WHAT’S HOT NOW

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

» » » लोगों की प्लेट से खाना खा लेते थे दिलीप साहब:होटल नहीं, गेस्ट हाउस में रहना पसंद था; सायरा बानो बोलीं- साहब जैसा कोई नहीं

दिलीप कुमार साहब किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में जब भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेताओं की गिनती होगी, तो उसमें दिलीप कुमार का नाम सबसे आगे की पंक्ति में होगा। दिलीप साहब को दुनिया छोड़े आज 3 साल हो गए। 2021 में आज ही के दिन वे दुनिया से रुखसत हो गए। दिलीप साहब की डेथ एनिवर्सरी पर दैनिक भास्कर ने उनकी पत्नी और दिग्गज अभिनेत्री रहीं सायरा बानो से बात की। सायरा बानो जी ने दिलीप साहब से जुड़े कुछ अनसुने किस्से हमारे साथ शेयर किए। सायरा जी ने कहा कि दिलीप साहब इतने डाउन टु अर्थ थे कि अपने आस-पास के लाइट मैन या क्रू मेंबर्स की प्लेट से खाना निकालकर खाने लगते थे। वे कहीं शूटिंग करने जाते थे तो होटल में ना रुक कर गेस्ट हाउस में ठहरते थे। दिलीप कुमार के एक कॉल पर हाजिर होते थे राज कपूर दिलीप साहब के समय के स्टार्स चाहे वो सुनील दत्त हों, राज कपूर हों या देव आनंद। ये सारे एक दूसरे की काफी रिस्पेक्ट करते थे। इस जेनरेशन में कहीं न कहीं उस चीज की कमी दिखाई देती है। इस पर सायरा जी कहती हैं, ‘उस वक्त के स्टार्स एक दूसरे को टाइम देते थे। उनके साथ अपना दुख-सुख बांटते थे। आज के यंग एक्टर्स दूसरों के लिए टाइम नहीं निकाल पाते। यह सबसे बड़ी कमी है। यूसुफ साहब तो हर वक्त गेट टुगेदर ऑर्गेनाइज करते रहते थे। अगर राज कपूर लंदन में होते थे, तब भी यूसुफ साहब के एक कॉल पर इंडिया वापस आ जाते थे। इसके अलावा धरम जी भी उनसे बहुत प्यार करते थे। यूसुफ साहब से मिलने के लिए वे कभी-कभार 12-1 बजे रात को भी घर आ जाते थे।’ लता मंगेशकर के साथ भाई-बहन जैसा रिश्ता था, अक्सर घर पर खाना खाने आती थीं दिलीप साहब और लता मंगेशकर का भाई-बहन जैसा रिश्ता था। लता दीदी अक्सर दिलीप साहब को फोन करती थीं। बात को आगे बढ़ाते हुए सायरा जी ने कहा, ‘लता जी और यूसुफ साहब घंटों एक दूसरे से फोन पर बातें करते थे। वे अक्सर घर आया करती थीं। मेरी एक 55 साल पुरानी कुक है, वो उनका फेवरेट महाराष्ट्रियन खाना बनाती थी। लता जी हमारे साथ डाइनिंग टेबल पर बैठकर भी खूब बातें किया करती थीं।’ दिलीप साहब को लोगों को अपने घर खाना खिलाने का बहुत शौक था। अगर कोई उनसे मिलने भी आता था, तो उसे बिना खाना खिलाए नहीं भेजते थे। वे बस सायरा जी को बता देते थे कि आज इतने लोग लंच पर आएंगे। सायरा जी घर की अन्य महिलाओं के साथ उन सभी के लिए खाना बनाना शुरू कर देती थीं। सायरा जी ने कहा कि उनके घर पर इतना राशन होता था कि एक बार में चाहे जितने भी लोग आएं, सबके लिए खाना तैयार हो जाता था। गाड़ी में रहता था कपड़ों से भरा सूटकेस दिलीप साहब कभी एक जगह पर नहीं टिकते थे। इतने बड़े स्टार थे, जाहिर है कि हर वक्त किसी न किसी इवेंट में बिजी रहना पड़ता था। एक दिन में उन्हें चार-चार इवेंट में शिरकत करनी पड़ती थी। सायरा जी ने कहा कि वे दोनों भले ही मुंबई में ही क्यों ना निकलें, उनके साथ कपड़ों से भरा एक सूटकेस रहता था। चूंकि एक से ज्यादा इवेंट में पहुंचना होता था, इसलिए होटल में ही कपड़े बदल लेते थे। सायरा जी ने कहा, ‘यूसुफ साहब की लाइफ हमेशा हेक्टिक रही। वो कभी एक जगह नहीं ठहरते थे। कभी-कभी लगता था कि उनके पैर में कहीं चक्र तो नहीं है।’ 5 स्टार होटल नहीं, गेस्ट हाउस में रहना पसंद करते थे दिलीप कुमार भले ही सुपरस्टार थे, लेकिन उनकी जीवन शैली बहुत हद तक साधारण रही। वे जब देश के अन्य हिस्सों में शूटिंग करने जाते थे, तब होटल्स वगैरह में कम ही रुकते थे। उनके साथ फिल्म की शूटिंग कर रहे एक्टर्स या क्रू मेंबर्स होटल्स में स्टे करते थे, दिलीप साहब इसकी जगह किसी सरकारी गेस्ट हाउस में रहने चले जाते थे। उनका मनाना था कि फाइव स्टार या बड़े होटल में रहकर मुंबई वाला ही फील आएगा। ऐसे में माहौल को समझने के लिए वे गेस्ट हाउस चले जाया करते थे। वहां भले ही मूलभूत सुविधाओं की कमी थी, लेकिन उन्हें वहीं पर रहना ज्यादा पसंद आता था। लाइट मैन या क्रू मेंबर के प्लेट से खाना निकाल लेते थे, सायरा जी को होती थी आपत्ति दिलीप साहब जमीन से जुड़े इंसान थे। शूटिंग के दौरान वे लाइट मैन या किसी क्रू मेंबर के प्लेट से खाना निकालकर खाने लगते थे। कभी-कभार सायरा जी को उनकी यह आदत रास नहीं आती थी। हालांकि दिलीप साहब को इस काम में कोई बुराई नहीं दिखती थी। अदाकारी के साथ-साथ गायकी में भी हाथ आजमा चुके हैं दिलीप कुमार दिलीप कुमार अदाकार तो शानदार थे ही, गायकी भी बहुत अच्छा करते थे। उन्होंने लता मंगेशकर के साथ फिल्म मुसाफिर में गाना भी गाया था। उन्हें कविताओं का भी बहुत शौक था। हमेशा खाली टाइम में पोएट्री लिखा करते थे। उन्हें मराठी, गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी सहित कई भाषाएं आती थीं। सायरा जी ने कहा, 'जब मैं उनका मराठी एक्सेंट सुनती थी तो दंग रह जाती थी, लगता कि कोई मराठा बोल रहा है।' दिलीप साहब अपने घर में फनकारों की महफिल जमाते थे। उस महफिल में गीतकार, संगीतकार, अभिनेता, शायर और कई सारे कवि शामिल होते थे। जीवन के अंतिम दिनों में शाहरुख दिलीप साहब के लिए दुआएं पढ़ते थे बॉलीवुड के तीनों खान, शाहरुख, सलमान और आमिर भी दिलीप साहब की बड़ी रिस्पेक्ट करते थे। ये तीनों अक्सर दिलीप साहब का हाल-चाल लेने उनके घर आते थे। वे शाहरुख को तो बिल्कुल बेटे की तरह ट्रीट करते थे। सायरा जी ने कहा, ‘शाहरुख, सलमान और आमिर हमेशा यूसुफ साहब की तबीयत की जानकारी लेने आते रहते थे। शाहरुख तो उनके सिर के सामने खड़े होकर सलामती की दुआएं भी पढ़ता था। शाहरुख और यूसुफ साहब के बाल बिल्कुल एक ही तरह के थे। शाहरुख आज भी जब मुझे मिलने आता है, मैं उसके बालों को जरूर हाथ लगाती हूं। जिस दिन गलती से भूल गई, उस दिन वो खुद ही कह देता है कि आज मेरे बालों पर आपने हाथ नहीं फेरा।’ 12-13 साल की उम्र में ही दिलीप कुमार को दिल दे बैठीं सायरा हमने सायरा जी से सवाल किया कि जब उन्होंने पहली बार दिलीप साहब को देखा तो क्या ख्याल आया? जवाब में उन्होंने कहा, ‘12-13 साल की थी, जब पहली बार उन्हें देखा था। पहली बार देखते ही मैंने अपनी मां से कहा कि जब बड़ी हो जाऊंगी तो इसी शख्स से शादी करूंगी। वे जब सफेद कुर्ते पजामे में हाथ फोल्ड करके निकलते थे, तो ऐसा लगता था कि इंसान नहीं फरिश्ता आ रहा है। मैं बहुत लकी हूं कि उनसे शादी कर पाई, वर्ना देश में उस वक्त तमाम खूबसूरत लड़कियां थीं, जो उनके लिए मर-मिटने को तैयार थीं।' बाहर से संजीदा लेकिन अंदर से चंचल थे दिलीप साहब, सायरा जी को भूत के नाम पर डराते थे दिलीप कुमार बाहर से देखने में संजीदा लगते थे, लेकिन अंदर से बड़े नटखट थे। सायरा जी ने कहा, ‘साहब मेरे साथ बहुत प्रैंक किया करते थे। एक बार हम शूटिंग करने ग्रामीण इलाके में गए थे। वहां लाइट चली गई और डेढ़ घंटे तक नहीं आई। हर जगह अंधेरा हो गया। आस-पास कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। साहब धीरे से निकलकर बाहर चले गए। इसके बाद वे शीशे वाले दरवाजे पर हाथ मारते हुए डरावनी आवाजें निकालने लगे। मुझे ऐसा लगा कि कोई भूत आ गया। मैं साहब-साहब करके चिल्लाने लगी। मैंने यह बात अपनी मां को बताई तो उन्होंने कहा कि यूसुफ मियां मेरी बेटी बहुत डरपोक है, इसे ऐसे तंग न किया करें। साहब यह सब सुनकर हंसने लगे थे, लेकिन अपनी चंचलता नहीं छोड़ी थी।’

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/VWOZK65
via IFTTT

«
Next
Newer Post
»
Previous
Older Post

No comments: