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» » » पंचायत को लेकर दुविधा में थे 'प्रहलाद चा':सोचा- क्राइम-थ्रिलर के जमाने में इसे कौन देखेगा; अब इतने कॉल्स आए कि फोन क्रैश हो गया

पंचायत के तीसरे सीजन को देखने के बाद एक किरदार अलग ही छाप छोड़ जाता है। जो किरदार पिछले दो सीजन में मस्ती मजाक करता दिखा, वो इस सीजन में बिल्कुल बदला-बदला नजर आया है। बेटे के गुजरने के बाद यह किरदार खुद में ही खोया रहता है। हम बात कर रहे हैं पंचायत के प्रहलाद चा यानी फैसल मलिक की। फैसल मलिक ने प्रहलाद चा के किरदार को निभाया ही नहीं बल्कि जिया है। इसके लिए उन्होंने वजन भी बढ़ाया। फैसल ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में बताया कि जब पहली बार उन्होंने पंचायत का कॉन्सेप्ट सुना तो दुविधा में थे। उन्हें लगा कि आज के समय में गांव की पृष्ठभूमि पर बनने वाला शो कोई क्यों देखेगा। हालांकि स्क्रिप्ट पढ़ते ही उनका दिमाग खुल गया। उन्हें कहानी इतनी पसंद आई कि उन्होंने बिना देर किए इसमें काम करने के लिए हामी भर दी। अब अपने काम से उन्होंने इतना प्रभावित कर दिया है कि उनके पास फोन कॉल्स और मैसेजेस की लाइन लग गई है। इसकी वजह से उनका फोन क्रैश भी हो गया है। फैसल मलिक के साथ सवाल-जवाब का दौर शुरू करते हैं.. सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत मुबारकबाद। आपकी सीरीज पंचायत को ढेर सारा प्यार मिल रहा है, इसके बारे में क्या कहेंगे? जवाब- जब मेरे पास पहली बार इस शो का कॉन्सेप्ट आया तो मैं सोचने लगा कि ऐसी स्टोरी कोई क्यों देखना चाहेगा। पिछले कुछ सालों से क्राइम सस्पेंस और थ्रिलर शोज का बोलबाला रहा है, फिर गांव की पृष्ठभूमि पर बनने वाला शो चलेगा कि नहीं इस में संशय था। हालांकि पहले सीजन के बाद लोगों ने इसे गजब का प्यार दिया। यही सोचकर मेकर्स ने दूसरा सीजन भी बनाया। दूसरा सीजन भी सक्सेसफुल रहा। अब आपके बीच तीसरा सीजन भी आ गया है। लोग इसे भी बहुत एन्जॉय कर रहे हैं। मेरे पास इतने मैसेजेस आ रहे हैं कि फोन क्रैश हो गया है। अभी उसे बनने को दिया है। इस बार आपका किरदार पहले की तुलना में थोड़ा संजीदा है। बेटे की मौत के बाद आपका किरदार कहीं न कहीं गम में रहता है, ऐसे सीन किसे सोचकर कर पाए? जवाब- मौत एक कड़वा सच है। यह कभी न कभी सबकी जिंदगी में घटित होना ही है। कोविड के दौरान मेरे पिता का निधन हो गया। मेरे करीबी दोस्त भी गुजर गए। इमोशनल सीन्स की शूटिंग के वक्त मुझे उनका ख्याल आता था। शायद इस वजह से एक्टिंग काफी नेचुरल लगी है। मैंने जो भी किया है, वो सब खुद से ही किया है। जो मेरे अंदर से निकल रहा था, वही स्क्रीन पर भी दिख रहा था। प्रहलाद चा और फैसल मलिक में क्या समानता है? जवाब- दोनों मस्त मौला इंसान हैं। दोनों को अपनी लाइफ से बहुत ज्यादा की डिमांड नहीं है। फैसल और प्रहलाद चा दोनों के अंदर सेवा भाव की भावना है। मैं रियल लाइफ में भी अपने दोस्तों और सगे संबंधियों का बहुत सम्मान करता हूं। उनकी मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता हूं। प्रहलाद चा के रोल के लिए खुद को तैयार कैसे किया? कहीं से कुछ सीखना पड़ा? जवाब- मैं तो गांव से जुड़ा हुआ हूं। गांव में एक बंदा ऐसा होता है, जो हर वक्त नेता जी के साथ साए की तरह चिपका होता है। अगर 2 बजे रात में भी नेता जी याद करें तो वो खड़ा मिलता है। मेरा भी कैरेक्टर उसी तरह का है। मेरा किरदार बहुत हद तक रघु भाई (प्रधान का रोल करने वाले रघुबीर यादव) पर डिपेंडेंट है। एकाध वर्कशॉप को छोड़ दें तो मैंने इसके लिए कहीं से ट्रेनिंग नहीं ली। बस आस-पास के लोगों को देख कर रोल में ढल गया। सेट के माहौल के बारे में बताइए? जवाब- सेट पर काफी शानदार माहौल रहता था। सब लोग एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते थे। बस जिस दिन सीरियस सीक्वेंस की शूटिंग रहती, उस दिन डायरेक्टर सबको हिदायत देते थे कि कोई शोर नहीं करेगा। सीरियस सीक्वेंस फिल्माते वक्त माहौल काफी सख्त रहता था। इसके अलावा बाकी दिनों में तो खूब मजाक मस्ती होती रहती थी। पंचायत की कहानी में ऐसा क्या दिखा कि आप इसमें काम करने को राजी हो गए? जवाब- अमूमन हम फिल्मों में देखते हैं कि गांव का लड़का शहर जाता है, वहां उसे अलग-अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पंचायत में ये चीज उल्टा था। वहां शहर का लड़का गांव में जाकर खुद को एक्सप्लोर करता है। गांव के रहन-सहन को देखता है। गांव की पॉलिटिक्स से उसका परिचय भी होता है। यही सब देखकर मैंने सोच लिया कि मुझे इस शो में काम करना है। प्रहलाद चा के रोल में ढलने के लिए आपने वेट बढ़ाया है या कुछ मेकअप के जरिए कमाल दिखाया गया है? जवाब- नहीं, मेकअप वगैरह कुछ नहीं है। रोल के लिए मैंने काफी ज्यादा वजन बढ़ाया है। दिन भर में सिर्फ दो घंटे सोता था। स्लीप साइकल बदलने की वजह से मैंने काफी वजन बढ़ा लिया। मेकअप वगैरह करके भी देखा था, लेकिन उसमें वो फील नहीं आ रहा था। पंचायत की शूटिंग लोकेशन के बारे में कुछ बताइए? जवाब- इसकी शूटिंग मध्य प्रदेश के सीहोर के एक गांव में हुई थी। जहां सीरीज की पूरी शूटिंग हुई वहां कोई दूर-दूर तक दिखता नहीं था। एकाध कभी जानवर वगैरह दिख जाते थे। हमें शूटिंग करने में कभी कोई दिक्कत नहीं हुई। उस गांव में मंदिर से लेकर चबूतरे, पेड़-पौधे और नदी-तालाब सब थे। हम लोगों ने इन सारी जगहों पर शूटिंग की है। सीहोर में इकलौता एक रिसॉर्ट है। वहां हम सारे एक्टर्स पैकअप के बाद जाकर रहते थे। नीना गुप्ता और रघुबीर यादव जैसे एक्सपीरियंस एक्टर्स के साथ सेट पर कैसा माहौल होता था? जवाब- नीना जी और रघु भाई दोनों खूब फन लविंग इंसान हैं। कहने को वे दोनों सबसे सीनियर हैं, लेकिन सेट पर सबसे ज्यादा हंसी मजाक यही दोनों करते थे। रघु भाई दिन भर गाने गाते रहते थे। वे माहौल को बिल्कुल हल्का करके रखते थे। शो के डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा का भी सेंस ऑफ ह्यूमर काफी अच्छा है। वो खुद भी एक शानदार एक्टर हैं।

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