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» » » किसानी की चाहत में करोड़ों का कर्ज चढ़ा:बेटे के स्कूल के बाहर सब्जियां बेचीं; बताते हुए रोए; गिरकर दोबारा उठे तो लगातार फिल्में मिलीं

एक ऐसा एक्टर, जो एक्टिंग की दुनिया में ठीक-ठाक काम कर रहा था। साराभाई vs साराभाई जैसे सीरियल से उसे काफी प्रसिद्धि मिली। लाफ्टर रियलिटी शो का विनर भी बना। जीवन अच्छा चल रहा था, तभी चकाचौंध से दूर एक दिन खेती-बाड़ी करने का ख्याल आ गया। रेंट पर 20 एकड़ खेत ले लिया। हालांकि उसकी किस्मत ने धोखा दे दिया। कभी बाढ़ आ गई तो कभी फसल जल गई। सारे पैसे डूब गए और करोड़ों का कर्ज चढ़ गया। जेब में दो से ढाई हजार रुपए बचे थे। जब लगा कि खेती-बाड़ी से कुछ होने वाला नहीं है, तब दोबारा फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया। हम बात कर रहे हैं एक्टर राजेश कुमार की। वैसे तो राजेश कुमार 1999 से ही टेलीविजन और फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं, लेकिन हाल के सालों में उन्हें वेब सीरीज कोटा फैक्ट्री और ये मेरी फैमिली में देखा गया है। इसके अलावा वे फिल्म हड्डी, रौतू का राज और 27 सितंबर को रिलीज हुई बिन्नी एंड फैमिली में भी नजर आए। शाम का वक्त था। हम निकल पड़े राजेश कुमार के घर। सबसे पहले उन्होंने चाय-पानी पूछा। थोड़ी बातचीत के बाद हमने इंटरव्यू शुरू किया। पूरे इंटरव्यू के दौरान राजेश कई बार भावुक हुए। कई बार गला रूंधा, लेकिन जीवन के संघर्षों के बारे में उन्होंने अपनी बात रखनी जारी रखी। राजेश कुमार की कहानी उन्हीं की जुबानी.. बचपन बिहार में बीता, वहां सरनेम लगाने से डरते थे राजेश कुमार ने सबसे पहले बचपन के दिनों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘वैसे तो मेरी पैदाइश रांची की है, लेकिन मेरे जन्म के बाद परिवार बिहार के गया में शिफ्ट हो गया था। पांचवीं तक वहीं पढ़ाई हुई। फिर आगे की पढ़ाई के लिए परिवार पटना आ गया। बिहार में जातिवाद इतना था कि हम अपना सरनेम भी लगाने से डरते थे। पिताजी ने मेरा नाम राजेश खन्ना रख दिया था। शायद वे राजेश खन्ना से काफी प्रभावित थे। वैसे मेरा असली नाम राजेश कुमार सिंह है। बिहार के माहौल को देखते हुए मुझे आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून भेज दिया गया।' किडनैपिंग के डर से बॉडीगार्ड रखना पड़ा ‘बिहार के हालात इतने खराब थे कि शादी के वक्त मुझे अपने साथ बॉडीगार्ड भी रखने पड़े थे। दरअसल, शादी मुंबई में हुई, लेकिन रिसेप्शन पटना में रखा गया था। मैं उस वक्त तक थोड़ा बहुत फेमस हो गया था। पुलिस विभाग के कुछ लोगों से पिताजी के अच्छे रिलेशन थे। कहीं मैं किडनैप न हो जाऊं, इसी वजह से रिसेप्शन के 2-3 दिन तक मेरे साथ पुलिस के जवान रहते थे।’ राजेश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। राजेश बचपन से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विशेष रुचि लेते थे। इसी वजह से धीरे-धीरे एक्टिंग की तरफ रुझान होने लगा। फिर इसी सिलसिले में वे मुंबई आ गए। मुंबई आने पर उन्होंने कई टीवी सीरियल्स में काम किया। वहां से उन्हें काफी लोकप्रियता मिली। हालांकि मन में हमेशा एक अशांति रहती थी। उनके पिता और दादा हमेशा से खेती करते आए थे, तो राजेश कुमार का मन भी कहीं न कहीं उधर ही लगा रहता था। इसके अलावा वे सद्गुरु की रैली फॉर रिवर्स अभियान से भी जुड़े थे। वहां से उन्हें प्रेरणा मिली जिसके बाद एक्टिंग से ब्रेक लेते हुए किसानी करने निकल गए। 20 एकड़ खेत किराए पर लिया, 15 हजार पेड़ लगाए जो बारिश में बर्बाद हो गए राजेश कहते हैं, ‘अप्रैल, 2019 में मैंने एक दोस्त के साथ मिलकर खेती करनी शुरू की थी। हमने मुंबई से सटे पालघर में 20 एकड़ का खेत किराए पर लिया। वहां हमने 15 हजार पौधे लगाए। उस एरिया में कभी बाढ़ नहीं आती थी, लेकिन किस्मत देखिए कि उस साल बहुत बारिश हुई। सारे पौधे नष्ट हो गए। शुरुआत ही काफी खराब हो गई। उस साल अक्टूबर तक बारिश रुकी ही नहीं।' दूसरी बार पौधे लगाए तब लॉकडाउन लग गया, इस बार फसल का 75% हिस्सा खराब हो गया 'नवंबर में बारिश रुकी तो हमने दोबारा 15 हजार पेड़ लगाए। अभी 2-3 महीने ही हुए थे कि कोविड लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन की वजह से हम घरों में कैद हो गए। खेत देखने नहीं जा पाते थे। एक दिन गए भी तो गांव वालों ने खदेड़ दिया। उन्हें डर था कि कहीं हम अपने साथ कोरोना तो लेकर नहीं आ गए। वे पुलिस के साथ आए थे, इसलिए हमें वहां से भागना ही पड़ा। जून से लेकर अक्टूबर तक दोबारा बारिश शुरू हुई। इस बार भी लगभग 75% फसल खराब हो गई। इस तरह मुझे दो बार नुकसान का सामना करना पड़ा।’ हेल्पर्स को भी सैलरी देनी थी, खुद से गोबर उठाने का काम शुरू किया राजेश ने आगे कहा, ‘दो बार फसल बर्बाद होने से उदासी और हताशा तो बहुत हुई, लेकिन खुद को हिम्मती बनाकर रखना बहुत जरूरी था। खेत रेंट पर था, इसलिए हर महीने किराया भी देना था। ऊपर से 2-3 किसान भी रखे थे, उनके मेहनताने की भी व्यवस्था करनी थी। मैं एक्टिंग से दूर चला गया था, इसलिए पैसे आने बंद हो गए थे। काफी सोच-विचार कर तीसरा प्रयास करने का साहस जुटाया। इस बार खुद से ही गोबर उठाने, पौधे लगाने और उन्हें खाद देने जैसे काम करने लगा।’ तीसरी बार आग लगने से आधी फसल राख हुई ‘जैसे-तैसे हिम्मत करके मैंने तीसरी कोशिश की थी, लेकिन एक फोन कॉल की वजह से मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। किसी ने कहा कि आपके खेत में आग लग गई है। मैं आनन-फानन में मुंबई से निकला और डेढ़ घंटे में पालघर पहुंचा। जब तक पहुंचा, तब तक आधी फसल राख हो चुकी थी। दरअसल, यह आग उस खेत में नहीं बल्कि मेरे सपनों पर लगी थी, जिससे मैं उबर ही नहीं पाया। उस वक्त मेरे पास सिर्फ 70 हजार रुपए बचे थे।' अंत में सब्जियां उगानी शुरू की, खुद से बेचने निकल पड़ा मैंने और दोस्त ने उस 20 एकड़ के अलावा वहीं बगल में 5 एकड़ का एक और प्लॉट रेंट पर लिया था। वहां हमने धान-गेहूं की खेती की थी। मैंने सोच लिया कि अब इसी 5 एकड़ में थोड़ा-बहुत कुछ करके निकल जाना चाहिए, वो 20 एकड़ तो भूल जाओ। फिर हमने वहां सब्जियां उगानी शुरू कीं।’ खेती करने के चक्कर में कर्ज में डूबा, लोग घर पर पैसे मांगने चले आते थे ‘मेरी EMIs बाउंस होने लगी थी। क्रेडिट कार्ड वाले घर तक आने लगे। करोड़ों का कर्ज चढ़ गया था। बच्चे की फीस देने के लिए पैसे नहीं थे। मम्मी-पापा से भी पैसे मांगने की हिम्मत नहीं थी। हालांकि उन्होंने मेरी हेल्प कर दी। इससे थोड़ा बहुत उधार कम हो गया। अब आगे जीवन-यापन कैसे हो, इसकी चिंता सताने लगी। खेत की तरफ तो मैंने दोबारा देखना जरूरी ही नहीं समझा। कृषि के क्षेत्र में बहुत कुछ करने की चाहत लेकर आया था, लेकिन किस्मत ने धोखा दे दिया।’ काम के लिए अपना सिर मुंडवाया राजेश को लगा कि अब खेती से कुछ होने वाला नहीं है, तो उन्होंने दोबारा इंडस्ट्री में वापसी करने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मैंने एक्टिंग में कमबैक शुरू किया। हालांकि एक ही तरह की इमेज की वजह से काम मिलने में बहुत दिक्कत हो रही थी। वजन भी बहुत बढ़ गया था। इसी बीच फिल्म हड्डी का ऑफर मिला। मैं इस ऑफर को खो नहीं सकता था, इसलिए डायरेक्टर का कहना मान कर मैंने अपना सिर मुंडवा लिया। फिर मैंने तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया और रौतू का राज सहित बैक टु बैक 4 फिल्में कीं।' राजेश ने रोते हुए कहा- अकाउंट में सिर्फ 2500 रुपए थे हाल ही में रिलीज हुई फिल्म बिन्नी एंड फैमिली की शूटिंग 2022 के आस-पास ही शुरू हो गई थी। यह उसी समय की बात है, जब खेती में हुए नुकसान की वजह से राजेश आर्थिक रूप से परेशान चल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘इस फिल्म की शूटिंग के लिए मैं 24 दिन के लिए यूके गया था। यह लाइफ का खराब दौर था। मेरे अकाउंट में सिर्फ 2500 रुपए थे। तंगहाली इतनी थी कि वहां से बच्चों के लिए एक चॉकलेट भी नहीं ला पाया।’ यह कहते हुए राजेश रोने लगते हैं। फिर कुछ देर बाद वे आगे की कहानी बताना शुरू करते हैं। वे कहते हैं, ‘फिल्म बिन्नी एंड फैमिली की शूटिंग मैंने हड्डी और तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया से पहले ही कर ली थी, लेकिन यह अभी रिलीज हुई है। मेरे करियर को संवारने में कोटा फैक्ट्री जैसी सीरीज का भी मेजर रोल है। अब आने वाले समय में मुझे सीरीज फ्रीडम एट मिडनाइट में देखा जाएगा। इस सीरीज में मेरा मेजर रोल होने वाला है।' फ्री में धनिया मांगने से पहले किसानों का दर्द समझें राजेश कुमार ने इंटरव्यू के अंत में कहा कि उन्हें इस बात का गम नहीं है कि खेती के चक्कर में उनके पैसे डूब गए। दुख बस इतना है कि उनके काम को सही तरीके से समझा नहीं गया। वे सरकार से अपील करते हैं कि किसानों पर ध्यान दिया जाए। आम लोगों से भी रिक्वेस्ट है कि वे किसानों की मेहनत को समझें। हम जब भी सब्जी खरीदने जाते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि एक बंडल धनिया फ्री में मिल जाए। यह भूल जाते हैं कि उस एक बंडल धनिए को उगाने में एक किसान को कितनी मेहनत लगती है। ***

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