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शर्मिला टैगोर की कमाई से चलता था घर:सोहा अली खान बोलीं- पापा शौक के लिए क्रिकेट खेलते थे, मां शादी के बाद भी करती थीं काम

सोहा अली खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने पेरेंट्स की लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें शेयर कीं। उन्होंने बताया कि उनके पापा मंसूर अली खान पटौदी, जिन्हें लोग प्यार से 'टाइगर' कहते थे, क्रिकेट को पैशन की तरह खेलते थे, ना कि पैसे कमाने के लिए। सोहा ने कहा, 'हम अकसर उन्हीं लोगों से इंस्पायर होते हैं जो हमारे आसपास होते हैं। मेरे लिए वो इंसान मेरे पापा थे। जब मैं पैदा हुई, तब तक वो रिटायर हो चुके थे। उन्होंने क्रिकेट सिर्फ एंजॉयमेंट के लिए खेला। उस टाइम ना IPL था, ना एडवर्टाइजमेंट, कुछ नहीं था। उस दौर में क्रिकेट में पैसा ही नहीं होता था।' सोहा ने आगे बताया कि उनके घर में कमाने वाली उनकी मम्मी शर्मिला टैगोर थीं। 'पापा हमेशा कहते थे कि वही करना जो तुम्हें खुश रखे। मैंने मम्मी को देखा कि शादी के बाद भी उन्होंने अपने दिल की सुनी। वो 24 की उम्र में शादी कर चुकी थीं। उस टाइम पर एक्ट्रेस की शादी का मतलब होता था कि करियर खत्म। लेकिन मम्मी ने शादी के बाद भी काम किया और अपनी कुछ सबसे बड़ी हिट फिल्में उसी वक्त दीं।' शर्मिला टैगोर और मंसूर अली खान पटौदी की शादी 1968 में हुई थी। उस वक्त ये शादी काफी चर्चा में रही थी क्योंकि ये इंटर-फेथ शादी थी। सोहा ने ट्विंकल खन्ना के शो 'ट्वीक इंडिया' में बताया, 'शादी से पहले मम्मी-पापा को धमकियां मिल रही थीं। किसी ने यहां तक कह दिया था, बोलने की जरूरत नहीं, अब गोलियां बोलेंगी।' सोहा ने ये भी बताया, 'मेरे नाना-नानी ने शादी के लिए फोर्ट विलियम बुक कराया था, लेकिन बारात में आर्मी कनेक्शन वाले लोग ज्यादा थे, तो आखिरी वक्त में मना कर दिया गया। फिर एक एम्बैसडर दोस्त का बड़ा-सा बंगला मिला, वहीं शादी हुई।' शर्मिला टैगोर और पटौदी साहब ने 43 साल साथ बिताए। 2011 में पटौदी साहब का निधन हो गया।

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एग्जाम देते हुए अचानक स्टेज पर नजर पड़ी:एक्टिंग का ख्याल आया/ CID में पहले क्रिमिनल बने, फिर ‘इंस्पेक्टर अभिजीत’ बन फेमस हुए आदित्य श्रीवास्तव

80 के दशक की बात होगी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का एक लड़का एग्जाम हॉल में पेपर दे रहा था। एकाएक उसकी नजर सामने स्टेज पर पड़ी। वह सोचने लगा कि क्या मैं भी यहां परफॉर्म कर सकता हूं? उसने मन बनाया और थिएटर करने लगा। थिएटर करते हुए पहली फिल्म मिली- बैंडिट क्वीन। रोल था फूलन देवी के पति पुत्तीलाल का। रोल में इतने जमे कि फिर आगे बढ़ते गए। फिर रामगोपाल वर्मा की नजर इन पड़ी। फिल्म सत्या में काम दिया। उसमें इंस्पेक्टर का रोल करके सबको प्रभावित किया। प्रभावित लोगों में एक शख्स थे CID के प्रोड्यूसर बीपी सिंह। उन्होंने अपने शो में इन्हें काम दिया। जिसके बाद उदय हुआ सीनियर इंस्पेक्टर अभिजीत का। हम बात कर रहे हैं एक्टर आदित्य श्रीवास्तव की, जिन्होंने 21 साल से ज्यादा समय तक इंस्पेक्टर अभिजीत बन दर्शकों का मनोरंजन किया है। 21 जुलाई, 1968 को प्रयागराज में जन्मे आदित्य सत्या, ब्लैक फ्राइडे, भक्षक, कालो और सुपर-30 जैसी फेमस फिल्मों में भी नजर आ चुके हैं। आज सक्सेस स्टोरी में कहानी आदित्य श्रीवास्तव की.. एग्जाम देते हुए स्टेज पर नजर पड़ी, फिर सब बदल गया आदित्य के पिताजी बैंक में मैनेजर थे। उनका ट्रांसफर होता रहता था। इस वजह से आदित्य की स्कूलिंग भी यूपी के अलग-अलग हिस्सों में हुई है। हालांकि ग्रेजुएशन उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से किया है। पढ़ाई के दौरान ही उनका रुझान एक्टिंग की तरफ हो गया। वे फर्स्ट ईयर का पेपर दे रहे थे। अचानक पेपर देते-देते उनकी नजर सामने ब्लू स्टेज पर पड़ी। आदित्य उस स्टेज को देखकर कुछ देर के लिए खो गए। वे उस स्टेज पर परफॉर्म करने का मन बना बैठे। फिर उन्होंने भारतेंदु हरिश्चंद के नाटक अंधेर नगरी चौपट राजा में काम किया। इस तरह दो-तीन साल जमकर थिएटर किया। फिल्में नहीं, थिएटर में लगता था मन 1989 में आदित्य प्रयागराज से दिल्ली चले गए। वहां श्रीराम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में 5 साल थिएटर किया। उस समय तिग्मांशु धूलिया शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन की कास्टिंग कर रहे थे। आदित्य भी उस फिल्म से जुड़े। शुरुआती दौर में आदित्य का मन फिल्मों में नहीं, थिएटर में ही लगता था। थिएटर में भले ही पैसा नहीं था, लेकिन वहां काम करने का जुनून था। पैसे वाली बात दिमाग में भी नहीं आती थी। शायद इसी वजह से उन्हें दिल्ली से मुंबई आने में 5 साल का लंबा वक्त लग गया। उनके थिएटर के अधिकतर दोस्त पहले ही मुंबई चले गए थे। पैसे कमाने के लिए ऐड शोज में अपनी आवाज दी आदित्य को मुंबई में शुरुआत में ज्यादा काम नहीं मिला। कभी-कभी हौसला टूटता था तो दोस्तों के साथ बैठकर दुख-सुख बांट लेते थे। आदित्य ने कहा, ‘मेरे दोस्त भी स्ट्रगल ही कर रहे थे, इसी वजह से मुझे उतना ज्यादा दुख नहीं होता था। मैं अपने दोस्तों की तुलना में थोड़ा जल्दी काम करने लगा था। पैसे कमाने के लिए ऐड फिल्मों में वायस ओवर वगैरह करता था। इसी बीच कई टीवी सीरियल्स में भी काम किया। हालांकि, मैं कभी भी सिर्फ एक जगह चिपककर नहीं रहना चाहता था। मैंने कुछ टीवी शोज में काम करने के बाद फिल्मों में ध्यान केंद्रित करने का मन बनाया।’ CID में पहले क्रिमिनल का रोल किया, फिर इंस्पेक्टर अभिजीत बने आदित्य को 1997 में फिल्म सत्या मिली, जिसने सही मायनों में उन्हें पहचान दी। अगर सत्या नहीं होती, तो शायद CID भी नहीं मिलती। आदित्य ने कहा, ‘दरअसल, सत्या में मैंने एक इंस्पेक्टर का रोल किया था, जो शो के प्रोड्यूसर बीपी सिंह जी को बहुत पसंद आया। उन्होंने मुझे CID में काम करने के लिए कहा। शुरुआत में तो मैं इससे दूर भागता रहा, क्योंकि मेरे पास दो-तीन फिल्में थीं। हालांकि, इसी बीच एक एपिसोड में क्रिमिनल का रोल कर लिया। मेकर्स को मेरा काम पसंद आया। उन्होंने मुझे इंस्पेक्टर का रोल ऑफर किया। मैंने सोचा कि शुरुआत में 26 एपिसोड कर लूंगा, दो-तीन महीने इंगेज रहूंगा, क्या ही जाता है। लेकिन धीरे-धीरे शो में काम करते-करते इसका अभिन्न अंग बन गया। हालांकि, मैं बीच-बीच फिल्में भी करता रहता था। ये CID के मेकर्स की मेहरबानी थी कि जब भी मोहलत मांगी, उन्होंने कभी मना नहीं किया।’ मेकर्स को पैसे दिए ताकि फिल्म बन पाए, जबकि साइड रोल में थे 2000 में आदित्य की एक फिल्म ‘दिल पर मत ले यार’ रिलीज हुई। इस फिल्म से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। डायरेक्टर हंसल मेहता ने मनोज बाजपेयी को लीड रोल के तौर पर कास्ट किया था। किसी कारणवश मनोज इस फिल्म से हट गए। तब हंसल ने आदित्य को लीड रोल करने को कहा। आदित्य तैयार था, लेकिन मनोज के जाने की वजह से प्रोड्यूसर्स पीछे हट गए। तभी मनोज वापस आ गए और फिल्म के लिए तैयार हो गए। आदित्य को फिर सेकेंड लीड करने को कहा गया। वे तैयार भी हो गए। बीच शूटिंग में पैसों की दिक्कत आने लगी। हंसल के सामने फिल्म खत्म करने की चुनौती थी। फिर आदित्य ने अपनी जमापूंजी निकालकर हंसल को दे दी, ताकि फिल्म कम्पलीट हो जाए। ये बहुत बड़ी बात है कि एक एक्टर होने के बावजूद आदित्य ने मेकर्स की हेल्प की, वो भी उस फिल्म में, जहां उनका सपोर्टिंग रोल था। नसीरुद्दीन शाह और इरफान ने मना किया तो ब्लैक फ्राइडे में रोल मिला आदित्य श्रीवास्तव सत्या के बाद एक और फेमस फिल्म ब्लैक फ्राइडे में देखे गए। यह फिल्म 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट पर बनी थी। आदित्य ने फिल्म में बादशाह खान का रोल किया था। हालांकि, इस रोल के लिए डायरेक्टर अनुराग कश्यप की पहली पसंद नसीरुद्दीन शाह और इरफान खान थे। दोनों ने फिल्म करने से मना कर दिया। तब अनुराग ने आदित्य को यह रोल दिया, जिसमें वे पूरी तरह कामयाब हुए। लोग इनकी फिल्मों के भी फैन, टाइपकास्ट नहीं हुए आदित्य ने भले ही 21 साल एक ही टीवी शो में काम किया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वे टाइप कास्ट हो गए। उनकी फिल्मों में निभाए किरदार भी यादगार हैं। आदित्य कहते हैं, ‘ऑडियंस अलग-अलग चीजें देखना पसंद करती है। मुझे कुछ लोग ऐसे भी मिलते हैं, जो मेरी फिल्मों के फैन होते हैं। वे मुझसे फिल्म भक्षक और ब्लैक फ्राइडे के मेरे कैरेक्टर के बारे में बात करते हैं। जहां तक CID के इंस्पेक्टर अभिजीत की बात है, तो इसे चाहने वालों की रेंज थोड़ी बड़ी है। हम देश के किसी भी कोने में चले जाएं, कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो कभी न कभी CID जरूर देखे होंगे।’ आदित्य श्रीवास्तव अब CID के दूसरे सीजन में भी सीनियर इंस्पेक्टर अभिजीत बनकर वापस आए हैं। एक बार फिर एसीपी प्रदुम्न, इंस्पेक्टर अभिजीत और इंस्पेक्टर दया की तिकड़ी लौट आई है। ____________________________________________________________ पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी यहां पढ़िए... एक्ट्रेस राजश्री की कहानी- ऑर्केस्ट्रा में डांस:लोगों ने पॉर्न स्टार कहा, नेटफ्लिक्स सीरीज से मिली पहचान; समाज सेवा के लिए छोड़े कई बड़े प्रोजेक्ट्स दुष्यंत कुमार की ये लाइनें एक्ट्रेस राजश्री देशपांडे के करियर और जिंदगी के दो अलग-अलग सिरों को जोड़ती हैं। फिल्मों में अपनी बोल्ड चॉइस से हंगामा मचाने वाली राजश्री असल जिंदगी में अपने सोशल वर्क से लोगों की जिंदगी बदल रही हैं। पूरी खबर पढ़ें..

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Prada to buy rival fashion brand Versace for $1.36bn

The deal to unite the two Italian brands has an estimated value of $1.36bn (£1.06bn). from BBC News https://ift.tt/NeGjYKA ...

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Bronze Age cymbals of Indus Valley style found in Oman

A pair of 4,000-year-old copper cymbals found at the ancient Dahwa site in northern Oman are very similar to examples found in the Indus Valley of what is...

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विपिन शर्मा ने शेयर किया स्ट्रगल के दिनों का किस्सा:बोले- गुजारा करने के लिए वेजिटेरियन होने के बावजूद मीट काटने का काम किया

आमिर खान की फिल्म 'तारे जमीन पर' के को- एक्टर विपिन शर्मा ने अपने स्ट्रगल के दिनों के किस्से शेयर किए। उन्होंने बताया कि उन्हें वेजिटेरियन होने के बावजूद मीट काटने का काम करना पड़ा था, ताकि वह अपना गुजारा कर सकें। एक्टिंग छोड़ कनाड़ा गए थे एक्टर विपिन शर्मा ने हाल ही में द लल्लनटॉप के साथ अपने स्ट्रगलिंग फेज के बारे में खुलकर बात की। इस बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी लाइफ में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने एक्टिंग छोड़ने का फैसला कर लिया और कनाडा चले गए थे। वहां विपिन एक एक्टिंग वर्कशॉप में गए, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई। उन्होंने कहा, ‘कनाडा में एक वर्कशॉप अटेंड करने के बाद मुझे फील हुआ कि मेरी जिंदगी में एक्टिंग के अलावा कुछ भी नहीं है और मैं कुछ और कर ही नहीं सकता। इसलिए मैंने टोरंटो में अपनी सारी चीजें सड़क पर फेंक दीं और भारत वापस आने के लिए टिकट खरीद ली थी।’ मैं बहुत जिद्दी था- विपिन विपिन शर्मा ने कनाडा जाने का किस्सा शेयर करते हुए कहा, ‘मैं कभी किसी चीज से खुश नहीं होता था। मैं बहुत बहस करता था। मुझे ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए रिश्वत देना बहुत खराब लगता था। मुझे अपने आसपास का माहौल भी पसंद नहीं था, और मेरे अंदर बहुत गुस्सा था क्योंकि मैं सोचता था कि हमारा समाज ऐसा क्यों है? मेरे लिए यह सब और भी मुश्किल था क्योंकि मैं स्लम एरिया में बड़ा हुआ। एक बार मैंने ट्रेन की इमरजेंसी चेन खींच दी थी, जिसके कारण मुझे रात में एक स्टेशन पर उतार दिया गया। मुझसे कहा गया कि अगर तुम 10 रुपए देकर स्लीपर बर्थ नहीं ले सकते, तो तुम्हें ट्रेन में ट्रैवल करने का हक नहीं है।’ वेजिटेरियन होने के बावजूद मीट काटने का काम किया विपिन शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने स्ट्रगल के दिनों में कई रेस्टोरेंट में काम किया। उन्होंने कहा, ‘ये उस समय की बात है जब मैं एक आयरिश रेस्टोरेंट में काम करता था। मैं वेजिटेरियन हूं, लेकिन वहां मेरा काम मीट को निकालना था। मुझे मीट को काटना और साफ करना पड़ता था। उस समय मेरे पास बिल्कुल पैसे नहीं थे और वही नौकरी थी। मैं जब मीट साफ कर रहा था, तब मैंने भगवान से प्रार्थना की थी कि भगवान ये क्या हो रहा है? मैं मीट नहीं काट सकता, कच्चे मीट को काटना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। जिस दिन मैंने प्रार्थना कि उसके अगले ही दिन मुझे टोरंटो के एक बड़े चैनल में एडिटिंग की नौकरी मिल गई।’ कई फिल्मों और सीरीज में काम किया वर्कफ्रंट की बात करें तो विपिन शर्मा ने ‘मंकी मैन’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ ‘होटल मुंबई’ और ‘पाताल लोक’ जैसी फिल्मों और सीरीज में काम किया है। विपिन शर्मा आखिरी बार सीरीज क्राइम बीट में नजर आए थे। इसमें विपिन ने साकिब सलीम, राजेश तैलंग और राहुल भट्ट के साथ स्क्रीन शेयर की थी।

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शूटिंग के बाद पैदल घर जाते हैं सुदीप साहिर:पंकज कपूर की कॉपी की थी,  ग्रे शेड रोल पर बोले- हर सीन एक नई चुनौती

टीवी एक्टर सुदीप साहिर इन दिनों कलर्स चैनल के शो ‘परिणीति’ में ग्रे शेड किरदार निभा रहे हैं। एक्टर के करियर का यह पहला ऐसा शो है जिसमे पहली बार ग्रे शेड किरदार में नजर आ रहे हैं। हाल ही में एक्टर ने दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान शो और करियर से जुड़ी कुछ खास बातें शेयर की। पेश है बातचीत के कुछ प्रमुख अंश.. ‘परिणीति’ में अपने किरदार को किस तरह से देख रहे हैं? मैंने इस तरह का किरदार पहले कभी नहीं निभाया है। आम तौर पर देखा गया है कि टेलीविजन में ब्लैक या फिर व्हाइट किरदार निभाने का मौका मिलता है। अब तक मैंने अच्छे भाई, पिता, बेटा और पति के ही किरदार ही निभाए हैं। इस बार कुछ अलग करने की सोची। कुछ समय पहले मैंने एक इंटरव्यू के दौरान ग्रे किरदार निभाने की इच्छा जताई थी। जब इस शो का ऑफर आया तो मुझे लगा कि मेरी चाहत पूरी हुई। जब चाहत पूरी होती है तब उसे परफेक्ट करने के लिए अलग से कितनी तैयारी करनी पड़ती है? जब आप व्हाइट किरदार निभाते है तब हर शो में उसी तरह के किरदार ऑफर होते हैं। जिसे पहले कर चुके होते हैं, उसे अलग तरह से करने की कोशिश करते हैं। 'परिणीति’ में हर सीन मेरे लिए नया है। क्योंकि इस तरह का किरदार कभी निभाया ही नहीं। इसलिए हर दिन कुछ नया करने की चुनौती रहती है। आमतौर पर ग्रे किरदार को काफी नोटिस किया जाता है, आपने इस तरह के किसी किरदार को नोटिस किया है? मैं इंसानों को नोटिस करने की कोशिश करता हूं। वहीं से कुछ सीखता हूं। मैंने इससे पहले एक शो ‘तेरा यार हूं मैं’ किया था। मैंने पंकज कपूर की फिल्म ‘चमेली की शादी’ देखी थी। उस फिल्म में उनका जिस तरह से बॉडी लैंग्वेज था। उस तरह की स्टाइल मैंने शो में कॉपी की थी। आपने छोटे परदे पर कई चर्चित किरदार निभाए हैं, कौन सा किरदार आपके दिल के बहुत करीब है? हर किरदार मेरे दिल के बहुत करीब है, क्योंकि सब में जी जान लगाकर काम करते हैं। ‘चन्ना वे घर आजा वे’ म्यूजिक वीडियो 2004 में किया था। आज भी लोग मुझे उस गाने की वजह से जानते हैं। आज उस गाने को 21 साल के हो गए हैं। आज भी मुझे उस गाने से बहुत प्यार मिलता है। मैं भाग्यशाली रहा हूं कि उस समय वह गाना मुझे मिला। कभी फिल्मों के लिए कोशिश नहीं की? सच कहूं तो मैंने कभी फिल्मों के लिए नहीं कोशिश की। ‘मैं लक्ष्मी तेरे आंगन’ के बाद मैंने एक फिल्म ‘लेकर हम दीवाना दिल’ की थी, लेकिन वह फिल्म नहीं चली। उस फिल्म के क्रिएटिव प्रोड्यूसर इम्तियाज अली थी। उनके भाई आरिफ अली ने फिल्म डायरेक्ट की थी। ए आर रहमान साहब का म्यूजिक था। दिनेश विजन ने फिल्म प्रोड्यूस की थी। मैंने उस फिल्म के बाद कभी कोशिश नहीं की। मेरे पास सामने से जो ऑफर आया उसे स्वीकार किया और करता रहा। कभी ऐसा हुआ कि शो की शूटिंग में बिजी रहने की वजह से फिल्म छोड़नी पड़ी हो? कई बार ऐसा हुआ है कि फिल्मों की ऑडिशन के लिए कॉल आए हैं, लेकिन टेलीविजन की वजह से नहीं कर पाया। टेलीविजन के लिए महीने में एक साथ 15-20 दिन का समय देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में ऑडिशन नहीं हो पाते। जब किसी शो में लीड रोल होता है तब तो बिल्कुल भी समय नहीं मिलता है। क्योंकि उसके के लिए 25-30 दिन तक बिजी रहना पड़ता है। ऐसे कई मौके आए, नहीं कर पाया, मुझे लगता है कि भाग्य में जो लिखा होता है। वही होता है। आप भाग्य पर ज्यादा भरोसा करते हैं? मैं भाग्य पर भरोसा करता हूं, उससे कहीं ज्यादा अपने टैलेंट पर भरोसा करता हूं। मेरा मानना है कि भाग्य में जो होगा वह तो मिलेगा ही, भले ही उस प्रोजेक्ट में कोई बड़ा सितारा क्यों ना हो? वहां सिर्फ टैलेंट काम आता है, वैसे भी यह लाइन ऐसी है कि यहां बहुत निराशा मिलती है। जीवन में कोई ऐसा क्षण आया, जब आप बहुत निराश हुए हों, उससे उबरने के लिए क्या किया? ईश्वर की कृपा से मैं ऐसा इंसान हूं कि मेरी जिंदगी में कभी निराशा नहीं हुई। अगर कोई शो ऑफर हुआ और वह फाइनल नहीं हुआ तो मुझे लगता है कि वह सामने का नुकसान था। मेरे लिए कुछ अच्छा लिखा होगा। हमारे अंदर जान लगाने की क्षमता है। जीवन में मिला पहला मौका दिल के बहुत करीब होता है, बहुत सारी यादें जुड़ी होती हैं। आपकी किस तरह की यादें हैं? मुझे टेलीविजन पर पहला मौका बालाजी टेलीफिल्म्स के शो ‘क्यों होता है प्यार’ में मिला था। 2003 में दिल्ली से आया था तो ऐड करता था। उस समय पीजी में रहता था। हर ऐड के बाद लगता था कि दो महीने के रेंट का इंतजाम हो गया है। जब ‘क्यों होता है प्यार’ मिला तब पीजी से 1 BHK के फ्लैट में शिफ्ट हो गया। आज फिर बालाजी के शो में काम करने का मौका मिला, इससे पहले जब भी बालाजी से कॉल आया, किसी ना किसी दूसरे शो में बिजी था। बालाजी टेलीफिल्म्स में काम करना, मेरे लिए घर वापसी जैसा है। आज 22 साल के बाद बालाजी का शो कर रहा हूं। टेलीविजन में काफी बिजी शेड्यूल रहता है, खुद को फिट रखने के लिए कैसे समय निकाल पाते हैं? मैं समय निकाल लेता हूं। अगर मैं नायगांव में भी शूटिंग करता हूं तो वापस लौटते समय डोमेस्टिक एयरपोर्ट के पास अपनी कार से उतरकर बांद्रा अपने घर पैदल चलकर जाता हूं। इस तरह से 40 से 50 मिनट का वर्क आउट हो जाता था। घर पहुंचने के बाद अपनी फैमिली के साथ समय बिताता हूं।

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On the Spot: Patricia Fara

On the Spot: Patricia Fara JamesHoare Wed, 04/09/2025 - 09:08 * This article was originally published here ...

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New Universal theme park confirmed for UK

The company says the new site is expected to create 28,000 jobs and generate £50bn for the economy. from BBC News https://ift.tt/0Ba9M8y ...

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'Black Mirror could just run and run', says Charlie Brooker

The unsettling tech-driven anthology is back for a seventh series and there's no shortage of material. from BBC News https://ift.tt/UzWqHQa ...

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Astro Bot dominates Bafta Games Awards with five wins

Sony's 3D platformer scoops five trophies in total at the London ceremony, with Balatro winning best debut. from BBC News https://ift.tt/QHK8CXx ...

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Astro Bot dominates Bafta Games Awards with five wins

Sony's 3D platformer scoops five trophies in total at the London ceremony, with Balatro winning best debut. from BBC News https://ift.tt/tOpThMG ...

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Catherine of Siena’s American Daughters

Catherine of Siena’s American Daughters JamesHoare Tue, 04/08/2025 - 09:01 * This article was originally published here ...

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Madonna and Elton John bury hatchet after lip-sync feud

Madonna said the pair had reconciled after she went to "confront" Sir Elton following a performance of his new songs on Saturday Night Live. from BBC News https://ift.tt/RHyziDv...

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Corrie legend, social star, and an Oscar winner: Celebrity Big Brother kicks off

The latest Celebrity Big Brother begins on ITV - with ex-MP Michael Fabricant and EastEnder Patsy Palmer among the contestants. from BBC News https://ift.tt/9KQNhpm ...

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The latest Celebrity Big Brother begins on ITV - with ex-MP Michael Fabricant and EastEnder Patsy Palmer among the contestants. from BBC News https://ift.tt/HjcJ6O0 ...

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‘Queen James’ by Gareth Russell review

‘Queen James’ by Gareth Russell review JamesHoare Mon, 04/07/2025 - 09:00 * This article was originally published here ...

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Manville and Lithgow score top Olivier prizes

Fiddler On The Roof, The Curious Case Of Benjamin Button and Giant were among the other big winners. from BBC News https://ift.tt/sDV1Zwr ...

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Fiddler On The Roof, The Curious Case Of Benjamin Button and Giant were among the other big winners. from BBC News https://ift.tt/edS4HzZ ...

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Gladiators final and The Banksy Story is back: What's coming up this week

Shows including Doctor Who and Black Mirror are to return, as videogame South of Midnight is released. from BBC News https://ift.tt/Ggv0FsJ ...

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A Minecraft Movie storms box office despite lukewarm reviews

The film boasts a star-studded cast including Jason Momoa, Jack Black and Jennifer Coolidge. from BBC News https://ift.tt/MsFtRxq ...

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Early medieval brooch found during highway works

A Celtic brooch dating to the 8th century has been discovered during highway construction in Ardshanbally, Co Limerick, Ireland. The artifact was unearthed in 2024 an archaeological survey...

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सेप्टिक टैंक में सड़ती मिली थी एक्ट्रेस कुरुगंती की लाश:चेहरा कुचला गया था, पुजारी को मामा कहती थीं, उसी से था अफेयर; अबॉर्शन करवाया था

आज अनसुनी दास्तान में हम आपको एक टीवी एक्ट्रेस की हत्या की ऐसी सिहरन पैदा करने वाली कहानी बता रहे हैं, जिसने हर रिश्ते को शर्मसार कर दिया। कत्ल का तरीका इतना वीभत्स था कि सुनने वाले भी सन्न रह गए। ये कहानी है कुरुगंती अप्सरा की। कुरुगंती एक टीवी एक्ट्रेस थीं। उनके पहले पति ने आत्महत्या कर ली थी। इस सदमे से उबरकर वो अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना चाहती थीं, लेकिन फिर एक दिन वो अचानक लापता हो गईं। वो अपनी दोस्तों के साथ कोयंबटूर के लिए रवाना होने वाली थीं, वो घर से निकली भी थीं, लेकिन न तो वो दोस्तों के पास पहुंचीं, न कभी घर लौटीं। कुछ दिनों बाद उनकी लाश एक सरकारी दफ्तर के पास स्थित सेप्टिक टैंक में सड़ती-गलती मिली थी। चेहरा बुरी तरह कुचला गया था। पढ़िए एक्ट्रेस कुरुगंती अप्सरा हत्याकांड की कहानी, जिसके तार एक गुमनाम जिंदगी, पुजारी, एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर और साजिश से जुड़े थे- 3 जून 2023 टीवी एक्ट्रेस कुरुगंती अप्सरा ने अपनी सहेलियों के साथ कोयंबटूर के भद्राचलम जाने का प्लान बनाया था। देर रात घर से निकलना था तो उन्होंने पड़ोस में रहने वाले अयागरी साई कृष्ण से बस तक ड्रॉप करने के लिए मदद मांगी। अयागरी हैदराबाद के सरूरनगर की बंगारू मियासम्मा मंदिर के पुजारी थे। कुरुगंती आए दिन मां अरुणा के साथ मंदिर जाया करती थीं, ऐसे में उनकी पुजारी अयागरी से अच्छी बातचीत होती थी। उनकी मां भी पुजारी को अपने भाई समान मानती थीं। मां ने कहा था कि बस में बैठते ही कॉल कर इन्फॉर्म कर देना। देर रात करीब साढ़े 10 बजे कुरुगंती, अयागरी के साथ घर से निकलीं। वो अक्सर सहेलियों के साथ जाती रहती थीं, तो मां ज्यादा फिक्रमंद नहीं थीं। नंबर बंद होने से परिवार ने शुरू की थी तलाश अगली सुबह मां ने उन्हें कॉल किया तो उनका नंबर बंद था। उन्हें फिक्र होने लगी तो वो घबराई हुईं मंदिर के पुजारी के पास पहुंचीं। पुजारी अयागरी ने बताया कि उन्होंने कुरुगंती को देर रात सहेलियों के पास छोड़ दिया और घर लौट आए। उन्होंने ये भी बताया कि वो बस से नहीं बल्कि कार से निकली हैं। मां ये सुनकर परेशान हो गईं। उन्होंने पुजारी से बार-बार पूछा कि अगर कुरुगंती ने बस की बजाय कार का प्लान बनाया तो उन्होंने तुरंत कॉल कर इत्तला क्यों नहीं दी, जवाब मिला कि वो जल्दबाजी में लौटे और कॉल करना भूल गए। 4 जून को कुरुगंती की मां अरुणा, पुजारी अयागरी के साथ मिलकर उनकी तलाश करती रहीं। नंबर लगातार बंद था और उनकी कोई खबर नहीं मिल रही थी। पुजारी की मदद से मां ने दर्ज करवाई शिकायत 5 जून को थक-हारकर उन्होंने बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाने का फैसला किया। पड़ोसी को परेशान देखकर पुजारी ने भी मदद की और उनके साथ राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन पहुंचे, क्योंकि पुजारी ही वो आखिरी शख्स थे, जिन्होंने कुरुगंती को आखिरी बार देखा था, इसलिए जांच की शुरुआत उनके बयान से की गई। पुजारी के बयान के अनुसार, वो कुरुगंती को भांजी मानते थे, उनकी मां मंदिर आया-जाया करती थीं, जिससे वो उन्हें बहन का दर्जा देते थे। 3 जून की रात साढ़े 10 बजे वो कुरुगंती को लेकर निकले और उन्हें शमशाबाद में उनकी सहेलियों के पास ड्रॉप कर दिया। तब से ही उनका फोन बंद है। CCTV फुटेज से खुले हत्या के राज पुलिस जांच में कुरुगंती की दोस्तों से संपर्क किया गया तो सामने आया कि वो शमशाबाद आई ही नहीं थीं। ऐसे में पुलिस का पूरा शक पुजारी पर गया। इस शक को यकीन में बदलने के लिए पुलिस ने सरूरनगर से शमशाबाद की दूरी 21 किलोमीटर के रास्ते के सभी सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए। फुटेज से चौंका देने वाले खुलासे हुए। पुजारी ने कुरुगंती को पिक तो किया, लेकिन ड्रॉप नहीं किया। जिस पुजारी ने शिकायत दर्ज करवाई, वही निकला कातिल अगले दिन जब उसकी गिरफ्तारी हुई तो वो बार-बार बयान बदलने लगा। कुछ घंटे बीते ही थे कि उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। एक पुजारी का कन्फेशन सुन हर कोई दंग रह गया। उसके इकबाल-ए-जुर्म के अनुसार, वो कुरुगंती को लेकर निकला था। रास्ते में उसको नींद लगने लगी तो उसने उसका सिर गाड़ी के डैशबोर्ड से दे मारा। जब कुरुगंती बचाव में चीखने लगीं तो उसने कार में ही रखे एक भारी पत्थर से उनका चेहरा कुचल-कुचलकर हत्या कर दी। वो पहले ही कुरुगंती की हत्या की साजिश रच चुका था। दो दिनों तक पुजारी ने लाश पार्किंग में रखी कत्ल को अंजाम देने के बाद पुजारी ने कुरुगंती की लाश को कार के कवर से ढंक दिया और कार की डिक्की में डाल दिया। घर लौटकर उसने कार पार्किंग में खड़ी कर दी। जिस दिन वो कुरुगंती की मां के साथ उनकी तलाश में इधर-उधर भटक रहा था, तब लाश कार में ही पड़ी थी। वो हर थोड़ी देर बाद घर लौटता था और रूम फ्रेशनर छिड़ककर चला जाता था। एक तरफ ढूंढने का दिखावा किया, दूसरी तरफ लाश ठिकाने लगाई 5 जून को खुद पुलिस स्टेशन जाकर गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाने की रात ही पुजारी ने अपने घर और मंदिर के पास स्थित सरकारी मंडल रेवेन्यू ऑफिस के पास स्थित सैप्टिक टैंक में लाश फेंक दी। उस जगह पर किसी का आना-जाना नहीं था तो लाश छिपाना उसके लिए बेहद आसान था। सड़न की बदबू आने पर सरेआम सीमेंट से सील करवाया टैंक अगले दिन उसने सफाई के बहाने उस टैंक में 2 ट्रक भरकर लाल मिट्टी डलवा दी। एक दिन बाद जब लाश सड़ने की बदबू बढ़ने लगी तो उसने आसपास के लोगों से बदबू की शिकायत कर टैंक को सीमेंट से सील करवा दिया। एक तरफ पुजारी अयागरी कुरुगंती को ढूंढने का दिखावा करता रहा और दूसरी तरफ वो रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसे व्यस्त रहा कि उस पर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी, लेकिन अफसोस सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद उसने खुद जुर्म कबूल कर लिया। गूगल पर सर्च करता था कत्ल का तरीका पुजारी अयागरी साई कृष्णा पिछले कई दिनों से कुरुगंती की हत्या की साजिश रच रहा था। उसने कई बार गूगल पर कत्ल करने के तरीके सर्च किए थे। वो ये भी देखता था कि लाश को कैसे ठिकाने लगाया जाए और बचा जाए। दुनिया के सामने पुजारी, लेकिन भतीजी समान कुरुगंती से था अफेयर पुजारी अयागरी ने कत्ल की जो वजह बताई, वो पुलिस के साथ-साथ दोनों परिवारों के लिए भी बेहद चौंका देने वाली थी। उसने बताया कि साल 2023 की शुरुआत में कुरुगंती अक्सर मंदिर आया करती थी। कुछ मामूली बातचीत से शुरू हुई ये दोस्ती प्यार में बदल गई, जबकि वो दुनिया के सामने कुरुगंती को भांजी कहा करते थे। अयागरी उनकी मां को बहन मानते थे। दोनों अक्सर समाज और परिवार से छिपकर साथ समय बिताया करते थे। कई बार दोनों परिवार से झूठ बोलकर शहर से बाहर घूमने भी जाया करते थे। कुछ हफ्तों पहले ही दोनों साथ में गुजरात के सोमनाथ द्वारका मंदिर गए थे। कुरुगंती का करवाया था अबॉर्शन, शादी का बना रही थी दबाव मई 2023 में कुरुगंती गर्भवती हो गई थीं। इस दौरान वो पुजारी अयागरी पर शादी का दबाव बना रही थीं, लेकिन वो इस रिश्ते को लोगों से छिपाकर रखना चाहता था। वजह ये थी कि वो पहले से शादीशुदा था और उसके बच्चे भी थे। उसने कुरुगंती को बहला-फुसलाकर उनका अबॉर्शन करवा दिया। पुजारी ने इस समय अपनी पत्नी से कहा था कि एक रोज कुरुगंती मंदिर में बेहोश हो गई थी, तो वो उन्हें अस्पताल ले गया था। अबॉर्शन के बाद भी कुरुगंती लगातार शादी की बात कर रही थीं। जब पुजारी ने पहली पत्नी और बच्चों को छोड़ने से इनकार कर दिया तो कुरुगंती धमकियां देने लगीं कि अगर वो शादी नहीं करेगा तो वो समाज के सामने सब सच बता देंगी। बदनामी के डर से पुजारी अयागरी ने कुरुगंती की हत्या की साजिश रच दी। कुरुगंती एक टीवी एक्ट्रेस थीं। वो तमिलनाडु के कोयंबटूर की रहने वाली थीं। पिता का सालों पहले निधन हो चुका था, ऐसे में वो मां के साथ अकेली रहती थीं। कोई भाई-बहन नहीं थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुरुगंती ने टीवी शोज में छोटे-मोटे रोल किए थे। वो तमिल फिल्मों में हाथ आजमाना चाहती थीं, जिसके चलते वो और उनकी मां अक्सर प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स के चक्कर काटा करती थीं। इसी बीच कुरुगंती की जिंदगी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर कार्तिक राजा ने एंट्री ली। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और शादी कर ली। शादी के बाद भी कुरुगंती की मां अरुणा उनके साथ ही रहती थीं। पहले पति ने कर ली आत्महत्या, सास ने लगाए थे गंभीर आरोप ये शादी कुछ ही महीनों तक चली और एक रोज कुरुगंती ने पति को छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद कुरुगंती के पति ने आत्महत्या कर ली। साउथ पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में कुरुगंती की सास ने आरोप लगाए कि वो पति के पैसों का मिसयूज करती थी। कुरुगंती के खर्चे उठाने के लिए पति कार्तिक ने 25 लाख रुपए का लोन भी लिया था, लेकिन जब वो पैसे खत्म हुए तो उनका लगातार झगड़ा होने लगा। कुरुगंती की सास का आरोप था कि वो कार्तिक को अपने महंगे शौक पूरे करने के लिए इस्तेमाल करती थी। जब कार्तिक के पैसे खत्म हुए तो उसने कोर्ट में उनके खिलाफ दहेज प्रताड़ना का झूठा केस कर दिया। इस मामले में कार्तिक को 15 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। वो जेल से निकला तो कुरुगंती ने तलाक और एलुमनी का केस कर दिया। कार्तिक केस से मानसिक रूप से टूट गया और उसने आत्महत्या कर ली। कार्तिक का परिवार कुरुगंती के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज करवाना चाहता था, लेकिन वो इससे पहले ही कोयंबटूर शहर छोड़कर चली गईं। उन्होंने सारे नंबर भी बंद कर लिए। उन्होंने अपने रिश्तेदारों को भी नहीं बताया था कि वो मां के साथ सरूरनगर में रहती हैं। जब कुरुगंती की हत्या की खबर अखबारों में छपी, तब कार्तिक के परिवार को पता चला कि वो हैदराबाद में रह रही थी। पुजारी को मिली उम्रकैद की सजा कुरुगंती अप्सरा के कत्ल का दोषी पाए जाने पर पुजारी अयागरी साई कृष्णा को मार्च 2025 में रंगारेड्डी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 10 लाख रुपए जुर्माना लगा है, जिसमें से 9 लाख 75 हजार रुपए कुरुगंती के परिवार को दिए जाएंगे।

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Can 'the internet's boyfriends' spark cinema Beatlemania?

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Life-sized relief of man and priestess found at monumental tomb

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सॉन्ग बैन कॉन्ट्रोवर्सी से ट्रेंडिंग में हरियाणवी सिंगर:बिलबोर्ड की टॉप-20 में शामिल हुए 3 गाने, इनमें हरियाणा सरकार का बैन किया खटोला-2 भी

हरियाणा में गन कल्चर के गाने बैन होने के बाद इंटरनेशनल लेवल के म्यूजिक चार्ट बिलबोर्ड पर हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा के 3 गाने ट्रेंड कर रहे हैं। बिलबोर्ड की इंडिया लिस्ट में मासूम शर्मा के 'पिस्तौल' और 'चंबल के डाकू' टॉप-10 में हैं, जबकि खटोला-2 14वें नंबर पर ट्रेंड कर रहा है। इनमें 'खटोला-2' हरियाणा सरकार बैन कर चुकी है। इसका मतलब मासूम शर्मा के तीनों गाने केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब, हिमाचल, राजस्थान समेत अन्य राज्यों में भी सुने जा रहे हैं। इसके अलावा म्यूजिक ऐप स्पॉटिफाई पर भी मासूम शर्मा के गाने ट्रेंडिंग में हैं। ढांडा न्योलीवाला का गाना आ चुका बिलबोर्ड पर इंडिया के टॉप-15 गानों में हरियाणा के 3 गाने आना हरियाणवी इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। बिलबोर्ड के चार्ट पर आम तौर पर हरियाणा के गाने नहीं आते। बिलबोर्ड पर बॉलीवुड के गानों का ही कब्जा रहता है। पिछले साल हरियाणवी सिंगर ढांडा न्योलीवाला का 'रशियन बंदाना' गाना टॉप-20 में आया था। पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का गाना वॉच-आउट बिलबोर्ड की कैनेडियन लिस्ट में 33वां स्थान पर पहुंचा था। इससे पहले उनका गाना '295' भी बिलबोर्ड पर आया था। दिलजीत दोसांझ के गाने भी बिलबोर्ड पर आए हैं। जानिए, हरियाणा में क्यों बैन किए गए गल कल्चर वाले गाने नायब सिंह सैनी की अगुआई वाली भाजपा सरकार ने गन कल्चर को बढ़ावा देने वाले गाने बैन करने शुरू किए तो सबसे पहले 5 गाने बैन हुए, जिसमें 3 मासूम शर्मा के थे। इससे मासूम भड़क गए। उन्होंने बिना नाम लिए गजेंद्र फोगाट के लिए कहा कि सरकार में बैठे एक व्यक्ति ने निजी खुन्नस निकाली है। इसके बाद गजेंद्र फोगाट ने भी बिना नाम लिए कहा कि मासूम फेमस होने के लिए कॉन्ट्रोवर्सी कर रहे हैं। यह पुलिस का काम है। इसके बाद अचानक सरकार ने गजेंद्र फोगाट को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा सचिवालय में दिया कमरा खाली करा लिया। उस कमरे को CM के मीडिया सेक्रेटरी को अलॉट कर दिया गया। इसके बाद फोगाट ने कहा कि हरियाणा के सिंगरों को पाकिस्तान से फंडिंग हो रही है। जिस वजह से गन कल्चर पर गाने बनाए जा रहे हैं। इस पर मासूम ने कहा कि वह (गजेंद्र फोगाट) हरियाणवी इंडस्ट्री का चला हुआ कारतूस है, जो गलती से करीब 20 साल पहले एक बार चला था। इसके बाद उसका तुक्का कभी नहीं लगा। इसके बाद मासूम शर्मा के फैंस गजेंद्र फोगाट को ट्रोल करने लगे। वहीं फोगाट के हक में जाट सिंगर-कलाकार लॉबी जुटने लगी। जिसके बाद मासूम शर्मा लाइव आए और कहा कि उन्हें सभी जातियों का सहयोग मिलता है। ये खबरें भी पढ़ें... हरियाणवी सिंगर मासूम शर्मा बोले- फोगाट का दफ्तर खाली कराने में मेरा रोल नहीं हरियाणा में गन कल्चर की वजह से गाने बैन होने के बाद सुर्खियों में आए सिंगर मासूम शर्मा जातीय झगड़े में फंसाने की कोशिश से सहम गए हैं। उन्होंने सफाई दी कि CM नायब सैनी के पब्लिसिटी OSD गजेंद्र फोगाट का दफ्तर खाली कराने में उनका कोई रोल नहीं है। (पूरी खबर पढ़ें) हरियाणवी सिंगर मासूम बोले- फोगाट चला हुआ कारतूस, खुद के गाने चले नहीं हरियाणा CM नायब सैनी के OSD रहे गजेंद्र फोगाट की ओर से हरियाणवी म्यूजिक इंडस्ट्री में पाकिस्तान से फंडिंग के आरोपों को सिंगर मासूम शर्मा ने सिरे से नकार दिया। मासूम ने कहा- हरियाणा के कलाकार अच्छा काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें रुपए ज्यादा मिल रहे हैं। (पूरी खबर पढ़ें) हरियाणवी गानों पर बैन, गायकों में झगड़ा, मासूम बोले- ‘तड़कै पावेगी लाश’ भी बंद करो गन कल्चर रोकने को लेकर सिंगर मासूम शर्मा के 3 गाने बैन करने पर हरियाणा में बवाल मचा हुआ है। सिंगर मासूम शर्मा ने सवाल पूछा कि सरकार ने ‘तड़कै पावेगी लाश नहर में’ गाने को क्यों बैन नहीं किया। वहीं, इस गाने के सिंगर गजेंद्र फोगाट ने मासूम शर्मा को लेकर कहा कि ये कलाकर उनके लेवल का नहीं है। फेमस होने के लिए कन्ट्रोवर्सी कर रहा है। (पढ़ें पूरी खबर)

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पैसों के लिए आर्केस्ट्रा में डांस किया:'सेक्रेड गेम्स’ के लिए लोगों ने पोर्न स्टार कहा, 'ट्रायल बाई फायर' से राजश्री देशपांडे ने बदली अपनी इमेज

‘सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।’ दुष्यंत कुमार की ये लाइनें एक्ट्रेस राजश्री देशपांडे के करियर और जिंदगी के दो अलग-अलग सिरों को जोड़ती हैं। फिल्मों में अपनी बोल्ड चॉइस से हंगामा मचाने वाली राजश्री असल जिंदगी में अपने सोशल वर्क से लोगों की जिंदगी बदल रही हैं। लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने से पहले उन्होंने खुद कई मुश्किलों का सामना किया है। बचपन में तंगी देखी, पैसों के लिए आर्केस्ट्रा में काम किया। अपनी जिद और मेहनत के दम पर खुद की एड एजेंसी खोली और खूब पैसे भी कमाए। जब वहां से भी दिल भर गया तो सबकुछ छोड़ वापस कला का रुख किया और मुंबई आकर फिर से स्ट्रगल किया। आज सक्सेस स्टोरी में राजश्री देशपांडे की कहानी… आर्केस्ट्रा में डांस करने के लिए पांच सौ मिलते थे मैं एक किसान परिवार से ताल्लुक रखती हूं। मेरा बचपन औरंगाबाद में बीता है। मेरी पढ़ाई मराठी मीडियम स्कूल से हुई। वो वक्त मैं आज भी मिस करती हूं, जब गर्मी की छुट्टियां आम के बगीचे में बिना चप्पल घूमते बीत जाती थीं। मैं अपने घर की सबसे एंटरटेंनिग बच्ची थी। जब भी कोई मेहमान आता घरवाले मुझे आगे कर देते कि डांस दिखाओ। किसी की मिमिक्री करके दिखाओ। मेरे ख्याल से यही वो फेज था, जब मेरे अंदर का आर्टिस्ट मेरे जाने बिना ही तैयार होने लगा। कुल मिलाकर मेरा बचपन मजेदार रहा। मेरा अधिकांश समय खेलकूद या ड्रामा में बीता। पढ़ाई में मेरी दिलचस्पी थोड़ी कम थी। मैं जूडो प्लेयर थी और इसमें स्टेट और नेशनल लेवल तक खेला है। स्कूल के दिनों से ही मैं ड्रामा में हिस्सा लेने लगी थी। डांस में रुचि थी तो एक आर्केस्ट्रा का हिस्सा भी बन गई थी। डांस करने के लिए मुझे पांच सौ रुपए मिलते। जो उस वक्त के हिसाब से मेरे लिए बहुत ज्यादा थे। हम लोग गांव-गांव जाकर लावणी परफॉर्म करते। लोगों का रिएक्शन, उनकी तालियों की गड़गड़ाहाट मुझे किसी और दुनिया में ले जाती, मेरे सपनों की दुनिया में। बचपन में पैसों की तंगी देखी हमारे जीवन में एक वक्त ऐसा आया, जब बहुत चुनौतियां देखने मिली। एक किसान के लिए उसकी जमीन ही सबकुछ होती है। हमारी जमीन इंडस्ट्रियल जोन में आ गई। जमीन चली गई तो मां ने घर संभाला। पापा को बहुत मुश्किलों के बाद नौकरी मिली। फिर घर की हालत थोड़ी सुधरी। इस दौर में मेरा बचपन ऐसा बीता, जब लगने लगा कि पैसा ही सबकुछ है। खुशियां सिर्फ पैसों से ही मिल सकती थी। ऐसे में मैं कला से दूर होती गई। नाटक और डांस से जीवन नहीं चल पा रहा था। ये यकीन होने लगा कि पढ़ाई ही आपको बचा सकती है। मैं औरंगाबाद से निकलकर पुणे पहुंची। वहां सिम्बॉयसिस कॉलेज से लॉ की पढ़ाई की। ट्यूशन और डांस से निकाला पढ़ाई का खर्च पुणे आकर एक आजादी महसूस हुई। हालांकि, मेरे घरवालों के पास मुझे पढ़ाने के पैसे नहीं थे। मुझे याद है, मेरी मां ने उस वक्त कहा था कि लड़-झगड़कर तुम आ तो गई हो, लेकिन हम तुम्हारा खर्च नहीं उठा पाएंगे। कैसे मैनेज करोगी? मैं जिस हॉस्टल में रहती थी, वहीं पास में दो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी, डांस सिखाती और उनका ख्याल रखती। इससे मुझे कुछ पैसे मिलते। इस तरह पढ़ाई के साथ अपना खर्चा उठाने का इंतजाम हो गया। ऐसे छोटे-मोटे काम करते हुए मुझे एडवरटाइजिंग फील्ड क्लाइंट सर्विस की नौकरी मिली। इसके बारे में मुझे कुछ पता भी नहीं था। बस पोस्टर पर देखा था कि नौकरी के साथ एक सनी गाड़ी मिलेगी। लेकिन यहां भी मैंने जल्द काम सीख लिया और फिर मुझे एडवरटाइजिंग से प्यार होने लगा। खुद की एड एजेंसी बनाई, फिर एक्टिंग के लिए सब छोड़ा मैंने घर में पैसों की तंगी देखी थी तो मेरा ध्यान अच्छी कमाई पर था। मुझ पर पैसा कमाने का जुनून सा सवार था। मैंने बड़ा डिसीजन लिया, खुद की एड एजेंसी खोल ली। अच्छा पैसा भी कमाने लगी लेकिन 6-7 साल के अंदर मुझे एहसास हुआ कि मैं अंदर से खोखली होती जा रही हूं। डांस, नाटक सबसे दूर हो गई हूं। मेरे अंदर का कलाकार मुझे कोसने लगा। फिर मैंने एक दिन एजेंसी छोड़ने का फैसला किया। कमाई के लिए पेरेंट्स सिनेमाघर में स्टाम्प लगाते थे मेरे घर में किताब पढ़ने, सिनेमा या नाटक देखने का कल्चर नहीं था। मेरे पेरेंट्स ने भी बचपन से ही काम शुरू कर दिया था। उन दोनों ने बहुत कम पढ़ाई की और सिनेमा भी नहीं देखा। हालांकि, मेरे पेरेंट्स एक्स्ट्रा इनकम के लिए थिएटर में टिकट पर स्टाम्प लगाते थे। मेरे माता-पिता दोनों दिन भर का अपना काम खत्म करके, शाम में इस काम के लिए थिएटर जाते थे। स्टाम्प लगाने से दोनों की कमाई मिलाकर दस रुपए होती थी। उनके लिए सिनेमा अमीरों का शौक था। उनकी चिंता तीन बेटियों का खर्च उठाना और उनकी शादी करनी थी। ऐसे में जब मैं नसीरुद्दीन सर के थिएटर का हिस्सा बनी तो पापा एक दिन प्ले देखने आए। वहां पर जब मैंने उनको नसीर सर से मिलाया तो पापा उन्हें जानते ही नहीं थे। पापा को ये लगा कि कोई बड़ा आदमी है लेकिन कौन ये वो नहीं जानते थे। मेरे पापा ने नसीर सर से पूछा भी था कि आप क्या करते हैं? काफी समय बाद, मैंने पापा को उनकी फिल्में दिखाई। तब जाकर उन्हें पता चला कि मेरी बेटी बड़े लोगों को जानती है। शुरुआत में सारे ऑडिशन में फेल रही जब पुणे छोड़कर मुंबई आई तो काफी संघर्ष करना पड़ा। मुझमें काम की भूख हमेशा से थी और आज भी है। यहां आकर मैंने थिएटर जॉइन किया। लोगों को बताना शुरू किया मैं भी आर्टिस्ट हूं। खूब सारे ऑडिशन का हिस्सा बनी। शुरुआत के लगभग सारे ऑडिशन में फेल हुई। बड़ी फिल्मों में कुछ छोटे-मोटे रोल ही मिले। हालांकि, मेरा मानना है कि ऑडिशन बेहद जरूरी चीज है। ऑडिशन को निगेटिव रूप में नहीं देखना चाहिए। आपको 10 मिनट के अंदर अपनी इमेजिनेशन से एक किरदार में ढलना होता है। ये एक तरह की एक्टिंग एक्सरसाइज है। साल 2015 में आई ‘एंग्री इंडियन गॉडेस’ के लिए मेरा पहला ऑडिशन था, जिसे मैंने क्रैक किया था। इस फिल्म के बाद मेरे लिए चीजें बदलनी शुरू हुईं। 'एस दुर्गा' फिल्म के लिए मिली जान से मारने की धमकी साल 2017 में मेरी मलयालम फिल्म ‘एस दुर्गा’ आई थी। रिलीज से पहले ही फिल्म को लेकर बहुत विवाद हो गया था। विवाद इतना बढ़ा कि फिल्म का नाम सेक्सी दुर्गा से बदलकर ‘एस दुर्गा’ करना पड़ा। लोगों ने बिना फिल्म देखे, सिर्फ नाम से तय कर लिया कि फिल्म खराब है। शुरुआत में इसे बैन कर दिया गया। फिल्म के नाम की वजह मुझे जान से मारने और एसिड अटैक की धमकी मिलने लगी। मेरे बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया। मुझे कहा जाता था कि हिंदू होकर देवी का अपमान कर रही हो। लोगों ने मेरे घरवालों को भी नहीं छोड़ा, उनको भी परेशान किया गया। ये हम सबके लिए डरावना माहौल था। ‘एंग्री इंडियन गॉडेस’ के समय भी लोगों ने विवाद खड़ा कर दिया था। ‘सेक्रेड गेम्स’ के सीन के लिए पोर्न स्टार कहा गया मैंने साल 2018 में नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ में काम किया था। सीरीज को तो खूब तारीफ मिलीं लेकिन मुझे मेरे इंटीमेसी सीन के लिए पोर्न स्टार कहा गया। सीरीज के सीन से छेड़छाड़ करके कोई क्लिप पोर्न वेबसाइट पर डाल दी गई। मेरी फोटो मॉर्फ करके वायरल की गई। कोई नवाजुद्दीन सिद्दीकी या डायरेक्टर अनुराग कश्यप से सवाल नहीं कर रहा था। हर कोई मुझे ब्लेम कर रहा था। लेकिन मैंने खुद पर इसका असर नहीं होने दिया। विवाद चलते रहे, और मैं चुपचाप अपने काम में लगी रही। सोशल वर्क के लिए छोड़े कई ऑफर ‘सेक्रेड गेम्स’ के बाद मुझे लगातार काम के ऑफर मिल रहे थे। लेकिन मैं सब छोड़कर औरंगाबाद चली गई। काफी यंग एज से ही मैं सामाजिक मुद्दों पर वालंटियर कर रही हूं। कभी मैं बीच की सफाई करने चली जाती थी तो कभी शेल्टर होम के बच्चों के साथ वक्त बिताती थी। 2015 नेपाल भूंकप का मेरे ऊपर काफी असर हुआ। मैंने वहां एक इंटरनेशनल एनजीओ के साथ मिलकर काम किया। नेपाल से लौटकर मैं मराठवाड़ा के सूखाग्रस्त इलाकों में घूमी। मैंने पानी के मुद्दे पर सोचना शुरू किया। पानी पर काम शुरू करने से पहले मैंने 3-4 महीने रिसर्च भी की। 6 महीने लगाकर किसानों को और चंदा इकट्ठा किया। इतना करके चुप नहीं बैठी और वहां, टॉयलेट्स, हेल्थ केयर पर काम किया। सरकार ने स्कूल नहीं बनवाया तो खुद उठाया जिम्मा मैं औरंगाबाद के पांढरी पिंपल गांव में सैनिटेशन, हेल्थ केयर और पानी की समस्याओं पर काम कर रही थी, तब मेरा ध्यान गांव के स्कूल पर गया। उस गांव में स्कूल की हालत बहुत खराब थी। साल 2017 में मैंने सरकार से स्कूल पर काम करने की रिक्वेस्ट की। उस वक्त उनके पास फंड नहीं था तो उन्होंने एक साल का समय मांगा। एक साल बाद जब मैं उनके पास गई तो मुझे जवाब मिला कि एक साल और रुकना पड़ेगा। ऐसे में मैंने उनसे कहा कि आप मुझे इजाजत दीजिए, मैं स्कूल बनाऊंगी। ये जोश में लिया गया फैसला था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं इस पर काम कैसे करूंगी। ऐसे में एनजीओ 'नाभांगन' अस्तित्व में आया। मैंने अपने इस एनजीओ को रजिस्टर किया। चार सौ से ज्यादा लोगों ने मेरे एनजीओ के जरिए स्कूल के लिए डोनेशन दिया। मुझे दो साल लगे स्कूल बनाने में। आज उस स्कूल को बने पांच साल हो गए हैं। बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। हम उस स्कूल में बच्चों को सारे सब्जेक्ट्स के अलावा पेंटिंग, डांस, नाटक, सिंगिंग, इंस्ट्रूमेंट बजाना और जूडो भी सिखाते हैं। माधुरी के साथ काम करना सपना सच होने जैसा मैं बचपन में माधुरी दीक्षित के गानों पर डांस करती थी। उनका मेरे ऊपर काफी प्रभाव रहा है। साल 2022 में मुझे उनके साथ ‘फेम गेम’ सीरीज में काम करने का मौका मिला। मैं उनसे जब पहली बार सेट पर मिली तो मुझे 15 मिनट इस बात को हजम करने में लग गए। फिर धीरे-धीरे हमारी मराठी में बातचीत शुरू हुई। उसके बाद तो मेरे लिए वो बड़ी बहन जैसी हो गईं। इतनी बड़ी सुपरस्टार होने के बाद भी वो काफी हंबल हैं। उनके साथ काम करना सपना सच होने जैसा था। रातों-रात बहुत सारे प्रोजेक्ट से निकाला गया मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ कि मैंने प्रोजेक्ट साइन कर लिया और प्रोजेक्ट बंद हो गया। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि डेट लेने के बाद मुझे कहा गया कि प्रोजेक्ट में किसी बड़े स्टार ने आपको रिप्लेस कर दिया है। कई बार तो पैसे के लिए भी लड़ाई लड़नी पड़ी है। मेरा एक्सपीरियंस है कि फिल्म इंडस्ट्री आसान नहीं है। यहां पर अनिश्चितताएं बहुत ज्यादा हैं। यहां ऐसा नहीं होता कि आपको एक प्रोजेक्ट मिल गया तो आप सेट हो गए हैं। ‘ट्रायल बाई फायर’ सीरीज मेरे करियर के लिए काफी अहम रही है। इस सीरीज के किरदार के लिए मैंने मेंटली और फिजिकली कई तरह का बदलाव किए थे। इसका रिजल्ट भी मुझे मिला। इस सीरीज के लिए मुझे एशियाई एकेडमी क्रिएटिव अवॉर्ड्स 2023 में बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिला। इसी साल मुझे फिल्मफेयर ओटीटी अवॉर्ड भी मिला। मेरा एम्बिशन बस अच्छा काम करने की है। तमाम स्ट्रगल के बाद मैंने लीड रोल भी निभाए हैं, इसे मैं अपनी जर्नी की अचीवमेंट मानती हूं। जल्द ही अमेजन प्राइम पर मेरा नया काम दिखेगा। पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी यहां पढ़िए... अमीरों के बर्तन धोने से लेकर बॉलीवुड स्टार तक:अमित साध की कहानी- स्कूल ने निकाला, चार बार सुसाइड की कोशिश, सिक्योरिटी गार्ड भी बने अक्सर हम सब सुनते हैं कि गुस्सा इंसान का दुश्मन होता है, लेकिन एक्टर अमित साध ने अपनी जिंदगी में इस लाइन को जिया है। इस गुस्से ने ना सिर्फ उनसे उनका बचपन छीना बल्कि स्कूल से भी निकाले गए। इंडस्ट्री में आए तो शो से निकाले गए और बैन हुए। पूरी स्टोरी यहां पढ़ें...

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Unprecedented Roman mass grave found under Vienna soccer field

Construction at a soccer field in Vienna uncovered hundreds of bones buried there after a battle in the late 1st century. This is an unprecedented find in Roman...

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बिग बॉस के बाद पहली बार साथ नजर आए ईशा-अविनाश:सॉन्ग 'काला शा काला' में दिखी जबरदस्त केमिस्ट्री, बोले- सिंगल टेक में शूट हुआ गाना

बिग बॉस 18 के कंटेस्टेंट्स अविनाश मिश्रा और ईशा सिंह की दोस्ती तो फैंस के बीच काफी चर्चित रही है, लेकिन अब दोनों का साथ में पहला गाना 'काला शा काला' रिलीज हो चुका है। इस गाने में दोनों की जबरदस्त परफॉर्मेंस और शानदार केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। इस गाने को मूडी और आखर ने लिखा है, जबकि रामजी गुलाटी ने अपनी आवाज दी है। वहीं, रामजी गुलाटी, अविनाश और ईशा ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पढ़िए इंटरव्यू की प्रमुख बातें… आपने अपने नए गाने में ईशा और अविनाश को क्यों कास्ट किया और जब उन्हें इसके बारे में पता चला, तो रिएक्शन कैसा था? जवाब/रामजी- मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं कि इस गाने में ईशा और अविनाश हैं। मेरे ख्याल से इनसे बेहतर इस गाने को कोई और नहीं कर सकता था। इनके फैंस इन्हें साथ में काफी पसंद करते हैं और यह उनका पहला प्रोजेक्ट है। इनके साथ काम करके मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं खुद इनके साथ काम करने के लिए काफी एक्साइटेड था। खास बात यह है कि मुझे हर शॉट एक ही टेक में मिल गया। इन दोनों से मुझे पूरी तरह से फैमिली जैसा एहसास होता है। बिग बॉस के बाद आपने पहली बार साथ में काम किया। क्या कोई मुश्किलें आईं या सब कुछ आसान था? अविनाश- सच कहूं तो, यह इतना आसान नहीं था। हां, पाजी (रामजी) के साथ काम करना आसान था, लेकिन ईशा के साथ थोड़ी मुश्किलें आईं। जब आप किसी को-स्टार के साथ काम करते हैं, तो एक फॉर्मलिटी होती है। लेकिन बिग बॉस के बाद हमारा कनेक्शन इतना गहरा हो गया है कि ईशा मुझे तंग करती रहती हैं, ‘ऐसा करो, वैसा करो!। हम को-एक्टर के तौर पर नहीं बल्कि एक-दूसरे को तंग करते हुए काम करते हैं, जिससे साथ में काम करने में बहुत मजा आता है। दुबई आपकी लकी डेस्टिनेशन रही है, जहां आपने अधिकतर गाने शूट किए हैं। लेकिन इस बार लोकेशन बदलने की कोई खास वजह? रामजी- पहले हम इस गाने की शूटिंग आर्मेनिया में करना चाहते थे, लेकिन मौसम की वजह से ऐसा नहीं हो सका। मैं चाहता था कि यह वीडियो बिल्कुल फ्रेश लगे और हम ऐसी लोकेशन पर शूट करें, जहां पहले कभी शूटिंग न हुई हो। इस बारे में मैंने यश जी से भी बात की थी कि मैं काफी समय बाद कोई गाना कर रहा हूं और जोड़ी भी नई है, तो मैं इसे एक नए और हट के तरीके से करना चाहता था। उसी सोच को ध्यान में रखते हुए फिर हमने इस गाने की शूटिंग थाईलैंड में की। इस दौरान हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वहां बहुत गर्मी थी। कुछ गाने की शूटिंग बैंकॉक और पटाया में भी हुई। ईशा और अविनाश में आपको सबसे अच्छी कौन सी क्वालिटी लगी? रामजी- इन दोनों में सभी क्वालिटी अच्छी और यूनिक हैं। वैसे तो मैं हर किसी के साथ काम करता हूं, लेकिन मेरे लिए सबसे जरूरी है कि इंसान अच्छा हो और ये दोनों बहुत अच्छे हैं। अविनाश- राम जी भी बहुत अच्छे हैं। उन्होंने हमारा बहुत ख्याल रखा। जब शूट हो रहा था, तो वे समय-समय पर हमारा हाल-चाल पूछते रहते थे और हमें कहीं घूमने जाने के लिए भी प्रेरित करते थे। मैं कहना चाहूंगा कि राम जी खुद इतने अच्छे इंसान हैं कि जो भी उनके साथ काम करेगा, उसे फैमिली जैसा एहसास जरूर होगा। ईशा- मैंने और राम जी ने पहले कभी साथ में काम नहीं किया था, इसलिए मेरी मम्मी थोड़ी चिंतित थीं। क्योंकि यह पहली बार था जब मैं उनके बिना कहीं जा रही थी। लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो गया और मेरी मम्मी भी काफी खुश हो गई थीं। ईशा और अविनाश, आपके लिए सेट पर सबसे अच्छी बात कौन सी थी, जो आपके दिल के सबसे ज्यादा रही? अविनाश- मेरे लिए सबसे खास बात यह रही कि मैं बाहर जाकर भी इंडिया का फूड खाना चाहता था और मैंने ऐसा किया भी। हां, टीम के कुछ मेंबर्स की पसंद अलग थी, लेकिन ईशा और पाजी ने मेरा पूरा साथ दिया। हमने मिलकर इंडियन फूड ही खाया। ईशा- मेरा थोड़ा अलग नजरिया है। जब भी मैं बाहर जाती हूं, मेरी कोशिश रहती है कि मैं उस शहर का फूड खाऊं, जो उसकी पहचान होती है। हालांकि, मैंने अविनाश से कहा था कि मैं इंडियन फूड नहीं खाऊंगी, लेकिन फिर एक दिन बाद मैंने पूरा इंडियन फूड ही खा लिया। जैसे, मैं खड़ी चावल कभी नहीं खाती, लेकिन उस दिन मैंने खड़ी चावल भी खाए। रामजी- मेरे लिए तो पूरी जर्नी ही यादगार रही। क्योंकि जब हम शूट शुरू करने वाले थे, तब कई सारी मुश्किलें थीं। लेकिन भगवान का शुक्रिया, सब कुछ बिल्कुल ठीक हो गया और फाइनल आउटकम बेहतरीन रहा।

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250 रुपए में रजिस्टर्ड, लाखों में बिके टाइटल:श्रीदेवी ने राम गोपाल वर्मा पर किया था केस, फिल्म के नाम पर क्यों होते हैं विवाद?

फिल्मों के टाइटल महज सिर्फ नाम नहीं होते, बल्कि इसके पीछे एक पूरी स्ट्रैटजी होती है। कुछ फिल्मों के टाइटल ऐसे होते हैं, जिन्हें सुनते ही फिल्म को देखने की उत्सुकता बढ़ जाती है। कभी फिल्मों के टाइटल को लेकर इतनी कंट्रोवर्सी हो जाती है कि उसे बदलना पड़ता है। किसी भी फिल्म का टाइटल कैसे डिसाइड होता है, उसके रजिस्ट्रेशन की क्या प्रक्रिया होती है, आज रील टु रियल के इस एपिसोड में समझेंगे। इस पूरे प्रोसेस को समझने के लिए हमने इम्पा के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा और विफपा के प्रेसिडेंट संग्राम शिर्के से बात की। प्रोड्यूसर एसोसिएशन में 250 रु. से लेकर 500 रु. में टाइटल रजिस्टर्ड होता है जब कोई प्रोड्यूसर फिल्म बनाने की योजना बनाता है, तो उसे सबसे पहले अपनी प्रोडक्शन कंपनी को रजिस्टर्ड कराना पड़ता है। जब फिल्म की कहानी तैयार हो जाती है, तब टाइटल फाइनल करने की प्रक्रिया शुरू होती है। टाइटल रजिस्ट्रेशन के लिए 500 रुपए (जीएसटी सहित) का शुल्क लिया जाता है। कुछ एसोसिएशन 250 रुपए में फिल्म का टाइटल रजिस्टर्ड करते हैं। चार एसोसिएशन मिलकर तय करते हैं फिल्म का टाइटल फिल्म प्रोड्यूसर्स की चार एसोसिएशन है। जिसमें इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन, प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन फिल्म्स एंड प्रोड्यूसर्स काउंसिल है। प्रोड्यूसर इनमें से जिस एसोसिएशन का मेंबर होता है, उसमें टाइटल रजिस्टर्ड करवाता है। उसके बाद एसोसिएशन के पदाधिकारी बाकी तीन एसोसिएशन में टाइटल भेजकर यह कन्फर्म करते हैं कि वह टाइटल वहां रजिस्टर्ड तो नहीं है। अगर वहां से कोई ऑब्जेक्शन आता है तो वह टाइटल प्रोड्यूसर को नहीं मिलता है। फिर उन्हें टाइटल में बदलाव करने का सुझाव दिया जाता है। एक महीने के अंदर टाइटल का कन्फर्मेशन मिलता है आम तौर पर एक एसोसिएशन में एक महीने में एक हजार टाइटल रजिस्ट्रेशन के लिए आते हैं। उसके बाद सभी एसोसिएशन के कमेटी मेंबर मिलकर टाइटल डिसाइड करते हैं। 22 लोग कमेटी में शामिल होते हैं। कमेटी की हर महीने में दो बार मीटिंग होती है। मीटिंग में इस बात का ध्यान दिया जाता है कि टाइटल में अश्लीलता नहीं होनी चाहिए। या फिर कोई विवादित टाइटल ना हो, जिसकी वजह से आगे चलकर कोई प्रॉब्लम हो। एक प्रोड्यूसर हर भाषा में 15 टाइटल रजिस्टर्ड करवा सकता है। टाइटल रजिस्ट्रेशन के लिए फास्ट-ट्रैक सुविधा उपलब्ध होती है अगर किसी प्रोड्यूसर को टाइटल जल्दी चाहिए या फिल्म रिलीज के करीब है, लेकिन फिल्म का टाइटल रजिस्टर नहीं हुआ है, तो 3000 रुपए के विशेष शुल्क पर फास्ट-ट्रैक सुविधा पर टाइटल रजिस्टर्ड करवा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत एक हफ्ते के भीतर टाइटल पर निर्णय लिया जाता है। ऑनलाइन रिक्वेस्ट की सुविधा अब टाइटल रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन और भुगतान की सुविधा भी उपलब्ध है। आवेदन करने के बाद आवेदक को ईमेल से जानकारी दी जाती है कि उसे फिल्म का टाइटल मिलेगा या नहीं। यदि किसी प्रोड्यूसर का टाइटल रिजेक्ट हो जाता है, तो वह दोबारा आवेदन कर सकता है। टाइटल अलॉटमेंट के नियम यदि कोई प्रोड्यूसर टाइटल रजिस्टर कराने के बाद दो साल तक फिल्म नहीं बनाता है, तो कोई अन्य प्रोड्यूसर उस टाइटल के लिए आवेदन कर सकता है। इसके लिए पहले टाइटल होल्डर से पूछा जाता है कि क्या वे टाइटल का इस्तेमाल करेंगे। यदि वे पीछे हटते हैं, तो टाइटल नए आवेदक को दिया जा सकता है। टाइटल काे अनऑफिशियल रूप से बेचना नियमों के खिलाफ है, लेकिन ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। यदि कोई प्रोड्यूसर बिना टाइटल रजिस्ट्रेशन के फिल्म का मुहूर्त करता है, तो उसे नोटिस भेजकर पेनल्टी लगाई जाती है। किन- किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है? वेस्टर्न इंडिया फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (विफपा) के प्रेसिडेंट संग्राम शिर्के ने बताया- यह ध्यान देना पड़ता है कि फिल्म का टाइटल टीवी या वेब सीरीज को न दें। कभी-कभी मिलते-जुलते टाइटल से तीन-चार फिल्में बनती हैं। जैसे भगत सिंह के जीवन पर एक साथ तीन फिल्में बनी थीं, उस समय टाइटल को लेकर बहुत झगड़े हुए थे उसे हमें संभालना पड़ा था। हमारे यहां 35 हजार और इम्पा में 25 हजार मेंबर हैं। इसलिए हमारे पास ज्यादा टाइटल आते हैं। बाकी एसोसिएशन में इतने ज्यादा मेंबर नहीं हैं, इसलिए उनके पास ज्यादा टाइटल नहीं आते हैं। टाइटल रजिस्टर्ड होने के बाद अगर दो- तीन साल तक फिल्म नहीं बनती है तो प्रोड्यूसर को टाइटल सरेंडर करना पड़ता है। मदर इंडिया जैसी क्लासिक फिल्मों का टाइटल किसी को नहीं देते हैं। सेंसर सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रोड्यूसर के पास 5 साल तक टाइटल फिल्म के टाइटल के लिए संजय दत्त ने खुद फोन किया इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इम्पा) के प्रेसिडेंट अभय सिन्हा ने संजय दत्त की फिल्म ‘द भूतनी’ से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया। उन्होंने कहा- ‘द भूतनी’ के प्रोड्यूसर दीपक मुकुट का ‘भूतनी’ टाइटल के लिए मेरे पास फोन आया कि यह टाइटल उन्हें चाहिए। यह टाइटल किसी और के पास था। इसलिए मैंने मना कर दिया। उसके बाद संजय दत्त ने खुद फोन किया और उन्होंने कहा कि अरे भाई, आपके हाथ में है टाइटल दे दो, लेकिन जब टाइटल पहले से ही किसी और के नाम से रजिस्टर्ड है तो उसे मैं कैसे दे सकता था। हालांकि जिस प्रोड्यूसर के पास फिल्म का टाइटल था, उनसे रिक्वेस्ट की तो उन्होंने टाइटल दे दिया। उसके बाद उन्होंने फिल्म का टाइटल ‘द भूतनी’ रखा। दो प्रोड्यूसर आपसी सहमति से टाइटल का आदान-प्रदान कर सकते हैं, लेकिन इसमें एसोसिएशन किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करता है।’ 'आशिकी' टाइटल विवाद कोर्ट तक पहुंचा मुकेश भट्ट की विशेष फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी और टी-सीरीज की सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने 'आशिकी 3’ बनाने की योजना बनाई, लेकिन इस पर विवाद तब हुआ जब टी-सीरीज ने 'तू ही आशिकी' जैसे टाइटल से फिल्म की घोषणा की। इसे लेकर टी सीरीज के खिलाफ मुकेश भट्ट ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। मुकेश भट्ट की तरफ से आरोप लगाया गया था कि टी-सीरीज उनकी इजाजत के बिना 'आशिकी' शब्द का इस्तेमाल कर रहा है। इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए मुकेश भट्ट के हक में फैसला सुनाया था। टी-सीरीज और उसके सहयोगियों को 'आशिकी' शब्द के साथ किसी भी टाइटल का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई थी। बता दें कि 'आशिकी' (1990) और 'आशिकी 2’ (2013) विशेष फिल्म्स और टी-सीरीज की साझेदारी और संयुक्त क्रेडिट्स के साथ बनाई गई थी। ‘पद्मावती' फिल्म के टाइटल को लेकर विवाद ‘पद्मावती' फिल्म के टाइटल को लेकर भी विवाद हुआ था, जिसे बाद में बदलकर 'पद्मावत' कर दिया गया। यह विवाद फिल्म की ऐतिहासिक सटीकता और रानी पद्मावती के चित्रण को लेकर था, जिसमें कुछ संगठनों ने फिल्म में इतिहास को विकृत करने और रानी पद्मावती की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया था। श्रीदेवी फिल्म का टाइटल रखने पर राम गोपाल वर्मा पर भड़की थीं एक्ट्रेस राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म का नाम सावित्री से बदलकर श्रीदेवी कर दिया था। इस वजह से श्रीदेवी और उनके पति बोनी कपूर नाराज हो गए। श्रीदेवी ने रामू को कानूनी नोटिस भेजकर नाम बदलने, बिना शर्त माफी मांगने और फिल्म में उनके नाम या छवि के किसी भी तरह के इस्तेमाल को रोकने की मांग की थी। रामू ने फेसबुक पर सफाई देते हुए कहा कि उनकी फिल्म एक किशोर लड़के की 25 वर्षीय महिला के प्रति दीवानगी पर आधारित है और इसका श्रीदेवी से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि यह फिल्म रिलीज नहीं हो पाई थी। वीएचपी-बजरंग दल की आपत्ति, कोर्ट ने किया खारिज जब सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ का पोस्टर 2015 में रिलीज हुआ, तो विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने नाम बदलने की मांग की। मामला कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और फिल्म अपने ओरिजिनल नाम से रिलीज हुई। धार्मिक टाइटल पर SGPC की आपत्ति, लेकिन नाम नहीं बदला सनी देओल की फिल्म ‘सिंह साब द ग्रेट’ पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने आपत्ति जताई थी। SGPC का कहना था कि सिंह साब एक सम्मानजनक उपाधि है, जिसे पांच तख्तों के जत्थेदारों और स्वर्ण मंदिर के ग्रंथियों को दिया जाता है, इसलिए इसे किसी फिल्म के टाइटल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि फिल्म का नाम नहीं बदला गया और विवाद के बावजूद फिल्म इसी नाम से रिलीज हुई। 'रैंबो' नाम पर विवाद प्रभुदेवा की फिल्म का नाम रैंबो राजकुमार था, लेकिन रैंबो फ्रेंचाइजी के निर्माताओं ने इस पर आपत्ति जताई। उनका कहना था कि रैंबो नाम कॉपीराइट है और इसे किसी अन्य फिल्म के टाइटल में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। नतीजतन, फिल्म का नाम बदलकर ‘आर... राजकुमार’ कर दिया गया। रजनीकांत की याचिका पर बदला फिल्म का नाम डायरेक्टर फैसल सैफ को ‘मैं हूं रजनीकांत’ का नाम बदलकर ‘मैं हूं रजनी’ करना पड़ा, क्योंकि रजनीकांत ने इस पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि फिल्म का टाइटल उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। हिंदू संगठनों की आपत्ति के बाद टाइटल में बदलाव अक्षय कुमार की एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म का नाम पहले लक्ष्मी बॉम्ब था, लेकिन कुछ हिंदू संगठनों ने इसे माता लक्ष्मी के नाम से जोड़कर आपत्ति जताई, जिसके बाद फिल्म का नाम बदलकर लक्ष्मी कर दिया गया। कोर्ट केस के बाद रिलीज से 48 घंटे पहले बदला नाम संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गोलियों की रासलीला: राम-लीला’ बॉक्स ऑफिस पर हिट रही, लेकिन इसके टाइटल को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। कुछ संगठनों का मानना था कि राम-लीला नाम हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकता है, क्योंकि फिल्म में हिंसा और बोल्ड सीन थे। मामला कोर्ट तक पहुंचा, जिसके बाद रिलीज से ठीक 48 घंटे पहले फिल्म का नाम बदल दिया गया। ऐतिहासिक सम्मान बनाए रखने के लिए बदला गया टाइटल ऐतिहासिक सम्मान बनाए रखने के लिए ‘पृथ्वीराज’ फिल्म का नाम बदलकर ‘सम्राट पृथ्वीराज’ कर दिया गया। यह बदलाव इसलिए किया गया ताकि महान राजा को पूरे सम्मान के साथ प्रस्तुत किया जा सके। नाई समुदाय की नाराजगी के बाद हटा 'बार्बर' शाहरुख खान की फिल्म ‘बिल्लू बार्बर’ में नाई समुदाय ने बार्बर शब्द पर आपत्ति जताई। हजारों हेयर ड्रेसर्स ने विरोध किया, जिसके बाद फिल्म का नाम बदलकर सिर्फ ‘बिल्लू’ कर दिया गया। शाहरुख खान ने कहा कि वह किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे। ______________________________________________ रील टु रियल की ये स्टोरी भी पढ़ें.. फिल्म प्रोजेक्शन के पुराने दिनों की अनसुनी कहानियां:जब शोले सिर्फ चार प्रिंट से रिलीज हुई थी, बाइक पर प्रिंट लेकर दौड़ते थे थिएटर से थिएटर सिनेमाघरों के प्रोजेक्शन रूम में पहले फिल्म की भारी-भरकम रील प्रोजेक्टर पर लगाई जाती थीं, जिन्हें हर 15-20 मिनट में बदलना पड़ता था। जरा सी चूक होती, तो फिल्म बीच में रुक जाती या रील जल जाती। कभी सिनेमाघरों में रील समय पर नहीं पहुंचती, तो कभी चोरी हो जाती या खराब निकलती, जिससे ऑडियंस को काफी परेशानी होती थी। पूरी खबर पढ़ें.....

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Early Modern Millers’ Tales

Early Modern Millers’ Tales JamesHoare Thu, 04/03/2025 - 09:05 * This article was originally published here ...

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गोविंदा ने यशवर्धन से कहा फिल्मों में गाली मत देना:डेब्यू से पहले की पिता की तारीफ, कहा- उन्होंने कभी स्क्रीन पर गाली नहीं दी

यशवर्धन आहूजा जल्द ही बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रहे हैं। इसी बीच उन्होंने अपने पिता और एक्टर गोविंदा की दी हुई एडवाइस के बारे में बात की है। यशवर्धन से गोविंदा ने कहा फिल्मों में गाली मत देना यशवर्धन ने 2016 में आई फिल्म डिशूम और बागी में सपोर्टिंग रोल किया। स्टार किड होने के बावजूद उन्होंने 9 साल तक ऑडिशन दिए। हालांकि, बाद में यशवर्धन को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्ममेकर साई राजेश के साथ अपना पहला प्रोजेक्ट मिला। हाल ही में यशवर्धन ने शेयर किया कि उनके पिता गोविंदा ने उन्हें फिल्मों में करियर के लिए एक एडवाइस दी थी। टाइम्स एंटरटेनमेंट से बातचीत में यशवर्धन ने बताया, मेरे पिता ने कभी भी स्क्रीन पर गाली नहीं दी। बॉलीवुड में आने से पहले उन्होंने मुझसे भी यही कहा कि फिल्मों में कभी गाली-गलौज मत करना।’ 'डांस या कॉमिक टाइमिंग में कोई मेरे पिता को हरा नहीं सकता' यशवर्धन आहूजा ने आगे कहा, मेरे पिता का मानना ​​है कि हर किसी की अपनी जर्नी होती है। मैंने उन्हें कभी भी अपने डायलॉग सीखते या याद करते नहीं देखा। लेकिन, फिर भी उनकी टाइमिंग एकदम सही है। उनकी याददाश्त बहुत अच्छी है। डांस या कॉमिक टाइमिंग में कोई भी उन्हें हरा नहीं सकता। मैंने उन्हें देखकर बहुत कुछ सीखा है।’ यशवर्धन-राशा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ हाल ही में यशवर्धन और राशा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था। इसमें उन्होंने गोविंदा और रवीना के फेमस डांस नंबर ‘अखियों से गोली मारे’ टाइटल ट्रैक को रीक्रिएट किया था। नेटिजेंस उनकी केमिस्ट्री से हैरान थे, कई लोगों ने दोनों को लेकर एक फिल्म बनाने की बात कही थी। अब तक कई स्टार किड ने किया डेब्यू साल 2025 की शुरुआत से अब तक कई स्टार किड बॉलीवुड में डेब्यू कर चुके हैं। रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी ने अजय देवगन के भतीजे अमन देवगन के साथ बॉलीवुड में डेब्यू किया। उसके बाद सैफ अली खान के बेटे इब्राहिम अली खान ने जान्हवी कपूर की बहन खुशी कपूर के साथ नादानियां से अपने करियर की शुरुआत की।

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विक्रांत मैसी @38, कॉफी शॉप में किया काम:फिल्मों में आए तो मिले ताने, 12th फेल ने बदली किस्मत; ₹800 से करोड़ों कमाने का सफर

जीरो से कर रीस्टार्ट रीस्टार्ट..रीस्टार्ट..रीस्टार्ट..रीस्टार्ट… भले ही ये विक्रांत मैसी की फिल्म 12th Fail के एक गाने के बोल हैं, लेकिन ये लाइनें उनकी जिंदगी पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। आज विक्रांत किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। फिल्म 12th Fail के बाद उन्हें बच्चा-बच्चा जानता है, लेकिन इस मुकाम को हासिल करना उनके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं था। विक्रांत का बचपन गरीबी में बीता। उनके पिता की सैलरी महीने के शुरुआती 15 दिनों के भीतर ही खत्म हो जाती थी। ऐसे में विक्रांत ने महज 16 साल की उम्र में खुद डांस सीखा और सिखाना भी शुरू किया। इसके साथ ही उन्होंने एक कॉफी शॉप में काम भी किया, ताकि वे परिवार की मदद कर सकें। लेकिन उनके मन में हमेशा से एक्टर बनने का ख्वाब था। इसके लिए उन्होंने जी-तोड़ मेहनत भी की। शाहरुख खान की तरह विक्रांत ने भी छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरुआत की। टीवी इंडस्ट्री में तो वे एक जाना-माना चेहरा बन गए, लेकिन बॉलीवुड में एंट्री के दौरान उन्हें काफी ताने मिले। कोई भी प्रोड्यूसर उन पर पैसे लगाने को तैयार नहीं होता था। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और इसी का परिणाम है कि जो विक्रांत कभी 800 रुपए कमाते थे, आज उनकी नेटवर्थ 20 से 26 करोड़ रुपए है। विक्रांत मैसी के जन्मदिन पर जानिए उनके संघर्षों की कहानी.. चार धर्मों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं विक्रांत विक्रांत मैसी चार धर्मों के परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता जॉली क्रिश्चियन हैं और मां मीना सिख परिवार से हैं। उनके बड़े भाई मोहसिन ने बहुत कम उम्र में ही इस्लाम अपना लिया था। बताया जाता है कि विक्रांत के माता-पिता की लव स्टोरी भी काफी फिल्मी है। वे दोनों एक-दूसरे को बचपन से पसंद करते थे। अलग-अलग धर्मों के होने के कारण जब परिवार ने विरोध किया, तो उन्होंने भागकर शादी की थी। जबकि उनकी पत्नी हिंदू धर्म से आती हैं। एक इंटरव्यू में विक्रांत ने बताया था कि मेरे घर में एक मंदिर है। मेरे पिता ईसाई होते हुए भी छह बार वैष्णो माता के मंदिर गए हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो कॉफी शॉप में किया काम विक्रांत मैसी के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनका बचपन गरीबी में बीता। जब पिता की सैलरी आती थी, तो महीने के पहले 15 दिन तक तो सब कुछ ठीक रहता था, लेकिन 16वें दिन के बाद यह समझ में नहीं आता था कि अब घर कैसे चलाया जाए। परिवार की मुश्किलों को देखकर विक्रांत ने अपने ग्रेजुएशन के दौरान ही डांस सीखना और सिखाना शुरू कर दिया था। सुबह उठकर सबसे पहले वे श्यामक डावर की डांस क्लास में बच्चों को डांस सिखाने जाते थे। सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने मुंबई के वर्सोवा में एक कॉफी शॉप में भी काम किया था। विरासत में मिला एक्टिंग का हुनर, कॉफी शॉप में काम करना भी एक मकसद विक्रांत के दादा रविकांत मैसी थिएटर आर्टिस्ट और फिल्मों में कैरेक्टर आर्टिस्ट थे। उन्हें पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से दो बार ऑल इंडिया ड्रामेटिक कॉम्पिटिशन में स्वर्ण पदक भी मिला था। उन्होंने दिलीप कुमार और देवआनंद जैसे बड़े कलाकारों के साथ नया दौर और गाइड जैसी फिल्मों में काम भी किया था। भले ही विक्रांत के खून में एक्टिंग का हुनर था, लेकिन एक्टर बनने का ख्वाब उन्होंने तब देखा, जब उनके आस-पास फिल्मों की शूटिंग हुआ करती थी। उन्होंने बचपन से ही सुनील दत्त, गुलशन ग्रोवर और जैकी श्रॉफ जैसे एक्टर्स को शूटिंग करते हुए देखा था, जिस कारण उनके मन में भी एक्टर बनने का ख्याल आया। एक इंटरव्यू में विक्रांत ने बताया भी था कि कॉफी शॉप में काम करने के दो बड़े मकसद थे। पहली घर की आर्थिक स्थिति और दूसरी उस दुकान पर फिल्म लाइन के बहुत सारे लोग आते थे। ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि यहीं से उनका फिल्मी सफर भी शुरू हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वॉशरूम के बाहर मिला था एक्टिंग में पहला ब्रेक, कमाए 24 हजार विक्रांत मैसी को 16 साल की उम्र में एक सीरियल का ऑफर मिला था। इसके लिए उन्होंने श्यामक डावर की नौकरी छोड़ दी थी, जहां 2 साल तक काम किया था, लेकिन वो टीवी शो कभी टेलीकास्ट ही नहीं हुआ। हालांकि किस्मत ने उनके लिए दूसरे दरवाजे भी खोले। एक बार वे बाथरूम की लाइन में खड़े थे, तभी वहां एक महिला ने आकर उनसे एक्टिंग के लिए पूछा और अपने ऑफिस बुलाया। विक्रांत ने ऑफर एक्सेप्ट कर लिया। ऐसे ही उन्हें टीवी शो 'धूम मचाओ धूम' मिला। इसके हर एपिसोड के लिए 6 हजार रुपए मिले। 4 एपिसोड करके एक्टर ने 24 हजार कमाए थे। इसके बाद विक्रांत धरम वीर, कुबूल है, बाबा ऐसो वर ढूंढो और बालिका वधु जैसे शो में नजर आए थे। फिल्मों के लिए विक्रांत ने छोड़ी हर महीने 35 लाख की कमाई विक्रांत मैसी हमेशा से एक्टिंग में अपना करियर बनाना चाहते थे और उनका यह सपना आखिरकार पूरा भी हुआ। उन्होंने टीवी के कई शोज में काम किया, जिससे उनकी कमाई 35 लाख रुपए हर महीने होने लगी थी, लेकिन उनके सपने बड़े थे और इसलिए उन्होंने टीवी इंडस्ट्री छोड़ दी। इतना ही नहीं, जो पैसे उन्होंने बचाए थे, वो सभी फिल्मों के ऑडिशन देने में लगा दिए। जमापूंजी हुई खत्म, तो पत्नी से ऑडिशन के लिए पैसे लेते थे विक्रांत ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी जिंदगी में एक दौर ऐसा भी आया, जब फिल्मों के ऑडिशन देने में उनकी सारी जमा-पूंजी खत्म हो गई थी। उस समय उनकी गर्लफ्रेंड शीतल (जो अब उनकी पत्नी हैं) उन्हें पॉकेट मनी देती थीं। वहीं, अगर विक्रांत और शीतल की लव स्टोरी की बात करें तो एक इंटरव्यू में विक्रांत ने बताया था कि शीतल से उनकी मुलाकात मुंबई में उनके दोस्त की वजह से हुई थी। बड़ी बात यह है कि विक्रांत का एक दोस्त भी शीतल को मन ही मन चाहता था और वो चाहते था कि विक्रांत उन दोनों को मिलाने में हेल्प करें, लेकिन फिर एक-दो मुलाकातों के बाद विक्रांत को शीतल पसंद आने लगीं। तीसरी मुलाकात में शीतल को उन्होंने प्रपोज कर दिया। इसके बाद उन्होंने साल 2022 में शादी कर ली। 2024 में उनका बेटा हुआ, जिसका नाम वरदान है। 2013 में फिल्मों में डेब्यू, लेकिन नहीं मिली कोई खास पहचान 2013 में विक्रांत ने फिल्म लुटेरा से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, लेकिन क्या आपको पता है कि विक्रांत को इस फिल्म के ऑडिशन में रिजेक्ट कर दिया गया था। हालांकि जो एक्टर ये किरदार करने वाला था, उसने शूटिंग से दो हफ्ते पहले ही मना कर दिया। तब विक्रांत को इस फिल्म में कास्ट किया गया था। लुटेरा में विक्रांत लीड नहीं बल्कि साइड एक्टर के तौर पर नजर आए थे। इसमें उन्होंने 'देवदास' का किरदार निभाया था। जबकि सोनाक्षी सिन्हा और रणवीर सिंह मेन रोल में नजर आए थे। पहली फिल्म के बाद नहीं मिला काम, टीवी पर लौटे विक्रांत फिल्म लुटेरा करने के बाद भी विक्रांत मैसी के पास कोई काम नहीं था। ऐसे में उन्होंने टीवी शोज में वापसी करने का फैसला किया। उन्होंने ये है आशिकी और गुमराह: एंड ऑफ इनोसेंस जैसे शोज किए। हालांकि फिर 8 महीने बाद दोबारा उनके पास फिल्मों के ऑफर आने लगे। विक्रांत दिल धड़कने दो, ए डेथ इन द गंज और हाफ गर्लफ्रेंड जैसी फिल्मों में नजर आए, लेकिन इन फिल्मों से उन्हें कोई खास पहचान नहीं मिली। उन्हें ज्यादातर साइड रोल ही ऑफर हुए थे। मिर्जापुर से किया OTT डेब्यू, लोगों के बीच छा गए विक्रांत मैसी को जब फिल्मों में कोई खास पहचान नहीं मिल रही थी, तो उसी दौरान उन्होंने ओटीटी पर अपना डेब्यू किया। साल 2018 में विक्रांत वेब सीरीज मिर्जापुर में नजर आए। इस सीरीज में उन्होंने बबलू पंडित का किरदार निभाया। हालांकि उनका यह रोल सिर्फ पहले ही सीजन तक सीमित रहा, लेकिन उन्हें अच्छी-खासी पहचान मिल गई थी, जिसके बाद लोगों चाह रहे थे कि वे इसके आने वाले सीजन में भी नजर आए। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। इसके अलावा विक्रांत ब्रोकन बट ब्यूटीफुल, क्रिमिनल जस्टिस और मेड इन हेवन जैसी वेब सीरीज में भी नजर आ चुके हैं। 2020 में दीपिका पादुकोण के साथ शेयर की स्क्रीन भले ही विक्रांत को ओटीटी से एक पहचान मिल चुकी थी, लेकिन साल 2020 में आई फिल्म छपाक में वो दीपिका पादुकोण के अपोजिट नजर आए थे। यह फिल्म भले ही फ्लॉप साबित हुई, लेकिन उन्हें लीड एक्टर के तौर पर इंडस्ट्री में पहचान जरूर मिली। लोगों ने इस फिल्म में उनके काम और एक्टिंग की काफी तारीफ की थी। टीवी एक्टर होने पर मिलते थे ताने विक्रांत ने टीवी के बाद जब बॉलीवुड में काम किया तो उन्हें कई ताने भी मिले। क्योंकि वे टीवी इंडस्ट्री से आए थे। जिस कारण वो काफी टूट भी जाते थे। फिल्म 12th फेल बनी करियर की टर्निंग पॉइंट विक्रांत ने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उनकी किस्मत 2023 में आई फिल्म 12th Fail से बदली। यह उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई, जिसमें उन्होंने IPS मनोज कुमार शर्मा का रोल निभाया था। फिल्म में विक्रांत के अभिनय की खूब तारीफ हुई, और उन्हें कई अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया। हाल ही में उनकी फिल्म फिल्म द साबरमती रिपोर्ट रिलीज हुई है, जिसे काफी सराहा गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस फिल्म की तारीफ की है। हालांकि, इस फिल्म को करने के बाद उन्हें धमकियां भी मिली थीं। ब्रेक का ऐलान किया, तो चौंक गए थे फैन विक्रांत मैसी ने 2 दिसंबर 2024 को अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने अचानक से फिल्मों से अनिश्चितकाल के लिए ब्रेक का ऐलान किया था। उनकी पोस्ट से ऐसा लगा कि वे अब फिल्मों में नजर नहीं आएंगे। हालांकि उन्होंने 24 घंटे के भीतर इस पर सफाई दे दी थी। विक्रांत ने कहा था कि लोग मेरी बात को ठीक से समझ नहीं पाए। मैं थोड़ा थक गया हूं और कुछ दिन फैमिली के साथ बिताना चाहता हूं। पत्नी के छुए पैर तो सोशल मीडिया पर हुए थे विवाद करवा चौथ के मौके पर विक्रांत मैसी ने इंस्टाग्राम पर कई फोटोज शेयर किए थे, जिसमें वे अपनी पत्नी के पैर छूते नजर आए थे। ऐसे में विक्रांत को काफी ट्रोल किया गया था। इसके बाद एक इंटरव्यू में उन्होंने इस मामले में कहा था, 'मेरे फोन में छह तस्वीरें हैं। उनमें से चार तस्वीरें ऐसी हैं, जिन पर चर्चा की जा सकती है। कुछ लोग इन तस्वीरों को पसंद करेंगे, जबकि कुछ मुझे इसके लिए गालियां देंगे। मुझे समझ नहीं आता कि क्यों? मुझे लगता है कि अगर आपको घर में शांति चाहिए तो आपको समय-समय पर अपनी पत्नी के पैर छू लेने चाहिए। लोगों ने उन तस्वीरों को वायरल कर दिया। वह मेरे घर की लक्ष्मी है और मुझे नहीं लगता कि लक्ष्मी का पैर छूना गलत है। मैं गर्व से कहता हूं कि वह मेरी जिंदगी में 10 साल पहले आई और मेरे जीवन को बेहतर बना दिया। जब से वह मेरी जिंदगी में आई है तब से मेरे साथ सब कुछ अच्छा हो रहा है। इसे बरकरार रखने के लिए मैं उसका पैर छूता रहूंगा। ----------------- बॉलीवुड की यह खबर भी पढ़िए.. कपिल शर्मा @44, कैंसर पीड़ित पिता के लिए मांगी मौत:पुलिस की नौकरी ठुकराई, फिल्म फ्लॉप होने से डिप्रेशन में गए तो सुसाइड की सोची कॉमेडी के बादशाह कपिल शर्मा आज घर-घर में लोकप्रिय हैं। लोगों के चेहरे पर हंसी और चहक लाने वाले कपिल शर्मा आज भले ही बड़े स्टार बन चुके हों, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें काम के लिए बहुत धक्के खाने पड़ते थे। पूरी खबर पढ़ें..

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