WHAT’S HOT NOW

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

» » » रियल एयरक्राफ्ट में शूट महंगा, प्रतिघंटे किराया ₹5 लाख:इसलिए सीमेंट-प्लाईवुड से बनाए जाते हैं नकली हवाई जहाज; ₹3 करोड़ में बना 'नीरजा' का प्लेन

आपने कई फिल्मों में हवाई जहाज वाले सीक्वेंस तो देखे ही होंगे। बॉलीवुड में नीरजा, रनवे 34, सरफिरा, योद्धा और जमीन जैसी फिल्मों का मुख्य केंद्र बिंदु ही यही रहा है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि फिल्मों में दिखाए जाने प्लेन्स असली होते हैं या नकली? इन्हें शूटिंग के लिए तैयार कैसे किया जाता है? नकली प्लेन्स एक जगह से दूसरी जगह कैसे ले जाए जाते हैं? इन्हें बनाने में खर्च कितना आता है? रील टु रियल के नए एपिसोड में आज हम इसी पर बात करेंगे। इसके लिए हमने नकली प्लेन डिजाइन करने वाली प्रोडक्शन डिजाइनर अपर्णा सूद और विद्या भोसले से बात की। सोनम कपूर की फिल्म नीरजा में जो प्लेन दिखाया गया था, उसे अपर्णा ने ही तैयार किया था। इसे बनाने में 3 करोड़ का खर्च आया था। इसके अलावा विद्या भोसले ने हाल ही में सलमान खान की अपकमिंग फिल्म सिकंदर के लिए भी एक नकली हवाई जहाज तैयार किया है। लेदर की सीट्स, उन पर स्क्रीन्स और ऑक्सीजन मास्क, लेकिन हवाई जहाज नकली विद्या भोसले हमें मुंबई से सटे नायगांव में एक जगह ले गई, जहां नकली हवाई जहाज रखा गया था। उन्होंने हमें अंदर से इसका टूर भी कराया। यह प्लेन अंदर से बिल्कुल ओरिजिनल लग रहा था। बिजनेस और इकोनॉमी क्लास के दो अलग-अलग डिपार्टमेंट भी बनाए गए थे। सीट्स भी लेदर की थीं। सीट्स पर असली स्क्रीन लगाए गए थे। यहां तक कि ऑक्सीजन मास्क भी लगे हुए थे। बस इसमें AC नहीं था। विद्या ने बताया कि फिल्मों की शूटिंग के वक्त एनाकोंडा AC का यूज किया जाता है। एक दूर रखी AC को पाइप से सेट कर दिया जाता है, फिर उस पाइप को प्लेन के अंदर फिट कर दिया जाता है। इसे एनाकोंडा AC कहते हैं। करण जौहर की प्रोडक्शन कंपनी से इस नकली हवाई जहाज को खरीदा अभी कुछ दिन पहले सलमान खान की अपकमिंग फिल्म सिकंदर की शूटिंग इसी प्लेन के अंदर हुई है। इसके अलावा फिल्म योद्धा और क्रू की शूटिंग भी यहीं हुई है। दरअसल यह नकली हवाई जहाज धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म योद्धा की शूटिंग के लिए ही तैयार किया गया था। शूटिंग खत्म होने के बाद विद्या भोसले ने इसे धर्मा प्रोडक्शन से खरीद लिया। नकली प्लेन बनाने में 18 से 20 दिन लगते हैं कुछ फिल्में पूरी तरह प्लेन्स पर ही बेस्ड होती हैं। ऐसे में शूटिंग के लिए ज्यादा वक्त लगता है। इसी स्थिति में नकली प्लेन्स बनाए जाते हैं। नकली प्लेन्स तैयार करने में 18 से 20 दिन लगते हैं। नकली हवाई जहाज को तोड़ने में लगे 10 दिन अपर्णा ने कहा कि शूटिंग से पहले नीरजा के मेकर्स ने कई ओरिजिनल प्लेन्स देखे, लेकिन उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया। उन प्लेन्स में उतना एरिया नहीं था कि कैमरा रखा जा सके। इसी को ध्यान में रखते हुए नकली हवाई जहाज बनाया गया। इस नकली प्लेन को बनाने में 45 दिन लगे थे। 300 लोग हर दिन इसको तैयार करने में लगे रहते थे। मुंबई के बोरीवली के एमटी ग्राउंड पर इस रेप्लिका को बनाया गया था। इसके अंदर 19 दिन शूटिंग हुई थी। शूटिंग खत्म होने के बाद इसे डिस्मेंटल करने में 10 दिन लगे थे। इसे 11 टुकड़ों में तोड़ा गया था। इसे फिर ट्रक में रखकर दूसरी जगह भेजा गया था। 100x20 फीट का एरिया और 25 फीट की ऊंचाई वाले स्टूडियो में नकली प्लेन्स वाले सीक्वेंस शूट होते हैं। एक बार जब शूटिंग खत्म हो जाती है, नकली प्लेन्स को डिस्मेंटल कर दिया जाता है। डिस्मेंटल करने के बाद लोहे, प्लाई, सीट्स, फाइबर और स्विचेस को आर्ट डायरेक्टर अपनी निगरानी में रख लेता है। आर्ट डायरेक्टर के अंडर एक प्रॉपर्टी मास्टर काम करता है, वही इन सामानों की देखरेख करता है। जब दूसरी फिल्म की शूटिंग होती है, फिर नए सिरे से कलर और मॉडल चेंज करके प्लेन की नई रेप्लिका बनाई जाती है। शूटिंग के लिए असली जहाज भी मिलते हैं, लेकिन इनका रेंट महंगा कहीं-कहीं शूट के लिए असली हवाई जहाज भी मिल जाते हैं, लेकिन इनका रेंट महंगा होता है। अब सवाल यह है कि ये असली हवाई जहाज कहां से आते हैं। दरअसल कुछ एयरलाइन कंपनियां खराब या पुराने प्लेन्स को बेच देती हैं। आर्ट डायरेक्टर या कुछ प्राइवेट लोग इन्हें खरीदकर एक निश्चित जगह पर रख देते हैं, फिर उन्हें शूटिंग के लिए रेंट पर देते हैं। खिलौने वाले हवाई जहाज को सामने रखकर रेप्लिका तैयार किया जाता है अपर्णा ने बताया कि जब भी उनके पास नकली प्लेन बनाने का ऑर्डर आता है, तब वे पहले रिसर्च करती हैं। किस टाइम पीरियड का जहाज दिखाना है, उसके लुक से लेकर डिजाइन और मॉडल सबकी जानकारी निकालती हैं। जैसा प्लेन बनाना है, बाजार से उसी मॉडल का डाई कास्ट यानी खिलौने वाले छोटे प्लेन खरीदती हैं। फिर उसी हिसाब से रेप्लिका वाले प्लेन डिजाइन करती हैं। क्रेन की मदद से प्लेन क्रैश वाले सीक्वेंस फिल्माए जाते हैं फिल्मों में प्लेन क्रैश वाले सीक्वेंस भी आम हैं। वैसे तो क्रैश वाले अधिकतर सीन्स VFX की मदद से ही फिल्माए जाते है, लेकिन कुछ सीन्स में नकली प्लेन्स का भी इस्तेमाल किया जाता है। नकली प्लेन्स को क्रेन की मदद से हवा में लहराया जाता है। आसपास ग्रीन स्क्रीन लगा दी जाती है, ताकि अपने हिसाब से आसपास के बैकग्राउंड को चेंज किया जा सके। रामोजी फिल्म सिटी में नकली प्लेन के अलावा फेक एयरपोर्ट भी बनाया गया विद्या ने बताया कि इस वक्त देश में सिर्फ 3 से 4 ही आर्ट डायरेक्टर्स हैं, जिनके पास नकली एयरक्राफ्ट मौजूद है। एयरलाइन वाले सीक्वेंस के लिए सारे फिल्म मेकर इन्हीं से संपर्क करते हैं। मुंबई में 3 नकली एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे। इसके अलावा हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी में भी प्लेन की एक रेप्लिका रखी गई है। वहां फेक एयरपोर्ट भी बनाया गया है। बोर्डिंग गेट से लेकर वेटिंग एरिया तक, सारी चीजें हूबहू कॉपी की गई हैं। ***

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/B6E3aIC
via IFTTT

«
Next
Newer Post
»
Previous
Older Post

No comments: