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» » » एग्जाम देते हुए अचानक स्टेज पर नजर पड़ी:एक्टिंग का ख्याल आया/ CID में पहले क्रिमिनल बने, फिर ‘इंस्पेक्टर अभिजीत’ बन फेमस हुए आदित्य श्रीवास्तव
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80 के दशक की बात होगी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का एक लड़का एग्जाम हॉल में पेपर दे रहा था। एकाएक उसकी नजर सामने स्टेज पर पड़ी। वह सोचने लगा कि क्या मैं भी यहां परफॉर्म कर सकता हूं? उसने मन बनाया और थिएटर करने लगा। थिएटर करते हुए पहली फिल्म मिली- बैंडिट क्वीन। रोल था फूलन देवी के पति पुत्तीलाल का। रोल में इतने जमे कि फिर आगे बढ़ते गए। फिर रामगोपाल वर्मा की नजर इन पड़ी। फिल्म सत्या में काम दिया। उसमें इंस्पेक्टर का रोल करके सबको प्रभावित किया। प्रभावित लोगों में एक शख्स थे CID के प्रोड्यूसर बीपी सिंह। उन्होंने अपने शो में इन्हें काम दिया। जिसके बाद उदय हुआ सीनियर इंस्पेक्टर अभिजीत का। हम बात कर रहे हैं एक्टर आदित्य श्रीवास्तव की, जिन्होंने 21 साल से ज्यादा समय तक इंस्पेक्टर अभिजीत बन दर्शकों का मनोरंजन किया है। 21 जुलाई, 1968 को प्रयागराज में जन्मे आदित्य सत्या, ब्लैक फ्राइडे, भक्षक, कालो और सुपर-30 जैसी फेमस फिल्मों में भी नजर आ चुके हैं। आज सक्सेस स्टोरी में कहानी आदित्य श्रीवास्तव की.. एग्जाम देते हुए स्टेज पर नजर पड़ी, फिर सब बदल गया आदित्य के पिताजी बैंक में मैनेजर थे। उनका ट्रांसफर होता रहता था। इस वजह से आदित्य की स्कूलिंग भी यूपी के अलग-अलग हिस्सों में हुई है। हालांकि ग्रेजुएशन उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से किया है। पढ़ाई के दौरान ही उनका रुझान एक्टिंग की तरफ हो गया। वे फर्स्ट ईयर का पेपर दे रहे थे। अचानक पेपर देते-देते उनकी नजर सामने ब्लू स्टेज पर पड़ी। आदित्य उस स्टेज को देखकर कुछ देर के लिए खो गए। वे उस स्टेज पर परफॉर्म करने का मन बना बैठे। फिर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद के नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा में काम किया। इस तरह दो-तीन साल जमकर थिएटर किया। फिल्में नहीं, थिएटर में लगता था मन 1989 में आदित्य प्रयागराज से दिल्ली चले गए। वहां श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में 5 साल थिएटर किया। उस समय तिग्मांशु धूलिया शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन की कास्टिंग कर रहे थे। आदित्य भी उस फिल्म से जुड़े। शुरुआती दौर में आदित्य का मन फिल्मों में नहीं, थिएटर में ही लगता था। थिएटर में भले ही पैसा नहीं था, लेकिन वहां काम करने का जुनून था। पैसे वाली बात दिमाग में भी नहीं आती थी। शायद इसी वजह से उन्हें दिल्ली से मुंबई आने में 5 साल का लंबा वक्त लग गया। उनके थिएटर के अधिकतर दोस्त पहले ही मुंबई चले गए थे। पैसे कमाने के लिए ऐड शोज में अपनी आवाज दी आदित्य को मुंबई में शुरुआत में ज्यादा काम नहीं मिला। कभी-कभी हौसला टूटता था तो दोस्तों के साथ बैठकर दुख-सुख बांट लेते थे। आदित्य ने कहा, ‘मेरे दोस्त भी स्ट्रगल ही कर रहे थे, इसी वजह से मुझे उतना ज्यादा दुख नहीं होता था। मैं अपने दोस्तों की तुलना में थोड़ा जल्दी काम करने लगा था। पैसे कमाने के लिए ऐड फिल्मों में वायस ओवर वगैरह करता था। इसी बीच कई टीवी सीरियल्स में भी काम किया। हालांकि, मैं कभी भी सिर्फ एक जगह चिपककर नहीं रहना चाहता था। मैंने कुछ टीवी शोज में काम करने के बाद फिल्मों में ध्यान केंद्रित करने का मन बनाया।’ CID में पहले क्रिमिनल का रोल किया, फिर इंस्पेक्टर अभिजीत बने आदित्य को 1997 में फिल्म सत्या मिली, जिसने सही मायनों में उन्हें पहचान दी। अगर सत्या नहीं होती, तो शायद CID भी नहीं मिलती। आदित्य ने कहा, ‘दरअसल, सत्या में मैंने एक इंस्पेक्टर का रोल किया था, जो शो के प्रोड्यूसर बीपी सिंह जी को बहुत पसंद आया। उन्होंने मुझे CID में काम करने के लिए कहा। शुरुआत में तो मैं इससे दूर भागता रहा, क्योंकि मेरे पास दो-तीन फिल्में थीं। हालांकि, इसी बीच एक एपिसोड में क्रिमिनल का रोल कर लिया। मेकर्स को मेरा काम पसंद आया। उन्होंने मुझे इंस्पेक्टर का रोल ऑफर किया। मैंने सोचा कि शुरुआत में 26 एपिसोड कर लूंगा, दो-तीन महीने इंगेज रहूंगा, क्या ही जाता है। लेकिन धीरे-धीरे शो में काम करते-करते इसका अभिन्न अंग बन गया। हालांकि, मैं बीच-बीच फिल्में भी करता रहता था। ये CID के मेकर्स की मेहरबानी थी कि जब भी मोहलत मांगी, उन्होंने कभी मना नहीं किया।’ मेकर्स को पैसे दिए ताकि फिल्म बन पाए, जबकि साइड रोल में थे 2000 में आदित्य की एक फिल्म ‘दिल पर मत ले यार’ रिलीज हुई। इस फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। डायरेक्टर हंसल मेहता ने मनोज बाजपेयी को लीड रोल के तौर पर कास्ट किया था। किसी कारणवश मनोज इस फिल्म से हट गए। तब हंसल ने आदित्य को लीड रोल करने को कहा। आदित्य तैयार था, लेकिन मनोज के जाने की वजह से प्रोड्यूसर्स पीछे हट गए। तभी मनोज वापस आ गए और फिल्म के लिए तैयार हो गए। आदित्य को फिर सेकेंड लीड करने को कहा गया। वे तैयार भी हो गए। बीच शूटिंग में पैसों की दिक्कत आने लगी। हंसल के सामने फिल्म खत्म करने की चुनौती थी। फिर आदित्य ने अपनी जमापूंजी निकालकर हंसल को दे दी, ताकि फिल्म कम्पलीट हो जाए। ये बहुत बड़ी बात है कि एक एक्टर होने के बावजूद आदित्य ने मेकर्स की हेल्प की, वो भी उस फिल्म में, जहां उनका सपोर्टिंग रोल था। नसीरुद्दीन शाह और इरफान ने मना किया तो ब्लैक फ्राइडे में रोल मिला आदित्य श्रीवास्तव सत्या के बाद एक और फेमस फिल्म ब्लैक फ्राइडे में देखे गए। यह फिल्म 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट पर बनी थी। आदित्य ने फिल्म में बादशाह खान का रोल किया था। हालांकि, इस रोल के लिए डायरेक्टर अनुराग कश्यप की पहली पसंद नसीरुद्दीन शाह और इरफान खान थे। दोनों ने फिल्म करने से मना कर दिया। तब अनुराग ने आदित्य को यह रोल दिया, जिसमें वे पूरी तरह कामयाब हुए। लोग इनकी फिल्मों के भी फैन, टाइपकास्ट नहीं हुए आदित्य ने भले ही 21 साल एक ही टीवी शो में काम किया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वे टाइप कास्ट हो गए। उनकी फिल्मों में निभाए किरदार भी यादगार हैं। आदित्य कहते हैं, ‘ऑडियंस अलग-अलग चीजें देखना पसंद करती है। मुझे कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं, जो मेरी फिल्मों के फैन होते हैं। वे मुझसे फिल्म भक्षक और ब्लैक फ्राइडे के मेरे कैरेक्टर के बारे में बात करते हैं। जहां तक CID के इंस्पेक्टर अभिजीत की बात है, तो इसे चाहने वालों की रेंज थोड़ी बड़ी है। हम देश के किसी भी कोने में चले जाएं, कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो कभी न कभी CID जरूर देखे होंगे।’ आदित्य श्रीवास्तव अब CID के दूसरे सीजन में भी सीनियर इंस्पेक्टर अभिजीत बनकर वापस आए हैं। एक बार फिर एसीपी प्रदुम्न, इंस्पेक्टर अभिजीत और इंस्पेक्टर दया की तिकड़ी लौट आई है। ____________________________________________________________ पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी यहां पढ़िए... एक्ट्रेस राजश्री की कहानी- ऑर्केस्ट्रा में डांस:लोगों ने पॉर्न स्टार कहा, नेटफ्लिक्स सीरीज से मिली पहचान; समाज सेवा के लिए छोड़े कई बड़े प्रोजेक्ट्स दुष्यंत कुमार की ये लाइनें एक्ट्रेस राजश्री देशपांडे के करियर और जिंदगी के दो अलग-अलग सिरों को जोड़ती हैं। फिल्मों में अपनी बोल्ड चॉइस से हंगामा मचाने वाली राजश्री असल जिंदगी में अपने सोशल वर्क से लोगों की जिंदगी बदल रही हैं। पूरी खबर पढ़ें..

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