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» » » पिता बीमार पड़े तो घर बेचने की नौबत आई:मुंज्या फेम एक्टर अभय बोले- एक बार ट्रांसजेंडर समझ कर लड़के बदसलूकी करने लगे थे

हाल में रिलीज हुई फिल्म ‘मुंज्या’ बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कमाई कर रही है। फिल्म ने 20 दिनों में 110.70 करोड़ की कमाई कर ली है। फिल्म के डायरेक्शन और कहानी की हर तरफ चर्चा हो रही है, लेकिन जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वे हैं फिल्म के लीड एक्टर अभय वर्मा। यह पहली ऐसी फिल्म है, जिसमें अभय ने लीड किरदार निभाया है। उन्हें मनोज बाजपेयी की वेब सीरीज फैमिली मैन सीजन 2 में भी देखा गया था। करियर की शुरुआत में उन्होंने संजय लीला भंसाली की भी एक फिल्म में काम किया था। हालांकि ये आसान दिखने वाला सफर बिल्कुल आसान नहीं था। अभय और उनके परिवार ने एक वक्त ऐसा भी देखा जब तंगी की वजह से घर तक बेचना पड़ा। पिता बीमार हुए तो घर की जिम्मेदारियों को मां ने निभाया। पैसे नहीं थे तो उन्होंने कर्ज लेकर बच्चों की पढ़ाई पूरी कराई। दोपहर 2 बजे मुंबई में स्थित दैनिक भास्कर के ऑफिस में अभय वर्मा अपनी संघर्ष की ये कहानी हमें बता रहे थे। आज की स्ट्रगल स्टोरी में पढ़िए अभय वर्मा के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी... कर्ज लेकर मां ने पढ़ाई पूरी करवाई बचपन के दिनों के बारे में अभय कहते हैं, ‘मेरा, मां-पापा, भाई और बहन से भरा-पूरा परिवार था। पापा की एक छोटी सी ज्वेलरी की दुकान थी। एक मिडिल क्लास परिवार की जैसी कंडीशन होती है, ठीक वैसी ही मेरे घर की भी थी। हम सब उस कंडीशन में खुशी से जी ही रहे थे कि पापा को जॉन्डिस हो गया। मैं उस वक्त छठी क्लास में था। दिन-प्रतिदिन पापा की तबीयत खराब होती चली गई। जॉन्डिस इतनी बढ़ गई कि उनका लिवर खराब हो गया। डॉक्टर्स ने उन्हें प्रॉपर बेड रेस्ट की सलाह दी। पूरे परिवार में सिर्फ पापा ही कमाने वाले थे। पापा के बीमार होने पर ये जिम्मेदारी मां के कंधों पर आ गई। पापा का मेडिकल खर्च ही इतना ज्यादा था कि धीरे-धीरे सारे पैसे खत्म होने लगे। कमाई का दूसरा कोई जरिया नहीं था। ऐसे में हम जिस घर में रहते थे, उसे बेचना पड़ा। बाद में पूरा परिवार एक छोटे से घर में शिफ्ट हो गया। आर्थिक तंगी का ऐसा दौर आया कि मेरी फीस के लिए भी पैसे नहीं बचे। पढ़ाई तो करनी जरूरी थी, तब मां ने इसके लिए कर्ज लिया, जिसे बाद में मैंने अपनी कमाई से चुकाया। आज इस बात की खुशी है कि मैं इस भार को कम करने में मां की मदद कर पाया। आज मैं AC वाले घर में रहता हूं। यहां AC वाले ऑफिस में बैठकर आपको इंटरव्यू दे रहा हूं, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था कि घर में पंखे तक नहीं थे।’ ये बातें करते हुए अभय भावुक हो जाते हैं। कुछ समय शांत रहने के बाद वे दोबारा कहानी बताना शुरू करते हैं। भंसाली की फिल्म राम लीला देखकर एक्टर बनने का फैसला किया क्या भाई की वजह से एक्टिंग फील्ड में आने का फैसला किया? जवाब में अभय ने कहा, ‘ऐसा नहीं है। मैंने तो कभी एक्टर बनने के बारे में सोचा भी नहीं था। एक्टिंग का खुमार कैसे लगा, इसकी एक कहानी है। दरअसल 8वीं क्लास में मेरे मार्क्स बहुत कम आए थे। इसके बाद भी मैं रिजल्ट वाले दिन संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गोलियों की रासलीला राम लीला' देखने चला गया। फिल्म खत्म हो गई, लेकिन मैं बुत बनकर खड़ा रहा। सोचने लगा कि फिल्म के किरदारों के जैसे मैं भी लोगों को एंटरटेन कर सकता हूं। फिल्म का डायरेक्शन देख कर मैं पागल हो गया। यही वो पल था, जब मैंने एक्टर बनने का फैसला किया।’ कम उम्र में पिता का साया उठा, मां ने एक्टर बनने के फैसले को सपोर्ट किया क्या घरवालों ने एक्टर बनने के फैसले को सपोर्ट किया? अभय ने बताया, ‘मैं इस ख्वाब के बारे में पापा को नहीं बता पाया था। 3 साल तक तक वे बेड पर ही रहे। इस सपने के बारे में उन्हें बताने का मौका ही नहीं मिला। जब 9वीं क्लास में गया तो पापा का निधन हो गया। इसके बाद सब कुछ मां ने ही किया। जब उन्हें मेरे इस ख्वाब के बारे में पता चला तो उन्होंने बहुत सपोर्ट किया।’ 19 साल की उम्र में एक्टर बनने मुंबई आए अभय ने बताया कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 19 साल की उम्र में मुंबई आ गए थे। यहां उन्हें रहने-खाने की दिक्कत नहीं हुई क्योंकि बड़े भाई अभिषेक पहले से यहां रहते थे, लेकिन काम पाने के लिए उन्हें भी बाकी स्ट्रगलर्स की तरह ही मशक्कत करनी पड़ी। संघर्ष से भरा ऑडिशन का सफर रिजेक्शन और ऑडिशन का दौर कैसा रहा? जवाब में अभय कहते हैं, ‘पहला ब्रेक पाने से पहले बहुत सारे रिजेक्शन फेस करने पड़े। जब मुंबई में नया था, तब रोज सुबह एक बैग में 4-5 तरह के कपड़े लेकर ऑडिशन देने आराम नगर चला जाता था। मुंबई में आरामनगर वो जगह है, जहां पर सबसे ज्यादा ऑडिशन होते हैं। सुबह से रात तक घूम-घूम कर ऑडिशन देता और फिर NOT FIT टैग के साथ घर वापस चला जाता। शुरुआत में तो बहुत बुरा लगता था, मायूस भी हो जाता था। तब भाई ने समझाते हुए कहा- इस फील्ड में ऐसा ही होता है। तुम ऑडिशन देने के बाद भूल जाया करो, रिजल्ट का इंतजार ना किया करो। इसके बाद भाई के इसी सजेशन को फॉलो किया। लगभग एक-डेढ़ साल के बाद मुझे संजय लीला भंसाली की फिल्म मन बैरागी में काम मिला। इस फिल्म में मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोल प्ले किया था।’ एक्टिंग प्रोफेशन चुनने पर लोगों ने ताना भी मारा एक्टिंग प्रोफेशन चुनने पर किसी ने कभी मजाक बनाया? इस सवाल पर अभय हंसते हुए कहते हैं, ‘कॉलेज का पहला दिन था। एक टीचर ने सब बच्चों का इंट्रोडक्शन लिया। जब मैंने उन्हें बताया कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं, तब उन्होंने ताने भरे लहजे में कहा- अच्छा तो तुम एक्टर बनोगे। यह ऐसी घटना है, जिसे शायद कभी भूल नहीं पाऊंगा। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, शायद लोगों के इन्हीं तानों ने मुझे आगे बढ़ने में मदद की थी। सीरीज फैमिली मैन 2 के लिए सिर्फ 4 दिन शूटिंग की, फिर भी पॉपुलैरिटी मिली अभय को इसके बाद मर्जी और लिटिल थिंग्स जैसी सीरीज में देखा गया था, लेकिन इन सीरीज से उन्हें बहुत ज्यादा पॉपुलैरिटी नहीं मिली। इसके बाद अभय वेब सीरीज फैमिली मैन 2 में दिखे। इसमें उन्होंने कल्याण का रोल निभाया था। इसमें काम करने के एक्सपीरियंस के बारे में अभय ने बताया, ‘मैंने इस सीरीज के लिए सिर्फ 4 दिन शूटिंग की थी। शूटिंग करते वक्त इस बात का बिल्कुल आभास नहीं था कि मैं कल्याण के रोल में इतना हिट हो जाऊंगा। इस सीरीज में काम करने के बाद एहसास हुआ कि 4 दिन की शूटिंग में भी हम इतना बेहतर काम कर सकते हैं, जिसे दर्शक 40 साल तक याद रख सकें।' रियल ट्रांसजेंडर समझ कर लड़कों ने बदसलूकी करने की कोशिश की 2023 की फिल्म सफेद में अभय ने ट्रांसजेंडर चांदनी का किरदार निभाया था। इस किरदार में ढलने के लिए उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाया था। उन्होंने बताया, ‘जब मुझे इस रोल का ऑफर मिला तो मां-भाई नहीं चाहते थे कि मैं इस फिल्म में काम करूं। शुरुआत में मैं भी इस रोल को लेकर श्योर नहीं था, लेकिन कुछ समय बाद मैं काम करने के लिए राजी हो गया। मैं इस किरदार में अपनी अलग छाप छोड़ना चाहता था। मैं शूटिंग शुरू होने के 2 महीने पहले बनारस चला गया और वहां ट्रांसजेंडर की तरह रहने लगा। आज भी समाज में ट्रांसजेंडर्स को हीन दृष्टि से देखा जाता है और ये चीज मैंने भी फील की। जब रियल बनकर लोगों से मिलता था, तब उनका रवैया मेरे प्रति बहुत अच्छा रहता था, लेकिन जब मैं ट्रांसजेंडर की वेशभूषा में लोगों से मिलता, तो लोग दुत्कार देते थे। एक दिन मैं लेट नाइट होटल वापस लौट रहा था। तभी कुछ बदमाश लड़के मिले, जो नशे में धुत थे। उन्होंने ट्रांसजेंडर समझ कर मुझे बीच रास्ते में रोक लिया और बदतमीजी करने लगे। मामला ज्यादा बिगड़ ना जाए, इसलिए मैंने उन लोगों को अपनी असलियत बता दी कि मैं ट्रांसजेंडर नहीं हूं, बस फिल्म के लिए ऐसा कर रहा हूं। तब उन लोगों ने मुझे जाने दिया। इस घटना के बाद एक दिन और मेरे साथ ऐसा हादसा हुआ। उस दिन मैं डरा नहीं बल्कि बदतमीजी करने वालों को जमकर सुनाया। तब वे लोग माफी मांग कर भाग गए। फिल्म मुंज्या के लिए आलिया भट्ट को रिप्लेस किया, एक्ट्रेस को रिप्लेस करने वाले पहले एक्टर हाल में रिलीज हुई फिल्म मुंज्या को दर्शकों का बहुत प्यार मिल रहा है। फिल्म के लीड रोल में अभय वर्मा ही हैं। फिल्म में काम करने के एक्सपीरियंस के बारे में अभय ने कहा, ‘ करीब 150 लोगों के ऑडिशन के बाद मुझे बिट्टू के रोल में कास्ट किया गया है। खास बात ये है कि पहले स्क्रिप्ट के हिसाब से बिट्टू का रोल कोई एक्ट्रेस करने वाली थीं। इसके लिए आलिया भट्ट का नाम लगभग फाइनल हो गया था, लेकिन बाद में मुझे चुना गया। मैं पहला ऐसा एक्टर हूं, जिसने किसी रोल के लिए एक्ट्रेस को रिप्लेस किया है। सब कुछ फाइनल हो जाने के बाद किसी कारणवश शूटिंग 2-3 महीने के लिए रोक दी गई थी। इस कारण मैं बहुत डर गया था कि कहीं मुझे इस रोल से निकाल कर किसी बड़े एक्टर को ना कास्ट कर लिया जाए। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। फिल्म की शूटिंग के वक्त एक दिन मुझे चोट लग गई और स्पाइन फ्रैक्चर हो गया। पहले सोचा था कि होटल के बेहतरीन गद्दे पर सोऊंगा, लेकिन चोट लगने के बाद होटल की जमीन पर सोना पड़ा। हालांकि इस चोट ने शूटिंग के वक्त मेरी बहुत मदद की। चोट के कारण बॉडी में हमेशा दर्द बना रहता था और मैं सो भी नहीं पाता था। जिस कारण स्क्रिप्ट के हिसाब से नेचुरली ही चेहरे पर दर्द और थकान के एक्सप्रेशन दिखे।’ अभय ने बताया कि उनका कोई अपकमिंग प्रोजेक्ट नहीं है। फिलहाल वे फिल्म मुंज्या की सफलता एन्जॉय कर रहे हैं।

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