headlines

    02:41 AM

WHAT’S HOT NOW

GOPAL KRISHNA SAD SONGS 003

GOPAL KRISHNA SAD SONGS 002

GOPAL KRISHNA SAD SONGS 001

ಗುರುವಾರ ಕೇಳಿ ಶ್ರೀ ರಾಘವೇಂದ್ರ ರಕ್ಷಾ ಮಂತ್ರ

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

» » » महेश भट्ट ने 76 की उम्र में शुरू किया पॉडकास्ट:बोले- गोद में पड़ी बेटी ने मुंह फेरा, तो शराब छोड़ी, एडिक्शन पर चर्चा जरूरी
SGK ADVERTISING ADDA

बॉलीवुड के दिग्गज फिल्ममेकर महेश भट्ट आज अपना 76वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। उन्होंने अपने करियर में आशिकी, सारांश और सड़क जैसी कई हिट फिल्में बनाईं। महेश भट्ट का व्यक्तिगत जीवन भी काफी चर्चित रहा है। उन्होंने अपने जन्मदिन पर दैनिक भास्कर को खास इंटरव्यू दिया है। इसमें उन्होंने अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर काफी कुछ बोला। भट्ट ने बताया कि वे एक पॉडकास्ट शुरू कर रहे हैं, जिसमें वे उन लोगों से बातें करेंगे, जिन्हें अपने जीवन में किसी न किसी एक चीज का एडिक्शन है। इस पॉडकास्ट को इमरान जाहिद प्रोड्यूस कर रहे हैं। सवाल- भट्ट साहब पहले तो जन्मदिन की बहुत- बहुत बधाई। आप एक पॉडकास्ट शुरू कर रहे हैं। उसके बारे में कुछ बताएं? जवाब- मैं जन्मदिन मनाने की प्रथा को ज्यादा अहमियत नहीं देता हूं। यह दूसरों के लिए खुशी की बात हो सकती है, लेकिन मेरे लिए नहीं। रही बात आपके सवाल की तो मैं ‘मैंने दिल से कहा’ नाम से एक पॉडकास्ट शुरू कर रहा हूं। हम सभी अपनी निजी जिंदगी में किसी न किसी अंधेरे से जूझ रहे होते हैं। मैं भी शराब सहित कई सारे एडिक्शन से गुजर चुका हूं। आपको बता दूं कि एडिक्शन किसी भी चीज का हो सकता है। मैंने 38 साल से शराब की एक बूंद भी नहीं पी है। हम उस रास्ते से गुजर चुके हैं, इसलिए उस चीज को समझ सकते हैं। सवाल- पॉडकास्ट में किस तरह के गेस्ट शामिल होंगे? जवाब- जो लोग अपनी जिंदगी के बारे में खुलकर बोलते हैं और समझते हैं, उन्हें इस शो में बुलाया जाएगा। जरूरी नहीं कि वो एंटरटेनमेंट, स्पोर्ट्स या फिर कॉर्पोरेट की दुनिया से हों। वो किसी भी फील्ड से हो सकते हैं। सवाल- 38 साल तक आपने शराब को हाथ नहीं लगाया। वैसे ये आदत लगी कैसे थी और अचानक छोड़ कैसे दिया? जवाब- अक्सर नाकाम आदमी ही शराब पीता है। शुरू में सस्ती ब्रांड का शराब पीता है। जब कामयाब हो जाता है तो महंगी ब्रांड खरीदने लगता है। शराब की लत कैसे छूटी, इसके पीछे एक कहानी है। मेरी छोटी बेटी शाहीन पैदा हुई थी। उसके जन्म के समय मैं बहुत खुश था। लगातार दो दिन से पी रहा था। एक दिन मैंने उसे अपनी गोद में लिया तो उसने मुंह फेर लिया। उस समय महसूस हुआ कि कुदरत कह रही है कि यह जहर अब छोड़ देना चाहिए। उस दिन के बाद से मैंने एक बूंद भी शराब नहीं पी। सवाल- आपने कड़ी मेहनत से हाथ की लकीरें बदल डालीं और खुद किस्मत लिखी, लेकिन जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या बातें याद आती हैं? जवाब- कुछ अजनबी लोग आए जिन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया। उनसे बहुत सीखा। उन्होंने ही आगे बढ़ने का जरिया दिया। बाकी किस्मत की बात है, कुछ करने की लगन थी, जिसकी वजह से यहां तक आ गए। सवाल- मेरी अक्सर कई कलाकारों से बात होती है। वे बोलते हैं कि हर एक्टर को एक बार भट्ट साहब के साथ काम करना चाहिए, ऐसा क्या जादू करते हैं आप? जवाब- ऐसा कुछ नहीं है। बस आपसी रिश्ते बना लेता हूं। बात एक्टिंग की नहीं, जीवन की होती है। जीवन से ही कला का जन्म होता है। जीवन की नकल करो और उसके रंग को देखते हुए रिप्रेजेंट करो। सवाल- आपने इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक टैलेंट को लॉन्च किया है। अनुपम खेर भी उसी में से एक हैं। वे अक्सर आपको गुरु दक्षिणा देने की बात करते हैं। जवाब- वह तो मेरा अधिकार है कि मैं उनसे गुरु दक्षिणा लेता हूं। उनको गुरु दक्षिणा देते वक्त जितना सुकून मिलता है, उससे कहीं ज्यादा सुकून मुझे गुरु दक्षिणा लेते वक्त मिलता है। जब शिष्य कामयाब हो जाता है तब बहुत खुशी होती है। अनुपम करीब 500 फिल्मों में काम कर चुके हैं। उन्होंने बहुत ही खूबसूरत शॉर्ट फिल्म ‘आई वेंट शॉपिंग फॉर रॉबर्ट डी नीरो’ प्रोड्यूस और डायरेक्ट की है। सारांश का नौजवान आज 69 साल का हो गया है। सारांश में उनके किरदार बी वी प्रधान को देखें तो लगता है कि किरदार की रूह और आत्मा उनके अंदर उतर गई है। अनुपम एक मिसाल हैं। बाकी और भी बहुत सारे हैं। सवाल- बहुत सारे डायरेक्टर आप के यहां से सीखकर निकले हैं, अर्जुन जैसा प्रिय शिष्य कौन है? जवाब- हर एक में कोई ना कोई खास बात है। मोहित सूरी, विक्रम भट्ट, पूजा, अनुराग बसु जैसे कई लोग हैं। यह कहना कि कौन सबसे प्रिय है, बहुत मुश्किल है। सूरज बड़जात्या भी हमारे असिस्टेंट थे। ये सारे अपनी प्रतिभा की वजह से सफल हुए हैं, मैं तो बस एक जरिया था। सवाल- करियर में द्रोणाचार्य जैसी स्थिति कभी आई, अपने किसी प्रिय शिष्य के लिए किसी को नजरअंदाज करना पड़ा हो? जवाब- ऐसा कभी जानबूझकर नहीं हुआ होगा। अगर हुआ होगा तो क्षमा चाहता हूं। जो व्यक्ति मेरे करीब होना चाहता था, नहीं हो पाया होगा। उसमें नुकसान मेरा है कि मैं नहीं देख पाया या देखना ना चाहा हो। सवाल- आपने अर्थ, जख्म जैसी कई कमाल की फिल्में बनाई हैं। इसके पीछे आपकी क्या सोच रही है। क्या आज उस तरह का सिनेमा बन पाएगा? जवाब- बन रहा है और बनेगा। देखिए आज इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक का बहुत बड़ा क्रेज है। आज की युवा पीढ़ी डांस करती है। इसका उन्हें एहसास है, इसको अलग तरीके से सोचते हैं। रूह से रूह तक पहुंचने वाली बात तो हमेशा रहेगी। बदलाव होते रहेंगे, लेकिन फिल्म वही चलेगी। अगर अर्थ, जख्म और सारांश की बात इतने सालों बाद भी करते हैं, तो वो इसलिए करते हैं क्योंकि उसके अंदर जीवन की सच्चाई है। अच्छा काम वही होता है जो वक्त के रेगिस्तान को पार कर जाए। सवाल- आपके लिए सिनेमा क्या है? जवाब- मेरी मां कहती थी कि पैसे कमाकर आना, नहीं तो मत आना। पैसे कमाने निकला तो संघर्ष से वास्ता हुआ। इस दौरान सिनेमा की समझ उपजी। कहानी कहने का टैलेंट था, जो आगे काम आ गया। हमने जीवन में कुछ ऐसी फिल्में बना लीं, जो हमारी निजी जिंदगी से प्रभावित थीं। सवाल- आपकी बहुत ही खूबसूरत जर्नी रही है, जिंदगी का सबसे खूबसूरत फलसफा क्या रहा है? जवाब- यही कि जिंदगी अपनी शर्तों पर जियो। अपनी सोच किसी पर मत थोपो और ना ही किसी की सोच के हिसाब से चलो। समाज के जो नियम हैं, उसके दायरे में रहकर उसके नियम को फॉलो करो, जैसे ट्रैफिक सिग्नल के नियम को फॉलो करते हैं। इस बात का हमेशा ख्याल रहे कि जो पैदा होता है वो नष्ट होता है। बस जिंदगी का यही खूबसूरत फलसफा है।

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/6I9Klb5
via IFTTT

«
Next
अमिताभ-जया की शादी कराने से पंडित ने किया था मना:कहा- अमिताभ बंगाली ब्रह्माण नहीं हैं, बाद में किसी तरह राजी हुए
»
Previous
The Roman Catholic War on Wigs

No comments: