WHAT’S HOT NOW

ಗುರುವಾರ ಕೇಳಿ ಶ್ರೀ ರಾಘವೇಂದ್ರ ರಕ್ಷಾ ಮಂತ್ರ

LIVE LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha

LIVE - The Car Festival Of Lord Jagannath | Rath Yatra | Puri, Odisha)

Magical amulet against cancer found in Turkey

An intaglio gemstone with an incised crab discovered in the ancient city of Antioch of Pisidia in southwestern Turkey, was worn as a pendant amulet to fight cancer. Archaeologists estimates it dates to the Hellenistic era (323 – 30 B.C.).

The amulet depicts a finely-carved crab on the middle of one side, and has inscriptions on the other side that promote the healing of the disease. The inscription indicates the amulet was commissioned by a father to cure his sick daughter. It was likely used by several people over generations who kept it for its value as a precious stone in addition to their belief in its curative properties. It is one of the best-preserved intaglio talismans ever found in Anatolia, with its imagery and inscriptions in excellent, readable condition.

The talisman was discovered on Aedilicus Hill near a church originally built in the 6th century but the artifact significantly predates construction of the church. The church was converted into a monastery in the 10th century and a thick wall surrounding it was made with spoglia, building materials recycled from ancient remains. On the interior of the wall, the excavation uncovered storage areas with large pithoi (massive amphorae) embedded in the ground, structures of different purposes and a monumental fountain in use between the 4th and 6th centuries. The amulet found its way to the wall area when it was constructed in the 10th century.

The term cancer derives from karkinos, the Greek word for crab. It was first applied to malignant tumors by the Hippocrates, the Father of Medicine, writing around 400 B.C., who believed they were caused by an excess of black bile. Why he applied the crab metaphor is unknown. Scholars have theorized it was because their hardness was reminiscent of a crab’s shell or because they hurt so sharply they feel like being pinched by a crab’s claw. The philosopher Celsus Latinized “karkinos” to “cancer” in the 1st century A.D., but it was the 2nd century Greek physician Galen of Pergamon, who transformed “karkinos” from metaphor to simile in his Method of Medicine, describing the blood vessels that surround a malignancy: “as the crab has legs spreading around its body, in the same way are the veins in this illness; they are spread by the abnormal tumor in a shape of crab.”



* This article was originally published here

ರವಾ ದೋಸೆ ತಿನ್ನುವ ಆಸೆಯಾಗಿದ್ಯಾ? ಥಟ್‌ ಅಂತ ಹೀಗೆ ಮಾಡಿಕೊಳ್ಳಿ


via Breaking News News in Kannada, Breaking News Latest News, Breaking News News https://ift.tt/qtGsPd0

स्कूल में गन लेकर चलते थे सुधांशु:इन्हें देख लड़कियां अंडरगारमेंट फेंकतीं; डिप्रेशन हुआ, महाकाल के भक्त बने; बाद में रजनीकांत-जैकी चैन के साथ दिखे

एक्टर सुधांशु पांडे को यह जेनरेशन टीवी शो अनुपमा की वजह से जानती होगी। कुछ लोगों ने उन्हें रजनीकांत की फिल्म 2.0 में भी देखा होगा। हालांकि सुधांशु की असल पहचान इससे नहीं है। 90 के दशक में जब मॉडल्स का दौर हुआ करता था। तब सुधांशु पांडे इंडस्ट्री के चुनिंदा सुपरमॉडल्स में से एक थे। जॉन अब्राहम जैसे बड़े एक्टर भी इनके जूनियर थे। ऐश्वर्या राय बच्चन भी इनके लुक की तारीफ करती थीं। सुधांशु पांडे का जन्म बदायूं में हुआ, लेकिन घर गोरखपुर में था। पढ़ाई बरेली में हुई। रौब ऐसा कि स्कूल में गन लेकर चलते थे। सुधांशु की कदकाठी इन्हें दूसरों से अलग बनाती थी। 18 साल की उम्र में मॉडलिंग करने लगे। फिर अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ी 420 में पैरलल लीड रोल मिला। फेमस बैंड ग्रुप ‘बैंड ऑफ बॉयज’ का भी हिस्सा थे। लड़कियां इनकी दीवानी थीं। इन्हें स्टेज पर देख अंडरगारमेंट तक फेंक देती थीं। सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी खुद के ऊपर ज्यादा प्रेशर लिया। डिप्रेशन में आ गए। उज्जैन में महाकाल की शरण में गए। अब सुधांशु पांडे की सफलता की कहानी, उनकी जुबानी गोरखपुर में 30 कमरों की हवेली थी मेरा जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुआ था। हालांकि घर गोरखपुर में बना था। ऐसा इसलिए क्योंकि मेरे पिताजी रेलवे में थे। उनका ट्रांसफर होता रहता था। घर में सिर्फ चार लोग थे, माता-पिता, मैं और मेरा एक भाई। गोरखपुर में 30 कमरों का घर था, या यूं कहें तो हवेली थी। आसपास बहुत सारी जमीनें खाली थीं। हम लोग वहां सब्जियां उगाते थे। बचपन में आर्मी जॉइन करना चाहते थे मैं बचपन में आर्मी जॉइन करना चाहता था। हमेशा से कट्टर राष्ट्रवादी रहा हूं। कोई देश के बारे में कुछ उल्टा-सीधा बोलता है तो खून खौल जाता है। आर्मी जॉइन करने की मंशा से मैंने बरेली के एयरफोर्स स्कूल में दाखिला लिया। खैर, सेना में भर्ती होने का मन तो था, लेकिन उस हिसाब से पढ़ाई नहीं होती थी। स्कूल में लोडेड गन लेकर चलते थे मैं स्कूल टाइम में बहुत बदमाशी करता था। यूं कहें कि गुंडागर्दी बहुत करता था। 15 साल की उम्र में लोडेड रिवॉल्वर लेकर चलता था। माहौल ऐसा था कि जब तक आप कुछ खतरनाक न करें, इज्जत नहीं मिलेगी। मेरे पास एक बाइक थी। उसी की गद्दी में गन छिपाकर रखता था। स्कूल में आधे लड़कों को मेरे लुक से प्रॉब्लम थी। उन्हें समस्या थी कि मैं अकड़ कर क्यों चलता हूं। मैं स्टाइल में बाइक क्यों चलाता हूं। छोटी-छोटी बातों में लोग दुश्मनी मोल ले लेते थे। 18 साल की उम्र में मॉडलिंग, 25000 फीस खैर, मैं 18 साल का हुआ। एक दिन अखबार में दिल्ली बेस्ड मॉडलिंग एजेंसी का ऐड देखा। उन्हें एक मॉडल की तलाश थी। मेरे भाई ने मुझे इसमें जाने के लिए प्रोत्साहित किया। पिताजी ने भी सपोर्ट किया। मैं पठानी सूट और घुंघराले बालों के साथ दिल्ली चला गया। वहां मेरी फोटो खींची गई। कुछ दिन बाद वापस बुलाया गया। उन्होंने मुझे सिलेक्ट कर लिया और 25000 रुपए फीस देने की भी बात की। यह बात 1994 की है। 25000 रुपए तो मेरे पिताजी की भी सैलरी नहीं थी। मैं पूरी तरह शॉक्ड था। मॉडलिंग करियर ठीक चल रहा था, फिर भी मुंबई जाने का फैसला लिया सुधांशु का दिल्ली में मॉडलिंग करियर ठीक चल रहा था। अचानक उन्होंने मुंबई जाने का फैसला किया। वे कहते हैं, ‘मुंबई जाने का फैसला तो कर लिया, लेकिन वहां मेरा कोई अपना नहीं था। रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। मॉडलिंग की वजह से मेरी और डिनो मोरिया (एक्टर) की अच्छी दोस्ती हो गई थी। वे बैंगलोर में रहते थे और मैं दिल्ली में। हम दोनों मुंबई में साथ रहने की प्लानिंग कर रहे थे। हालांकि इसी बीच मैंने शादी कर ली। तब डिनो को अकेले ही जाना पड़ा क्योंकि मैं अपनी पत्नी के साथ शिफ्ट होने वाला था।’ मुंबई आने पर मैंने काफी सारी ऐड फिल्में कीं। कई फैशन शोज किए। शशि कपूर के बेटे कुणाल कपूर के साथ मैंने ऐड फिल्में कीं। इसके बाद मुझे टीवी सीरियल्स के ऑफर आने लगे। रवि चोपड़ा और बालाजी टेलीफिल्म्स के साथ टीवी शोज किए। अक्षय कुमार ने अपने भाई को सुधांशु के पास भेजा इसी बीच 2000 में मैंने अक्षय कुमार की फिल्म खिलाड़ी 420 से डेब्यू किया। दरअसल, अक्षय खुद चाहते थे कि मैं इस फिल्म में उनके साथ काम करूं। उन्होंने अपने एक कजिन ब्रदर को मेरे पास भेजा। उनके कजिन ब्रदर को मैं पहले से जानता था, अच्छे दोस्त थे। उन्होंने कहा कि भाई (अक्षय) आपके साथ फिल्म करना चाहते हैं। मैं फिल्मिस्तान स्टूडियो गया। वहां फिल्म के डायरेक्टर नीरज वोरा भी मौजूद थे। उन्होंने मुझे फिल्म में अक्षय कुमार के पैरलल लीड एक्टर के तौर पर कास्ट कर लिया। इनकी परफॉर्मेंस देख लड़कियां कपड़े निकालकर स्टेज पर फेंकने लगतीं सुधांशु फेमस बैंड ग्रुप ‘बैंड ऑफ बॉयज’ का भी हिस्सा थे। इस बैंड ने एक से बढ़कर एक गाने बनाए। इस बैंड ग्रुप की गजब की दीवानगी थी। सुधांशु ने कहा, ‘2003 या 2004 की बात है। हम अहमदाबाद के एक स्टेडियम में परफॉर्म कर रहे थे। वहां मैंने देखा कि लड़कियां रोए जा रही थीं। लोग खुशी में कपड़े फाड़ रहे थे। कभी-कभी तो लड़कियां अपने अंडरगारमेंट निकालकर हमारी तरफ उछाल देती थीं।’ बैंड का आधा पैसा मैनेजमेंट ले उड़ती थी मैंने बैंड की वजह से दो-तीन साल एक्टिंग से बिल्कुल तौबा कर ली, जो कि मेरी भूल थी। मुझे बीच-बीच में फिल्में करते रहना चाहिए था। इससे मेरा करियर और तेजी से आगे बढ़ता रहता। बैंड से मुझे पॉपुलैरिटी तो बहुत मिली, लेकिन पैसे नहीं मिले। शायद, बैंड की मैनेजमेंट टीम इसकी जिम्मेदार थी। जो भी पैसे आते, 40 से 50 फीसदी तो वही ले जाते थे। बचे आधे पैसे हम 5 लोगों की टीम में बंट जाते थे। यहीं से लाइफ में घंटी बजनी शुरू हो गई। मैं थोड़ा परेशान रहने लगा। मैंने दुखी मन से बैंड छोड़ दिया। एक दिन रेस्टोरेंट में पैनिक अटैक आया, पूरा शरीर कांपने लगा 2007 की बात है, एक दिन दोस्त के साथ रेस्टोरेंट में बैठा था। बात करते-करते अचानक हाथ-पैर फूलने लगे। सांस आनी बंद हो गई। पूरा शरीर कांपने लगा। एक तरह से वह पहला पैनिक अटैक था। डॉक्टर ने दवाई दी। वह दवाई खाकर मैं पूरी तरह शिथिल हो गया। उस शिथिलता ने मुझे अवसाद (डिप्रेशन) की तरफ धकेल दिया। बैठे-बैठे आंख से आंसू निकलने लगते थे। दिन भर खिड़की की तरफ निहारता था। अपने बेटे को देखकर रोने लगता था। डिप्रेशन के वक्त व्यक्ति बिल्कुल डार्क फेज से गुजरता है, ऐसे फेज में वह कब रोने लगता है, उसे खुद पता नहीं होता। महाकाल की शरण में गए, चार साल बाद डिप्रेशन से निकले मैंने एक दिन फेसबुक के जरिए बचपन के दोस्त प्रियांक मिश्रा से संपर्क किया। वह मेरे साथ स्कूल में पढ़ता था। वह मुझे उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर ले गया। महाकाल के दरबार में जाते ही मेरी मनोदशा बदलने लगी। वहां मैं एक महात्मा से मिला। उनकी छत्रछाया में रहा। तकरीबन चार साल लग गए, आखिरकार डिप्रेशन से पूरी तरह बाहर निकल गया। अगर मेरी जगह कोई कमजोर दिल का आदमी होता, तो शायद अपने साथ कुछ अनहोनी कर लेता। डिप्रेशन के बावजूद सिंह इज किंग में काम किया मैं डिप्रेशन में जरूर था, लेकिन फिल्में करनी नहीं छोड़ी थीं। 2007 में ही सिंह इज किंग की शूटिंग करने ऑस्ट्रेलिया गया था। वहां को-स्टार रणवीर शौरी ने बहुत मदद की। उन्होंने मुझे एक दवाई दी कि जब भी बेचैनी या परेशानी हो तो उसे खा लें। मैं डिप्रेशन से जूझ रहा हूं, यह बात वहां सिर्फ रणवीर शौरी को ही पता थी। वे भी इस बीमारी से पीड़ित रह चुके थे। यहां तक कि हॉस्पिटल भी जाकर आए थे। जॉनी लीवर ने सिर पर होली वाटर छिड़का, पड़ोस में रहते थे मेरे घर के ऊपर वाले फ्लोर पर जॉनी लीवर रहते थे। एक दिन मैं बहुत परेशान हो गया। मैंने उन्हें फोन किया और मदद के लिए बुलाया। वे अपने साथ होली वाटर (खास तरह का पानी) लेकर आए और मेरे सिर पर छिड़का। मुझे इससे काफी राहत मिली। उस वक्त जॉनी भाई मेरे लिए भगवान के दूत बन गए। आगे चलकर मैंने अपना वह महंगा घर बेच दिया। मुझे एहसास हुआ कि उस घर में कोई निगेटिव एनर्जी है, जो मुझे आगे नहीं बढ़ने दे रही। मैंने एक पायलट को अपना घर बेच दिया। मजे की बात यह है कि उस पायलट ने कुछ दिन रहने के बाद वह घर जॉनी भाई को ही बेच दिया। अब उस घर में जॉनी भाई के बच्चे रहते हैं। -------------------------- सक्सेस स्टोरी का पिछला एपिसोड यहां पढ़ें.. लोग कहते थे- नाचता रहता है, गे है क्या:पिता ऑटो चलाते थे; कभी-कभार चूल्हा नहीं जल पाता था बचपन में जब डांस करना शुरू किया तो आस-पास के लोगों ने ताने दिए। कुछ रिश्तेदारों ने तो मुझे गे (समलैंगिक) तक कह दिया था, क्योंकि मैं डांस करता था। मैं पापा के कपड़े पहन लेता था, यह भी चीज उन्हें खराब लगती थी। कहते थे, देखो अपने बाप के कपड़े पहनकर घूम रहा है। पूरी खबर पढ़ें..

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/AajvxWo
via IFTTT

Meghan announces new Netflix lifestyle show

The show's trailer drops a day after the Duchess of Sussex returned to Instagram.

from BBC News https://ift.tt/moM6S35

Meghan announces new Netflix lifestyle show

The show's trailer drops a day after the Duchess of Sussex returned to Instagram.

from BBC News https://ift.tt/qb7OlTy

What is Modernity?

What is Modernity? JamesHoare

* This article was originally published here

Giant naan breads and taking on the doubters in Bradford

Being the UK's new City of Culture is a chance for Bradford to challenge prejudices against the city.

from BBC News https://ift.tt/5s04EPT

रिलेशनशिप की अफवाहों को लेकर चर्चा में हैं कृति सेनन:सोशल मीडिया पर यूजर ने लगाया आरोप, कहा- एक्ट्रेस ने एक्स बॉयफ्रेंड को दिया था धोखा

कृति सेनन अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर काफी चर्चा में रहती हैं। इन दिनों एक्ट्रेस अपने रूमर्ड बॉयफ्रेंड कबीर बहिया को लेकर सुर्खियों में हैं। इसी बीच एक्ट्रेस पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने अपने एक्स बॉयफ्रेंड को धोखा दिया था। सोशल मीडिया पर जिस शख्स ने ये आरोप लगाया है वो खुद को कृति का कॉलेज मेट होने का दावा कर रहा है। एक्ट्रेस ने एक्स बॉयफ्रेंड को दिया था धोखा कृति सेनन ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर कुछ ऐसी बातें शेयर की, जिसके चलते उनको काफी ट्रोल किया जा रहा है। इस पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि अगर कोई उनके साथ गलत करता है, तो वो उसे दूसरा मौका नहीं देती हैं। यूजर ने खुद को बताया एक्ट्रेस का कॉलेज मेट सोशल मीडिया यूजर ने कमेंट में लिखा, ‘कृति मेरे कॉलेज जेपी यूनिवर्सिटी से हैं, उस टाइम उनका एक काफी अमीर बॉयफ्रेंड था। वो अपने बॉयफ्रेंड के पैसों पर ही डिपेंडेंट थीं। उनके बॉयफ्रेंड ने मुंबई शिफ्ट होने में उनकी काफी हेल्प की थी, जहां दोनों साथ में रहते थे। लेकिन जैसे ही कृति को पहली फिल्म मिली उनका बिहेवियर चेंज हो गया था, और तकरीबन 6 महीने के बाद कृति ने उसे चीट करना शुरू कर दिया था।’ कमेंट कर कहा धोखा खाकर टूट गया था लड़का कृति सैनन के इस पॉडकास्ट पर कमेंट करते हुए यूजर ने आगे लिखा, ‘वो लड़का धोखा खाने के बाद पूरी तरह टूट गया था, वह गीक्स फॉर गीक्स के मैनेजर का अच्छा दोस्त था। मैं यह सब इसलिए भी जानता हूं क्योंकि मैंने उस मैनेजर के अंडर काम किया है। वो मैनेजर, वो लड़का, और मैं, सभी एक ही कॉलेज में पढ़े हैं। हालांकि हम सभी के बैच अलग-अलग थे।’ कृति सेनन के फैंस कर रहे हैं सपोर्ट एक्ट्रेस के पॉडकास्ट पर कई लोगों ने अपने-अपने रिएक्शन दिए हैं। जहां एक तरफ कुछ लोग इस बात पर यकीन कर रहें हैं तो वहीं दूसरी तरफ कृति सेनन के फैंस उनका सपोर्ट कर रहे हैं। कृति सेनन ने अब तक इस आरोप पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है। बिजनेसमैन कबीर बहिया के साथ जुड़ रहा है कृति का नाम वहीं बात करें एक्ट्रेस के रिलेशनशिप की तो फिलहाल उनका नाम बिजनेसमैन कबीर बहिया के साथ जोड़ा जा रहा है। बीते दिन से चर्चा हैं कि कृति सेनन बिजनेसमैन कबीर बहिया के साथ रिलेशनशिप में हैं। दोनों को काफी बार साथ में देखा जा चुका है। दोनों ने क्रिसमस भी साथ सेलिब्रेट किया था। रूमर्ड बॉयफ्रेंड कबीर बहिया के साथ दिखीं कृति हाल ही में कृति सेनन और बिजनेसमैन कबीर बहिया को राहत फतेह अली खान के कॉन्सर्ट में साथ देखा गया था। एक्ट्रेस की बहन नूपुर सेनन ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर कॉन्सर्ट की कुछ इंस्टाग्राम स्टोरीज शेयर की थीं। ऐसा माना जा रहा था कि कृति सेनन न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए दुबई गई हुई थीं। 2024 में तीन बड़ी फिल्मों में आईं नजर वहीं बात करें कृति सेनन के वर्कफ्रंट की तो उन्होंने साल 2024 में तीन बड़ी फिल्मों में काम किया है। शाहिद कपूर के साथ फिल्म तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया में दिखाई दी थीं। वहीं, करीना कपूर खान और तब्बू के साथ फिल्म क्रू में भी नजर आईं थी। साथ ही फिल्म दो पत्ती में कृति ने एक्टिंग के साथ फिल्म का प्रोडक्शन भी किया था।

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/Kd6M9NY
via IFTTT

Giant naan breads and taking on the doubters in Bradford

Being the UK's new City of Culture is a chance for Bradford to challenge prejudices against the city.

from BBC News https://ift.tt/rBVQv3o

अक्षय कुमार की फिल्म में उपले से बना भभूत:थर्माकोल से बनाया गया 'हिमालय'; खराब मटेरियल से सेट बनाने पर हो जाते हैं हादसे

फिल्मों और टीवी शो में आपने हिमालय, महल, रेगिस्तान, शीशमहल का सेट देखा होगा। कभी ना कभी आपने भी सोचा ही होगा कि आखिर इन सेट को कैसे बनाया जाता है। आज के रील टु रियल में फिल्मी पर्दे की इसी कहानी के बड़े सच को जानने के लिए हमने आर्ट डायरेक्टर चौकस भारद्वाज, मटेरियल सप्लायर राजेश सिंह और सेट मेकर सुजीत सावंत से बात की। इन्होंने बताया कि सेट को बनाने में कपड़े, पेपर, प्लाईवुड और थर्माकोल जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्होंने यह भी बताया कि अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी के लिए ज्यादा अमाउंट में भभूत की जरूरत थी। तब गोबर के उपलों से भभूत बनाया गया था। वहीं सलमान खान जैसे कुछ एक्टर्स भी सेट डिजाइनिंग में दिलचस्पी रखते हैं। पढ़िए सेट डिजाइनिंग की कुछ ऐसी दिलचस्प कहानियां और उनका प्रोसेस… सेट मेकिंग के दौरान लोकेशन और मौसम पर भी ध्यान देना पड़ता है सेट मेकर सुजीत सावंत बताते हैं कि किसी भी सेट की डिजाइनिंग में लोकेशन और मौसम का भी ध्यान रखना पड़ता है। जैसे कि किसी फिल्म की शूटिंग गोवा के बीच के पास करनी है, तो यहां पर ऐसा सेट बनाया जाएगा, जो तेज हवाओं और बारिश का सामना कर सके। वहीं, पानी के अंदर जो सेट बनते हैं, वो ऐसे होते हैं कि शूटिंग के बाद आसानी से पानी में घुल जाएं और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचाएं। पेपर, कपड़े, प्लाईवुड और थर्माकोल से बनता है फिल्म का सेट सेट को बनाने में प्लाईवुड, थर्माकोल, पेपर, कपड़े जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। अगर किसी सीन की शूटिंग 1 दिन में खत्म होनी है तो सेट को कपड़े, पेपर या थर्माकोल से बनाया जाता है। वहीं जब शूटिंग 3-4 दिन या उससे अधिक दिन की होती है, तो सेट को POP, लोहे या प्लाईवुड की मदद से तैयार किया जाता है। लकड़ी से भी सेट बनाया जाता है। सबसे ज्यादा पाइन की लकड़ियों का यूज होता है ताकि वो जल्दी न सड़े। कुल मिलाकर, सेट कितने दिन तक टिकेगा, यह मटेरियल पर टिका होता है, जिससे सेट तैयार किया जाता है। कुछ सेट्स को ब्लास्ट से उड़ाया जाता है। ऐसे सेट्स को बनाने में सॉफ्ट मटेरियल का इस्तेमाल होता है ताकि ब्लास्ट के दौरान किसी को नुकसान न पहुंचे। सेट को बनाने के बाद कलरिंग का काम होता है। जैसे ऐड शोज की शूटिंग के दौरान फिनिशिंग पर ध्यान देना रहता है। यहां ऐसे पेंट का यूज होता है, जो देखने में चिकना लगे। पेमेंट नहीं मिलने पर कई आर्ट डायरेक्टर ने किया सुसाइड चौकस ने बताया कि पहले आर्ट डायरेक्टर को अच्छा बजट मिलता था, लेकिन अचानक से बजट में कटौती आ गई है। इस कारण कई आर्ट डायरेक्टर ने सुसाइड कर लिया है। चौकस ने कहा- हमारी फील्ड में प्रोडक्शन टीम की तरफ से शुरुआत में एक तय बजट बता दिया जाता है। हालांकि पेमेंट शूटिंग खत्म होने के बाद प्रोडक्शन की तरफ से मिलती है। हम पहले अपने खर्चे पर सारा काम करते हैं। डायरेक्टर हमसे बेस्ट काम चाहते हैं। इस प्रेशर में हम फिक्स बजट से अधिक का खर्च कर देते हैं, जिसकी पेमेंट कई बार नहीं मिलती है। नतीजतन तंगी में आकर आर्ट डायरेक्टर्स सुसाइड कर लेते हैं। हाल ही में ऐसे कई केस देखने को मिले हैं। भंसाली को फिल्म के लिए गोबर चाहिए था राजेश सिंह ने संजय लीला भंसाली के साथ काम किया है। इस बारे में उन्होंने बताया- मैंने उनके साथ फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी और सीरीज हीरामंडी में काम किया था। उनकी आने वाली फिल्म लव एंड वॉर से भी जुड़ा हुआ हूं। हाल ही में उन्हें लिपाई के लिए ज्यादा अमाउंट में गोबर चाहिए था। मैंने उनकी यह जरूरत सिर्फ एक घंटे में पूरी कर दी थी। जैसे हीरामंडी में 60 लीटर अपैक्स कलर की जरूरत थी। उस वक्त मेरे पास सिर्फ 40 लीटर अपैक्स कलर मौजूद था। बाकी 20 लीटर मैंने दूसरी जगह से अरेंज किया था। फिल्म लक्ष्मी में गोबर के उबले से भभूत बनाया गया राजेश सिंह ने अक्षय कुमार स्टारर फिल्म लक्ष्मी में भी काम किया है। उन्होंने बताया- फिल्म के गाने बम भोले के लिए ज्यादा अमाउंट में भभूत की जरूरत थी। सीन के मुताबिक मेरे पास भभूत का स्टॉक कम था। फिर मैंने उपले (गोबर का कंडा) को जलाकर राख तैयार किया था, जिसे भभूत की जगह यूज किया गया। POP और थर्माकोल से बना था हिमालय का सेट आर्ट डायरेक्टर चौकस भारद्वाज कहते हैं- मैंने टीवी शो देवों के देव महादेव में काम किया था। इसमें हिमालय दिखाना था। डायरेक्टर की डिमांड थी कि हिमालय बिल्कुल रियल लगे। मैंने आर्टिफिशियल पेड़-पौधों के लिए चाइना तक के सप्लायर से कोऑर्डिनेट किया था। हालांकि बात यहां नहीं बनी। फिर हमने दूसरी जगहों से कुछ सामान मगांए थे। हिमालय को बनाने में POP और थर्माकोल का भी इस्तेमाल किया गया था। सलमान खान सेट डिजाइनिंग में रखते हैं दिलचस्पी चौकस ने बताया कि सेट डिजाइनिंग में कुछ एक्टर्स का इन्वॉल्वमेंट होता है। उन्होंने कहा- मैंने सलमान खान के साथ फिल्म हैलो ब्रदर में काम किया था। मेरा काम उन्हें बहुत पसंद आया था। कई बार वो सेट डिजाइनिंग में टिप्स भी देते थे। वहीं कुछ दूसरे एक्टर्स हैं, जो टिप्स तो नहीं देते, लेकिन सेट डिजाइनिंग की तारीफ करते हैं। वहीं, कुछ एक्टर्स सिर्फ एक्टिंग करते हैं और चले जाते हैं। बॉलीवुड से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... नाना पाटेकर @74, दो महीने सेना में रहे:परमिशन के लिए रक्षा मंत्री को घुमाया कॉल; इतना घिनौना रोल किया कि औरतों ने जूते बरसाए नाना पाटेकर ने 50 साल के लंबे करियर में तीन नेशनल अवॉर्ड जीते। सत्यजीत रे और दिलीप कुमार जैसे दिग्गज भी इनकी अदाकारी के कायल थे। नाना आज 74 साल के हो गए हैं। 74 साल की उम्र में भी वे ओपनिंग बैट्समैन की तरह क्रीज पर जमे हुए हैं। पढ़ें पूरी खबर...

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/AengSFv
via IFTTT

7th c. gold and garnet disc brooch found in Germany

An elaborate 7th century silver, gold and garnet disc brooch discovered in Rostock on the Baltic coast of Germany is being hailed as one of the most important finds on 2024. It was discovered by a volunteer metal detectorist working with the State Office for Culture and Monument Preservation to explore a field near the small town of Reez.

The brooch is made of gold-plated silver with garnet cloisonné. The cloisons (the wire cells that the garnets were set into) were backed with gold foil and the very hard garnet gemstones precision-cut to fit the cloisons. The foil backing gave the stones extra depth and shine. The cloisonné garnets are arranged in a decorative pattern that looks like a geometric entwined snakes surrounding the perimeter of the ovoid shape. The cells are rectangular with curved outer sides that terminate in kite-shaped garnets — the heads of the snake. Right before the heads are cabochon garnets instead of the flat cloisonné. There were four originally, one before each “head,” but only two survive. Four cloisons in a semi-circular arrangement curve from cabochon to cabochon on each side. A single cloison connects the two semi-circles in the center of the brooch.

Jewelry like this was prohibitively expensive and was the exclusive province of the Germanic elite during the Migration Period when this brooch was produced. Only 11 other brooches of this style have been found in the state of Mecklenburg-Western Pomerania.

The brooch is considered to be extremely valuable. Pieces like the garment brooch are known primarily from the Rhineland and Sweden, where they were found in particularly richly decorated noble graves. The precious piece of jewelry found in MV raises questions. How did the piece get to the Mecklenburg Baltic coast? Was there a wealthy upper class in Mecklenburg-Vorpommern during the Migration Period, which is considered a time of hardship?



* This article was originally published here

'We're all considering death all the time': Willem Dafoe on new vampire film

Willem Dafoe reflects on the appeal of Dracula: "It's interesting to have the undead visit the living".

from BBC News https://ift.tt/DMbEVpr

नाना पाटेकर @74, दो महीने सेना में रहे:परमिशन के लिए रक्षा मंत्री को घुमाया कॉल; इतना घिनौना रोल किया कि औरतों ने जूते बरसाए

हैलो, मैं नाना पाटेकर बोल रहा हूं। मुझे कारगिल युद्ध में जाने की इजाजत दीजिए, देश के लिए कुछ करना चाहता हूं। फोन कॉल के दूसरी तरफ देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस थे। दरअसल, नाना पाटेकर कारगिल युद्ध के दौरान देश के लिए लड़ना चाहते थे। उन्होंने एक अधिकारी से बात की, लेकिन उसने मना कर दिया। नाना ने तब बेहिचक रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को फोन कर दिया। वहां से उन्हें हरी झंडी मिल गई। इसके बाद नाना दो महीने सेना के साथ जुड़े रहे। 1 जनवरी, 1951 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के गांव मुरुद-जंजीरा में जन्मे विश्ननाथ गजानन पाटेकर, जिन्हें दुनिया नाना पाटेकर के नाम से जानती है। नाना बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग रहे। तेवर में बगावती सुर थे। समाज की कुरीतियों को कला के माध्यम से दिखाना चाहते थे। इसलिए पहले थिएटर में आए, फिर फिल्मों का रुख किया। नाना अपने गुस्सैल स्वभाव के लिए भी चर्चा में रहते हैं। जब रवि चोपड़ा ने इन्हें रेपिस्ट का रोल ऑफर किया तो इन्होंने गाली बक दी। फिल्म परिंदा की शूटिंग के वक्त नाना और फिल्म के डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा भिड़ गए थे। नाना ने 50 साल के लंबे करियर में तीन नेशनल अवॉर्ड जीते। सत्यजीत रे और दिलीप कुमार जैसे दिग्गज भी इनकी अदाकारी के कायल थे। नाना पाटेकर ने आज अपने जीवन के 74 साल पूरे कर लिए हैं। 74 साल की उम्र में भी वे ओपनिंग बैट्समैन की तरह क्रीज पर जमे हुए हैं। नाना पाटेकर के जन्मदिन पर उनसे जुड़े कुछ खास किस्से.. 13 साल की उम्र, दिन में 16 किमी पैदल चलते थे नाना के पिता टेक्सटाइल पेंटिंग का एक छोटा सा बिजनेस चलाते थे। नाना जब 13 साल के थे, तभी किसी ने पिता के साथ फ्रॉड कर दिया। रातों-रात बिजनेस चौपट हो गया। सारी प्रॉपर्टी बिक गई। पैसे कमाने के लिए नाना को भी सड़क पर आना पड़ा। वे सुबह स्कूल जाते, शाम में फिल्म के पोस्टर्स पेंट करते थे। जहां पोस्टर पेंट करते थे, वहां से घर की दूरी 8 किलोमीटर थी। इस तरह दिन में 16 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करते थे। इस काम के लिए हर महीने 35 रुपए मिलते थे। यह बात 1963 के आस-पास की है। पैसों की इतनी किल्लत थी कि कभी-कभार खाना भी नसीब नहीं होता था। लंच या डिनर टाइम में नाना यूं हीं अपने दोस्तों से मिलने चले जाते थे। इस उम्मीद में कि सामने से कोई दो रोटी खाने को पूछ ले। टीचर बगल में बिठाते थे, ताकि मारने के लिए बार-बार उठना न पड़े नाना बचपन में बहुत शरारती थे। इतने शरारती कि टीचर इन्हें बगल में बिठाकर रखते थे, ताकि मारने के लिए बार-बार उठना न पड़े। शरारत इतनी बढ़ गई कि नाना की मां ने उन्हें छठी कक्षा के बाद अपनी बहन के गांव भेज दिया। मां को लगा कि दूसरी जगह जाएगा तो सुधर जाएगा। नाना अपनी मौसी के घर एक-दो साल रहे, फिर वापस लौट आए। मौसी ने ही उन्हें वापस भेज दिया। उन्हें डर था कि नाना की संगत में कहीं उन्हीं के बच्चे न बिगड़ जाएं। खुद को बदसूरत समझते थे, पिता को लेकर पाला था भ्रम नाना अपने आप को दूसरों से कमतर आंकते थे। वे अपने आप को बदसूरत मानते थे। नाना के दोनों भाई लुक में उनसे ठीक थे। नाना को लगता था कि पिता बाकी भाइयों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। नाना बचपन से ही गांव-दराज में होने वाले नाटक-ड्रामों में भाग लेते थे। एक बार वे गांव में नाटक कर रहे थे। उनके पिता बंबई (अब मुंबई) से सिर्फ नाटक देखने गांव आ गए। उस वक्त नाना का भ्रम टूट गया कि पिता उनसे प्यार नहीं करते। नाना को उस वक्त एहसास हुआ कि जैसे उन्होंने अपनी कला से पिता को प्रभावित किया, वैसे ही पूरी दुनिया को भी कर सकते हैं। पिता हॉस्पिटल में थे, उनकी दवाई के भी पैसे नहीं थे नाना ने पिता को लेकर जो भ्रम पाला था, वह तो समय के साथ खत्म हो गया, लेकिन एक बात का मलाल आज भी है। नाना अपने पिता के हाथ पर एक रुपया तक नहीं रख पाए। नाना ने यह बात हाल ही में दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कही थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे इस बात का गहरा दुख है कि अपनी कमाई से पिता के लिए कुछ नहीं कर पाया। उनका निधन भी एक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के अस्पताल में हुआ था। उस वक्त उनकी दवाई के लिए भी मेरे पास पैसे नहीं थे। मेरे दोस्तों ने काफी मदद की। उन्होंने ही मुझे दवा के पैसे दिए थे।’ रेपिस्ट का रोल ऑफर किया तो रवि चोपड़ा को गालियां बक दीं स्मिता पाटिल ने नाना को बी.आर. चोपड़ा के बेटे रवि चोपड़ा के पास भेजा। रवि चोपड़ा उस वक्त फिल्म ‘आज की आवाज’ बना रहे थे। उन्होंने नाना को रेपिस्ट का रोल ऑफर किया। ऑफर सुनते ही नाना भड़क उठे। उन्होंने सबके सामने रवि को गालियां बक दीं। नाना ने कहा कि तुम मुझे ऐरा-गैरा आदमी समझते हो, क्या मैं ऐसा रोल करूंगा? यह कहकर नाना वहां से लौटने लगे। तभी स्मिता पाटिल वहां पहुंच गईं। उन्होंने नाना और रवि, दोनों को समझाया। तब रवि चोपड़ा ने उन्हें मेन विलेन का रोल ऑफर किया। नाना इस बार भी सीधी तरह नहीं माने। उन्होंने कहा कि मैं कर तो लूंगा, लेकिन अपना किरदार खुद लिखूंगा। आखिरकार उन्होंने फिल्म में काम कर लिया। विधु विनोद चोपड़ा के साथ हाथापाई, नाना का कुर्ता फट गया फिल्म परिंदा की शूटिंग के दौरान विधु विनोद चोपड़ा और नाना पाटेकर में लड़ाई हो गई थी। यह बात खुद विधु ने एक टीवी रियलिटी शो के दौरान स्वीकारी थी। उन्होंने कहा, ‘नाना हर सीन में गाली देता था। मुझे यह बात बड़ी अजीब लगती थी। मुझे उस वक्त गालियां नहीं आती थीं। नाना बार-बार गालियां दिए जा रहा था। ऊपर से बिना शूटिंग किए घर जाने लगा। मैंने कहा कि पहले पैसे दो, फिर वापस जाओ। कम से कम मेरा नुकसान तो मत कराओ। यही बात कहते हुए मैंने उसका कुर्ता फाड़ दिया। अभी यह सब चल ही रहा था कि कैमरामैन ने शॉट रेडी कर दिया। आप फिल्म देखिए, एक सीन में नाना बनियान में बैठकर रोता दिखाई देगा। वह शॉट झगड़े के तुरंत बाद लिया गया था। खैर, शॉट परफेक्ट हो गया। बाद में नाना ने मुझे गले लगा लिया।’ सेफ्टी गार्ड पहनने से मना किया, आग में झुलसे तो स्किन उतर गई फिल्म परिंदा के क्लाइमैक्स सीन में नाना पाटेकर को आग में जलते दिखाया गया था। दुर्भाग्यवश, नाना सच में आग में झुलस गए थे। इस वजह से उनकी पूरी स्किन उतर गई थी। दरअसल, उस वक्त की फिल्मों में आर्टिफिशियल फायर जैसी कोई चीज नहीं थी। सेट पर असली आग लगाई जाती थी। फिल्म के डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने नाना को सेफ्टी गार्ड पहनने को कहा था। नाना ने कहा कि अगर वे सेफ्टी गार्ड पहन लेंगे तो एक्टिंग नेचुरल नहीं लगेगी। फिर भी विधु के कहने पर उन्होंने थोड़ा बहुत खुद को ढंक लिया। हालांकि, जब सीन शुरू हुआ तो आग की लपटें उनके शरीर को छू गईं। उनके हाथ-पैर की स्किन ही गायब हो गई। मामला सीरियस हो गया। उन्हें मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इस घटना के बाद नाना एक साल तक फिल्मों से दूर रहे। सेना के अधिकारी ने रिस्पॉन्स नहीं दिया तो रक्षा मंत्री को लगा दिया फोन नाना पाटेकर बचपन से आर्मी जॉइन करना चाहते थे। 1991 की फिल्म प्रहार के जरिए उनका यह सपना भी पूरा हो गया। आर्मी बैकग्राउंड पर बनी इस फिल्म की तैयारी के लिए नाना ने तीन साल तक आर्मी ट्रेनिंग प्रोग्राम किया था, जहां उन्हें कैप्टन की मानद रैंक दी गई थी। 1999 में पाकिस्तान के साथ कारगिल वॉर में नाना ने भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दी थीं। हालांकि इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। नाना ने सेना के एक बड़े अधिकारी को फोन किया और आर्मी जॉइन करने की इच्छा जताई। अधिकारी ने कहा कि आप आम नागरिक हैं, हम आपको आर्मी में नहीं ले सकते। नाना ने तब देश के तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस को फोन कर दिया। जॉर्ज फर्नांडिस पहले से नाना को जानते थे। पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन जब नाना ने उन्हें अपना आर्मी वाला बैकग्राउंड बताया, तब मान गए। उन्हें हरी झंडी दे दी। नाना कारगिल में दो महीने सेना के साथ जुड़े रहे। वहां वे क्विक रिएक्शन टीम का हिस्सा थे। क्विक रिएक्शन टीम में सिर्फ वहीं लोग काम करते हैं, जो औरों से निपुण हों और हर परिस्थिति में लड़ने को तैयार रहें। परफॉर्मेंस के बीच में जूते बरसाए जाते थे नाना ने एक नाटक पुरुष (1981) में 16 साल अभिनय किया। इस नाटक में वे विलेन बनते थे। उनका रोल इस कदर घिनौना था कि परफॉर्मेंस के बीच में ही महिलाएं जूते बरसाने लगती थीं। जब वे जूते मांगने आतीं तो नाना मना कर देते। वे उन जूतों को सम्मान के तौर पर संभाल कर रखते थे। 1993 मुंबई ब्लास्ट में भाई को खोया, हाथ के कड़े से बॉडी पहचानी 1993 बम ब्लास्ट में नाना ने अपना भाई खो दिया था। उनके भाई जिस बस में बैठे, उसी में ब्लास्ट हो गया था। बॉडी पहचान में नहीं आ रही थी। नाना के भाई हाथ में एक कड़ा पहनते थे। उसी से शव की पहचान हुई थी। जिसमें ब्लास्ट हुआ, उसके आगे वाली बस में नाना की पत्नी नीलकांति बैठी हुई थीं। दरअसल, नाना की पत्नी और भाई साथ ही निकले थे। दोनों एक ही बस में बैठने वाले थे, लेकिन सीट सिर्फ एक ही मिली। नाना के भाई मजबूरन पीछे वाली बस में बैठ गए। अगर उन्हें पहली बस में सीट मिल जाती तो शायद जान बच जाती। सोर्स- किस्से द लल्लनटॉप का इंटरव्यू, आप की अदालत और जी टीवी के रियलिटी शो सारे गा मा पा से लिए गए हैं। ---------------------- इससे जुड़ी यह खबर भी पढ़ें.. 'नाना पाटेकर के बारे में गलत धारणा बनाई गई': उत्कर्ष शर्मा बोले- वे सख्त बिल्कुल नहीं पता नहीं वे कौन लोग हैं, जो नाना सर को सख्त कहते हैं। मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। सेट पर हम दोनों फ्रेंड की तरह रहते थे। पूरी खबर पढ़ें..

from बॉलीवुड | दैनिक भास्कर https://ift.tt/tDTe9MP
via IFTTT

'We're all considering death all the time': Willem Dafoe on new vampire film

Willem Dafoe reflects on the appeal of Dracula: "It's interesting to have the undead visit the living".

from BBC News https://ift.tt/j0ay2dA