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» » » आपबीती सुनाते हुए रोए मिर्जापुर के ‘लाला’:कास्टिंग वाले फोटोज डस्टबिन में फेंक देते थे; क्रिकेटर बनना था, लेकिन पॉलिटिक्स का शिकार हुए
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'आज लोग मुझे मिर्जापुर के लाला के नाम से जानते हैं। हाल ही में मुझे फिल्म कल्कि 2898 AD में भी देखा गया है। अमिताभ बच्चन, प्रभास, कमल हासन और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों के साथ काम करना हर एक्टर का सपना होता है। मेरा भी था, जो पूरा हो गया है। हालांकि जब जिंदगी के पिछले पन्नों को पलटता हूं, तो अपने ही संघर्ष के बारे में सोचकर आंखें नम हो जाती हैं। मैं कुछ कर गुजरने की चाहत में 1996 में मुंबई आया था। यहां पर सिर्फ टॉम सर (टॉम ऑल्टर- मशहूर एक्टर) थे, जिन्हें मैं जानता था। उनके सहारे तो यहां आ गया था, लेकिन खुद की पहचान बनाने में यहां के संघर्ष ने मुझे खून के आंसू रुला दिए।’ अनिल जॉर्ज ये बात बताते हुए रोने लगते हैं। अनिल कहते हैं कि आज वे किसी के सामने अपने दिल की बात खुलकर नहीं रख पाते। शुरुआत में वे ऐसा करते थे, लेकिन उनका सच जानकर लोग उनकी हालात का मजाक बना देते थे। अनिल आंसू पोछते हुए कहते हैं, 'यहां तक के सफर में सिर्फ टॉम सर और मेरी पत्नी ने ही साथ दिया है। इन्हीं दोनों ने मेरे आंसू पोछे हैं, जब-जब मैं रोया हूं।' कम उम्र से ही एक्टिंग करने लगे थे अनिल का जन्म एक ईसाई परिवार में हुआ था। बचपन के बारे में उन्होंने बताया, ‘एक आम बच्चे की तरह मेरा भी बचपन बीता। हमारे यहां ईस्टर और क्रिसमस जैसे त्योहार पर नाटक होता था। इन नाटकों में मेरे बड़े भाई और बहन भी पार्टिसिपेट करते थे। उन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर मैं भी एक्ट कर लेता था। बस शौक के लिए करता था, कभी सोचा नहीं था कि यही शौक मेरी किस्मत बन जाएगा।’ क्रिकेटर बनना चाहते थे अनिल ने बताया कि उन्हें क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था। नाटक तो वे त्योहार के मौके पर करते थे, लेकिन क्रिकेट वे हमेशा खेला करते थे। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे सबसे ज्यादा सुकून क्रिकेट खेलने में मिलता था। शुरुआत में मुझे पता ही नहीं था कि मैं एक बेहतरीन बॉलर हूं। कम उम्र में ही मां की मौत हो गई थी, जिसके बाद मुझे रहने के लिए एक रिश्तेदार के घर भेज दिया गया। वहां की लाइफ भी संघर्ष से भरी रही। वहां जाने के बाद भी क्रिकेट के प्रति मेरा जुनून कम नहीं हुआ। वहां कॉलेज के कुछ सीनियर ने एहसास कराया कि मैं अच्छा बॉलर हूं। मैं अपने देश की तरफ से क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन इस फील्ड से जुड़े कुछ लोगों ने मुझे आगे नहीं बढ़ने दिया। उन्हें डर था कि मैं उनसे बहुत आगे निकल जाऊंगा, इसलिए उन्होंने मेरे सपने का कत्ल करना बेहतर समझा। तंगी में पत्नी ने फाइनेंशियल सपोर्ट किया एक्टिंग फील्ड में आने से पहले अनिल का दिवंगत एक्टर टॉम ऑल्टर के साथ दोस्ताना रिश्ता था। उन्होंने ही अनिल को एक्टिंग की दुनिया में पहला ब्रेक दिलाया था। अनिल कहते हैं, ‘1996 में टॉम सर ने मुझे मुंबई बुलाया था। उन्हीं की बदौलत मुझे टीवी शो युग में काम मिला था। इसके बाद मुंबई का सफर बिल्कुल आसान नहीं रहा। तकलीफें इतनी थीं, जितनी मैं बयां भी नहीं कर सकता। रहने-खाने का कोई ठिकाना नहीं था। इस बुरे वक्त में टॉम सर और मेरी वाइफ नंदी ने सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। जब खाने को कुछ नहीं था, तब टॉम सर कुछ पैसे दे दिया करते थे, जिससे कुछ दिन गुजारा हो जाता। वहीं, नंदी भी आर्थिक रूप से मेरी बहुत मदद करती थीं। वे AIIMS में नर्स थीं। शादी के बाद काम नहीं मिलने तक उन्होंने ही मेरे सारे खर्चे उठाए। उस वक्त लंबे पीरियड तक मेरे पास काम नहीं रहता था। आगे क्या होने वाला है, कुछ पता नहीं होता था, लेकिन नंदी ने कभी मुझसे सवाल नहीं किया। कभी नहीं कहा कि मैं दूसरा कोई काम देख लूं, ऐसे काम नहीं चल पाएगा। हालात ऐसे थे कि मैं आसानी से टूट सकता था, लेकिन नंदी के सहारे ने हर कदम पर मुझे आगे बढ़ने का हौसला दिया। इसके लिए मैं आज भी नंदी का शुक्रगुजार हूं।’ फिल्म से सीन्स कटने पर दोस्तों ने उड़ाया था मजाक अनिल ने 1999 की फिल्म 'हु तू तू' में काम किया था। फिल्म में सुनील शेट्टी, तबु और नाना पाटेकर जैसे कलाकार लीड रोल में थे। अनिल ने बताया कि फिल्म में उनके सबसे ज्यादा सीन्स तबु के साथ थे। उन्होंने कहा, ‘एक सीन में मैंने तबु को मारा भी था। फिल्म साइन करने के बाद मैंने खुशी-खुशी में बहुत सारे दोस्तों को यह बात बता दी कि मैं इतनी बड़ी स्टार कास्ट के साथ पर्दे पर देखा जाऊंगा, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो देखा कि मेरे बहुत सारे सीन्स हटा दिए गए हैं। इस बात से मुझे बहुत दुख पहुंचा और दोस्तों में मेरा मखौल बन गया। इस घटना के बाद से ही मैं बड़ी से बड़ी फिल्म साइन करने के बाद भी किसी को बताता नहीं हूं, जब तक कि फिल्म रिलीज ना हो जाए।’ काम मांगने जाते, तो लोग फोटो फाड़कर डस्टबिन में फेंक देते अनिल ने आगे के सफर के बारे में कहा, ‘हर स्ट्रगलर की तरह मैंने भी ऑडिशन और रिजेक्शन के दौर को फेस किया है। यंग ऐज में बहुत अच्छा दिखता था। सोचता था कि राह चलते भी लोग हीरो का रोल ऑफर कर सकते थे। इस वजह से बड़े-बड़े डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के ऑफिस के चक्कर लगाता था। बड़े शौक से फोटो खिंचवा कर स्टूडियो में काम मांगने के लिए जाता था। हर बार यही सोचता था कि बात तो बन ही जाएगी। हालांकि ऐसा होता नहीं था। किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर तक मेरी तस्वीर पहुंचती ही नहीं थी। पहले ही उस तस्वीर को डस्टबिन में फेंक दिया जाता था।' अंत में अनिल ने बताया कि फिलहाल वे किसी प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें जो भी काम मिलेगा वे उसे शिद्दत से करेंगे।

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