब को रोकने के लिए महक और उनके दोस्त उसकी कार का पीछा करने लगे। वो लोग लगातार साकिब का पीछा कर रहे थे। डर के मारे उसने हेल्पलाइन नंबर 999 पर कॉल कर मदद मांगी। उसने बताया कि 2 तेज रफ्तार कार उसका पीछा कर रही हैं। वो लोग नकाब पहने हुए हैं और उसकी कार पर हमला कर रहे हैं। साकिब और पुलिस की ये कॉल करीब 5 मिनट तक चली, जिसमें पुलिस लगातार उसकी सही लोकेशन जानने की कोशिश कर रही थी। साकिब लगातार कॉल पर मदद की भीख मांग रहा था। फिर अचानक पुलिस को चींखें सुनाई दीं और कॉल कट गई, लेकिन पुलिस तब भी उसकी लोकेशन तक नहीं पहुंच सकी। उसी रात करीब डेढ़ बजे एक रिकवरी ड्राइवर ने नजदीकी पुलिस स्टेशन में कॉल कर बताया कि उसे A46 डबल कैरिजवे रोड पर एक कार जलती मिली है। कार पूरी तरह जल चुकी थी, उसमें दो लड़कों की लाशें भी जल रही थीं। पुलिस ने तुरंत फायरफाइटर्स को बुलाकर आग पर काबू पाया। जांच में सामने आया कि जिन लड़कों की लाशें मिली हैं, ये वही लोग हैं, जिन्होंने कुछ देर पहले ही 999 पर कॉल कर मदद मांगी थी। पुलिस ने डेंटल रिकॉर्ड की मदद से साकिब और उसके दोस्त हाशिम की पहचान कन्फर्म कर दी और कातिलों की तलाश शुरू कर दी। उस रास्ते के सीसीटीवी फुटेज खंगालने के दौरान पुलिस को एक स्कोडा और एक ऑडी उनकी कार का पीछा करती दिखीं। वो कारें 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थीं। ऑटोमैटिक नंबर प्लेट डिटेक्टर की मदद से रात करीब 2 बजे पुलिस ने ऑडी गाड़ी की लोकेशन ट्रेस कर ली। मिडलैंड पुलिस की मदद से ऑडी कार को एक पेट्रोल स्टेशन पर रोका गया, जिसमें सिर्फ महक की दोस्त नताशा थीं। पुलिस ने उन्हें तुरंत हिरासत में लिया। नताशा के फोन से पता चला कि गिरफ्तारी के कुछ समय पहले ही उन्होंने अपने दोस्त रईस को कॉल किया था। नताशा की गिरफ्तारी इस केस में अहम साबित हुई। नताजा ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वो अपनी दोस्त महक और कुछ साथियों के साथ शीशा लॉन्च गई थीं, लेकिन प्लान कैंसिल होने पर वो वापस लौट आईं। नताशा ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन कदम-कदम पर लगे सीसीटीवी कैमरों से जुर्म का पर्दाफाश हो गया। पुलिस ने पाया कि महक, अनसरीन और उनके 6 साथी, 2 अलग-अलग कारों में सवार थे। साकिब की कार में आग लगने के बाद वो लोग उसी रास्ते पर आगे निकल गए। एक गाड़ी महक की दोस्त नताशा चला रही थीं, जबकि दूसरी कार को रेकान ड्राइव कर रहा था। कुछ देर बाद ऑडी को महक ने चलाना शुरू किया और नताशा उनकी साथ वाली सीट पर आ गईं। कुछ दूर आगे जाने के बाद सभी ने यूटर्न लिया और शहर को लौटने लगे। आरोपियों की बर्बरता- जलती हुई कार को देखते हुए गुजर गए लौटते हुए वो सभी सड़क किनारे जल रही साकिब की कार के बाजू से गुजरे और शहर आते ही उन्होंने कार रोककर सड़कों पर टहलना शुरू कर दिया, जो सीसीटीवी कैमरे में देखा जा सकता था। इस जगह रुकने के बाद कुछ लोग पैदल घर के लिए रवाना हुए, जबकि दूसरे लोगों को कार से उनके घरों तक छोड़ा गया। महक और अनसरीन अपने स्ट्रोक ऑन ट्रेंट स्थित घर आकर सो गईं और नताशा अपनी ऑडी कार लेकर बर्मिंघम के लिए रवाना हो गईं, लेकिन रास्ते से ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अगले दिन 12 फरवरी को जब पुलिस महक और अनसरीन के घर पहुंची, तब दोनों सो रही थीं। उनकी नींद ही पुलिस की आवाज से खुली। पुलिस के आते ही महक ने देखा कि उनके फोन में रईस के कई मिस्ड कॉल्स थे, जो ये बताने के लिए किए गए थे कि नताशा को गिरफ्तार कर लिया गया है। रईस से कॉल पर बात करने के बाद महक ने अपनी मां अनसरीन को मैसेज कर बताया कि उन्हें पुलिस को क्या झूठी कहानी सुनानी है। महक और अनसरीन ने पुलिस के सामने कई कहानियां सुनाईं, लेकिन सीसीटीवी फुटेज से मिले सबूतों के आधार पर उन्हें और उनके सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सभी सबूत दिखाने के बाद जब महक से दोबारा सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि वो सिर्फ साकिब से मिलकर प्राइवेट फोटो डिलीट करवाना चाहती थीं, जिसके लिए वो लोग उनकी कार का पीछा कर रहे थे। महक ने बताया कि साकिब और उसके दोस्त की मौत उनकी तेज रफ्तार कार के एक्सीडेंट से हुई है, जिससे उनका और उनके दोस्तों का कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट में महक बुखारी, उनकी मां अनसरीन और अन्य 6 के खिलाफ हत्या के चार्जेज लगाए गए, लेकिन उनके साथ मौजूद मोहम्मद पटेल को इस मामले में क्लीनचिट दे दी गई, क्योंकि वो पुलिस का गवाह बना। दोस्त ने बताया कैसे बना था हत्या करने का प्लान? गिरफ्तारी के बाद मोहम्मद पटेल ने बताया कि वो लोग शुरुआत में फोटो डिलीट करवाने ही गए थे, लेकिन कार का पीछा करते हुए रईस और रेकान के बीच लगातार कॉल पर बात हो रही थी, जिसमें वो साकिब की कार को कुचलने का प्लान बना रहे थे। इस प्लान में महक और अनसरीन भी शामिल थे। मोहम्मद पटेल के अनुसार महक और उसके दोस्त रेकान की कार ने साकिब की कार को जोरदार टक्कर मारी थी, जिससे वो एक पेड़ से टकराकर ब्लास्ट हुई थी। करीब 11 महीन चले ट्रायल के बाद 4 अगस्त 2023 को इस मामले में फैसला सुनाया गया। कोर्ट में आते हुए महक आत्मविश्वास में मीडिया को देखकर हंसी और हाथ हिलाते हुए सेलिब्रिटी की तरह बिहेव किया, लेकिन जब फैसला आया तो वो कोर्ट में ही फूट-फूटकर रोती नजर आईं। कोर्ट ने साकिब और हाशिम की हत्या का दोषी मानते हुए महक को 31 साल आठ महीने और उनकी मां अनसरीन को 26 साल 9 महीने की सजा सुनाई। जबकि उनके दो दोस्तों रेकान और रईस को भी उम्रकैद की सजा हुई। हत्या में शामिल उनकी दोस्त नताशा को गैर इरादतन हत्या के लिए 11 साल, अमीर जमाल को 14 साल और गुल मुस्तफा को 14 साल 9 महीने की सजा सुनाई गई। जबकि उनके एक अन्य साथी मोहम्मद पटेल को ट्रायल के बाद पुलिस गवाह बनने पर छोड़ दिया गया। ....................................................... फिल्मी सितारों से जुड़ीं ये अनसुनी दास्तानें भी पढ़िए... मॉडल पूजा सिंह जिसका सिर कुचला गया:चाकू से 22 वार किए, 14000 से ज्यादा लोगों से पूछताछ, फिर इत्तफाक से हुआ हत्याकांड का खुलासा 31 जुलाई 2019 सुबह 5 बजे किसान मुनीराजू, बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास सड़क पर टहलते हुए काम के लिए रवाना हुए। चलते-चलते उनकी नजर अचानक किनारे की तरफ पड़ी एक महिला की लाश पर पड़ी। करीब जाकर देखा तो मंजर दिल दहलाने वाला था। लाश का सिर बेरहमी से कुचला गया था, जिससे दिमाग के चिथड़े उड़ चुके थे। शरीर खून से लथपथ था। पूरी खबर पढ़िए... खून से लथपथ मिली थी एक्ट्रेस बिदूषी की लाश: एक रोज पहले पति से झगड़ा हुआ था, 12 साल बाद भी अनसुलझी है मौत की गुत्थी 22 अक्टूबर 2012 की बात है। अंधेरी (वेस्ट) की कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाली 23 साल की साउथ एक्ट्रेस बिदुषी दास बर्दे के लिए एक आम दिन था। सुबह पति दफ्तर के लिए निकले थे, लेकिन जब लौटे तो देखा कि बिदुषी दरवाजा नहीं खोल रही हैं। डुप्लीकेट चाबियों से दरवाजा खोला गया तो बिदुषी खून से लथपथ फर्श पर पड़ी मिलीं। पूरी खबर पढ़िए....

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/9MRg0Ah
via IFTTT

Kate Nash says OnlyFans will earn more than tour

The singer is selling photos of her bottom on the platform because "touring makes losses not profits".

from BBC News https://ift.tt/dOgH0ET

The Women’s War Breaks Out

The Women’s War Breaks Out JamesHoare

* This article was originally published here

Chris Stapleton wins big at country music awards

The singer receives three prizes at the CMA Awards in Nashville, and Morgan Wallen is also a winner.

from BBC News https://ift.tt/zH9qA5v

Why Do Religions Decline?

Why Do Religions Decline? JamesHoare

* This article was originally published here

James Bond theme tune guitarist Vic Flick dies

The musician best known for playing the guitar riff in the James Bond theme tune dies aged 87.

from BBC News https://ift.tt/SCLGVTJ

James Bond theme tune guitarist Vic Flick dies

The musician best known for playing the guitar riff in the James Bond theme tune dies aged 87.

from BBC News https://ift.tt/wb8XMpO

Exceptional Etruscan sarcophagi, urns seized from looters

Italian authorities have seized an exceptional group of Etruscan urns, sarcophagi and funerary objects looted from a single tomb in Città della Pieve, a town near Perugia in the central Italian region of Umbria. The objects include eight stone urns, two sarcophagi and a rich set of more than 50 funerary goods dating to the last quarter of the 3rd century B.C.

An investigation was launched in April of this year after the Cultural Heritage unit of the Carabinieri received a tip about a possible illegal excavation in Città della Pieve. Photographs of a number large cinerary urns with recumbent figures on the lids, a design typical of Etruscan funerary practice, were circulating on the illicit antiquities market. Consulting archaeologists identified the urns in the photographs from their decorative style as likely originating from an Etruscan necropolis in the Chiusi area.

The investigation was able to narrow down the location further to an Etruscan hypogeum linked to the gens Pulfna, which had first emerged in 2015 when a farmer stumbled on it while ploughing a field. That find recovered four urns and two sarcophagi, all belonging to males. While the looted urns and sarcophagi appeared to belong mostly to women, the patronymic “Pulfna” was engraved on some of them. That’s how investigators were able to pinpoint the likely find site.

Because the urns and sarcophagi were big and heavy, the looters had to have had specialized mechanical implements like earth movers and cranes. Only a few people were capable of mustering those kinds of resources, which gave the authorities a short list of suspects. The main one was a local business owner whose company had heavy earthmoving equipment and who just happened to own lands adjacent to the farm where the Pulfna hypogeum had been found in 2015.

Acting on information that the sale of the looted artifacts was imminent, the Carabinieri got authorization to tap suspects’ phones, follow them and spy on all their shenanigans with a drone. With all this information, they were able to find the likely hiding place of the objects and get a search warrant. The urns in the photographs were indeed found there and confiscated. The drone footage also revealed the excavation site. From what archaeologists could tell, it was a two-chamber tomb. Unfortunately the archaeological exploration of the find site revealed that it was completely destroyed by the looters.

They didn’t exactly handle the contents they were stealing with kid gloves either. One of the covers of the two sarcophagi was found in fragments outside the tomb. The surviving cover is intact, however, and it is inscribed with the name VELIA LEFNI PULFNASA. Inside are the skeletal remains of a woman about 40 years of age.

A preliminary reconstruction of the destroyed chambers hypothesizes that the sarcophagi and the two most luxurious and ornate urns were in the first chamber. The urns are made of local white travertine and are carved in relief with scenes of battle and the hunt, episodes from Atalanta and Meleager’s hunt for the Calydonian boar, and the Etruscan version of the killing of Troilus, one of King Priam’s sons, by Achilles in the presence of a pair of Vanth (underworld demons). The decapitated hero’s body is in front of an altar, lying on the belly of a fallen horse. Achilles holds the decapitated head up by its hair. Their lids are topped by semi-recumbent figures representing the deceased. They contain cinerary remains. These two urns are in state of conservation so exceptional that the polychrome pigments and gilding survive in large sections.

Also in the main chamber was the substantial funerary set includes bronze pottery of different forms, including situlae (buckets), olpai (water pitchers), oinochoai (wine-pouring jugs) and flasks. There’s
a balsamarium still containing traces of the perfumed unguent and a bone comb. There are four bronze mirrors decorated with figurative engraving. One of them is decorated with the she-wolf nursing a child in front of several deities (Heracles and Minerva can be recognized). The she-wolf suckling a boy is an obvious reference to the foundational myth of Rome, although this one does not have a second child. The Romulus story is very rarely depicted in Etruscan art, and further analysis is needed to confirm that that’s what is being referred to on the mirror. It is notable that the mirror dates to the late 4th century B.C., so it predates the tomb it was found in by a lot. This was a family heirloom.

The other five urns were in the second underground chamber. One of them in engraved with the name of the owner (VEL PULFNA CLANTI….) and features a gorgon head emerging from an acanthus bush between fluted pilasters. The original polychrome is very well-preserved. Another urn is smooth supported by two sphinxes and a lid with a deceased of mature age. Two others have a semi-recumbent
figure on the lid but post-depositional degradation has made the surfaces unreadable with the naked eye.

The recovery operation is considered among the most significant, not only for the quantity and quality of the finds, but also for their state of conservation and the fact that they come from a single site.

“The recovery of the Etruscan funeral contexts of Città della Pieve reminds us of the importance that the archaeological, cultural and historical heritage has for the whole of Italy,” commented the Minister of Culture Alessandro Giuli. “The more than 50 recovered elements of the funeral trousseau, the two sarcophagi, the eight urns offer a new opportunity to immerse oneself in the fascinating Etruscan universe and once again tell a fundamental fragment of the complex stratification of the societies that over the millennia have animated the history of Italy and have contributed to forming our national identity that is protected, safeguarded and enhanced here.”



* This article was originally published here

कॉन्सर्ट रोक कर दिलजीत दोसांझ बोले-:होटल वाले गेम कर गए, बालकनी से फ्री में शो देख रहे लोग, बिना टिकट के सही है

एक्टर सिंगर दिलजीत दोसांझ ने हाल ही में अहमदाबाद में एक कॉन्सर्ट किया जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस कॉन्सर्ट का एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें दिलजीत अपनी परफॉर्मेंस रोक कर कह रहे हैं कि होटल वाले ने उनके साथ गेम कर दिया। दिलजीत दोसांझ बीच में परफॉर्मेंस को रोकते हुए अपनी टीम से म्यूजिक बंद करने के लिए कह रहे हैं। वायरल वीडियो में सिंगर से यह कहते सुना जा रहा है कि होटल की बालकनी में बैठे जो लोग परफॉर्मेंस देख रहे हैं, उन लोगों के लिए अच्छा है। ये बिना टिकट के सही है। सोशल मीडिया पर दिलजीत दोसांझ का यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है और लोग इस पर रिएक्शन दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा है - उस दिन होटल का किराया एक लाख था। दूसरे यूजर ने लिखा -उन्होंने टिकट की कीमत से अधिक भुगतान किया। तीसरे यूजर ने मजाक में लिखा - पाजी भारी नुक्सान हो गया। एक और यूजर ने लिखा - अगली बार होटल बुक कराएंगे। बता दें कि अहमदाबाद के बाद दिलजीत दोसांझ लखनऊ में 22 नवंबर, पुणे में 24 नवंबर, कोलकाता में 30 नवंबर और बेंगलुरु में 6 दिसंबर को कॉन्सर्ट करेंगे। इसके बाद इंदौर में 8 दिसंबर, चंडीगढ़ में 14 दिसंबर और गुवाहाटी में 29 दिसंबर को उनका आखिरी कॉन्सर्ट होगा। दिलजीत दोसांझ अपने म्यूजिकल टूर दिल-लुमिनाटी के चलते लगातार चर्चा में बने हुए हैं। हाल ही में दिलजीत ने हैदराबाद में परफॉर्म किया था, हालांकि उससे पहले ही उन्हें तेलंगाना सरकार का नोटिस मिला कि वो मंच पर शराब-दारू जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें। अब दिलजीत ने अपने हालिया शो में नोटिस मिलने पर बात करते हुए सरकार को चुनौती दी है कि अगर हर स्टेट में शराब बैन कर दी जाए तो वो कभी शराब पर बने गाने नहीं गाएंगे। साथ ही उन्होंने बॉलीवुड पर भी निशाना साधा है। _______________________________________________________ इस खबर से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें.... दिलजीत दोसांझ की सरकार को चुनौती:दारू शब्द का इस्तेमाल न करने का नोटिस मिला था, कहा- देश में शराब बंद करो, जिंदगी में इसके गाने नहीं गाऊंगा पॉपुलर पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ अपने म्यूजिकल टूर दिल-लुमिनाटी के चलते चर्चा में बने हुए हैं। हाल ही में दिलजीत ने हैदराबाद में परफॉर्म किया था, हालांकि उससे पहले ही उन्हें तेलंगाना सरकार का नोटिस मिला कि वो मंच पर शराब-दारू जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें। पूरी खबर पढ़ें ....

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/os2T0ZF
via IFTTT

Taron Egerton stars in Christmas action Netflix film

Welsh actor Taron Egerton stars in new Christmas action film Carry-On alongside Jason Bateman.

from BBC News https://ift.tt/A40GKyk

डायरेक्टर करते हैं गाने को फाइनल:अमिताभ की फिल्म का गाना नहीं गाना चाहती थीं लता दीदी; एक गाने की वजह से भड़के थे शाहरुख

कभी-कभार फिल्मों से ज्यादा उसके गाने लोगों के दिलों में घर कर जाते हैं। बिना गाने के कोई भी फिल्म अधूरी सी लगती है। सीन्स के इमोशन्स को गानों के जरिए बेहतर ढंग से फिल्माया जा सकता है। सिर्फ सिंगर के गाने से कोई गाना फाइनल रूप नहीं ले लेता है, बल्कि सबसे अहम रोल फिल्म के डायरेक्टर और म्यूजिक कम्पोजर का होता है। गाने की धुन बनाने का काम कम्पोजर करता है और इसे फाइनल करने का काम डायरेक्टर का होता है। रील टु रियल के इस एपिसोड में हम गानों की मेकिंग के प्रोसेस को समझेंगे। इसके लिए हमने लिरिसिस्ट कुमार, म्यूजिक कम्पोजर अमन पंत, वेटरन म्यूजिक कम्पोजर ललित पंडित और सिंगर उदित नारायण से बात की। इन्होंने बताया कि डायरेक्टर के साथ कभी-कभी बड़े एक्टर्स भी गानों की मेकिंग में हिस्सा लेते हैं। फिल्म जवान का एक गाना शाहरुख खान ने ही फाइनल किया। वहीं, कभी-कभार कुछ सिंगर किसी पर्टिकुलर गाने को अपनी आवाज देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन की फिल्म कभी खुशी कभी गम का टाइटल सॉन्ग गाने के लिए राजी नहीं थीं, तब म्यूजिक कम्पोजर ललित पंडित को उन्हें मनाना पड़ा था। किस्सा- 1- फिल्म कभी खुशी कभी गम का टाइटल सॉन्ग गाने को तैयार नहीं थीं लता दीदी ललित पंडित ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ काम किया है। उन्होंने कहा, ‘लता जी से हमारा फैमिली रिलेशन था। उनके भाई हृदयनाथ जी से मेरे पिताजी से संगीत सीखते थे। हालांकि जब मैं उनसे पहली बार मिला था, तो डरा हुआ था। एक किस्सा यह है कि मैंने उनसे अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान की फिल्म कभी खुशी कभी गम का टाइटल सॉन्ग गाने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वो सिर्फ एक गाना नहीं गाती हैं। मैंने उनसे जिद करते हुआ कहा कि अगर यह आप नहीं गाएंगी, तो दूसरा कोई नहीं है, जो इसे गा सके। बहुत मनाने के बाद उन्होंने धुन सुनी और गीत को अपनी आवाज दी।’ किस्सा- 2- सलमान ने मुन्नी बदनाम सॉन्ग में अपने लिए नया अंतरा बनवाया था ललित पंडित ने फिल्म दबंग का गाना मुन्नी बदनाम कम्पोज किया था। लिरिक्स भी इन्होंने ही लिखे थे। इस फिल्म का किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा- मैंने इस गाने को बनाकर बहुत पहले ही रख लिया था। एक बड़ी फिल्म का इंतजार था, जिसमें इस गाने को फिल्माया जा सके। अरबाज खान से मेरी पुरानी दोस्ती है। एक दिन हमारी मुलाकात हुई। मैंने उन्हें गाने सुनाने के लिए अपने घर बुलाया। वो आए और मैंने उन्हें गाने सुनाए। तब उन्होंने बताया कि वे एक फिल्म बना रहे हैं, जिसके लिए उन्हें हट कर एक गाना चाहिए। तब मैंने उन्हें मुन्नी बदनाम गाना सुनाया। अरबाज को यह गाना बहुत पसंद आया। मेरी चाहत थी कि इस गाने को सलमान खान और मलाइका अरोड़ा पर फिल्माया जाए। आखिरकार हुआ भी वही। सलमान ने मुझसे खुद रिक्वेस्ट कर अपने पोर्शन के लिए अंतरा बनवाया था क्योंकि शुरुआत में इस आइटम सॉन्ग को एक ही एक्ट्रेस पर फिल्माना था। किस्सा- 3- एक गाने की शूट पर भड़क गए थे शाहरुख खान शाहरुख खान ने फिल्म फिर भी दिल है हिंदुस्तानी में जूही चावला के साथ काम किया था। इस फिल्म के गाने ‘बनके तेरा जोगी’ की शूटिंग के वक्त शाहरुख बहुत गुस्सा हो गए थे। यह किस्सा सुनाते हुए ललित ने कहा, ‘इस गाने के बोल सुनने के बाद शाहरुख ने इसकी वर्डिंग चेंज करने के लिए कहा था। वे इस गाने को लेकर श्योर नहीं थे। यह पहला मौका था, जब उन्होंने ऐसा कुछ कहा था। फिल्म की प्रोड्यूसर जूही ने भी बोल में बदलाव करने के लिए कहा था। जब मैंने बोल में बदलाव करने के लिए राइटर जावेद अख्तर साहब को बोला तो उन्होंने मना कर दिया। आखिरकार यह गाना उसी बोल के साथ रिकॉर्ड करना पड़ा। फिर जब शूट के वक्त शाहरुख ने यह गाना सुना तो वे फिर भड़क गए। उन्होंने मुझे कॉल किया और बहुत गुस्सा किया। मैं और जतिन उनसे मिलने महबूब स्टूडियो पहुंचे। हालांकि हमारे पहुंचने से पहले कोरियोग्राफर फराह खान ने इस गाने की इतनी तारीफ की कि शाहरुख उनके फीडबैक से इसे शूट करने के लिए राजी हो गए। उन्होंने हमसे माफी भी मांगी थी।’ किस्सा- 4- सलमान को सिंगिंग में है दिलचस्पी, आमिर ने डेढ़ घंटे में रिकॉर्ड किया फाइनल गाना एक्टिंग और डायरेक्शन के अलावा कई एक्टर्स सिंगिंग में भी दिलचस्पी दिखाते हैं। इस लिस्ट में सलमान खान और शाहरुख खान का नाम भी शामिल है। ललित पंडित बताते हैं- सलमान सिंगिंग सेशन में बहुत बैठते थे। उन्हें गाने का बहुत शौक है। सजेस्ट करके हमने आमिर खान से फिल्म गुलाम के लिए आती क्या खंडाला गाना गवाया था। आमिर लगभग 1 महीने इस गाने की प्रैक्टिस करने रोज रात में आते थे। वहीं फाइनल रिकॉर्डिंग उन्होंने महज डेढ़ घंटे में ही कर ली थी। उदित नारायण बोले- आज के हिंदी गानों में म्यूजिक मिसिंग है पहले की तुलना में फिल्मों के गानों और उनकी स्टाइल में बहुत बदलाव हुआ है। इस बारे में सिंगर उदित नारायण ने कहा- गानों की स्टाइल में बहुत बदलाव हुआ है। आज के समय नया क्रिएशन बहुत कम होता है। पुराने गानों का रीमिक्स बना दिया जा रहा है। हिंदी फिल्मों में म्यूजिक का होना बहुत जरूरी है, जो फिलहाल थोड़ा मिसिंग है। बॉलीवुड से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... तब्बू@53-पिता को पसंद नहीं करतीं:मजाक में कहा था- अजय देवगन की वजह से सिंगल हूं; इनकी इच्छा- शादी हुई, तो गुलजार साहब करें कन्यादान कभी एक्ट्रेस न बनने की इच्छा रखने वाली तब्बू 39 साल से फिल्मी दुनिया में टॉप पोजिशन पर हैं, लेकिन पर्सनल लाइफ में उतनी ही अकेली भी। बचपन से ही वह सिर्फ मां और बहन के क्लोज रहीं। पिता का आज तक चेहरा नहीं देखा। यहां तक कि उन्हें पिता का सरनेम लगाना भी नागवारा है। पढ़ें पूरी खबर...

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/DE9mFtU
via IFTTT

‘The Green Ages’ by Annette Kehnel review

‘The Green Ages’ by Annette Kehnel review JamesHoare

* This article was originally published here

Bucks Fizz and Christmas hit lyricist Sinfield dies

Pete Sinfield was in King Crimson, and wrote the hits Think Twice and I Believe In Father Christmas.

from BBC News https://ift.tt/5ZiqOoG

London becomes Emerald City for Wicked premiere

Ariana Grande, Cynthia Erivo and Jeff Goldbum were among those to brave the rainy weather for the premiere.

from BBC News https://ift.tt/UdzTPni

London becomes Emerald City for Wicked premiere

Ariana Grande, Cynthia Erivo and Jeff Goldbum were among those to brave the rainy weather for the premiere.

from BBC News https://ift.tt/GblmQIa

Silent Men film asks why so many still struggle to open up

Scottish filmmaker Duncan Cowles set out to ask why men tend to bottle up their emotions.

from BBC News https://ift.tt/AToXCV3

12th c. mass pit burial found at Leicester Cathedral

One of the largest mass burial pits ever discovered in the UK has been unearthed next to Leicester Cathedral. The pit contained the skeletal remains of 123 men, women and children dumped down a narrow vertical shaft in the early 12th century.

“Their bones show no signs of violence – which leaves us with two alternative reasons for these deaths: starvation or pestilence,” said Mathew Morris, project officer at Leicester University’s archaeological services. “At the moment, the latter is our main working hypothesis.”

The excavations by Morris and his colleagues suggest the bodies were put into the shaft in three deposits, in rapid succession. “It looks as if successive cartloads of bodies were brought to the shaft and then dropped into it, one load on top of another in a very short space of time,” he said. “In terms of numbers, the people put in there probably represented about 5% of the town’s population.” […]

The Anglo-Saxon Chronicles repeatedly mention great pestilences and fevers, severe mortality, and miserable deaths from hunger and famine in England from the mid-10th century through to the mid-12th century, said Morris. “This mass burial fits within this timeframe and provides physical proof of what was then occurring across the nation.”

The discovery of the remains of King Richard III in a Leicester parking lot in 2012 caused a seismic shift in Leicester Cathedral’s identity as a place of worship, pilgrimage and tourist attraction. His body was reburied in a purpose-built tomb at Leicester Cathedral in 2015, triggering a ten-fold increase in the number of visitors to the church.

In January 2022, the cathedral closed its doors for two years while the building was repaired and restored to ensure its long-term stability, the first phase of an ambitious £15m renovation project. Meanwhile, the Old Song School at the eastern end of the cathedral on the garden green was demolished to make way for a new Heritage & Learning Center (HLC). Services resumed November 26, 2023, while
University of Leicester Archaeological Services (ULAS) were engaged to explore the site dedicated to construction of the HLC.

The Cathedral Gardens is a tranquil green space that developed over the course of the past 80 years from what was once the old churchyard (closed to new burials in 1856). The churchyard wasn’t just a burial ground in the centuries before its closure. Like many cemeteries, it was a park-like gathering place for the residents of a densely-populated urban center, and there is archival and archaeological evidence of buildings dating to as early as the 12th century as well as dwellings rented to tenants by the church from the 15th through the 18th centuries.

What is now Leicester Cathedral began as the parish church of St. Martin. It is first mentioned by name in historical records in 1220, but historians believed there was an earlier iteration of St. Martin’s dating to before the Norman conquest. In the excavation of the HLC site, archaeologists hoped to find evidence of the earliest church, as well as remains of the ancient Roman settlement of Ratae Corieltavorum, most of which is under the historic center of Leicester and therefore inaccessible to archaeologists.

Excavations concluded in March 2023. In ten months of digging in a relatively small pit 43 by 49 feet by 20 feet deep, the team unearthed 19,754 artifacts and 1,237 skeletons spanning 15,000 years of history. The burials range in date from the 11th through the 19th century, the full period when St. Martin’s churchyard was in use.

“It’s a continuous sequence of 850 years of burials from a single population from a single place, and you don’t get that very often,” added Morris. “It has generated an enormous amount of archaeology.”

After documentation and assessment of the archaeological materials collected from the site, the ULAS team analyzed the skeletal remains. The bones underwent osteological analysis, radiocarbon dating, DNA and stable isotope analysis. The dating confirmed that St. Martins was founded in the late Saxon era (a penny found in that layer dates to 880-973 A.D.) and while most of the site was a garden space in the Roman era, the northwest quarter of it housed a building with a cellar that had painted stonework walls and a concrete floor. The base of an altar stone was found there, suggesting this may have been a private cult ceremonial space.

The analysis of the bones in the pit burial revealed that they were older than previously thought. Because there were so many bodies in the shaft, archaeologists first suspected they were victims of the Black Death which cut such a deadly swath through Europe that a third of its population was killed. This would have been the first archaeological evidence of the Black Death in Leicester. Instead, radiocarbon dating results showed the deceased had been dumped into the pit 150 years before that.

To pinpoint what the cause of this mass death event may have been, the ULAS team has sent samples of the bones to the Francis Crick Institute in London for DNA analysis that might identify the pathogen.

“It was clearly a devastating outbreak that resonates with recent events, in particular the Covid pandemic,” said Morris. “But it is also important to note there was still some form of civic control going on. There was still someone going around in a cart collecting bodies. What we see from studying the bodies in the pit does not indicate it was created in a panic.”

He added: “There was also no evidence of clothing on any of the bodies – no buckles, brooches, nothing to suggest these were people who were dropping dead in the street before being collected and dumped.

“In fact, there are signs that their limbs were still together, which suggests they were wrapped in shrouds. So their families were able to prepare these bodies for burial before someone from a central authority collected them to take to the pit burial.”

 



* This article was originally published here

Paul Mescal says Ronan was 'spot on' over viral clip

Saoirse Ronan's comments about women's safety last month trended on social media for days.

from BBC News https://ift.tt/2ZPEoMJ

शाहरुख-सलमान का नाम सुन डिस्ट्रीब्यूटर ने फिल्म छोड़ दी थी:लेकिन राकेश रोशन पीछे नहीं हटे, शाहरुख ने बाद में मांगी माफी

शाहरुख खान और सलमान खान स्टारर ब्लॉकबस्टर फिल्म 'करण अर्जुन ' 22 नवंबर को दुनियाभर के सिनेमाघरों में फिर से रिलीज होने वाली है। हाल ही में इस फिल्म को लेकर प्रोड्यूसर-डायरेक्टर राकेश रोशन ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। उन्होंने बताया कि जब डिस्ट्रीब्यूटर को बताया कि सलमान और शाहरुख को लेकर एक एक्शन फिल्म बना रहे हैं, तो 2-3 डिस्ट्रीब्यूटर ने फिल्म छोड़ दी थी। शाहरुख खान भी फिल्म की कहानी से कन्विंस नहीं थे, बाद में उन्होंने इसके लिए माफी मांगी। राकेश रोशन से बातचीत के प्रमुख अंश पढ़िए.. सवाल- शाहरुख और सलमान की छवि भी रोमांटिक हीरो की थी। जब इन दोनों को लेकर एक्शन फिल्म बनाने की सोची तो लोगों की क्या प्रतिक्रिया थी? जवाब- 99 प्रतिशत लोग नहीं चाहते थे कि फिल्म बनाऊं, लेकिन मैं अपने कन्विक्शन से पीछे नहीं हटा। मुझे ऐसा लगा कि मां और बेटे के प्यार से बढ़कर कोई प्यार नहीं हो सकता है। उसी कन्विक्शन से राखी ने डायलॉग बोले कि मेरे करण अर्जुन आएंगे। यह डायलॉग दर्शकों को विश्वसनीय लगा कि एक मां के सामने उसके दोनों बेटों को मार दिया गया और फिर वह भगवान के सामने चिल्ला-चिल्लाकर कहती है कि मुझे मेरे बच्चे लौटा दो, तो बच्चों को आना ही पड़ा। सवाल- आप पहले प्रोड्यूसर हैं, जो शाहरुख और सलमान को एक साथ लेकर आए? जवाब- उस समय दोनों नए थे। दोनों ने दिल लगाकर काम किया। सलमान और शाहरुख रोमांटिक फिल्में ही कर रहे थे। मैंने देखा कि दोनों एक्शन भी कर सकते हैं। इस फिल्म में सिर्फ एक्शन नहीं है, बल्कि एक ऐसी कहानी है, जिसमें वे एक्शन करते हैं। सवाल- फिल्म की कास्टिंग को लेकर शुरू में काफी बदलाव हुए थे, उसके बारे में कुछ बताएं? जवाब- पहले इस फिल्म में अजय देवगन और शाहरुख खान थे। कहानी दोनों को पसंद आई थी। शाहरुख और अजय एक दिन मुझसे मिलने आए और बोले कि हम अपनी इमेज बदलना चाहते हैं। तब दोनों ने अपने-अपने हिसाब से अपना रोल चुना। शाहरुख ने एक्शन तो अजय को रोमांटिक रोल पसंद आया था। तब मैंने उनसे सवाल किया कि इससे फिल्म को फायदा होगा? दोनों चुप हो गए। मैंने कहा कि फिल्म चलने से फायदा होगा। आप लोग अपनी इमेज चेंज करेंगे और फिल्म नहीं चली तो ना यहां के रहेंगे और ना ही वहां के रहेंगे। मैंने बताया कि इस फिल्म में दोनों ही एक्शन और रोमांस कर रहे हैं। दोनों इस बात पर कन्विंस नहीं हुए। फिर मैंने आमिर और सलमान को कास्ट किया। फिर शाहरुख आए और बोले कि आपने मुझे ‘किंग अंकल’ में ब्रेक दिया है। मैं यह फिल्म करूंगा। मैंने आमिर से कहा कि शाहरुख करना चाह रहा है। मैंने शाहरुख और सलमान को लेकर फिल्म शुरू की। सवाल- अमरीश पुरी को जब आपने नरेशन दिया तो उनकी क्या प्रतिक्रिया थी? जवाब-अमरीश पुरी जी ने मुझसे पूछा कि तुम्हें लगता है कि करण अर्जुन वापस आएंगे। मैंने कहा कि आप उन्हें इतनी बुरी तरह से मारेंगे कि वो वापस क्या, हर जन्म में वापस आएंगे। यह सुनकर वे बहुत जोर से हंसे थे। सवाल- और राखी जी की क्या प्रतिक्रिया थी? जवाब- राखी जी समझ गई थीं कि अच्छा किरदार है। किसी भी आर्टिस्ट को मैं स्क्रिप्ट पूरे डायलॉग के साथ सुनाता हूं। उनको बहुत अच्छा लगा था। सवाल- इस फिल्म का नाम पहले ‘कायनात’ था बाद में ‘करण अर्जुन’ कैसे रखा गया? जवाब- फिल्म के डायलॉग राइटर अनवर खान ने कहा था कि कायनात शब्द फिल्म की कहानी से मैच नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि फिल्म में दो हीरो हैं तो करण और अर्जुन नाम रखते हैं। उनका सुझाव मुझे अच्छा लगा। यह टाइटल सुनने में भी अच्छा लग रहा था, इसलिए हमने करण अर्जुन टाइटल रख दिया। सवाल- फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर के साथ आपकी अच्छी बॉन्डिंग रहती है, इस फिल्म के बारे में उनकी क्या राय थी? जवाब- जब मैंने कहा कि सलमान और शाहरुख लेकर एक्शन फिल्म बना रहा हूं तो 2-3 डिस्ट्रीब्यूटर ने फिल्म छोड़ दी। वे यही सोचते थे कि दो रोमांटिक हीरो को लेकर एक्शन फिल्म कैसे बनाई जा सकती है। सबका अपना सोचने का ढंग होता है। जब फिल्म चल गई तो हमारे पास वापस आए और बोले कि हमसे गलती हो गई थी। सवाल- फिल्म के गाने अलग-अलग फ्लेवर के थे, वह कैसे बने, उसके बारे में कुछ बताएं? जवाब- आम तौर पर हम गीतकार को सिचुएशन समझाते हैं। उसी के हिसाब से गीतकार गीत लिखता है। मैं सिचुएशन नहीं, बल्कि फिल्म की पूरी कहानी डायलॉग के साथ सुनाता हूं। चाहे वो कैमरामैन हो या फिर गीतकार। इससे वे समझ जाते हैं कि मैं क्या बना रहा हूं। इस वजह से इंदीवर जी ने बहुत अच्छे गाने लिखे। मेरी फिल्मों में गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं। सवाल- सलमान खान और शाहरुख खान के बीच उस समय कैसी बॉन्डिंग थी? जवाब- दोनों के बीच बहुत अच्छी बॉन्डिंग थी। हमारी फिल्म की शूटिंग के दौरान ऐसा माहौल होता है कि सब साथ बैठकर खाना खाते हैं। चाहे बड़ा एक्टर हो या फिर छोटा एक्टर। सभी टेक्नीशियन और एक्टर के साथ मजाक-मस्ती करते-करते फिल्म की शूटिंग पूरी कर लेते हैं। सवाल- शूटिंग के दौरान का कोई यादगार क्षण जिसे आप शेयर करना चाहें? जवाब- पूरी फिल्म की शूटिंग ही यादगार थी। कभी सोचा नहीं था कि फिल्म के डायलॉग्स इतने लोकप्रिय होंगे। मैं फिल्म की मिक्सिंग राजकमल स्टूडियो में कर रहा था। वहीं, पर यश चोपड़ा जी का भी ऑफिस था। आदित्य चोपड़ा और ऋतिक दोस्त हैं। आदित्य अक्सर स्टूडियो में आते रहते थे। एक दिन आदित्य ने कहा कि अंकल आपको पता नहीं, क्या बना दिया। यह फिल्म रिकॉर्ड तोड़ देगी। मुझे लगा कि ऋतिक का दोस्त है तो उसको ऐसा लगता होगा। फिल्म पूरी होने के बाद मैंने शो रखा और सलमान खान की पूरी फैमिली को फिल्म देखने के लिए बुलाया। सवाल- ऋतिक रोशन भी उस समय आपकी फिल्म में असिस्टेंट थे, उनके बारे में कुछ बताएं? जवाब- जब ऋतिक 14 साल के थे, तबसे मैं उसे अपनी फिल्मों की कहानी सुनाता था। मेरे लिए जरूरी था कि आखिर ऋतिक इसे लेकर क्या सोचता है। फिल्म ‘किंग अंकल’ के बाद जब फिल्म बनाने के बारे में सोच रहा था तब मुझे पता ही नहीं था कि क्या कहानी बनाऊं। ऋतिक ने मुझे बताया कि आपने मुझे मां और दो बेटे की कहानी सुनाई थी। फिर मुझे याद आया कि इस कहानी पर फिल्म बना सकता हूं। सवाल- कन्विंसिंग पावर कहां से लेकर आते हैं? जवाब- मैं लाता हूं या भगवान देता है, यह मुझे पता नहीं है। मैं बहुत मेहनत से काम करता हूं। मुझे फिल्म बनाने की कोई जल्दी नहीं है कि एक फिल्म चल गई तो दूसरी फिल्म तुरंत बनाऊं। मैं पैसे कमाने के लिए फिल्में नहीं बनाता हूं। पैसे तो फिल्में कमाकर देती हैं। हमें फिल्में बनाते रहना चाहिए। सवाल- ‘करण अर्जुन’ की सबसे खूबसूरत बात क्या लगती है आपको? जवाब- फिल्म का इमोशनल पार्ट सबसे खूबसूरत है। इसके अलावा फिल्म की लोकेशन बहुत ही खूबसूरत हैं। मुझे लगता है कि कभी-कभी ऐसी फिल्में बन जाती हैं। अगर दोबारा ऐसी फिल्म बनाना चाहो तो नहीं बनेगी। सवाल- क्या आपको लगता है कि ‘करण अर्जुन’ का सीक्वल बन सकता है? जवाब- बन तो सकता है, लेकिन इसके बारे में कभी सोचा नहीं है। सवाल- 29 साल के बाद फिल्म को दोबारा रिलीज करने का ख्याल कैसे आया? जवाब- शाहरुख और सलमान सुपरस्टार हैं। मैंने सोचा कि इसे दोबारा रिलीज करके देखते हैं। इसे बड़े पैमाने पर 2000 स्क्रीन में रिलीज कर रहा हूं। पहले इसका सामान्य साउथ सिस्टम था। साउन्ड को मैंने 5.1 में दोबारा रिकॉर्ड किया है। पूरी फिल्म की DI करवाया। फिल्म बिल्कुल नई जैसी लगेगी। अब देखते हैं कि ऑडियंस फिल्म देखकर क्या बोलती है। _________________________________________________________ बॉलीवुड से जुड़ी ये स्टोरी भी पढ़ें.. प्रोड्यूसर होते हैं फिल्म के असल हीरो:शाहरुख खान ने डिस्ट्रीब्यूटर से नहीं लिए 25 लाख, साउथ में प्रोड्यूसर एक्टर को बैन कर देते हैं फिल्म मेकिंग के हर डिपार्टमेंट में प्रोड्यूसर की भागीदारी होती है। प्रोड्यूसर के लिए सबसे मुश्किल काम लोगों को हैंडल करना और फंड इकट्ठा करना होता है। किस तरह से कहानी का चयन करके प्रोड्यूसर फिल्म का निर्माण करता है; फिल्म की शूटिंग से रिलीज तक किस तरह की चुनौतियां आती हैं, इस हफ्ते के रील टु रियल के इस एपिसोड में जानेंगे। पूरी खबर पढ़ें..

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/m92DAfP
via IFTTT

Archaeologist leaves message in Viking ship burial

Yet another note from a past archaeologist has been unearthed by present-day archaeologists, this time in a Viking ship burial. The message in a bottle was left by Anders Lorange of the Bergen Museum in 1874 when he excavated the largest Viking ship burial ever found at the Myklebust farm on Nordfjordeid, western Norway.

Myklebust was the estate of 9th century Viking king Audbjörn Frøybjørnsson of Firda. Frøybjørnsson died in battle against Harald Hairfair who successfully fought to unite the petty kingdoms of Norway into a single crown under his rule. After his death in 870, Frøybjørnsson’s body was returned to Myklebust and was given a ship burial. The burned ship was covered by a great mound known as Rundehogjen. The mound is 100 feet in diameter and 13 feet high. The ship was burned during the funeral ritual, but the remains — 7000+ rivets, the large ash pile, 44 shield bosses — made it possible for the archaeologists to extrapolate its size. It was at least 100 feet long (far longer than the Oseberg and Gokstad ships which are more famous today because they were not burned and survive intact), the largest ship that has ever been found in a Viking burial. It is also the only known cremation Viking ship burial ever discovered in Scandinavia.

The Bergen Museum dispatched Anders Lorange, its first professional conservator and archaeologist, to excavate the mound for the first time in 1874. Lorange found the skeletal remains of an adult male about 25-35 years old with sharp-force injury to his shoulder inflicted by a sword or battle axe. He also found the remains of the burned ship, weapons and other grave goods, including a bronze vessel looted from a church or monastery in Ireland in the 8th century and repurposed in this burial as a cinerary urn.

Before refilling the mound, Lorange wrote a note, rolled it up and put it in a green glass bottle along with his business card and five coins. The text of the note translates to:

“This Mound was excavated Anno Domino 1874. Of Anders Lorange, Antiqvarius Norvegiæ. The mound is built over fallen Men. They were burned in their ship with their weapons and decorations. Of shield bosses were 26 – of Swords 2 – an ax and many Arrows – in addition to many other Old Saws. The find is handed over to Bergens Museum.”

NB: There were actually 44 shield bosses in the burial, so he missed a few, nor did he mention the bronze cinerary urn. Project leader and archaeologist Morten Ramstad believes Lorange omitted these important objects from his list because he wasn’t the one who got down in the dirt. Farm laborers did the actual digging, so even though he was the lead archaeologist, Lorange didn’t have all the information by the time the burial was refilled.

He was less than conversant on another subject in his area of expertise too, but that didn’t stop him from shouting out his sweetheart.

At the bottom of the letter, Lorange has written a message in runes. But when Ramstad sought out experts in runic writing, they struggled to decipher what was written.

“Eventually we realized that Lorange did not know runes, and had only translated the sentence directly using the younger runic alphabet. Then we translated it to ‘Emma Gade my girlfriend.’ He wrote the same on his business card, which was also in the bottle, says Ramstad.

Emma Gade from Bergen later became Lorange’s wife. But this was not the first time Lorange left a letter in a bottle with a declaration of love.

“A similar bottle was found during the excavation of Raknehaugen in 1939. There, Lorange [who was the first to excavate the mound in 1869-70,] had written a declaration of love to Ingeborg Heftye, but we know that she ended up marrying someone else. Lorange was undoubtedly an amorous young man, says Ramstad.

Norway’s National Archives assigned archaeologists from the University of Bergen to re-excavate and map the Myklebust Ship mound as part of a project to document ship graves for possible inclusion on Norway’s World Heritage Site list. Excavation with modern methods and technologies revealed that much more of the mound was preserved than previously understood, and that underneath the mound were traces of the early Viking-era settlement.

“Investigations at Myklebusthaugen will undoubtedly give us a better understanding of a powerful and important Viking Age cultural environment with contacts that have gone far beyond Norway. They also confirm that the ship Lorange found was of considerable size. And not least that the mound hides several burials,” explains Ramstad.

The bottle, note, card and coins will become part of the University Museum’s collection, and will go on display at its bicentennial exhibition next year.



* This article was originally published here

Lineker: It is 'right time' to leave Match of the Day

The host says it "makes sense for someone else to take the helm" of the long-running football show.

from BBC News https://ift.tt/7XmaMWs

SZA was 'scared and freaked out' at Glastonbury

The singer was criticised after her set suffered technical problems and drew a small crowd.

from BBC News https://ift.tt/mOS7vao

SZA was 'scared and freaked out' at Glastonbury

The singer was criticised after her set suffered technical problems and drew a small crowd.

from BBC News https://ift.tt/ql9zRNf

Gladiator knife handle found near Hadrian’s Wall

A rare knife handle in the shape of a gladiator found by divers in 1997 has been donated to English Heritage and will go on public display for the first time next year. The copper alloy figure was discovered near Corbridge Roman Town in Northumberland on Hadrian’s Wall and is in pristine condition, preserved in the water of the River Tyne for 2,000 years. Originally the handle for a folding knife, it is only the second Roman gladiator knife handle to be found in England.

The figure depicts a gladiator of the secutor class, a heavily armed fighter who carried a heavy rectangular shield and short sword. He wore a full-coverage helmet with two small openings to see through, a manica (arm guard) on his right arm and an ocrea (greave) on his left leg. The secutor was fielded again the retiarius who fought bareheaded and unshielded with a trident, net and dagger. This particular secutor is left-handed. Left-handedness was considered unlucky, so it is a distinguishing feature for a gladiator and may indicate the figure is depicting a specific fighter.

Another rare depiction of a gladiator on an object of English origin, the Colchester Vase, features a fight between a secutor and retiarius and both of them are named. Colchester, known to the Romans as Camulodunum, was a major city in the southeast and had two theaters where gladiatorial combat may have been staged. Corbridge, on the other hand, was a civilian settlement associated with a fort on the remote northern border of the Roman Empire. It was a bustling town that played a key commercial role as a supply base for the Roman army, one of only two civilian communities of substance on the wall (Carlisle is the other). It had granaries, public buildings, an aqueduct, a temple and housing for officers, but there was no theater or arena.

Dr Frances McIntosh, English Heritage’s Collections Curator for Hadrian’s Wall and the North East, said, ‘It is rare to find a piece of gladiator memorabilia in Britain and to find such a well preserved and interesting piece is particularly remarkable.

‘Despite being enslaved and socially outcast due to their profession, gladiators could become huge celebrities. Gladiators and the ‘spectacles’ were an integral part of Roman cultural life, taking place all across the Roman Empire. The phenomenon inspired the creation of sporting memorabilia, such as decorated ceramics and glass cups, lamps and figurines.

‘Gladiators had sex appeal and there are cases of high-status Roman women falling ‘in love’ with these lowly fighters, despite the vast social difference. This beautifully made knife handle is a testament to how pervasive this celebrity culture was, reaching all the way to Hadrian’s Wall at the very edge of the Roman Empire.”

The Tyne knife handle was finely cast and is a high-quality piece. It not mass-produced. It was likely a commissioned piece, and if it fell into the river by accident, the loss would have been much regretted.

The handle will go on display at Corbridge Roman Town in 2025 accompanied by other artifacts discovered in the River Tyne.



* This article was originally published here

Paddy McGuinness completes Children in Need challenge on kids’ bike

The presenter raises £7.5m by cycling 300 miles from Wales to Scotland on a Raleigh Chopper bike.

from BBC News https://ift.tt/D4BlmHG

Roman hobnailed shoe found in playground in Germany

An excavation in a children’s playground adjacent to the Roman military camp at Haltern am See, northern Germany, has uncovered the remains of a hobnailed boot, a glass game piece and evidence of the camp’s wood-earth defensive wall.

Archaeologists with the Westphalia-Lippe Regional Association (LWL) began excavating the site this summer accompanying construction work on the playground. Its proximity to the fortifications of the 1st century Roman camp of Aliso made it likely that archaeological materials were to be found at the location.

Aliso was built during the reign of the emperor Augustus as part of his aim to establish the province of Magna Germania, a much larger territory in northwestern Europe that would stretch from the Rhine in the west to the Vistula in the east and the Danube in the south. Augustus’ ambition was dashed to bloody pieces at the Battle of the Teutoburg Forest in 9 A.D.

Arminius, leader of the Cherusci tribe and former ally of Rome who was responsible for the resounding defeat of three legions and the permanent derailment of all hopes of imperial expansion into Germany, besieged Aliso after his victory over the winter of 9/10 A.D. The garrison put up a great fight, and ultimately managed to escape destruction, but Aliso would be the last of the six military camps built by Augustus during his Germanic campaigns to be held by Rome after Teutoburg. The camp was occupied until 16 A.D.

Archaeological evidence of the siege — lead and stone slingshot balls, arrowheads, mass graves — and remains of the camp’s south, west and east gates have been found in previous excavations. The playground is located on the wood-earth wall, and the excavation found well-preserved post holes from the wall. It also uncovered two bread-baking pit ovens and several waste pits. The boot was found in one of the waste pits.

LWL archaeologist Dr. Bettina Tremmel said: “A legionnaire threw his worn-out caliga into one of these waste pits and disposed of it that way. The shoe leather has now completely decomposed in the sandy soil of Haltern. However, the shoe nails that were under the sole of the shoe remained in place.”

The archaeologists tracked these down with the help of a so-called pinpointer, a compact mini metal detector. “In one place we found shoe nails lying close together and used the pinpointer to continue the search. This hit an area of ​​20 by 20 centimeters,” says Tremmel. The archaeologists then recovered the entire block of earth in order not to change the position of the small metal finds in the ground and to ensure that they could be transported without breakage.

“The shoe must have been relatively small and turned over in the heel area. There is a 90-degree bend there,” says LWL restorer Andreas Weisgerber. “We also looked at whether organic matter might have been preserved on the iron oxides. Unfortunately, this was not the case. Judging by the length of the nail thorn, the sole was about 0.8 centimeters thick.”

“The soles of the Caligae shoes consisted of three layers of leather, which were held together by small, hand-forged nails. The tips of the nails were folded over on the top of the sole,” adds Tremmel. “As the legionaries did not wear socks, walking on the 60 nails hammered into each sole must have been almost like a massage,” she believes.



* This article was originally published here

Why does Pharrell's biopic sidestep Blurred Lines?

Williams was fined $5m in a plagiarism lawsuit, but a film about his life doesn't touch on the issue.

from BBC News https://ift.tt/0Xhn7TY

Why does Pharrell's biopic sidestep Blurred Lines?

Williams was fined $5m in a plagiarism lawsuit, but a film about his life doesn't touch on the issue.

from BBC News https://ift.tt/uDtGNji

Fear, Friendship and the Channel Tunnel

Fear, Friendship and the Channel Tunnel JamesHoare

* This article was originally published here

Study Shows Smart Snacking Growing 1.2 Times Faster Than Traditional Snacks In India

A new study reveals that India's smart snacking sector is rapidly expanding as consumers seek health-focused options over traditional snacks.

from Zee News :Zee News - Health https://ift.tt/kftnHsB

‘King Arthur’s Hall’ is 4,000 years older than thought

A new investigation of the ancient site known as King Arthur’s Hall on Bodmin Moor in Cornwall has revealed it dates back to the Neolithic Period, 4,000 years older than previously believed. Researchers from the Cornwall Archaeological Unit (CAU) employed Optically Stimulated Luminescence (OSL) dating to discover that the enclosure was dug approximately 5,000 to 5,500 years ago, making it as old as Stonehenge, not medieval.

The site is a rectangular sunken enclosure 155 feet long and 65 feet wide outlined by an earth and stone embankment. The inner bank is lined with 56 orthostats (standing stones) up to six feet high. Most of the visible ones are leaning or lying down, but there may be more under the surface.

It was long thought to be a medieval animal pound, an enclosure for livestock, and was listed by Historic England as dating to around 1000 A.D., but there was speculation that due to the use of orthostats, its north-south orientation and the presence of other standing stone groupings nearby, at least part of the mound was much older. The rectangular enclosure with embankment and interior standing stones is unique, however. There are no known directly comparable Neolithic examples.

CAU was commissioned to excavate a small investigative trench near the entrance area at the south of the rectangle. Soil samples were taken from the main trench through the bank and organic samples from the exposed stone construction of the bank. The Optically Stimulated Luminescence dating, which measures the time soil was last exposed to light, was used on samples from the soil in the bank and soils underneath it. The OSL results indicate the embankment was dug and built up in the later part of the 4th millennium B.C. Geological analysis of the standing stones found they were local, sourced from within 820 feet of the site.

Test pits dug in other parts of the Hall recovered pollen, seeds, insects, parasite eggs samples for radiocarbon dating. The results found that infilling of the enclosure began about 2,000 – 2,500 years ago, and activities in the marshy interior are indeed medieval, dating to 500 – 1000 years ago, so it may have been used a pound after all, and then later as a reservoir used in tin mining.

It was first documented as “King Arthur’s Hall” in 1584, but there is no specific Arthurian legend connection claimed beyond that he visited there. The association with the legendary king may be a more recent cultural expression of a much older understanding of the site as sacred and important.

Pete Herring, president of the Cornwall Archaeological Society, said: ““The romantic sounding 16th century name King Arthur’s Hall tells us that here is a place regarded by the moorland community as something ancient and unfathomable, like other sites attributed to Arthur. Science has responded to that name’s challenge, providing a very early date of origin, and two other dates, later prehistoric and medieval, when there was activity at the enclosure.

“The monument retains its mystery: there are no Neolithic parallels for a stone-lined sunken and embanked rectangular enclosure, possibly watery. We may presume it was a sacred site, a place for gatherings, for rituals or ceremonies, but perhaps Neolithic people made and used it for very different purposes.

“Its later prehistoric and medieval dates for reuse may relate to two of Cornwall’s great sources of wealth, supporting the sustainable summer grazing of extensive commons, and then serving as a reservoir for water used in tin stream working.”

Historic England has listed the site on its Heritage at Risk Register because it is under threat from vegetation and erosion from visitors. The confirmation of its Neolithic origin will help heritage authorities develop a management plan for its long-term conservation, starting with rebuilding a fence surrounding the monument to prevent erosion from human tourists and the cattle that pasture Bodmin Moor.



* This article was originally published here