WHAT’S HOT NOW

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

» » » जब एंबुलेंस से ‘लगान’ के सेट पर पहुंचे एके हंगल:86 की उम्र में दिया था परफेक्ट शॉट, पद्म भूषण मिलने पर बोले- इसका क्या करूंगा

फिल्म ‘शोले’ का मशहूर डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई...’ सुनते ही मन में जिस एक्टर की छवि उभरती है उनका नाम है अवतार किशन हंगल। आजादी के बाद पाकिस्तान से भारत आए और 52 साल की उम्र में बॉलीवुड डेब्यू करने वाले ए.के. हंगल साहब की आज 12वीं पुण्यतिथि है। एक नजर उनकी लाइफ जर्नी पर… 86 की उम्र में फ्रैक्चर बोन के साथ शूट किया- अखिलेंद्र मिश्रा हंगल साहब की पुण्यतिथि पर दैनिक भास्कर ने फिल्म ‘लगान’ में उनके साथ काम करने वाले एक्टर अखिलेंद्र मिश्रा से बात की। अखिलेंद्र ने बताया, ‘हम जब ‘लगान’ की शूटिंग कर रहे थे तब हंगल साहब सेट पर बाथरूम में गिर गए थे। इसके बाद उनको हॉस्पिटल में एडमिट किया गया। उन्हें दो महीने का बेड रेस्ट दिया गया। इसके बावजूद वो एम्बुलेंस में सेट पर आए। वो स्ट्रेचर पर आए... उठकर अपनी खटिया पर बैठे... एक बार गाना सुना और एक ही टेक में ओके कर दिया। लगभग 86 साल की उम्र में हंगल साहब का कमर में फ्रैक्चर होने के बावजूद भी इतना परफेक्शन देखकर सेट पर सभी ने उनके लिए बहुत देर तक तालियां बजाईं।’ बोले- लाइट्स ठीक नहीं, मुझे गर्मी महसूस नहीं हो रही अखिलेंद्र ने आगे कहा- ‘हंगल साहब का एक किस्सा बीपी सिंह जी बताते हैं जो ‘आहट’ और ‘CID’ के डायरेक्टर थे। हंगल साहब जब ‘आहट’ के एक एपिसोड की शूटिंग कर रहे थे तब उन्होंने बीपी सिंह को बुलाकर कहा कि मेरे ऊपर लाइट थोड़ा कम है। बीपी सिंह ने जाकर चेक किया तो वाकई लाइट थोड़ी कम थी। उन्होंने उसे ठीक किया और शॉट देने के बाद हंगल साहब से पूछा कि उन्हें कैसे पता चला कि लाइट कम थी, तो हंगल साहब ने जवाब दिया कि मैं लाइट की गर्मी ठीक तरह से महसूस नहीं कर पा रहा था।’ कभी टेलर हुआ करते थे इसलिए खुद अपने कपड़े डिजाइन करते थे उनका पहनावा जो था वो एक-दम क्लासी था। उनके व्यक्तित्व में ही अलग आकर्षण था। वो खुद अपने कपड़े डिजाइन करते थे क्योंकि एक जमाने में वो टेलरिंग करते थे। उन्हें लगता कि कोई और क्या ही मेरे कपड़े डिजाइन करेगा.. मैं खुद करता हूं। ‘शोले’ के किरदार में अपनी आंखें ढूंढते थे एक बार हमने उनसे पूछा कि हंगल साहब आपने ‘शोले’ में जो अंधे का रोल किया उसका कैरेक्टराइजेशन कैसे किया? उन्होंने बताया कि मेरे लिए चैलेंजिंग था, क्योंकि इससे पहले कई एक्टर्स अंधे का रोल कर चुके थे। ऐसे में मैंने अपने कैरेक्टर को ऐसे डिजाइन किया जैसे वो अपनी आंख ढूंढ रहा है। कहना यह है कि कुछ इस तरह वो अपने किरदारों को डिटेल्स के साथ निभाते थे। संजीव कुमार को बैक स्टेज से उठाकर हीरो बनाया मैं उनके साथ थिएटर के दिनों से काम करता आ रहा था। उनके घर आता-जाता था। वो मुझे थिएटर की बारीकियां सिखाते थे। एक बार उन्होंने अपना एक किस्सा सुनाया कि जब 1955 में वो डमरू प्ले डायरेक्ट कर रहे थे तब फाइनल शो में लीड एक्टर आया नहीं। एक लड़का आया जो बैक स्टेज काम करता था और उनसे पूछा कि आपको एतराज ना हो तो ये रोल मैं कर दूं ? हंगल साहब ने उसे डांट कर भगा दिया। जब तीसरी घंटी तक लीड एक्टर नहीं आया तो हंगल साहब ने उस लड़के को बुलाया और बोला तुम ही लीड रोल कर लो। उस लड़के ने लीड एक्टर से बेहतर काम किया और उसका नाम था संजीव कुमार।' हमने उन्हें अप्रोच किया तो बहुत खुश हुए: रविंद्र गौतम 98 साल की उम्र तक काम करने वाले हंगल साहब का आखिरी प्रोजेक्ट टीवी शो ‘मधुबाला’ था। इसके डायरेक्टर रविंद्र गौतम ने भास्कर को दिए इंटरव्यू में बताया, 'हमने इस शो को हिंदी सिनेमा के 100 साल पूरे होने पर शुरू किया था। हम चाहते थे कि शो में किसी एक ऐसे इंसान को कास्ट करें जिसने हिंदी सिनेमा की कई जनरेशन देखी हो। हमने हंगल साहब को अप्रोच किया तो वो बहुत ज्यादा खुश हुए। आते ही पूछा- स्क्रिप्ट कहां है? हंगल साहब जब ‘मधुबाला’ के सेट पर आए तब उनकी उम्र 97 साल थी। सेट पर उनके सम्मान में हर कोई खड़ा हुआ। हमने उन्हें सेट पर एक अलग से रूम दिया जिसमें उनके लिए एक बेड था। हमने कहा कि सर आप आराम कीजिए, शॉट रेडी करके हम आपको बुला लेंगे तो वो बोले कि बुला तो लेंगे पर स्क्रिप्ट कहां है? फिर वो बोले कि एक आदमी भेज दीजिए मेरे साथ लाइन्स के लिए..। शॉट से पहले बोले- रिहर्सल तो कर लो जहां हम सोच रहे थे कि उनका शॉट जल्दी से लेकर उन्हें फ्री कर दें, वहां वो शॉट से पहले हमें टोकते हुए बोले कि रिहर्सल तो कर लो भाई…! उस वक्त हमें बड़ी शर्म आई कि अरे यार ये काम जल्दी-जल्दी खत्म करने के चक्कर में हम क्राफ्ट का प्रोसेस फॉलो करना तो भूल ही गए और ये शख्स 97 की ऐज में भी रिहर्सल के लिए तैयार है। बोले- नामकरण के बाद सेवई की खीर खाऊंगा इसके बाद जब उन्होंने शॉट दिया तब उन्होंने पूरी एक्टिंग प्रोसेस एंजॉय की। उन्होंने कोई री-टेक नहीं लिया। ऑन द स्पॉट सबकुछ इम्प्रोवाइज कर लिया। सीन ओके होने के बाद हंगल साहब बोले कि यह नामकरण का सीन था ना? तो नामकरण के बाद सेवई की खीर खाते हैं, फिर हमने सेट पर उनके लिए खीर मंगवाई थी। वो 97 की ऐज में भी हमें डेडिकेशन सिखा गए जब वो सेट से जा रहे थे तब हमारे लिए बहुत ही इमोशनल मोमेंट था। उस उम्र में उन्होंने अपनी क्राफ्ट के लिए जो पैशन दिखाया, वो देखकर हम हैरान रह गए। वो इतना डाउन टु अर्थ थे कि सेट पर आने के बाद मुझसे पूछते थे कि मेरा सीन क्या है सर? हंगल साहब थोड़ी से देर में हमें यह सिखा गए कि डेडिकेशन क्या चीज है। आज के दौर में कई सीनियर एक्टर्स बैठे रहते हैं और स्टार्स आकर बोलते हैं कि सर प्लीज पहले मेरा शॉट कर लीजिए.. वहीं 97 की ऐज में वो खराब तबीयत में भी मुझसे एक बार भी नहीं बोले कि मेरा शॉट जल्दी ले लो। उन्होंने पूरा इंतजार किया डायरेक्टर के इंस्ट्रक्शंस का। मैंने लाइफ में बड़े स्टार्स के साथ ज्यादा काम तो किया नहीं तो मेरे लिए यही सबसे बड़ी उपलब्धि है कि मैंने ‘शोले’ से जुड़े एक्टर के साथ काम किया। वो हमें काफी कुछ सिखाकर गए।

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/XY7eIZn
via IFTTT

«
Next
Newer Post
»
Previous
Older Post

No comments: