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LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

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निक जोनस @32- ब्यूटी पार्लर में गाना गाकर शुरुआत की:दो बार ग्रैमी नॉमिनेशन मिला; प्रियंका को ट्विटर पर अप्रोच किया, 6 महीने डेटिंग फिर शादी की

1998 की बात है.. अमेरिका में रहने वालीं साइन लैंग्वेज टीचर और सिंगर डेनिस जोनस ब्यूटी पॉर्लर में अपना हेयर कट करवा रही थीं। उनके साथ छह साल का बेटा निक भी था, जिसने वहां एक गाना गाया। उसका टैलेंट देखकर मां ने अगले ही दिन उसे प्रोफेशनल शो बिजनेस मैनेजर से मिलवा दिया और यहां से शुरू हुई अमेरिकन सिंगर, सॉन्गराइटर, म्यूजिशियन और एक्टर निक जोनस की जर्नी। निक का इंडिया से भी खास नाता है। 2018 में उन्होंने बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा से शादी की। भले ही निक को इंडिया में पहचान बहुत देर से मिली हो, लेकिन अमेरिका में और इंटरनेशनल लेवल पर वे कम उम्र में ही मशहूर हो गए थे। आज निक के 32वें जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़ी कुछ खास बातें… पिता चर्चा में गाते थे, मां भी सिंगर थीं निक का बचपन से ही म्यूजिक में इंट्रेस्ट था। इसकी एक वजह यह भी थी कि उनके पिता पॉल केविन जोनस म्यूजिशियन थे और चर्च में गाते थे। वहीं उनकी मां डेनिस मिलर जोनस साइन लैंग्वेज टीचर और सिंगर थीं। परिवार में निक से बड़े दो भाई जोए और केविन और एक छोटा भाई फ्रैंकी भी थे। 2005 भाईयों के साथ मिलकर बैंड बनाया उस दिन जब मां ने निक का सिंगिंग टैलेंट देखा तो उन्होंने निक को भी म्यूजिक पर ही फोकस करने की सलाह दी। शुरुआत में निक ने सिंगल गाने गाए और फिर 2005 में बाद अपने दोनों बड़े भाईयों के साथ मिलकर म्यूजिक बैंड बना लिया। 2008 में ग्रैमी अवॉर्ड का नॉमिनेशन मिला तीनों भाईयों ने साथ में ‘इट्स अबाउट टाइम’, ‘जोनस ब्रदर्स’ और ‘हैप्पिनेस बिगेन्स’ जैसे कई हिट एल्बम दिए। 2008 में बैंड को बेस्ट न्यू आर्टिस्ट का ग्रैमी अवॉर्ड नॉमिनेशन मिला। हालांकि, मई 2012 में तीनों भाई अलग हो गए और तीनों ने अपने सोलो करियर पर फोकस किया। 2019 में तीनों ने फिर से साथ काम किया और उनका गाना 'सकर' बेहद फेमस रहा। इस गाने को भी ग्रैमी अवॉर्ड्स में नॉमिनेशन मिला। एक्टिंग में भी आजमाया हाथ सिंगिंग के अलावा निक ने जहां ‘हैना मोंटेना’ और ‘कैंप रॉक’ जैसे टीवी शोज किए। वहीं ‘जुमानजी’, ‘गोट’ और ‘द गुड हाफ’ समेत कई हॉलीवुड फिल्मों में एक्टिंग भी की। प्रियंका चोपड़ा को ट्विटर पर किया था मैसेज इसके बाद साल 2016 में निक की लाइफ में प्रियंका चोपड़ा की एंट्री हुई। दोनों का लव स्टोरी निक के भाई केविन जोनस की वजह से शुरू हो पाई थी। केविन को प्रियंका का शो ‘क्वांटिको’ पसंद आया था। केविन ने ही निक को प्रियंका से बात करने की सलाह दी थी। इसके बाद निक ने हिम्मत दिखाई और प्रियंका को ट्विटर पर DM किया। निक काे प्रियंका ने दिया मजेदार रिप्लाय निक का मैसेज पढ़ते ही एक्ट्रेस ने उन्हें जवाब दिया कि ये मैसेज उनकी टीम पढ़ सकती है। इसके बाद प्रियंका ने निक को अपना नंबर भेज दिया और दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया था। उस वक्त ब्रेकअप के दौर से गुजर रही थीं प्रियंका प्रियंका ने डैक्स शेफर्ड को दिए इंटरव्यू में में खुलासा किया था कि शुरुआत में वो निक जोनस के साथ बातचीत आगे नहीं बढ़ाना चाहती थीं। जब निक ने उन्हें मैसेज किया तब उनका 5-6 साल पुराना रिश्ता खत्म हुआ ही था। हालांकि, प्रियंका के दोस्तों ने सलाह दी कि वो मूव ऑन करके निक का हाथ थामें और वैसा ही हुआ। मेट गाला में टकराए, फिर साथ में पब्लिक अपीयरेंस दी एक साल तक निक और प्रियंका एक दूसरे के अच्छे दोस्त रहे। साल 2017 में दोनों ने मेट गाला के रेड कार्पेट पर पहली बार साथ में पब्लिक अपीयरेंस दी थी। मजेदार बात यह है कि दोनों इस इवेंट में साथ में नहीं पहुंचे थे। इवेंट में ही एक दूसरे से टकराए और फिर तय किया कि साथ में रेड कार्पेट पर वॉक करते हैं। मेरे गाने तुम्हारे लिए लव लैटर्स की तरह होंगे एक इंटरव्यू में प्रियंका ने बताया था कि जब उन्होंने निक को डेट करना शुरू किया तब निक ने उनसे कहा था कि वो बहुत ज्यादा नहीं बोलते पर उनके गाने एक्ट्रेस के लिए लव लैटर्स की तरह होंगे। प्रपोज करने से पहले एक्ट्रेस की मां को मनाया इसी बीच प्रियंका जब मुंबई आईं तो निक भी उनके साथ इंडिया आए। वो यहां प्रियंका के अपार्टमेंट में ही रुके। एक्ट्रेस की मां मधु चोपड़ा भी उनके साथ मौजूद थीं। फिल्मीज्ञान को दिए एक इंटरव्यू में मधु ने बताया था, ‘निक जब इंडिया आए थे तब मुझे नहीं पता था कि उनके और प्रियंका के बीच क्या रिश्ता है। दोनों ने एक-दूसरे को अपना दोस्त बताया था। इसके बाद एक दिन निक मुझे लंच पर ले गए। प्रियंका हमारे साथ नहीं थीं। तब निक ने मुझसे पूछा कि उन्हें प्रियंका के लिए कैसा लड़का चाहिए? इस पर मैंने उन्हें वो खूबियां बताईं जो मैं अपने दामाद में देखना चाहती थी। वो सुनकर निक ने मेरा हाथ पकड़ा और बोले- मैं वो लड़का हूं। क्या मैं प्रियंका से शादी कर सकता हूं। मैं आपसे वादा करता हूं आपको कभी दुखी नहीं करूंगा।’ 36वें बर्थडे के एक दिन बाद प्रपोज किया इसके बाद निक ने प्रियंका के 36वें जन्मदिन के एक दिन बाद उन्हें ग्रीस में घुटनों के बल बैठकर डायमंड रिंग देकर प्रपोज किया। निक ने कहा- ‘क्या आप मुझे दुनिया के सबसे लकी इंसान बना सकती हैं?’ यह सुनकर प्रियंका कुछ देर चुपचाप खड़ी रहीं और फिर उन्होंने हां कह दी। निक को इंडियन फैंस प्यार से बुलाते हैं जीजू निक को इंडिया में पैपराजी और फैंस जीजू कहकर बुलाते हैं। मजेदार बात तो यह है कि अब सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रहे म्यूजिकल कॉन्सर्ट में निक को फैंस जीजू कहकर पुकारते हैं। हाल ही में जिमी फैलन के टॉक शो ‘द टुनाइट शो’ में निक ने इस पर बात की। सिंगर ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि मेरी शादी प्रियंका से हुई है। उसके बाद से ही यह हैशटैग शुरू हुआ। उस वक्त से ही मैं नेशनल ‘जीजू’ बन गया। जीजू का मतलब है बड़ी बहन का पति, इसलिए मैं इंडिया का बड़ा भाई हूं।’

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Emmys 2024: The nominations in full and winners as they happen

See which shows and actors have won and are nominated for the TV industry's most prestigious honours.

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In pictures: TV stars on Emmy Awards red carpet

Selena Gomez is among the stars walking the red carpet before the Emmy Awards 2024.

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In pictures: TV stars on Emmy Awards red carpet

Ripley actor Andrew Scott is among the stars walking the red carpet before the Emmy Awards 2024.

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Guardian statue found at Angkor Wat

A sandstone guardian statue has been discovered at Banteay Prei Temple in the ancient Khmer capital of Angkor Wat in Cambodia. It was found about 30 inches under the surface next to the eastern entrance to the second gate of the temple when archaeologists were clearing rubble from the collapsed gate.

Guardian statues, known as dvarapala from the Sanskrit words for “gate” and “guard”, were protective figures located at doors and gates in Hindu and Buddhist temples as well as royal palaces throughout southeast Asia. They were depicted as armed warriors, and in Cambodia usually stood with their hands on a large club pointed downward to the ground.

The newly-discovered dvarapala is 5’2″ high from pedestal to top of the head. It was broken into six pieces when the upper structure of the gate collapsed. The neck, left forearm, waist and shins of both legs are broken, but the breaks are comparatively clean. Only parts of the club are missing. A small part of the handle of the club has survived under the figure’s crossed hands and a longer piece of it that was in front of his legs.

The statue’s serene visage is typical of the Bayon style, named after the Banyon temple in the center of Angkor Thom, the state of capital of Khmer King Jayavarman VII. This last temples in the Angkor Wat complex date to this period. Banteay Prei is relatively remote in the 250-square-mile complex, five miles north of the main temple, but like Banyon, it was built by King Jayavarman VII in the late 13th or early 14th century. The dvarapala dates to that time.

The guardian will now be studied and conserved at the Preah Norodom Sihanouk-Angkor Museum.



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Match of the day or Last Night of the Proms? Well, it's both!

To mark the 60th anniversary of Match of the Day, the football pundits had a go at some Proms commentary.

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To mark the 60th anniversary of Match of the Day, the football pundits had a go at some Proms commentary.

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Strictly returns, but no mention of controversies

A brand new set of celebrities hit the dancefloor, after a rocky few months for the BBC One show.

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Strictly returns, but no mention of controversies

A brand new set of celebrities hit the dancefloor, after a rocky few months for the BBC One show.

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The Lion of Venice was made in China

The winged lion that stands on the column in St. Mark’s Square in Venice that is an icon of the city was made in China. A new metallurgic study of the bronze has discovered a large part of it originated from 8th century China and after making its way to Venice, was mixed with other parts and reconstructed in to fit the standard iconography of the winged lion, symbol of Mark the Evangelist and of Venice itself.

Based on research done after a 1980s restoration, the statue was believed to have been made in Anatolia during the early Hellenistic era (4th century B.C.), but a study of the lead isotopes in the metal alloy found they came from mines in the lower basin of the Yangtze River in southeastern China. Armed with the hard science, researchers reexamined the lion’s design and found characteristic features of Tang Dynasty (618-907 A.D.) sculptures in the head, mane and chest.

This style of creature had a specific function in Tang Dynasty sculpture as tomb guardians. Known as zhenmushou figures, they were fantastical beasts ferocious in demeanor that were placed at tomb gates to scare away evil spirits and protect the spirits of the dead. By the 7th century, they were typically placed in pairs, one with a human-like face, one with a lion or beast-like face.

Some of the characteristic features shared by St. Mark’s lion and zhenmushou figures include wide nostrils with a moustache pointing up on each side, a wide open mouth with a pair of wide-set canines in the top jaw and more narrow set ones on the bottom, a flat plate of teeth between them and prominent orbital sockets in which horns were mounted. The orbitals are truncated in the lion, indicating that it too had once had horns or antlers, but they were amputated to make him look more lionine. His ears also appear to have been trimmed and rounded, as the original zhenmushou ears were higher and pointed.

The lion likely made its way west over the Silk Road through India and Afghanistan, which had a very active flow of trade during the Tang Dynasty. That flow was closed off for some centuries after, reopening at the time of Marco Polo’s voyages in the 13th century. There are no historical sources recording when the lion came to Venice, or when and how it took its current form. Marco Polo wrote about it after his return from China in 1295, but not only was it already on top of the column at that time, it was already in need of restoration so it had been up there exposed to the elements for decades.

Also, it’s huge — more than 13 feet long and weighing three tons — so the fact that there are no references to its transportation and erection suggests it arrived in more manageable pieces. Analysis of the samples from various parts of the sculpture found it was recast in parts and Frankensteined together in at least five or six phases, and that’s before Napoleon looted it and French construction workers dropped it and broke it into 20 pieces when they were forced to give it back after his defeat.



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'Femininomenon' Chappell Roan inspires devotion on UK tour

The American singer is already an icon to some as she embarks on her UK tour.

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12 सालों से जेल में कैद हैं एक्ट्रेस सिमरन सूद:आरोप- 4 हत्याओं में शामिल, गैंगस्टर के साथ मिलकर किए बिजनेसमैन के शरीर के टुकड़े

आज अनसुनी दास्तान में हम आपको बताने जा रहे हैं, हीरोइन बनने का ख्वाब देखने वालीं सिमरन सूद की कहानी। सिमरन, दास्तान पर हुआ। सिमरन की कहानी अपने आप में एक मुकम्मल क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जिसमें बड़े-बड़े सपने हैं, फिल्मी चकाचौंध है, धोखा, साजिश और कई कत्ल भी हैं। बॉलीवुड की पेज 3 पार्टी में अपनी मौजूदगी से लोगों का ध्यान खींचने वालीं सिमरन सूद बेहद लग्जरी जिंदगी जीती थीं। नील नितिन मुकेश, के.के.मेनन के साथ मिलीं उनकी तस्वीरें इन पार्टियों का सबूत थीं। सिमरन सूद पर आरोप हैं कि वो अपनी खूबसूरती से अमीरजादों को शिकार बनाती थीं, लूटती थीं और फिर हत्या करवा देती थीं। सिमरन के जुर्म की फेहरिस्त में रब ने बना दी जोड़ी और नो वन किल्ड जेसिका के एक्टर अनुज कुमार टिक्कू के पिता का नाम भी दर्ज है, जिनका कत्ल हुआ था। यह इस तरह का इकलौता मामला नहीं था। सिमरन पर प्रोड्यूसर करण कक्कड़ और एयर इंजिया इंजीनियर अनूप दास और उनके पिता की हत्या के भी आरोप थे। कई हत्याकांड में शामिल रहीं सिमरन सूद के जुर्मों का खुलासा एक संयोग और एक व्यक्ति के प्रेसेंज ऑफ माइंड से हुआ, जिसने एक आम दिन कार पार्किंग से गुजरते हुए एक अधेड़ व्यक्ति की हत्या होते देखा। आज अनसुनी दास्तान के 4 चैप्टर में जानिए इस हाईप्रोफाइल हनीट्रैप मामले और कई हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी- सिमरन सूद का असली नाम सीमा सुरेन्द्रनाथ दूसांज था, जिसे ग्लेमर वर्ल्ड के मुताबिक सिमरन सूद कर दिया गया था। लुधियाना से ताल्लुक रखने वालीं सिमरन ने आर्ट्स में डिग्री हासिल की थी। सिमरन बचपन से ही हीरोइन बनने का ख्वाब देखा करती थीं। जब उन्होंने इस ख्वाब के बारे में अपने परिवार को बताया तो हर किसी ने साफ इनकार कर दिया कि अच्छे घर की लड़कियां फिल्मी दुनिया में नहीं जातीं। परिवार से सपोर्ट न मिलने पर सिमरन सूद ने 1995 में अपना घर छोड़ दिया और मुंबई पहुंच गईं। खूबसूरती की बदौलत सिमरन के लिए मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखना मुश्किल नहीं रहा। उन्हें मुंबई में मॉडलिंग का अच्छा काम मिलने लगा। फिल्म इंडस्ट्री की पेज-3 पार्टियों में उनका आना-जाना आम था, जहां वह इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों से मिला करती थीं। आईपीएल की भी कई पार्टीज में उन्हें देखा गया था। 7 अप्रैल 2012 की बात है… ओशिवारा की 25 माला हाईराइज बिल्डिंग के पार्किंग एरिया से गुजरते हुए एक शख्स की नजर पहली मंजिल की खिड़की पर पड़ी। पहले खिड़की का पर्दा टूटकर गिरा, जिसके बाद एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हो रही मारपीट नजर आई। उन्होंने तुरंत बिल्डिंग के गार्ड से मदद मांगी और भीड़ इकट्ठा कर सभी उस फ्लैट पर पहुंच गए। दरवाजा खटखटाने पर दो नौजवान लड़के बाहर आए। जब उनसे बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां कोई बुजुर्ग नहीं है, उन्हें गलतफहमी हुई है। हालांकि खुद को पेइंग गेस्ट बताने वाले उन लड़कों के पैरों पर लगा खून बड़ी अनहोनी की तरफ इशारा कर रहा था। संदिग्ध हालात होने पर उस भीड़ ने फ्लैट को बाहर से लॉक कर दिया और पुलिस को खबर दी। जब पुलिस पहुंची, तो वो दोनों शख्स बालकनी से कूदकर भाग चुके थे और बाथरूम में बुजुर्ग व्यक्ति की लाश थी। मृतक का नाम अरुण कुमार टिक्कू (67) था, जो दिल्ली के एक कारोबारी थे। मौत से पहले अरुण को टॉर्चर किया गया था और उनके शरीर पर चाकुओं से तीन वार किए गए थे। जांच में पहला शक अनुज टिक्कू पर भी गया कि उन्होंने पिता की हत्या करवा दी। हालांकि अनुज के बयान से जांच का नया एंगल सामने आ गया। उन्होंने सिमरन सूद का जिक्र किया। अनुज ने पुलिस को बताया कि वो मुंबई में काम ढूंढते हुए उनकी मुलाकात सिमरन से हुई थी। 2012 में सिमरन ने अनुज की मुलाकात विजय पलांडे से करवाई थी। दोनों ने उनसे कहा कि उन्हें मुंबई में रहने का ठिकाना चाहिए, जिसके लिए अनुज ने उन्हें अपना ओशिवारा स्थित फ्लैट रहने के लिए दे दिया। बीतते समय के साथ सिमरन और विजय उस फ्लैट में कब्जा करने लगे। दोनों ने पहले उस फ्लैट में एक जर्मन महिला को ठहराया, जिसके बाद दो दोस्त धनंजय शिंदे और मनोज गजकोश भी रहने लगे। अनुज के पिता को इससे आपत्ति थी, क्योंकि उस फ्लैट का अच्छा किराया मिल सकता था। अनुज ने जब फ्लैट खाली करने को कहा, तो विजय ने साफ इनकार कर दिया। बात नहीं बनी तो गुस्से में अरुण टिक्कू फ्लेट खाली करवाने सीधे दिल्ली से मुंबई पहुंच गए, जिसके बाद उनकी हत्या उसी फ्लैट में कर दी गई। अरुण के बयान के बाद मुंबई पुलिस ने सिमरन सूद, विजय पलांडे और उसके दो साथियों की गिरफ्तारी की। गिरफ्तारी के बाद विजय ने इकबाल-ए-जुर्म में बताया कि 7 अप्रैल की रात अनुज अपना फ्लैट खाली करवाने आए थे, लेकिन उन्होंने 2 साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी। अनुज टिक्कू की हत्या से चंद रोज पहले 5 अप्रौल को ही मूवी प्रोड्यूसर करण कक्कड़ लापता हुए थे। परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई थी। शिकायत में परिवार ने बताया कि 5 अप्रैल 2012 को करण ने अपने भाई हनीश को कॉल कर बताया था कि वो जल्द ही एक बड़ी फिल्म में पैसे लगाने वाला है। इसके बाद ही उन्होंने परिवार से कभी संपर्क नहीं किया। करण कक्कड़ के साथ उनकी ऑडी भी गायब थी। पुलिस को इस मामले में जांच की दिशा नहीं मिल रही थी, लेकिन अरुण टिक्कू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए विजय पलांडे और सिमरन के तार इस मामले से भी जुड़े थे। पूछताछ में विजय ने बताया कि जिस करण कक्कड़ की तलाश पुलिस को है, उसे चंद रोज पहले ही मारा जा चुका था। दरअसल, करण कक्कड़ फिल्मों में पैसे लगाना चाहते थे। इस दौरान उनकी मुलाकात सिमरन से हुई थी। सिमरन ने पहले करण कक्कड़ से नजदीकियां बढ़ाईं और फिर उनकी उनकी मुलाकात विजय पलांडे से करवाई। सिमरन ने करण से कहा था कि उन्हें एक बड़ी फिल्म के लिए प्रोड्यूसर की जरुरत है, जिसमें वो करण को इन्वॉल्व कर सकती हैं। 5 अप्रैल 2012 को सिमरन ने करण को एक किराए के फ्लैट में मिलने बुलाया। दोनों ने करण को फ्लैट में बंदी बनाया और उनके क्रेडिट कार्ड से लाखों की शॉपिंग की। फिर 7 अप्रैल को उनका गला काटकर हत्या कर दी। गला काटने से पहले खिलाई थीं 14 नींद की गोलियां अपने इकबाल-ए-जुर्म में विजय पलांडे ने बताया कि गला काटने से पहले उन लोगों ने करण कक्कड़ से पूछा था कि वो नींद की गोलियां खाना चाहेंगे या होश में उनका गला काटा जाए। करण ने दर्द से छुटकारा पाने के लिए नींद की गोलियां खाईं। जब 4 गोलियों से नींद नहीं आई तो उन हत्यारों ने उन्हें 10 गोलियां और खिलाईं और फिर बाथरूम में ले जाकर उनका गला काट दिया। बाथरूम में शावर के नीचे उनकी लाश तब तक रखी गई, तब तक खून पूरी तरह बह नहीं गया। बाद में उनके शरीर के टुकड़े कर उन्हें कुंभरली घाट में फेंक दिया गया। 13 साल पहले बनी सिमरन-विजय की जोड़ी, कर चुके थे 2 कत्ल मॉडलिंग की दुनिया में आने के बाद सिमरन सूद की मुलाकात 90 के दशक के आखिर में कुख्यात अपराधी विजय पलांडे से हुई थी। विजय खुद को रईस प्रॉपर्टी डीलर बताता था। जब विजय को पता चला कि सिमरन महंगे शौक रखती हैं और उन्हें पैसों की जरुरत है, तो उसने उन्हें अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव था अपनी खूबसूरती से अमीरजादों को फंसाकर उनसे लूट करना। सिमरन सूद समझ चुकी थीं कि सिर्फ मॉडलिंग की बदौलत शौक पूरे करना मुश्किल था। विजय की लग्जरी जिंदगी देखकर सिमरन सूद ने भी उससे हाथ मिला लिया। 1997 के आसपास विजय पलांडे से मिलने के बाद सिमरन सूद की जिंदगी बेहद लग्जरी हो चुकी थी। 1997 में वो प्लास्टिक सर्जरी करवाने USA गई थीं। खुद को खूबसूरत रखने के लिए सिमरन ने मुंबई-दुबई में कई प्लास्टिक सर्जरी करवाई थीं। दोनों का टार्गेट ऐसे अमीरजादे होते थे, जो या तो बिजनेस में इन्वेस्ट करना चाहते थे या तो फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए करोड़ों खर्च करने के लिए राजी होते थे। विजय, सिमरन की खूबसूरती और उनके फिल्म इंडस्ट्री के लिंक की मदद से लोगों को फंसाता था, पैसे ऐंठता था और काम होने पर उनका कत्ल कर देता था। 1997 में दिया था 2 कत्लों को अंजाम विजय ने सिमरन की मुलाकात उन्हें अपनी बहन बताते हुए एयर इंडिया इंजीनियर अनूप दास से करवाई। दरअसल, उस समय विजय पलांडे कॉपर चिमनी रेस्टोरेंट में एक वेटर बनकर काम कर रहा था, जहां अनूप का अक्सर आना जाना होता था। अक्सर होने वाली मुलाकातों के जरिए दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। कुछ समय बाद विजय ने अनूप की दोस्ती सिमरन सूद से करवाई। सिमरन ने प्लानिंग के तहत अनूप से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं। वो अक्सर अनूप के घर जाया करती थीं, जिससे उनके परिवार वाले भी उन्हें जानने लगे थे। एक रोज सिमरन ने अनूप से कहा कि उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है। दोस्ती की खातिर अनूप ने उन्हें अपना जुहू स्थित अपार्टमेंट रहने के लिए दे दिया। सिमरन और विजय का प्लान अनूप से पैसे लूटने और उसका फ्लैट हड़पने का था। दोनों उन्हीं के फ्लैट में कई महीनों तक रहे, लेकिन अब कुछ बड़ा करना था। 26 जनवरी 1998 को सिमरन और विजय, अनूप को महाबलेश्वर में होने वाली बिजनेस मीटिंग के लिए साथ ले गए। लेकिन उसके बाद से ही उनकी कोई खबर नहीं मिली। चंद दिन बीते, लेकिन अनूप का कोई पता नहीं था, न उनसे संपर्क हो रहा था। जब चिंतित होकर अनूप के पिता स्वराज रंजन ने विजय को कॉल किया, तो वो लगातार यही कहता रहा कि अनूप उनके साथ हैं, काम में देरी होने के चलते वो लौट नहीं सके। 7 दिन बाद विजय ने अनूप के पिता को कॉल कर कहा कि अगर वो अनूप से मिलना चाहते हैं, तो महाबलेश्वर आ जाएं। सिमरन और विजय, दास परिवार से इतने घुल-मिल गए थे कि उन्हें कभी भी उन पर शक नहीं हुआ। स्वराज रंजन, अनूप से मिलने निकले, लेकिन वो भी लौटे ही नहीं। जब पुलिस शिकायत हुई तो सामने आया कि अनूप और उनके पिता स्वराज रंजन की हत्या कर दी गई। जांच में सामने आया कि विजय पलांडे और सिमरन अनूप की जुहू स्थित प्रॉपर्टी हथियाना चाहते थे, लेकिन जब अनूप उनकी मंशा समझ गए तो दोनों ने उनका कत्ल कर दिया। अनूप का कत्ल करने के बाद दोनों ने स्वराज रंजन को मिलने बुलाया और उनसे बेटे को सही सलामत छोड़ने के नाम पर 7 लाख रुपए सिमरन के अकाउंट में ट्रांसफर करवाए और बाद में उनका भी कत्ल कर दिया। सिमरन और विजय ने दोनों शवों के टुकड़े किए और फिर उन्हें ठिकाने लगा दिया। अनूप का शव कुंभरली वैली में मिला था, जबकि स्वराज रंजन का शव सतारा में मिला था। साल 1998 में विजय पलांडे को दोहरे हत्याकांड के आरोप में जेल भेजा गया, जबकि सिमरन को अनूप की प्रॉपर्टी पर गैरकानूनी रूप से कब्जा करने के तहत मामला दर्ज हुआ। नवंबर 1998 में विजय पलांडे को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। साल 2002 में विजय पलांडे पैरोल पर बाहर आया था और पुलिस के हाथों से भाग निकला। विजय पलांडे ने फर्जी दस्तावेज बनवाए, जिनके जरिए वो बैंकॉक भाग गया। उसने दुबई जाकर प्लास्टिक सर्जरी करवाई, जिससे उसका हुलिया काफी हद तक बदल गया था। दोहरे हत्याकांड में नाम आने के बावजूद सिमरन सूद ने मॉडलिंग और एक्टिंग में एक्टिव रहीं। लिंक्स की मदद से सिमरन सूद को साल 2003 में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म अनोखा अनुभव में काम मिला था। फिल्म में वो मोहन जोशी, रजाक खान और दिव्या द्विवेदी के साथ लीड रोल में नजर आई थीं। ये छोटे बजट में बनी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन इसके बाद सिमरन ने इंडस्ट्री में अपने पैर जमा लिए। रिपोर्ट्स की मानें तो सिमरन ने इस फिल्म में पैसे लगाए थे। आगे सिमरन 2002 की फिल्म स्माइल प्लीज में भी नजर आई थीं। सिमरन सूद अपनी फिल्मी दुनिया में मग्न थीं, लेकिन साल 2006 में उनकी जिंदगी में फिर एक बार विजय पलांडे की एंट्री हुई। विजय भारत लौट आया था और फिर उनका साथ चाहता था। दोहरे हत्याकांड के बाद फिर एक बार सिमरन ने विजय से हाथ मिला लिया और 2012 के दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया। चार हत्या के आरोप में विजय पलांडे और सिमरन सूद बीते 12 सालों से जेल में बंद हैं। सिमरन ने कई बार जमानत के लिए याचिका दायर करवाई, हालांकि उन्होंने कभी जमानत नहीं मिल सकी।

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Strictly returns, hoping to 'recover and move forward'

The new series starts on Saturday night, after a rocky few months for the show.

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Strictly returns, hoping to 'recover and move forward'

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The Great Fire of Smyrna

The Great Fire of Smyrna JamesHoare

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खर्चे के लिए नदी से सिक्के निकालते थे मानव कौल:कभी टूथपेस्ट खरीदने तक के पैसे नहीं थे; फिर अक्षय-अमिताभ के साथ फिल्में कीं

‘आप स्ट्रगल की बात कर रहे हैं, मेरी तो पूरी लाइफ ही रोलर कोस्टर जैसी रही है। मैं एक ऐसे परिवार से आता हूं, जहां पर पॉकेट मनी जैसी कोई चीज नहीं थी। दो टाइम का खाना नसीब हो जाए वही बड़ी बात थी। मैंने जिंदगी का ज्यादातर समय मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में बिताया है। जब मैं पांचवी या छठी क्लास में था, तब दोस्तों के साथ नर्मदा नदी में डुबकी लगाने जाता था। वहां जो श्रद्धालु नदी में सिक्के फेंकते थे, हम सारे दोस्त उन पैसों को निकाल लेते थे और उसी से हमारे चाय-नाश्ते का जुगाड़ हो जाता था।’ दोपहर 2 बजे मुंबई के वर्सोवा स्थित अपने घर पर एक्टर, राइटर और डायरेक्टर मानव कौन अपनी सफलता तक पहुंचने की कहानी मुझे बता रहे हैं। थोड़ी देर मौन रहने के बाद मानव कहते हैं, ‘पहले मेरा पूरा परिवार कश्मीर में रहता था। फिर हम होशंगाबाद आ गए। उस वक्त मैं शायद 5वीं क्लास में था। परिवार की माली हालत बिल्कुल ठीक नहीं थी। पिता जी मुझे प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का खर्चा भी अफोर्ड नहीं कर सकते थे। साल बर्बाद न हो इसलिए मेरा एडमिशन सरकारी स्कूल में करा दिया गया। मैं पढ़ाई में ठीक नहीं था, अच्छा हुआ सरकारी स्कूल में दाखिला करा दिया, वर्ना पैसे ही बर्बाद होते। (हंसते हुए) यह सुनते ही मैं उनसे पूछ बैठा- आप तो नेशनल लेवल के स्विमर भी रहे हैं? हां, यह बात सच है। एक दिन जब मैं नदी से सिक्के निकाल रहा था, तभी एक स्विमिंग कोच की नजर मुझ पर पड़ी। उन्होंने मुझे बतौर स्विमर करियर में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। मैंने नेशनल लेवल तक स्विमिंग कॉम्पिटिशन जीता है। मेरे पास कुल 14 नेशनल अवॉर्ड हैं। मजेदार बात यह है कि मुझे इसके जरिए सरकारी नौकरी भी मिलने वाली थी, लेकिन एक्टिंग के पागलपन की वजह से मुझे उसे ठुकराना पड़ा। तो कब लगा कि एक्टर बनना है? एक दिन मैंने भोपाल के भारत भवन में नाटक देखा। इसे देखने पर मेरा परिचय एक नई दुनिया से हुआ। कुछ दिन तक तो खुद को उस नाटक के बारे में सोचने से रोक ही नहीं पाया। आखिरकार फैसला किया कि अब बस एक्टिंग ही करनी है, चाहे कुछ भी हो जाए। घरवालों ने इस फैसले का विरोध नहीं किया? मैंने सबसे पहले एक्टर बनने की बात मां को बताई थी। उन्होंने मुझसे कहा था- तुम्हें अगर एक्टर बनना है तो सिर्फ उसी पर फोकस करो। बाकी सब कुछ साइड में कर दो। मां की इन बातों से मुझे बहुत भरोसा मिला और अपना ख्वाब पूरा करने के लिए मैं मुंबई निकल पड़ा। मुंबई के संघर्ष को देखकर आपको एक्टर बनने के फैसले पर पछतावा नहीं हुआ? मानव ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया, लेकिन उन्होंने मुंबई के संघर्ष के बारे में जरूर बताया। उन्होंने कहा, ‘मुंबई का संघर्ष तो वाकई थका देने वाला रहा। मैं यहां चॉल में तीन दोस्तों के साथ रहता था। फिल्मों में काम मांगने की जद्दोजहद के साथ थिएटर भी करता था। खाने-पीने की दिक्कत भी रही। मुझे याद है कि एक दिन हम तीनों दोस्तों के पास सिर्फ 75 रुपए बचे थे। कमाई का दूसरा कोई जरिया नहीं था। किसी से उधार लेने की भी हालत नहीं थी। चॉल छोड़ने तक की नौबत आ गई। तब हम तीनों मलाड में रहने वाले एक दोस्त के पास चले गए। हालांकि वे भी चॉल में ही रहते थे, लेकिन उन्होंने हमारी मदद की। उन्होंने अपने किसी परिचित के चॉल में हमारे रहने की व्यवस्था कराई। हमें रहने के लिए आसरा मिल गया। उनकी पत्नी रोज हमें खाना भी खिला देती थीं। इस घटना से यह तो समझ में आ गया कि भले काम न हो, लेकिन आप भूखे तो नहीं मर सकते। कहीं न कहीं से खाने का इंतजाम हो जाएगा। एक बार का किस्सा है कि हम तीनों में से एक की नौकरी लग गई थी। वह हर दिन 100 रुपए कमाने लगा था। हमें लगा कि उसकी नौकरी से हमारा भी भला हो जाएगा। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। एक दिन हमने देखा कि वह टूथपेस्ट से ब्रश कर रहा है। मेरे पास तो टूथपेस्ट खरीदने तक के पैसे नहीं थे। इतना ही नहीं कि उसके बैग में 700-800 रुपए भी मिले। यह देख मेरा दिल टूट गया और उसी वक्त मैं घर छोड़कर चला गया। उस दिन मुझे गत्ते पर सोना पड़ा था।’ संघर्ष के दिनों की कहानी सुनाते हुए भी मानव के चेहरे से मुस्कान गायब नहीं हुई। मानो वे कह रहे हों कि उन्होंने आज की सफलता से इन दुखों पर फतह पा ली है। बिना वक्त गवाएं मैं उनसे पूछ बैठा, आपकी यह हालत देखकर परिवार वालों का क्या रिएक्शन था? एक बार मेरा भाई कमरे में आया। कमरे की हालत देखकर वह मुझ पर भड़क गया और बोला- एक दिन झोला लेकर घूमेगा। आज के बाद कभी तेरे घर नहीं आऊंगा। वह जानता था कि मैं जिद्दी हूं, मुझे डर नहीं लगता है। यही वजह रही कि भले ही परिवार वालों के मन में थोड़ी-बहुत नाराजगी रही हो, लेकिन उन्होंने हर कदम पर सपोर्ट किया है।’ टीवी शोज में काम करने के बाद उससे दूरी क्यों बना ली? टीवी इंडस्ट्री में लोग बहुत ज्यादा मेहनत करते हैं। 17-18 घंटों तक शूटिंग चलती है। इससे इंसान बहुत थक जाता है और यह थकान फ्रस्टेशन के रुप में झलकने लगती है। ठीक मेरे साथ भी हुआ। मैं टीवी शोज करके थक गया था। दिन ब दिन बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा होता जा रहा था। आखिरकार मैंने टीवी शोज में काम करने से मना कर दिया। इस वक्त तक मैं ऐसी स्टेज पर पहुंच चुका था कि सिर्फ वह काम करूंगा, जिससे खुशी मिलेगी। मैंने दुनिया के हिसाब से फैसले लेने बंद कर दिए। क्या आपने पहली फिल्म जजंतरम-ममंतरम करने के बाद एक्टिंग से ब्रेक लिया था? हां, यह सच है। पहली फिल्म के बाद मैंने कुछ समय के लिए फुल टाइम एक्टिंग से ब्रेक लिया था। थिएटर में सिर्फ राइटिंग और डायरेक्शन का काम किया। यह बात सबको मालूम है कि थिएटर में आमदनी बहुत कम है। जब पैसे बिल्कुल नहीं होते थे तब टीवी शोज में एपिसोडिक काम और फिल्मों में साइड रोल कर लेता था। मैंने बतौर जूनियर आर्टिस्ट भी काम किया है। फिर क्या ऐसी वजह थी जिसने आपको फिल्म काई पो छे में काम करने के लिए मोटिवेट किया? मैंने एक फिल्म ‘हंसा’ डायरेक्ट की थी, जो फ्लॉप हो गई। बहुत ज्यादा पैसे डूब गए। उस वक्त मुझे पैसों की बहुत सख्त जरूरत थी। तभी मुझे पता चला कि फिल्म ‘काई पो छे’ का ऑडिशन चल रहा है। मैंने भी ऑडिशन दिया और सिलेक्ट हो गया। इस फिल्म में काम करने के बाद मुझे एक्टिंग में मजा आने लगा। इस फिल्म के लिए बहुत ज्यादा तो फीस नहीं मिली थी, लेकिन थोड़ा-बहुत कर्ज जरूर कम हो गया। चॉल से निकल कर घर में रहने की हैसियत हो गई थी। आमतौर पर रिजेक्शन तो फेस करना पड़ता है। इस सिचुएशन को कैसे डील करते थे? रिजेक्शन की वजह से मुझमें आत्मविश्वास की कमी आ गई थी। अगर कोई फिल्ममेकर मुझे अपनी फिल्म में कास्ट कर लेता था, तो मैं सोचने लगाता कि इसको जरूर मुझसे कोई मतलब होगा। लोगों की तारीफ पर शक होने लगता था। क्या यह सच है कि फिल्म काई पो छे की सक्सेस पार्टी के वक्त आपके पास घर जाने तक के पैसे नहीं थे? मेरे इस सवाल पर मानव जोर-जोर से हंसने लगते हैं। कहते हैं, ‘हां यह बात भी सच है। दरअसल, फिल्म की सक्सेस पार्टी के बाद मैं रात को घर जाने के लिए होटल से निकला। जेब में हाथ डाला तो पता चला कि पास में सिर्फ 22 रुपए बचे हैं। 22 रुपए में घर जाना बिल्कुल पॉसिबल नहीं था। तब मैंने तकरीब निकाली। एक ऑटो वाले के पास गया और कहा- भैया मेरे पास सिर्फ 22 रुपए हैं। जहां तक इन 22 रुपए के हिसाब से आपकी गाड़ी चले, वहां तक मुझे ले चलो। फिर उतार देना। ऑटो वाले ने मेरी बात मान ली और आधे रास्ते ले जाकर उतार दिया। बचा हुआ रास्ता मैंने पैदल कवर किया। क्या आप मानते हैं कि फिल्म काई पो छे के बाद आपका करियर पटरी पर आ गया? हां, मैं इस बात से सहमत हूं। इस फिल्म के बाद मैंने ‘सिटीलाइट्स’, ‘वजीर’, ‘जॉली LLB 2’ और ‘तुम्हारी सुलु’ जैसी फिल्मों में काम किया। ‘वजीर’ में मुझे अमिताभ बच्चन और ‘जॉली LLB 2’ में अक्षय कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। ‘तुम्हारी सुलु’ में मैंने विद्या बालन और सीरीज ‘फेम गेम’ में माधुरी दीक्षित जैसी बड़ी एक्ट्रेसेस के साथ काम किया। इन फिल्मों के किरदारों ने इंडस्ट्री में मुझे नई पहचान दिलाई है। अब उस स्टेज पर खड़ा हूं कि मैं किसी परिचय का मोहताज नहीं हूं। अब काम मांगने की जद्दोजहद भी नहीं करनी पड़ती। मैं अब मनमुताबिक स्क्रिप्ट चुनने के लिए भी फ्री हूं। लाइफ में भी फ्री रह सकूं इसलिए मैंने शादी भी नहीं की। (हंसते हुए) हाल में मुझे सीरीज ‘त्रिभुवन मिश्रा CA टॉपर’ में देखा गया। यह सीरीज नेटफ्लिक्स इंडिया में लगभग 5 हफ्तों तक टॉप 1 पर ट्रेंड की है। आने वाले दिनों में मेरी सीरीज ‘बारामुला’ रिलीज होने वाली है, जिसकी कहानी आदित्य धर जैसे बड़े डायरेक्टर-राइटर ने लिखी है। इसके अलावा मेरे पास फिल्म ‘सलाम नोई अप्पा’ है, जिसमें मैं फेमस एक्ट्रेस डिंपल कपाड़िया के साथ काम करूंगा। मेरी सक्सेस का एक सीक्रेट भी है। मैंने अपने खर्चे बहुत कम कर दिए हैं। ज्यादा ताम-झाम में भरोसा नहीं करता हूं। इस वजह से लाइफ बहुत आसान और खूबसूरत हो गई है…

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Richard Osman: I'm terrible at playing detective

The top-selling author says he is not as successful as he would like to be at solving TV crime shows.

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David Hockney backs Bradford City of Culture project

The first part of the city's year-long programme of cultural events for 2025 is unveiled.

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The first part of the city's year-long programme of cultural events for 2025 is unveiled.

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Aliens and the Enlightenment

Aliens and the Enlightenment JamesHoare

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Stars of Post Office drama honour real-life counterparts at NTAs

The drama covering the Post Office Horizon IT scandal won three awards at the ceremony.

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In pictures: Stars at the National Television Awards

The biggest names in British TV walk up the red carpet for the ceremony in London.

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In pictures: Stars at the National Television Awards

The biggest names in British TV walk up the red carpet for the ceremony in London.

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Dig volunteer finds rare Pictish ring

A volunteer in an excavation of the site of a Pictish fort in Burghead, northeastern Scotland, has discovered a rare Pictish ring. It is kite-shaped with a central oval red gem, possibly a garnet or red glass, and is one of very few Pictish rings known.

The enclosed promontory fort was one the largest and most important Pictish centers during the kingdom’s heyday (4th-9th centuries), but was believed to have been stripped of its archaeological materials when the town of Burghead was built in the early 19th century. Most of its surviving stone walls were dismantled and reused in the new construction, leaving only a few ramparts and an underground well. Even 5th century stone panels carved with images of bulls believed to have been part of a frieze on the ramparts were just built into the harbor wall like any other rock, only six of 30 making it to safety in museums.

For the past three years, the University of Aberdeen Professor of Archaeology Gordon Noble had led excavations of the site to explore the surviving remains and create accurate 3D reconstructions of the fort’s original structure. John Ralph, a retired engineer and alumnus of the University of Aberdeen whose family was among those who settled the new town of Burghead in the 19th century, volunteered to join the digs. He found the ring on the last day of his third dig.

Professor Noble says that what he was presented with was ‘truly remarkable’. “John was digging and then came over and said ‘look what I’ve found’. What he handed over was incredible,” he added.

“Even before the conservation work we could see it was something really exciting as despite more than a thousand years in the ground we could see glints of the possible garnet setting.

“There are very few Pictish rings which have ever been discovered and those we do know about usually come from hoards which were placed in the ground deliberately for safekeeping in some way. We certainly weren’t expecting to find something like this lying around the floor of what was once a house but that had appeared of low significance so, in typical fashion, we had left work on it until the final day of the dig.”

The ring is undergoing analysis by the National Museum of Scotland’s Post-excavation Service. They hope to narrow down its date and whether it was made at the fort for a prominent individual.

Professor Noble added: “We will now look at the ring, evidence of buildings and other artefacts to consider whether the ring was crafted on the site and who such an important piece of jewellery might have been made for.

“We have some other evidence of metalworking and the number of buildings we have uncovered is quite striking. This further indicator of the high-status production of metalwork adds to the growing evidence that Burghead was a really significant seat of power in the Pictish period.”



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James McAvoy: Extreme opinions are everywhere

The Scottish star explores toxic masculinity in Hollywood's remake of Danish horror Speak No Evil.

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James McAvoy: Extreme opinions are everywhere

The Scottish star explores toxic masculinity in Hollywood's remake of Danish horror Speak No Evil.

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Grohl admits fathering child outside of marriage

The Foo Fighters frontman posted an announcement on his Instagram page but has turned off comments.

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The Foo Fighters frontman posted an announcement on his Instagram page but has turned off comments.

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Why a Japanese Shogun Brutally Executed 55 Catholics on This Day in 1622, Driving the Country's Christians Underground

During the Great Genna Martyrdom, missionaries and laypeople alike were burned alive or beheaded. The violence coincided with Japan’s push to expel all foreign influences

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Obituary: From childhood stammer to the voice of Darth Vader

James Earl Jones was a successful actor who became known for voicing Star Wars villain Darth Vader.

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Obituary: From childhood stammer to the voice of Darth Vader

James Earl Jones was a successful actor who became known for voicing Star Wars villain Darth Vader.

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James Earl Jones, voice of Darth Vader, dies aged 93

Hollywood actor died on Monday morning surrounded by his family.

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Urartian shields, helmet found at Ayanis Castle

Three bronze shields and one bronze helmet have been discovered at the ancient Urartean fortress of Ayanis in eastern Turkey. They are approximately 2,700 years old and were found in the temple dedicated to Haldi, the god of war and chief god of the Urartian religion. The objects are in excellent condition, despite having been buried when an earthquake toppled the mudbrick walls of the temple in around 650 B.C.

The Urartu Kingdom ruled over parts of modern-day Turkey, Armenia, Iran and Iraq from the 9th century through the 6th century B.C. Ayanis Castle was built around 672 B.C. by Rusa II, the last powerful ruler of the kingdom. The fortress was constructed on a hill overlooking Lake Van 20 miles east of the Urartian capital Tushpa (modern-day Van). It was the last castle built by the Urartu Kingdom and it had a very short lifespan. Historical records indicate it was destroyed by an earthquake 20-25 years after it was built.

The Urartian ruling class dedicated shields, helmets and other bronze weapons to Haldi, and dozens have been found in the temple complex at Ayanis. Most of them were squashed and deformed in the collapse of the walls and the subsequent fires that ripped through the citadel, but the three shields and helmets found in this year’s excavation managed to avoid that fate. Archaeologists dug more than 20 feet deep to reach them on the floor of a room that archaeologists believe was used by a religious elite.

Two of the shields were stacked together with the helmet nested inside of the top shield. There are inscriptions that are currently obscured by soil. There is visible decoration on the helmet so it was likely a ceremonial piece rather than actual battle gear, but the full ornamentation will only be revealed after cleaning and conservation. There are some minor fractures on the objects that will be repaired in the conservation process.



* This article was originally published here

Jacqueline Wilson 'delighted to be viewed as gay icon' after coming out

The author's new book Think Again is the sequel to the Girls series and her first adult novel.

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Kendrick Lamar to headline Super Bowl half-time show

The Grammy-award winning musician said he wants to remind the world why rap music is the "most impactful genre to date".

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Speaking of Przeworsk culture warrior graves…

An interesting counterpart to yesterday’s post: an excavation of a Przeworsk culture cemetery in Kazimierza Wielka, 100 miles northeast of Glinka, has uncovered a warrior grave that contains not just the traditional iron weapons, but also an exceptionally rare Roman bronze urn (situla). Its type dates it to between the 1st century B.C. and the 2nd century A.D.

The vessel, classified as an Eggers 18 type, contains the cremated remains of the deceased. It features decorative dolphin-shaped fittings and is intact and in excellent condition. These were expensive imports from the Roman Empire and are exceptionally rare finds in Poland. Only seven have ever been found in the territory settled by the Przeworsk culture, and only four of those were used as cinerary urns.

The excavation uncovered weapons next to the urn: a sword, a shield boss and two spearheads. The were ritually bent and burned, consistent with the cremation practices of the Przeworsk culture as seen in the Glinka burials.

This Przeworsk cemetery is unusual for containing both cremation burials and whole-body inhumations. Cremations were the standard burial practice for the Przeworsk culture, but in this cemetery inhumations greatly outnumber cremations. Since excavations of the cemetery site began three years ago, archaeologists have unearthed four cremation burials, 23 inhumation burials and 12 quadrangular funerary monuments.

The inhumations are all oriented north-south with the heads facing south. The bodies were placed on their sides in a crouched position. The jewelry, clothing fragments and adornments found with the skeletal remains indicate most of the deceased were women. One of the inhumations unearthed in this year’s excavation contained the skeleton of a woman adorned with a double necklace with glass, stone and bronze beads, a belted pendant and bucket-shaped pendants made of bronze and iron. Two identical bronze brooches were also found, one at the sternum and one above the head. The style of the fibulae date the grave to the late 2nd century, the youngest objects discovered in the cemetery.

Some of the inhumed deceased had missing upper body bones while the rest of the skeleton was intact. This suggests the bones were deliberately removed in a previously-unknown practice involving the reopening of recent graves after the soft tissues had decayed and the removal of certain bones.



* This article was originally published here

Is the rock scene still a boys' club?

Slam Dunk festival was criticised for releasing a line-up with only two acts featuring women.

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Graves of Vandal warriors found in southern Poland

Two cremation burials of Vandal warriors have been unearthed at a previously-unknown archaeological site in the town of Glinka in southeastern Poland’s Świętokrzyskie Voivodeship. They contain the burned remains of iron weapons and armor. Based on the objects, the graves date to the late 3rd or 4th century A.D.

The graves were discovered by accident during agricultural work in a field. The landowner stumbled on an iron sword, shield boss and spearhead and alerted the Provincial Office for the Protection of Monuments who dispatched archaeologists and a licensed metal detectorist to survey the site. The metal detector located a second group of iron weapons, and the excavation revealed a sword, shield boss, spearhead and a pair of scissors. Fragments of burned clay vessels and burned bones were also found.

Traces of fire patina on all of the iron objects are evidence that the armaments were burned on a pyre with the clay pots and the body of the deceased. After the fire burned out, the remains placed in shallow pits. Both of the swords were deliberately bent before cremation, a ritual that “killed” the weapon, allowing the deceased to take it with him to the afterlife. The practice had the ancillary benefit of deterring looters who would desecrate the graves to steal the valuable swords.

The cremation burials in pit graves and bent swords indicate the deceased belonged to the Iron Age Przeworsk culture identified with the Germanic Vandal people. They occupied a large parts of modern-day southern and central Poland, but only a few of their warrior graves have been found in the Sandomierska Highlands area, making these two burials particularly significant.

Archaeological excavations are on hiatus now as crops have been sown on the field, but archaeologists will employ non-invasive methods like geophysical surveys to map the site in anticipation of a follow-up dig that they hope will reveal a whole Vandal cemetery from the Roman Imperial era.

The objects recovered from the two pit graves are now undergoing conservation. Several museums have expressed interest in exhibiting them when conservation is complete, including the Historical and Archaeological Museum in Ostrowiec and the Castle Museum in Sandomierz.



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'Looking like Nessa turned my life upside down'

Karyn Barrett, also known as Knock-off Nessa, says she has inside information on the fishing trip.

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Karyn Barrett, also known as Knock-off Nessa, says she has inside information on the fishing trip.

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एक्ट्रेस शशिरेखा, जिसकी सिरकटी लाश कूड़ेदान में मिली:सिर धड़ से अलग किया, 2 दिन लाश बाथरूम में रखी, जानिए कैसे प्रेग्नेंसी बनी मौत की वजह

आज अनसुनी दास्तान में हम आपको कहानी सुनाने जा रहे हैं साउथ एक्ट्रेस शशिरेखा की। हीरोइन बनने का ख्वाब देखने वालीं शशिरेखा मशहूर होना चाहती थीं। वो चाहती थीं कि हर किसी की जुबान पर उनका नाम हो। ऐसा हुआ भी, साल 2016 में हर तरफ शशिरेखा का जिक्र था, लेकिन किसी फिल्म के लिए नहीं बल्कि उनकी सिरकटी लाश मिलने से। साल 2016 की बात है, चेन्नई के पोलपक्कम के सुनसान इलाके में बने एक कूड़ेदान में चेन्नई पुलिस को एक सिरकटी लाश मिली। करीब एक महीने तक पुलिस ने जी-तोड़ कोशिश की, लेकिन लाश की पहचान सामने नहीं आ सकी। इस बीच साउथ एक्ट्रेस शशिरेखा के परिवार वाले उनसे संपर्क न हो पाने को लेकर चिंतित थे। जब शशिरेखा की कोई खबर नहीं मिली, तो परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई। जब उस मिसिंग कम्प्लेंट की डीटेल्स उस सिरकटी लाश से मिलाई गईं, तो सामने आया कि कूड़ेदान में मिली वो लाश किसी और की नहीं बल्कि एक्ट्रेस शशिरेखा की थी। डीटेल्स मैच होते ही पूरी साउथ इंडस्ट्री में सनसनी फैल गई। हर किसी का सवाल था कि आखिर एक हीरोइन के साथ ऐसी बर्बरता किसने की होगी। फिर कातिलों की तलाश के लिए शुरू हुई जांच में जो भयावह खुलासे हुए, वो कई मायनों में सिहरन पैदा कर देने वाले थे। आज अनसुनी दास्तानें के 3 चैप्टर्स में पढ़िए साउथ एक्ट्रेस शशिरेखा के कत्ल और चौंका देने वाले खुलासों की सिलसिलेवार कहानी- शशिरेखा तमिल सिनेमा की एक उभरती हुई कलाकार थीं। चंद छोटे-मोटे रोल के बाद उन्हें साल 2016 में रिलीज हुई तमिल फिल्म नालई मूढ़ल कुदिक्का मैटन में काम मिला था। शशिरेखा ने फिल्मों में आने के बाद एक बिजनेसमैन से शादी की थी। इस शादी से उन्हें एक बेटा था। हालांकि चंद सालों में ही ये शादी टूट गई और शशिरेखा अपनी फिल्मी दुनिया में व्यस्त हो गईं। वो तलाक के बाद चेन्नई के मडीपक्कन सबअर्बन इलाके में अपने परिजनों, दो बहनों और 8 साल के बेटे के साथ रहती थीं। लगातार फिल्मों में काम करते हुए एक रोज शशिरेखा की मुलाकात टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाने वाले शंकर से हुई। शंकर अपनी कंपनी के जरिए न्यूकमर्स को तमिल सिनेमा में काम दिलाया करते थे। काम के सिलसिले में हुई मुलाकात दोस्ती में तब्दील हो गई और समय के साथ दोनों एक-दूसरे को चाहने लगे। शशिरेखा की ही तरह शंकर भी पहले से शादीशुदा थे। हालांकि साल 2011 में आर्थिक तंगी के चलते उनकी पत्नी और उनके माता-पिता ने आत्महत्या कर ली थी। लगातार होती मुलाकातों के बीच शशिरेखा को शंकर में हमसफर दिखने लगा। चंद सालों तक रिलेशनशिप में रहने के बाद कपल ने साल 2015 के अगस्त में कोर्ट मैरिज कर ली। शादी के बाद शशिरेखा, शंकर के साथ मडिपाक्कम स्थित घर में शिफ्ट हो गईं। शंकर ने शशिरेखा के बेटे को भी अपने साथ ही रखा था। शशिरेखा और शंकर की शादीशुदा जिंदगी चंद महीनों में ही भयावह सपने में तब्दील हो गई। उनकी शादीशुदा जिंदगी में लवकिया की एंट्री हुई। 22 साल की लवकिया, केरल के एक छोटे शहर से साउथ सिनेमा में पहचान बनाने चेन्नई पहुंची थीं। काम की तलाश करते हुए उनकी मुलाकात 36 साल (2015 में) के शंकर से हुई, जो टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाता था। उसने लवकिया का फोटोशूट कर उनकी पोर्टफोलियो तैयार किया, जिसकी मदद से उन्हें कुछ फिल्मों में छोटे-मोटे रोल भी मिलने लगे। बीतते समय के साथ लवकिया और शंकर रिलेशनशिप में आ गए, जिसका सीधा असर शशिरेखा की शादीशुदा जिंदगी पर पड़ा। चंद महीनों में ही लवकिया के साथ रहने के लिए शंकर ने शशिरेखा को घर से निकाल दिया। परिवार टूटने से शशिरेखा दोबारा अपने परिवार के पास लौट गईं, लेकिन पति का ऐसा रवैया उनकी बर्दाश्त से बाहर था। वो आए दिन शंकर के घर के बाहर जाकर हंगामा करने लगीं। कई बार इस दौरान उनके बीच जमकर झगड़ा हुआ। कई मौकों पर ऐसा भी हुआ, जब शंकर की गैरमौजूदगी में शशिरेखा ने लवकिया से उनके घर जाकर झगड़ा किया। जब इन सबके बाद भी शंकर, शशिरेखा के साथ रहने के लिए राजी नहीं हुए, तो शशिरेखा ने नवंबर 2015 में मडिपक्कम पुलिस स्टेशन जाकर घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई और कई संगीन आरोप लगाए। शिकायत दर्ज किए जाने के बाद शशिरेखा और शंकर को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया था। काउंसलिंग में दोनों की जमकर बहस हुई, लेकिन समझाइश के बाद आखिरकार शंकर, शशिरेखा के साथ रहने के लिए राजी हो गए। दोनों ने साथ रहने के लिए कुंद्राथुर इलाके के पास स्थित मदनंदपरुम में किराए का घर लिया था। शशिरेखा की शादीशुदा जिंदगी पटरी पर आ ही रही थी कि एक रोज शूटिंग के लिए निकलीं शशिरेखा घर ही नहीं लौटीं। शंकर, जो पहले ही उनसे अलग होने का फैसला कर बैठा था, उसे इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि वो कहां गईं। हालांकि जब कई दिनों तक शशिरेखा से संपर्क नहीं हो पाया, तो वो चिंतित होने लगे। करीब एक महीने बाद चेन्नई के बाहरी इलाके में स्थित रामापुरम, आईटी पार्क के पास स्थित कूड़ेदान में एक सिरकटी लाश मिली। लाश का सिर नहीं था, जिससे पुलिस लाश की पहचान नहीं कर सकी। कई अखबारों और मुखबिरों को इसकी सूचना दी गई, लेकिन नतीजे शून्य रहे। इसी बीच शशिरेखा को ढूंढते हुए उनके परिजन, शंकर के घर पहुंचे। शंकर ने परिजनों के सवालों से पल्ला झाड़ लिया, जिससे परिवार वाले और दुविधा में आ गए। आखिरकार बेटी शशिरेखा की तलाश में उनके परिजन ने मदिकापक्कम पुलिस स्टेशन में उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई। मिसिंग कम्प्लेंट होने के बाद जब पुलिस ने उसकी डीटेल्स चेन्नई के बाहरी इलाके में मिली लाश से मिलाईं, तो सामने आया कि वो लाश शशिरेखा की ही थी। शव की पहचान होने के बाद पुलिस का पहला शक उनके पति शंकर पर गया, क्योंकि मौत से चंद दिनों पहले ही उन्होंने शंकर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। जब पुलिस ने शंकर की तलाश शुरू की तो वो अपने पते पर नहीं मिला। उसकी तलाश के लिए मुखबिरों की मदद ली गई। आखिरकार उनकी निशानदेही पर शंकर को शोलिनगनाल्लुर के एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान अपार्टमेंट में उसके साथ एक महिला भी मौजूद थी, जिसे वो अपनी बहन बता रहा था। सबसे पहले शशिरेखा के पति शंकर से पूछताछ शुरू हुई। शंकर ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि शशिरेखा जनवरी में एक रोज शूटिंग के लिए कहकर घर से निकली थीं, लेकिन फिर वो लौटी ही नहीं। शादीशुदा जिंदगी में पहले ही दरार होने के चलते उन्होंने शशिरेखा को ये सोचकर ढूंढने की कोशिश नहीं की कि शायद वो अपने परिवार के पास लौट गई होंगी। जब शंकर से सख्ती से पूछताछ की गई, तो कई चौंका देने वाले खुलासे हुए। शंकर ने पुलिस को बताया कि नवंबर 2015 में शशिरेखा ने उनके खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई थी। केस खत्म करने और पुलिस की समझाइश पर वो शशिरेखा को साथ रखने के लिए राजी हुए थे। कुछ समय बाद उन्होंने शशिरेखा को इस बात के लिए राजी कर लिया कि वो उनके साथ-साथ एक ही घर में अपनी गर्लफ्रेंड लवकिया को भी रखेंगे। कुछ समय तक तीनों एक ही घर में रहे थे। हालांकि तीनों के बीच लगातार अनबन हो रही थी। शशिरेखा नहीं चाहती थीं कि शंकर, गर्लफ्रेंड लवकिया के साथ रिश्ता रखें। इसी बीच शशिरेखा प्रेग्नेंट हो गईं। जब ये बात शंकर और उनकी गर्लफ्रेंड को पता चली तो दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए, क्योंकि शंकर ने गर्लफ्रेंड से कह रखा था कि वो शशिरेखा को अपनी पत्नी नहीं मानता। शंकर के गर्लफ्रेंड से झगड़े बढ़ने लगे तो वो इस बात का गुस्सा शशिरेखा पर निकालते हुए उनके साथ अकसर मारपीट करने लगा। 4 जनवरी 2016 रोज की तरह शशिरेखा, शंकर से उनके अफेयर को लेकर झगड़ा कर रही थीं। इसी बात पर बहस इतनी बढ़ गई कि उन्होंने शशिरेखा को बेरहमी से पीटा। मारपीट के दौरान शंकर ने उनके सिर पर जोरदार हमला किया, जिससे वो बेहोश हो गईं। इसके बाद शंकर ने पूरे होशो-हवास में उनका गला घोंटकर हत्या कर दी। इस हत्या के दौरान शशिरेखा की गर्लफ्रेंड लवकिया भी मौजूद थीं। लवकिया की मदद से शंकर ने शशिरेखा का सिर, धड़ से अलग कर दिया। उन्होंने शशिरेखा का धड़ घर की एक चादर में लपेटा और उसे बाथरूम में छिपा दिया। शशिरेखा की मौत के कुछ घंटों बाद दोनों मौका पाते ही उनका सिर लेकर घर से निकले, जिसे उन्होंने कुंद्राथुर की नहर में फेंक दिया। बाद में उसका धड़ कूड़ेदान में फेंक दिया। शंकर की निशानदेही पर पुलिस ने लंबे संघर्ष के बाद शशिरेखा का सिर नहर से बरामद किया। जांच के दौरान पुलिस को शंकर से जुड़ी कई चौंका देने वाली जानकारियां मिलीं। टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी की आड़ में शंकर लड़कियों से फेवर मांगा करता था। वो फोटोशूट और पोर्टफोलियो बनाने के नाम पर लड़कियों की तस्वीरें क्लिक करवाता था, जिसे वो गलत काम में इस्तेमाल किया करता था। उसने कई लड़कियों को तस्वीरों का गलत इस्तेमाल करने की धमकियां देते हुए ब्लैकमेल किया था। साल 2011 में शंकर के परिजनों और पहली पत्नी के आत्महत्या मामले में भी शंकर को संदिग्ध माना गया। आरोप थे कि या तो उसने उनकी हत्या कर दी, जिसे उसने आत्महत्या का रूप दिया या फिर उसने उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया। शशिरेखा से उसका रिश्ता भी काम दिलाने के वादे से ही शुरू हुआ था, हालांकि उसने कभी शशिरेखा की मदद नहीं की। दर्ज की गई शिकायत में शशिरेखा ने ये भी कहा था कि फिल्मों में काम दिलाने के नाम पर शंकर ने उनसे लाखों रुपए ठगे हैं और उनके बेटे को किडनैप किया है। इसी तरह उसकी 14 साल छोटी गर्लफ्रेंड लवकिया भी काम मिलने के भरोसे के चलते ही उसके साथ रह रही थीं। रमेश और उनकी गर्लफ्रेंड हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं।

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6th c. gold coins found in 10th c. house in Bulgaria

An excavation of a medieval house in the northern Bulgarian village of Debnevo has uncovered five gold coins from the reign of Byzantine emperor Justinian the Great (r. 527-565 A.D.). The dwelling dates to the 10th century, so the coins were already 400 years old when the house was occupied and may have been prized heirlooms or recent discoveries made during the construction of the dwelling.

Excavations at Debnevo over the past five years have found the remains of a 4th-3rd century B.C. settlement and evidence that it was still occupied from the 4th to the 6th centuries A.D. The village was next to a fortress built in the early 5th century when the area was part of the Byzantine Empire.

The medieval home was built over the remains of a Byzantine building. It was abandoned in the 10th century after a fire damaged it beyond recovery. The occupants left many belongings behind, including two iron sickles and axes, ceramic vessels, three bronze rings. Archaeologists found the five coins on the floor of the home.

All five coins are of the same type: a “tremissis” — a small gold coin worth one-third of a “solidus” — that depicts the emperor wearing a pearl diadem on the front, while the back depicts the personification of Victory holding a wreath in her right hand and a cross and globe in her left. The inscription on the front reads “Our Lord Justinian Perpetual Augustus,” a reference to the first Roman emperor, whose name was later used to refer to all emperors, while the back reads “Victory of the Augusts.” Two of the coins, likely burned in the fire that destroyed the house, are stuck together.

Archaeologists hypothesize that the builders of the home found the coins when construction work churned up the early Byzantine remains under the new dwelling.



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नेहा को पेरेंट्स से मिली स्वच्छ काम करने की सलाह:मिर्जापुर 3 में इंटीमेट सीन से घबराई, मां ने कहा- सभी तो कर रहे

जी टीवी के ‘रामायण’ में सीता और ‘यशोमति मैया के नन्दलाला’ में यशोदा का किरदार निभा चुकी टीवी एक्ट्रेस नेहा सरगम को मिर्जापुर की सलोनी भाभी के रूप में खूब लोकप्रियता मिली है। जब इस सीरीज में नेहा को काम करने का ऑफर मिला तो उनके पेरेंट्स ने स्वच्छ काम करने की सलाह दी थी। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि सीजन 3 में इंटीमेट सीन है तो खूब रोई। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान नेहा ने बताया कि एक्टिंग में कोई उनकी दिलचस्पी ही नहीं थी। वो सिंगिंग में अपनी किस्मत आजमाना चाहती थी। आइए जानते हैं कि बातचीत के दौरान नेहा सरगम ने सवाल जवाब के दौरान और क्या कहा..... अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं? मैं म्यूजिकल फैमिली हूं। मेरे नाना पद्मश्री सियाराम तिवारी जी मुझे गोद में बिठाकर गाते थे। उनके साथ मैं भी गाती थी। मैं तीन साल की उम्र से गा रही हूं। नाना जी घर में बहुत ही साधारण तरीके से रहते थे। हमें कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वो कितनी बड़ी शख्सियत हैं। नाना जी नेपाल नरेश, प्रेसीडेंट और प्राइम मिनिस्टर से मिलकर आते थे फिर भी मैंने उनको साधारण ही देखा। नाना जी बाबू जी कहते थे क्योंकि मां से यही सुनते आए थे। स्कूल के कार्यक्रम गाती रहती थी तो वहां बहुत ही रिस्पेक्ट मिलती थी। सुना है कि दोस्तों ने आपका नाम इंडियन आइडल में जबरदस्ती रजिस्टर्ड करवा दिया था? जब इंडियन आइडल का पहला सीजन शुरू हुआ था। घर वालों ने सलाह दी थी कि जाना चाहिए। पहले सीजन में वोटिंग राउंड तक ही पहुंच पाई थी। वह टेलिकास्ट नहीं हुआ था। मुझे रिएल्टी शोज और कंपटीशन पसंद नहीं थे। मैं दोबारा इंडियन आइडल में भाग नहीं लेना चाहती थी। सीजन 4 में दोस्तों ने जबरदस्ती नाम रजिस्टर्ड करवा दिया। लेकिन जाने से पहले एक्सीडेंट हो गया था। फिर भी मैंने भाग लिया था। इसका ऑडिशन काफी वायरल हुआ था। इसी वायरल ऑडिशन की वजह से एक्टिंग में आपको पहला मौका राजन शाही के सीरियल ‘चांद छुपा बादल में’ मिला? इस सीरियल की कास्टिंग टीम ने पहले किसी और शो के लिए ऑडिशन लिया था। उस ऑडिशन को राजन शाही ने देखा था। उन्हें लगा कि निवेदिता की भूमिका के लिए मैं परफेक्ट हूं। तब तक मैंने एक्टिंग के बारे में नहीं सोचा था। मुझे लग रहा था कि एक्टिंग नहीं कर पाऊंगी। राजन शाही ने मेरे पेरेंट्स से बात की। मैं मम्मी के साथ मुंबई आ गई। ऑडिशन दिया और ‘चांद छुपा बादल में’ के लिए सिलेक्ट हो गई। पहले दिन की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा? सीरियल की शूटिंग शिमला से शुरू हुई थी। पहले दिन का शॉट मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था। सीन में दिखाया गया है कि छोटे भाई को मार्क्स कम मिले हैं और वो घर छोड़कर भाग गया है। उसे पूरे शिमला में मुझे ढूंढना है। उस समय लग रहा था कि कहां आकार फंस गई। टीवी में काम करना बहुत ही मुश्किल होता है। अपनी पर्सनल लाइफ भूल जाते हैं। इसके बाद तो अपने बहुत सारे फिक्शन और रिलीजियस शो किए। दोनों में क्या फर्क होता है? रिलीजियस और हिस्टोरिकल शो की कास्टिंग बहुत मुश्किल होती है। इसके लिए इंसान को अच्छा दिखने के साथ-साथ डायलॉग डिलीवरी भी अच्छी होनी चाहिए। इसके अलावा रिलीजियस और हिस्टोरिकल शो के बारे में जानकारी भी होनी चाहिए। इसके बारे में मुझे कास्टिंग वालों ने बहुत पहले ही बता दिए थे। टीवी करते समय सबसे ज्यादा चैलेंजिंग क्या था? सबसे ज्यादा चैलेंजिंग होता है कि नींद कैसे पूरी हो। इसके लिए प्रोडक्शन वालों से लड़ना भी पड़ता है। मैं यही चाहती थी कि किसी तरह से आठ घंटे की नींद पूरी हो जाए। मिर्जापुर सीरीज में काम करने का मौका कैसे मिला? मैं एक म्यूजिकल शो ‘मुगल- ए-आजम’ करती हूं। इसमें मैं अनारकली का किरदार निभाती हूं। इस शो को देखकर कास्टिंग डायरेक्टर ने मेरी कास्टिंग की थी। इस शो को फिरोज अब्बास खान डायरेक्ट करते हैं। एक बार इस शो को देखने रेखा जी आईं थीं। उन्होंने कहा था कि अपने फैन के लिस्ट में सबसे ऊपर मेरा नाम लिख लेना। पहले मुझे मिर्जापुर के लिए माधुरी के किरदार के लिए बुलाया गया था। उसके बाद मुझे सलोनी की भूमिका के लिए कास्ट किया गया। जब ‘मिर्जापुर’ में आपकी कास्टिंग हुई तो पेरेंट्स के क्या रिएक्शन थे? मैंने इस सीरीज का पहला सीजन मम्मी को दिखाया था। वो बोलीं कि बड़ी आसानी से गाली दे रहे हैं। जब मैंने पेरेंट्स को बताया था कि इसमे काम करने का ऑफर मिला है। उनका यही सुझाव था कि शो वालों को बोल दो कि तुमसे स्वच्छ काम करवाए। जब मेरी क्रिएटिव टीम से मीटिंग हुई उनको पेरेंट्स की बात बताई तो उन्होंने कहा कि मेरा प्रॉमिस है कि सीजन 2 में आप का ऐसा कुछ नहीं है, स्वच्छ ही रहेगा। लेकिन जब सीजन 3 में इंटीमेट सीन के बारे में बताया गया तब क्या रिएक्शन था? मैं शॉक्ड थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था। मैं उन्हें पहले ही बता चुकी थी कि इस तरह के सीन नहीं कर पाऊंगी। मैंने स्क्रिप्ट बहन को पढ़ने के लिए दी। उसने कहा कि तुम यह कैसे करोगी? मैं रोने लगी। मम्मी ने समझाया कि सभी तो आजकल ऐसा ही कर रहे हैं। लेकिन यह सीन करते वक्त मैं बहुत नर्वस थी। ऐसा लोगों को क्यों लगता है कि टीवी का टैग फिल्म और ओटीटी के लिए सही नहीं है? जो लोग कास्टिंग करते हैं, उनको रिक्वायरमेंट ही ऐसी दी जाती है कि कैसी लड़की चाहिए। लोग ऐसा नहीं सोचते हैं कि किसी और को ट्राई करना चाहिए। वेब सीरीज में एक ही चेहरा हर जगह होता है। टीवी और फिल्म में भी ऐसा ही होता है। अगर कोई एक्टर कॉमेडी कर रहा है तो उसको उसी रोल में कास्ट करते रहेंगे। लोगों मे दिमाग में ऐसी बातें बैठ जाती हैं कि वो उसी तरह का रोल कर सकता है। इस वजह से लोग रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। आपकी जर्नी की सबसे खूबसूरत कौन सी बात है? मैं कभी भी सक्सेस और फेलियर से विचलित नहीं होती हूं। एक्टर का मतलब ही स्ट्रगल होता है। हर कोई स्ट्रगल कर रहा है। भले ही कितना ऊपर क्यों ना पहुंच जाए। सक्सेस और फेलियर के बीच कभी भी गलत चक्करों में नहीं पड़ती हूं। मेरे दिमाग और जिंदगी में एक बात बहुत ही स्पष्ट है कि मेरी जरूरतें बहुत ही साधरण हैं। कभी कोई शॉकिंग एक्सपीरियंस रहा है? ऐसा कोई एक्सपीरियंस तो नहीं रहा है। अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो यह इंडस्ट्री बहुत ही सुरक्षित है। मुझे ऐसा लगता है कि बाहरी दुनिया से ज्यादा मैं इंडस्ट्री में खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं। यहां के लोग बहुत ही प्रोफेशनल हैं। आपके लिए सबसे बड़ा स्ट्रगल क्या रहा है? जो काम सामने से आता था। अगर मुझे सहीं नहीं लगता था तो उसमें काम करने से मना कर देती हूं। यह मेरे लिए सबसे बड़ा स्ट्रगल रहा है। आपका कोई ड्रीम रोल है? यह समय के अनुसार बदलता रहता है। एक समय मुझे लगता था कि डॉक्टर का रोल करना है। मुझे लगता है कि डॉक्टर के रोल में अच्छी दिखूंगी। लेकिन अभी सोचती हूं कि इंवेस्टिगेटिव वाले रोल करूं। लेकिन क्यों, मुझे पता नहीं है।

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डायरेक्टर बोला- प्रोड्यूसर और को-एक्टर के साथ कॉम्प्रोमाइज करिए:आर्टिस्ट बनने आई विदेशी महिला का दर्द; मुंह खोलने पर ब्लैकलिस्ट होने का डर

भारत में काम कर रहीं पोलैंड बेस्ड एक्ट्रेस योआना अश्का केरल में पढ़ाई करने आई थीं। वहां उन्हें फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। हालांकि डायरेक्टर ने कुछ ऐसा कह दिया जिससे उनके सपने टूट गए। डायरेक्टर ने कहा- मैं आपके साथ फिल्म करने को लेकर बहुत एक्साइटेड हूं। मुझे तो आपसे कुछ नहीं चाहिए, लेकिन प्रोड्यूसर और को-एक्टर की कुछ अलग डिमांड हैं। क्या आप उनके साथ कॉम्प्रोमाइज कर सकती हैं? डायरेक्टर की बात सुनते ही योआना सकपका गईं। योआना ने बताया, 'वैसे तो मैं यहां पढ़ाई करने आई थी, लेकिन फिल्मों में भी हाथ आजमाना चाहती थी। जब डायरेक्टर ने मुझसे वो बात कही तो ऐसा लगा कि मेरे सारे सपने क्षण भर में टूट गए।' योआना के साथ जो हुआ, वो पहला मामला नहीं है। ऐसी बहुत सारी घटनाएं रोज होती हैं, लेकिन इसके बारे में हमें पता नहीं चल पाता। बॉलीवुड में काम कर रहे विदेशी कलाकारों के हितों की सुरक्षा के लिए कोई एसोसिएशन या संगठन एक्टिव नहीं है। यहां पर कितने विदेशी काम कर रहे हैं, उसका भी कोई डेटा नहीं है। गिनती के कुछ नाम छोड़ दें, तो विदेश से आए कलाकार गुमनामी में खो जाते हैं। इंडस्ट्री में काम न मिलने पर कोई क्लब बार में काम करने लगता है, तो कोई चीयरलीडर बन जाता है। कई बार इनसे कॉम्प्रोमाइज करने को भी कहा जाता है। कभी-कभी पैसों की कमी की वजह से कुछ विदेशी लड़कियां देह व्यापार जैसे दलदल में भी फंस जाती हैं। योआना ने कहा- साथ काम करने वाली रशियन लड़कियों के साथ ज्यादा गलत हुआ योआना ने आगे कहा, ‘मेरे साथ काम करने वाली कई रशियन जूनियर लड़कियों के साथ तो और भी गलत हुआ है। दरअसल, उनके पास वर्किंग वीजा नहीं था। वे गैरकानूनी रूप से यहां काम कर रही थीं। उन्हें प्रोडक्शन हाउसेस और को-ऑर्डिनेटर्स की तरफ से बार-बार परेशान किया जाता था। उनसे कहा जाता है कि आपके पास वर्किंग वीजा नहीं है, इसलिए जो कहा जा रहा है, वो करिए। कानूनी पचड़े में न फंसना पड़े, इसलिए वे समझौते के लिए तैयार हो गईं।’ कॉन्ट्रैक्ट में मनमानी बातें लिखी होती हैं जब योआना यहां आईं तो एक टैलेंट एजेंसी ने उनसे गलत कॉन्ट्रैक्ट साइन कराने की कोशिश की, लेकिन वे बच निकलीं। योआना ने कहा, ‘कॉन्ट्रैक्ट पेपर में लिखा था कि भले ही आपने पूरे महीने काम किया हो, लेकिन एजेंसी के पास यह अधिकार है कि वो चाहे तो एक रुपए भी पेमेंट नहीं करेगी।’ मुंबई का गिरोह विदेशी लोगों को फिल्म इंडस्ट्री में सप्लाई करता है फिल्म इंडस्ट्री में विदेशी लोगों के सप्लाई पर सिने वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता कहते हैं, ‘सरकार द्वारा संचालित फिल्म सिटी में एक साधारण इंसान की एंट्री के लिए भी पहचान पत्र लगता है, लेकिन धड़ल्ले से विदेशी लोग घुस जाते हैं, इसकी किसी को खोज खबर नहीं है। मुंबई में कुछ गिरोह हैं, जो विदेशी लोगों की सप्लाई करते हैं। ये गिरोह प्रोडक्शन कंपनी से एक व्यक्ति के ऊपर 80 हजार से एक लाख रुपए लेते हैं, लेकिन काम खत्म होने के बाद कलाकार को 5 से 6 हजार में निपटा देते हैं, बाकी सारा पैसा खुद हजम कर जाते हैं।’ एक्ट्रेस बनने आईं विदेशी लड़कियों से गलत काम करवाए जाते हैं विदेशी लड़कियां एक्ट्रेस बनने के सपने लेकर भारत आती हैं, लेकिन यहां आने के बाद उनका शोषण शुरू हो जाता है। सुरेश ने कहा, ‘100 में एक लड़की को ही अच्छा मुकाम मिल पाता है, बाकी 99 को शोषण से गुजरना पड़ता है। उनसे गलत काम करवाए जाते हैं। वे आवाज भी नहीं उठा पातीं, क्योंकि उन्हें ब्लैकलिस्ट होने का डर होता है। ब्लैकलिस्ट होने पर उन्हें कहीं भी काम नहीं मिलता। उन्हें वापस अपने देश जाने की नौबत आन पड़ती है। कुछ के पास इतने भी पैसे नहीं होते कि वापस जा सकें, इसलिए मजबूरी में शोषण सहना ही पड़ता है।’ 10 लोगों का वीजा दिखाकर 100 लोगों से काम कराया जाता है, करण जौहर की प्रोडक्शन कंपनी भी शामिल सुरेश ने आगे कहा, ‘करण जौहर की धर्मा कंपनी समेत कई प्रोडक्शन हाउस भी गैरकानूनी रूप से विदेशी लोगों से काम निकलवाते हैं। यह 10 लोगों का वर्क वीजा दिखाकर 100 लोगों से काम कराते हैं। बड़े प्रोडक्शन हाउस वाले बिना पैसों के यहां के वर्कर्स से 16-16 घंटे काम कराते हैं, फिर फॉरेनर्स को कैसे छोड़ेंगे?’ क्रिमिनल लॉयर ने कहा- मेरे पास विदेशी आर्टिस्ट के शोषण के कई केस आए इस मसले में हमने मुंबई बेस्ड एक लॉयर अरबाज पठान से बात की। उन्होंने भी माना कि बॉलीवुड में विदेशी कलाकारों का शोषण होता है। उनके पास ऐसे कई केस भी आ चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘विदेशी कलाकारों को झूठे वादे कर यहां बुलाया जाता है। उन्हें एक-दो फिल्मों में काम भी दिया जाता है, लेकिन असल खेल बाद में शुरू होता है। उन्हें एक फिल्म के एहसान तले दबा दिया जाता है। फिर अगली फिल्म में काम देने के बहाने कई शर्तें रखी जाती हैं। मेरे पास ऐसे कई सारे विक्टिम आ चुके हैं। इनमें मुख्य रूप से लड़कियां ज्यादा पीड़ित होती हैं। इतना ही नहीं, कई बार तो उन्हें मुंबई और गोवा में रेव पार्टियों में देह व्यापार के लिए भेजा जाता है, वहां ड्रग्स पार्टीज भी होती हैं।’ मॉडलिंग एजेंसियां कॉन्ट्रैक्ट साइन कराकर फंसाती हैं लॉयर अरबाज ने बताया कि विदेशी आर्टिस्ट को सबसे ज्यादा ठगने का काम मॉडलिंग एजेंसियां करती हैं। उन्होंने कहा, ‘मॉडलिंग एजेंसियां विदेशी आर्टिस्ट से झूठे वादे करती हैं कि सुपर मॉडल बना देंगे, फिल्मों में बड़ा रोल देंगे। उनसे कहा जाता है कि अगर वे कुछ खास लोगों के संपर्क में रहेंगे और इंटरैक्टिव रहेंगे, तो उन्हें और काम मिलेगा, वे फेमस हो जाएंगे। इस तरह के सपने दिखाकर उनसे 2-3 साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन करा लेते हैं। इस साजिश के तहत आर्टिस्ट पूरी तरह उनके चंगुल में फंस जाता है। जब वो कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने की बात करता है, तो उससे पैसों की डिमांड की जाती है। आर्टिस्ट के पास कोई चारा नहीं होता।’ पुलिस से भी मदद मिलने में देरी होती है फिल्म भागम भाग, फर्रे और क्योंकि सास भी कभी बहू थी सहित कई फिल्मों और टेलीविजन शोज का हिस्सा रह चुके विदेशी एक्टर रीक ने कहा, ‘भारतीय कलाकारों की तरह हमारे लिए भी कोई एसोसिएशन होनी चाहिए। जब हम किसी प्रॉब्लम में फंसते हैं, तो हमारी सुरक्षा करने वाला कोई नहीं होता। हम पुलिस के पास भी नहीं जा पाते। उन्हें समझाने में हमारा बहुत टाइम जाता है। लैंग्वेज बैरियर की वजह से न हम उन्हें अपनी बात समझा पाते हैं और न ही वे समझ पाते हैं। साथ ही पैसे भी बहुत खर्च होते हैं। इसलिए हम कोशिश यही करते हैं कि जिनसे हमारा विवाद है, उन्हीं से अनुरोध करें।’ भारत में काम करने के लिए यहां के ट्रेडिशन को समझना जरूरी टैलेंट मैनेजर रचना पुरी ने बताया कि जो विदेशी कलाकार भारत में सिर्फ पैसा कमाने की नीयत से आते हैं, उनका नुकसान हो जाता है। उन्होंने कहा, ‘जिनके अंदर भारतीय कला और संस्कृति के प्रति लगाव होता है, वही यहां सफल हो पाते हैं। उन्हें ही शोहरत मिल पाती है। विदेशी कलाकारों को भारत में काम करने से पहले यहां के तौर तरीकों को सीखना चाहिए। एक बार वो यहां के ट्रेडिशन समझ गए, फिर उन्हें काम मिलने में दिक्कतें नहीं आती हैं। साथ ही इंडिया आने के बाद उन्हें एक सपोर्ट सिस्टम खोजना चाहिए। सपोर्ट न मिलने पर लोग फायदा उठाने में देर नहीं करेंगे। विदेशी आर्टिस्ट के अंदर टैलेंट कूट-कूट कर भरा होना चाहिए, वर्ना यहां उनके काम को हल्का मान लिया जाएगा, जिससे आगे नुकसान होगा। दूसरा, उनके पास वर्क वीजा बिल्कुल होना चाहिए। अगर गैरकानूनी रूप से काम करेंगे तो हर मोड़ पर उनका शोषण ही होगा।' *** ये स्टोरीज भी पढ़ें.. 1- मलयालम सिनेमा में औरतों के शोषण के 17 तरीके:हेमा कमेटी की रिपोर्ट- सेक्शुअल डिमांड पूरी नहीं की तो टॉर्चर, टॉयलेट जाने पर भी रोक 2- भास्कर एक्सक्लूसिव- मोबाइल ऐप पर हाउसफुल: एक्टर-प्रोड्यूसर पूरा थिएटर बुक कर लेते हैं; कॉर्पोरेट बुकिंग का गोरखधंधा फिल्म इंडस्ट्री में आम

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Indie band English Teacher win Mercury Prize

The Leeds band are the first act from outside London to win the prize for a decade.

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Stolen double portrait of Rubens, Van Dyck returns to Chatworth

A rare double portrait of Peter Paul Rubens and Anthony Van Dyck stolen in 1979 has returned to Chatsworth House, the stately home of the dukes of Devonshire. It suffered some damage during its long ordeal — minor paint loss, nicotine staining, panel separation. After cleaning and conservation, the portrait is now back on display at Chatsworth.

The oil-on-panel painting by Flemish artist Erasmus Quellinus II is an unusual grisaille painting featuring two medallion busts of Peter Paul Rubens and Anthony Van Dyck. Each portrait is set in an elaborate frame surrounded by symbolic figures with the artists’ coat of arms underneath their busts.

The rare double portrait is all the more rare for having been made specifically as a preparatory study for a print by Flemish engraver Paulus Pontius (Paulus Du Pont). It was never meant to be hung on a wall in its own right. Pontius had been the principle engraver in the workshop of Peter Paul Rubens, making meticulously detailed reproductions of the master’s designs with a particular focus on portraits of the monarchs and officials of the Spanish Netherlands.

Rubens died in 1640, and Pontius continued to make print reproductions of works by other luminaries of the era, most notably Anthony Van Dyck. This combination of portraits of his most popular artists was destined to become one of his most beloved prints. Surviving examples today are in the collections of top museums including London’s National Portrait Gallery, the National Gallery of Art in Washington, D.C., the Art Institute of Chicago and the Rijksmuseum.

The painting was stolen on May 26, 1970, in a smash-and-grab when it was on loan to the Towner Gallery in Eastbourne for an exhibition dedicated to Anthony Van Dyck. It was the only thing stolen, which was an odd choice, to say the least, given that original drawings by Van Dyck were on display in the exhibition and they are worth literal millions. I guess the master’s oeuvre must have looked less impressive to untutored smash-and-grabbers.

Police investigated but found nothing. It disappeared without a trace until December of 2020 when it was spotted by Dr Bert Schepers, a Belgian specialist in Flemish art, at a small auction house in Toulon, France. He recognized it as the stolen piece and reported it to the Trustees of Chatsworth House. They in turn reached out to the Art Loss Register for help in recovering the work.

The auction house withdrew the lot and the sellers had no idea of its history. They had found the painting in their deceased parents’ home in Eastbourne which had been occupied by squatters around the time of the theft. They kept the painting for sentimental reasons, thinking it had belonged to their late parents, finally deciding to sell it 40 years later. The sellers agreed to return it to Chatsworth, receiving only a small finder’s fee which they donated to charity.

This video recounts the story of the theft, recovery and conservation.



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Secret relationship shaped singer's award-winning film

Kim Carnie was in the same-sex relationship for six years before opening up to friends and family.

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Kim Carnie was in the same-sex relationship for six years before opening up to friends and family.

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Oasis hit out at Ticketmaster's dynamic pricing after backlash

The band say decisions on pricing were left "entirely to their promoters and management".

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Spotify wins case over 'billions' of Eminem streams

The ruling comes even though Spotify did not obtain the correct licences to stream the star's music.

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‘Outposts of Diplomacy’ by G. R. Berridge review

‘Outposts of Diplomacy’ by G. R. Berridge review JamesHoare

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