'द हैप्पी पॉडकास्ट' से खुशियां बांट रहीं सोनाली:बोलीं- पालतू जानवर शब्दों से नहीं, भावनाओं से अपना प्यार जताते हैं
बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनाली बेंद्रे का ‘द हैप्पी पॉडकास्ट' पालतू जानवरों की देखभाल, पालन-पोषण और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी उपयोगी जानकारियां और सुझाव प्रदान करता है। इस पॉडकास्ट का मकसद पालतू प्रेमियों को जागरूक और जुड़े रखना है। अब इस पॉडकास्ट का दूसरा सीजन आने जा रहे है। हाल ही में एक्ट्रेस ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान बताया कि पालतू जानवर शब्दों से नहीं, भावनाओं से अपना प्यार जताते हैं। पेश है सोनाली से हुई बातचीत के कुछ प्रमुख अंश… सवाल: द हैप्पी पॉडकास्ट के बारे में कुछ बताइए? जवाब: यह पॉडकास्ट पालतू जानवरों की देखभाल, पालन-पोषण और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी उपयोगी जानकारियों के बारे में हैं। मुझे लगता है कि खुशियां फैलाई जा सकती हैं। जब मैं अपनी पेट आइसी को देखती हूं, तो मुझे बहुत खुशी होती है। मेरा मानना है कि जिन लोगों के पास पालतू जानवर होते हैं, वे भी ऐसा ही महसूस करते हैं। जब वे अपने पेट्स को देखते हैं, तो उनका मूड अपने आप अच्छा हो जाता है। यही असली खुशी है। सवाल: दूसरा सीजन आ रहा है, इसमें पेट्स और पेरेंटिंग जैसे यूनिक कॉन्सेप्ट पर सेलेब्स और एक्सपर्ट्स से बातें होंगी। ये आइडिया कैसे आया? जवाब: पहले सीजन में हमने सिर्फ एक्सपर्ट्स को बुलाया था, क्योंकि सोशल मीडिया पर गलत नुस्खे बहुत चल रहे थे। मैं खुद भी ऐसी गलतियों का शिकार हुई। मेरे पेट के डॉक्टर ने कहा कि ऐसे ट्रायल्स खतरनाक हो सकते हैं। तब मुझे लगा कि क्यों न एक पॉडकास्ट किया जाए जहां सही जानकारी दी जाए। पहले सीजन को लोगों ने बहुत पसंद किया, तब हमें लगा कि दूसरा सीजन बनाना चाहिए। अब हमने और एक्सपर्ट्स व सेलेब पेट पेरेंट्स को शामिल किया है ताकि बातचीत गहरी और दिलचस्प हो। सवाल: आपको पहले एपिसोड में सबसे अच्छा क्या लगा था? जवाब: एपिसोड में एक्सपर्ट्स भी थे, जिनसे हमें अलग-अलग बातें समझने को मिलीं। उनकी अपनी कहानियां भी थीं, जैसे उनकी मुश्किलें क्या थीं, उन्होंने कैसे चीजें कीं और उनके विचार क्या थे। एक्सपर्ट्स ने कई नई बातें सिखाईं। इसलिए वह एपिसोड बहुत सुंदर लगा, क्योंकि उसमें भावनात्मक कहानियां भी थीं, मजेदार बातें भी थीं और साथ ही विज्ञान से जुड़ी जानकारी भी थी। यानी वह एपिसोड भावनाओं और विज्ञान का अच्छा मेल था। सवाल: आप तो बेजुबान जानवरों की आवाज बन रही हैं। क्या कहना चाहेंगी? जवाब: मुझे नहीं पता कि मैं सच में उनकी आवाज बन पाऊंगी या नहीं, लेकिन मैं कोशिश करना चाहती हूं। जब भी कोई बिहेवियर थेरेपिस्ट या जानवरों के व्यवहार को समझने वाले आते हैं, तो मैं बहुत कुछ सीखती हूं। कई बार हमें जो उनकी हरकतें लगती हैं, उसका असल मतलब कुछ और होता है। हर एपिसोड देखकर मैं भी नई-नई बातें सीखती हूं। जानवर हमारी तरह बोल नहीं सकते, उनकी अपनी अलग भाषा होती है, जो हम नहीं समझ पाते। इस पॉडकास्ट में हम वही भाषा समझने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल: आपने पहले सीजन में आपने कौन-सा अनोखा या दिलचस्प टॉपिक चुना था और क्यों? जवाब- मैं फिल्मों से जुड़ी हूं और फिल्मों में जानवर और पालतू पशु काम में आते हैं। मुझे जानना था कि उन्हें ट्रेन कैसे किया जाता है, शूटिंग के सेट पर उनकी जरूरतों का ध्यान कैसे रखा जाता है, और उनका ख्याल कैसे रखा जाता है। मुझे लगा यह एक दिलचस्प विषय होगा। मैंने एक फिल्म ' 777 चार्ली' देखी थी, जो बहुत अच्छी लगी थी और भावुक भी कर देने वाली थी। उस फिल्म में जो डॉग था, उसे ट्रेन करने वाले को हमने बेंगलुरु से बुलाया था। उन्होंने हमें बताया कि चार्ली को कैसे ट्रेन किया गया और उससे जुड़ी बातें बताईं । तो हां, यही हमारी बातचीत थी पहले सीजन में, और हमने वही बात उस एपिसोड में शामिल की थी। सवाल: क्या आपने कभी किसी जानवर के साथ शूट किया है? जवाब: हां, मैंने अपनी पेट आईसी के साथ किया है, और हमारे पॉडकास्ट के सेट पर भी कई बार। सच कहूं तो मुझे पता नहीं मैं उस वक्त ऐसा कैसे कर पाई, क्योंकि स्टूडियो में इतनी लाइट्स और लोगों का माहौल था। मुझे नहीं पता था कि जानवर एक-दूसरे पर कैसे रिएक्ट करेंगे। लेकिन यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि वे कितनी अच्छी तरह से एक-दूसरे के साथ घुल-मिल जाते हैं। जैसे, रास्ते में अगर आईसी को कोई बिल्ली दिख जाती है तो वो उनके पीछे भाग जाती है। इस सीजन में तो हमारे एपिसोड्स में बिल्लियां भी आई हैं, और आईसी ने उनके साथ बहुत प्यारा व्यवहार किया।
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