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» » » ध्रुप तारा शो का हिस्सा हैं वेटरन एक्टर पंकज धीर:कहा- ब्लैक एंड व्हाइट जमाने से शुरुआत की, महाभारत से अब तक टेक्नोलॉजी बहुत बदल चुकी है

सोनी सब पर आ रहे शो ‘ध्रुव तारा-समय सदी से परे’ की कहानी में 20 साल के लीप के बाद कुछ नए किरदार शो से जुड़े हैं। इनमें वेटरन एक्टर पंकज धीर भी हैं। पंकज धीर अब तक 100 से ज्यादा बॉलीवुड, 8-10 बंगाली, 10-12 पंजाबी और 9 कन्नड़ फिल्मों का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने पॉपुलर टीवी शो महाभारत में कर्ण का रोल प्ले किया था। कभी ब्लैक एंड व्हाइट जमाने से शुरुआत करने वाले पंकज धीर आज भी इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान पंकज धीर ने बदलने दौर, अपने किरदारों और शो ध्रुव तारा पर बात की है। पढ़िए इंटरव्यू में का प्रमुख अंश- सवाल- ‘ध्रुव तारा-समय सदी से परे’ में आपका क्या किरदार है? जवाब- मेरा किरदार इसमें ध्रुव के पिता गिरिराज का है। गिरिराज एक बिजनेसमैन होने के साथ-साथ काफी सख्त और समय का पाबंद व्यक्ति है। वह नियम और कानून का सख्ती से पालन करने के लिए जाना जाता है। उसका स्वभाव उसके छोटे बेटे ध्रुव से बिल्कुल अलग है, जो आलसी और बागी स्वभाव का है। इस वजह से पिता-पुत्र की जोड़ी के बीच टकराव होता है। मुझे मेरे लुक में बहुत मजा आ रहा है। यह 19वीं सदी का एक रईस व्यक्ति का है। सवाल- किसी शो में एक लीप के बाद जुड़ने और नई भूमिका को लेकर क्या एक्साइटमेंट रहती है? जवाब- इस शो का जो लीप है वह बड़ा इंडिपेंडेंट टाइप है। टाइम मशीन वाली कहानी है। बिल्कुल नए से शुरुआत हुई है। तो इसलिए किरदार को समझने में कोई खास दिक्कत नहीं हुई। एक कलाकार के रूप में नई भूमिकाओं के साथ प्रयोग करते रहना हमेशा रोमांचक और चुनौतीपूर्ण होता है। मैं गिरिराज की भूमिका में दर्शकों से जुड़ने के लिए उत्सुक हूं। उसके अनुशासन में रहने और नियमों का पालन करने के स्वभाव के कारण अक्सर ही उसके बेटे ध्रुव के साथ तनाव पैदा होता है, जिसका बागी स्वभाव इसके बिल्कुल विपरीत है। मैं इस किरदार को जीवंत करने और 19वीं सदी की पृष्ठभूमि में स्थापित पिता-बेटे के रिश्ते की जटिलताओं को दर्शाने के लिए रोमांचित हूं। यह मेरे द्वारा हाल ही में किए गए कामों से बहुत अलग था। मुझे लगा कि मुझे इस शैली को आजमाना चाहिए और यह अलग लगता है। सवाल- आपने ‘महाभारत’ जैसा ग्रैंड शो बहुत पहले किया। इस शो के लिए हां कहने की कोई खास वजह रही? जवाब- मैंने सिर्फ माइथोलॉजी शो ही नहीं, बल्कि दूसरे शो भी किए हैं। हाल के दिनों में मैंने ऐसा कुछ करने का प्रयास नहीं किया था। मेरे पिछले शो ‘अजूनी’ में एक भयानक इंसान की भूमिका निभाई थी और यहां एक बहुत ही गरिमापूर्ण किरदार निभाने का मौका मिला है। देखिए हम कलाकार हैं हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शो का जॉनर क्या है। हम अपने आपको किसी भी ऐरा की कहानी हो, किसी भी तरह की कहानी हो उसमें ढाल लेते हैं। बाकी ‘महाभारत’ से अब तक टेक्नोलॉजी जरूर बहुत बदल गई है। हमने तो ब्लैक एंड व्हाइट के समय शुरुआत की थी। आज कई अच्छे कैमरा और अन्य शूटिंग इक्विपमेंट आ गए हैं तो काफी कुछ आसान हो गया है। सवाल- आप अपनी भूमिकाओं के लिए कैसे तैयारी करते हैं? जवाब- यह किरदार को समझने की कोशिश करने, किरदार के लिए एक पिछली कहानी जानने की कोशिश करने, कल्पना करने के बारे में है कि वह कहां से आया है। फिर उसके हाव-भाव, उसके बात करने का तरीका, उसके चलने का तरीका और यह कुछ ऐसा है जो आप एक एक्टर के रूप में अपने मन में बनाते हैं और उसे लागू करते हैं। किसी भी चीज से ज्यादा जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है किरदार का अध्ययन। किरदार को रियल और रेलिवेंस बनाने और लोगों को पसंद आने लायक बनाने के लिए उसकी गहराई तक जाना होता है। यह मेरी पुरानी तकनीक है, जो मैंने उस्तादों से सीखी है। सवाल- ‘पॉइजन’ के बाद कोई और ओटीटी शो मिला या साउथ से कोई आने वाली फिल्म हो? जवाब- ‘पॉइजन’ के बाद तो कोई ओटीटी शो नहीं मिला। मैं सीरियल में ही व्यस्त हो गया। बाकी साउथ में भी मैंने काफी काम किया है जो शायद इंटरनेट पर मेरी प्रोफाइल में अपडेट नहीं हो। मैं 9 कन्नड़ फिल्में, एक मलयालम, एक तेलुगु फिल्म कर चुका हूं। 8-10 बंगाली, 10-12 पंजाबी फिल्में कर चुका हूं। बॉलीवुड में तो 100 फिल्मों के करीब की ही हैं। अभी आगे साउथ से कोई प्रोजेक्ट नहीं आने वाला है। सवाल- बेटे निकितिन के साथ काम करने को लेकर कोई ऑफर कभी आया हो या आप दोनों खुद साथ आने पर चर्चा करते हैं? जवाब- अभी तक तो हमें ऐसा कोई ऑफर नहीं आया। आगे अगर कोई अप्रोच करेगा तो देखेंगे। कहानी और किरदार अच्छे रहे तो करेंगे भी। मुझे लगता है कि निकितिन एक निपुण कलाकार हैं। वह एक्टिंग का क्राफ्ट सीख चुके हैं। उनकी एक अलग लाइफ चल रही है। मैं भी इस उम्र के हिसाब से जो काम मिल रहा है कर रहा हूं। अब सारी जिंदगी लीडिंग रोल ही तो नहीं कर सकते न। उम्र ढल रही है उसी हिसाब से किरदारों का चयन भी कर रहा हूं। सवाल- किसी खास तरह की डिजायर है किसी रोल (बायोपिक जैसा कुछ) निभाने को लेकर? जवाब- जैसे-जैसे किरदार मिलते जाते हैं वैसे-वैसे कुछ नया ही एक्सप्लोर करते हैं हम आर्टिस्ट। हमारी इस इंडस्ट्री में कहा जाता है कि ‘लर्निंग इज नेवर एंडिंग’। हम हर रोज किसी से कुछ न कुछ सीखते ही हैं। बाकी ऐसी कोई डिजायर नहीं है कि किसी खास तरह का रोल करेंगे। हां मेकर्स को लगता है कि वो पंकज धीर को किसी शख्स की बायोपिक या किसी खास तरह के किरदार या किसी नए लुक में दिखा सकते हैं तो वो अप्रोच करेंंगे। हम तो कलाकार हैं जैसी किरदार के लिए खुद को ढालने की जरूरत होगी, वैसा ढाल लेंगे।

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