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» » » मनोज बाजपेयी @56, लव मैरिज के दो महीने बाद तलाक:पत्नी के साथ छोड़ने पर पहुंचा सदमा, करने वाले थे सुसाइड; दोस्तों ने बचाई जान
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बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के एक गांव बेलवा से निकलकर दिल्ली के रास्ते मुंबई पहुंचने और फिर मुंबई में टिके रहने की मनोज बाजपेयी की कहानी अपने आप में किसी फिल्म से कम नहीं है। जितनी फिल्मी उनके एक्टर बनने की कहानी है, उतनी ही फिल्मी कहानी उनकी पहली पत्नी से मुलाकात और शादी की भी है। असफलता और निराशा भरी जीवन में सुसाइड के ख्याल आएं, तो दोस्तों ने बचा लिया। आज मनोज की गिनती मोस्ट टैलेंटेड और वर्सेटाइल एक्टर के रूप में होती है। उन्होंने तीन दशक के करियर में तमाम शानदार फिल्में की हैं और अपनी जबरदस्त अदाकारी से हर किसी का दिल जीता है। आज मनोज बाजपेयी अपना 56वां जन्मदिन मना रहे हैं। मनोज बाजपेयी के पिता पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में रिजेक्ट हो गए थे मनोज बाजपेयी के पिता राधाकांत भी अपने जमाने में एक्टर बनना चाहते थे। उन्होंने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिले के लिए आवेदन दिया था, लेकिन रिजेक्ट हो गए। राधाकांत को फिल्में देखने का बहुत शौक था। जब भी कोई फिल्म रिलीज होती थी। फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने जाते थे। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में कुछ समय के लिए 'फिल्म बाबू' के रूप में भी काम किया था। बता दें कि 'फिल्म बाबू' उसे कहते हैं जो डिस्ट्रीब्यूटर से फिल्म की रील का बॉक्स लेकर थिएटर तक पहुंचाता था। मनोज बाजपेयी के पिता राधाकांत पटना से रील का बॉक्स लेकर मुजफ्फरपुर पहुंचाते थे। खुद एक्टर नहीं बने, बेटे को डॉक्टर बनाना चाहा मनोज बाजपेयी के पिता चाहते थे कि वे डॉक्टर बने, लेकिन मनोज को तो बचपन से ही एक्टर बनना था। 12वीं पास करने के बाद घर से झूठ बोलकर दिल्ली आ गए कि उनको IAS की तैयारी करनी है। कुछ समय बाद उन्होंने पिता को खत लिख कर बता दिया कि वे एक्टर बनने दिल्ली आए हैं। उनके पिता ने जबाब दिया कि मैं तुम्हारा ही पिता हूं। मुझे पता है कि तुम एक्टर बनने ही गए हो। इसी के साथ उन्होंने मनोज बाजपेयी की आर्थिक मदद के लिए 200 रुपए का मनीऑर्डर भी भेजा था। कहीं ना कहीं वे मनोज में अपने सपने को पूरा होते देखना चाहते थे। NSD में रिजेक्ट हुए, थिएटर में नसीरुद्दीन शाह को टक्कर दिया नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) ने मनोज को तीन बार ऑडिशन में रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने दिल्ली में ही एक्ट वन थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया। 90 के दशक में दिल्ली में एक्ट वन थिएटर ग्रुप बहुत ही लोकप्रिय था। दिल्ली के रंगमंच में मनोज बाजपेयी का बहुत बड़ा नाम हो गया। देखते ही देखते मनोज बाजपेयी दिल्ली की रंगमंच की दुनिया में काफी फेमस गए। उनको नसीरुद्दीन शाह के टक्कर का थिएटर आर्टिस्ट कहा जाता था। मनोज का एक नाटक ‘नेटुआ’ बहुत बड़ा हिट हुआ था। उस नाटक के बारे में लोगों का कहना था कि वैसा नाटक कई सालों से नहीं देखा गया था। मनोज ने कुछ नाटक डायरेक्ट की किया था, जिसमें अनुभव सिन्हा उनके असिस्टेंट थे। थिएटर में मिला पहला प्यार एक्ट वन थिएटर ग्रुप में ही मनोज की मुलाकात दिव्या नाम की एक लड़की से हुई। दिव्या उस समय दिल्ली में ग्रेजुएशन कर रही थीं। थिएटर की तरफ उनका भी झुकाव था। वह एक्ट वन थिएटर ग्रुप में रिहर्सल करने आती थीं। दिव्या बेहद खूबसूरत थीं और उनकी आवाज बहुत अच्छी थी। पहली ही नजर में मनोज को दिव्या से प्यार हो गया। दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता गया, बात शादी तक पहुंच गई। लड़की के घर वाले शादी के खिलाफ थे दिव्या दिल्ली की बड़े सम्पन्न घर की रहने वाली थीं। वहीं, मनोज स्ट्रगल कर रहे थे। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए दिव्या के घर वाले नहीं चाहते थे कि दोनों की शादी हो। यहां तक की मनोज के परिवार वाले भी उस शादी से खुश नहीं थे। लड़की के घरवालों से मनोज को लगातार धमकियां मिल रही थीं, लेकिन उन्होंने उन धमकियों की परवाह नहीं की। पुलिस सुरक्षा के बीच मंदिर में शादी हुई पीयूष पांडे की मनोज बाजपेयी पर लिखी बायोग्राफी ‘कुछ पाने की जिद’ के मुताबिक एक्टर ने अपने एक दोस्त राजेश जोशी को सारी बात बताई। राजेश जोशी उस समय जनसत्ता में पत्रकार थे। मनोज ने राजेश जोशी से कहा, ‘मुझे लगातार धमकियां मिल रही हैं। आज लक्ष्मी नगर के एक मंदिर में शादी कर रहा हूं।’ राजेश जोशी ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में बात करके मंदिर के बाहर दो पुलिस वाले तैनात करवा दिए। बिल्कुल फिल्मी तरीके से मनोज की पहली शादी हुई थी। शादी के दो महीने के बाद ही तलाक हो गया दिव्या के घर वालों को जिस बात का डर था। वहीं हुआ। मनोज की आर्थिक स्थित इतनी खराब थी कि पति-पत्नी का गुजरा बहुत मुश्किल से हो पाता था। कहीं ना कहीं दिव्या को भी इस बात का एहसास होने लगा था कि जल्दबाजी में उससे गलती हो गई। नतीजा यह निकला कि दो महीने के अंदर ही दिव्या ने मनोज से तलाक ले लिया। इस वजह से मनोज बहुत निराश हो गए थे। सुसाइड के बारे में सोचने लगे थे पत्नी से तलाक और एनएसडी में तीन बार रिजेक्ट होने से मनोज पूरी तरह से टूट गए थे। वो सुसाइड के काफी करीब पहुंच गए थे। यह चौंकाने वाला खुलासा मनोज ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। बैंडिट क्वीन से नहीं मिली पहचान थिएटर का बड़ा नाम होने के बाद मनोज जब मुंबई आए तो उनके पास काम नहीं था। मुंबई आने से पहले उन्होंने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ की थी। उस फिल्म में उनका ऐसा गेटअप था कि वे पहचान में नहीं आ रहे थे। दूसरी बात फिल्म में उनके ज्यादा डायलॉग नहीं थे। इसलिए लोगों ने उनको पहचाना नहीं। मुंबई में सौरभ शुक्ला साथ आठ बाई आठ के कमरे में रहें मुंबई पहुंचने के बाद मनोज ने अंधेरी के पास डीएन नगर में एक घर किराए पर लिया। उनके मुंबई पहुंचने के कुछ दिन बाद सौरभ शुक्ला आए। सौरभ शुक्ला ने पीयूष पांडे की किताब ‘कुछ पाने की जिद’ में कहा है- मुंबई में आठ बाई आठ का कमरा देखकर मुझे बड़ा झटका लगा। उसका किराया दो हजार रुपए था। जबकि दिल्ली के तिमारपुर में एक बड़े घर में रहता था, जिसका किराया सिर्फ 1200 रुपए था। मैं 25 हजार रुपए लेकर आया था। उसमें से 12 हजार रुपए मनोज को दे दिए। मनोज ने भी 12 हजार रुपए मिलाए और हमने पूरे साल का किराया एक साथ दे दिया। एक ही दिन में तीन जगह से निकाले गए दिल्ली से आकर मुंबई में अपनी जगह बना पाना मनोज के लिए आसान नहीं था। पीयूष पांडे की किताब में मनोज ने अपने संघर्ष के दिनों का किस्सा शेयर करते हुए कहा है- सारा दांव उल्टा पड़ रहा था। उन दिनों कास्टिंग डायरेक्टर्स नहीं थे। सहायक निर्देशकों से दोस्ती गांठा करते थे ताकि कुछ काम मिल सके। इसी तरह मुझे एक सीरियल मिला। शूटिंग पर पहले दिन मैंने जैसे ही पहला शॉट दिया तो कैमरे के सामने खड़े सारे लोग अचानक लापता हो गए। मेरे हिसाब से शॉट अच्छा था, लेकिन कोई बताने वाला नहीं था। थोड़ी देर बाद एक सहायक निर्देशक आया और बोला कि आप कास्ट्यूम रुम में जाकर कपड़े बदल लीजिए। मैडम को आपका काम पसंद नहीं आया। उसी दिन मनोज दूसरी जगह गए। वहां उनको दो दिन के बाद एक डॉक्यू ड्रामा के शूट पर जाना था। मनोज बाजपेयी कहते हैं- वहां पहुंचा तो देखा कि मेरी जगह कोई और शूट कर रहा है। बताया गया कि दूसरा एक्टर पसंद आ गया तो उसे ले लिया। जबकि वह शूटिंग दो दिन बाद होनी थी, लेकिन मुझे किसी ने बताना तक जरुरी नहीं समझा था। मैंने एक और बंदे को फोन किया, उसने भी मुझे एक रोल देने का वादा किया था। फोन किया तो उसने बताया कि उसे थोड़ा लंबा लड़का चाहिए था। इसलिए किसी दूसरे को ले लिया। इस तरह एक दिन में तीन जगह से मैं निकाला गया। सीरियल स्वाभिमान का ऑफर ठुकरा दिया था धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ ने मुंबई में मनोज बाजपेयी के करियर की नींव रखी, लेकिन मनोज ने पहले इस सीरियल का ऑफर ठुकरा दिया था। मनोज ‘स्वाभिमान’ की कास्टिंग के लिए पहुंचे तो महेश भट्ट के सहायक निर्देशकों से बात हुई। मनोज बाजपेयी के करीबी दोस्त अशोक पुरंग कहते हैं- मनोज को रोल ठीक लगा, लेकिन उनको पैसे बहुत कम ऑफर किए गए थे। वे ऑफर ठुकराकर बाहर आ गए। जैसे ही बाहर आकर उन्होंने सारी बात बताई.। मैंने कहा कि भइया किराया देना है, बाकी जरुरतें भी हैं। इससे पहले मनोज कुछ जवाब देते, मैं दौड़कर अंदर गया और कास्टिंग डायरेक्टर को समझाया कि शायद मेरे दोस्त को कुछ समझने में गलती हुई है। हमें आधा घंटा दो। मैंने मनोज को समझाया बुझाया और फिर मनोज उस सीरियल में काम करने के लिए राजी हुए। शुरुआत में सिर्फ सिर्फ आठ-दस एपिसोड का काम मिला मनोज को ‘स्वाभिमान’ में पहले शुरुआत के सिर्फ आठ-दस एपिसोड का काम मिला था। बाद में उनके किरदार को बढ़ा दिया गया था। इस बात का खुलासा खुद महेश भट्ट ने ‘जीना इसी का नाम है’ के कार्यक्रम में किया था। मनोज को देखते ही महेश भट्ट ने गले लगा लिया था महेश भट्ट ने मनोज को पेजर पर मैसेज भेजा और फौरन मिलने को बुलाया। मनोज को पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि महेश भट्ट ने ही उन्हें मैसेज भेजा है। यकीन होने के बाद डरते सहमते वे फिल्मिस्तान स्टूडियो पहुंचे। वहां पर महेश भट्ट फिल्म ‘चाहत’ की शूटिंग शाहरुख के साथ कर रहे थे। मनोज को देखते ही महेश भट्ट ने गले लगा लिया। महेश भट्ट ने कहा था शहर छोड़कर मत जाना मनोज बाजपेयी ने अनुपम खेर के शो ‘कुछ भी हो सकता है’ में उस वाक्ये का जिक्र करते हुए कहा था कि महेश भट्ट उठे और सबसे बोले- ये आदमी बहुत बड़ा एक्टर है। फिर, उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारा चेहरा देखकर लग रहा है कि तुम यह शहर छोड़कर जाने वाले हो। ये शहर मत छोड़ना। ये शहर तुम्हें बहुत कुछ देगा। मनोज को देखते ही राम गोपाल वर्मा सीट से खड़े हो गए मनोज बाजपेयी का जब फिल्म ‘दौड़’ के लिए राम गोपाल वर्मा ऑडिशन ले रहे थे। तब रामू को पता चला कि उन्होंने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ की है। रामू अपने सीट से खड़े हो गए और बताया कि उन्होंने फिल्म चार बार देखी है। उनको पिछले तीन वर्षों से ढूंढ रहे हैं। किसी ने उनके बारे में कुछ बताया नहीं। राम गोपाल वर्मा ने काम देने मना कर दिया राम गोपाल वर्मा ने मनोज बाजपेयी को फिल्म ‘दौड़’ में काम देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके लिए दूसरी फिल्म सोची है, लेकिन उस समय मनोज को काम और पैसे की बहुत जरूरत थी। मनोज ने रामू को किसी तरह से कन्वेंस करके ‘दौड़’ में काम कर लिया और इस फिल्म के लिए उन्हें 35 हजार रुपए मिले थे। ‘सत्या’ ने रातों रात किस्मत बदल दी दरअसल, राम गोपाल वर्मा ने मनोज बाजपेयी के लिए फिल्म ‘सत्या’ में बहुत खास रोल सोचा था। इसलिए वो नहीं चाहते थे कि मनोज ‘दौड़’ में छोटा सा रोल करें। बहरहाल, ‘सत्या’ के बाद मनोज बाजपेयी ने ना सिर्फ बॉलीवुड में बड़ी तेजी से दस्तक दी, बल्कि उनकी लाइफ में भी एक लड़की नेहा ने दस्तक दी। नेहा की सादगी पर मनोज का दिल आ गया मनोज बाजपेयी की फिल्म ‘सत्या’ 3 जुलाई 1998 और नेहा (शबाना रजा) की फिल्म ‘करीब’ 17 जुलाई को हुई थी। उसी साल पहली बार दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी। हंसल मेहता ने अपने टीवी शो के 100 एपिसोड पूरे होने मुंबई के सन एंड सन होटल में पार्टी दी थी। पार्टी में मनोज, रेखा भारद्वाज को ड्रॉप करने पहुंचे थे और नेहा डायरेक्टर रजत मुखर्जी से मिलने गई थीं। नेहा की फिल्म ‘करीब’ फ्लॉप हो गई थी। उस समय वो थोड़ा डिप्रेशन में थी। बिना मेकअप के, बालों में तेल और आंखों पर चश्मा लगाए पार्टी में पहुंच गईं। नेहा की इसी सादगी पर मनोज का दिल आ गया। मनोज और नेहा ने आठ साल तक डेट करने के बाद 2006 में शादी कर ली। मनोज बाजपेयी का आर्ब्जवेशन गजब का है _______________________________________________ बॉलीवुड की ये स्टोरी भी पढ़ें .. पूनम ढिल्लों @63, सलमान खान पर क्रश:पति को सबक सिखाने के लिए एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर, शादी से उठा भरोसा तो नहीं की दूसरी शादी 80 के दशक की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस पूनम ढिल्लों आज 63 साल की हो गई हैं। बॉलीवुड में कदम रखने से पहले पूनम ने साल 1977 में मिस इंडिया यंग का खिताब अपने नाम कर लिया था। पूरी खबर पढ़ें..

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