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» » » फिल्म का इमोशनल गाना सुनकर रो पड़े अभिषेक बच्चन:'बी हैप्पी' में दिखेगी बाप-बेटी की कहानी, पिता के लिए बोले- वो मेरा टॉप स्टैंडर्ड

बाप-बेटी के रिश्ते पर एक बेहद ही प्यारी फिल्म आ रही है, जिसका नाम है 'बी हैप्पी।' डांस और इमोशन वाली इस फिल्म में अभिषेक बच्चन सिंगल फादर का रोल करते दिखेंगे। ये फिल्म 14 मार्च को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम पर रिलीज होगी। कोरियोग्राफर और डायरेक्टर रेमो डिसूजा ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में अभिषेक ने अपने किरदार और उसकी चुनौतियों पर बात की है। पढ़िए अभिषेक के इंटरव्यू की प्रमुख बातें... सवाल- अभिषेक आपने पहले भी बाप-बेटे और बाप-बेटी वाली कहानी पर काम किया है। इस फिल्म के किरदार के लिए आपका प्रोसेस क्या था? जवाब- अगर आप देखेंगे तो ये एक बहुत साधारण फिल्म है। इसमें ज्यादा कुछ छेड़खानी नहीं की गई है। कहानी एक बाप और उनकी बेटी की है। एक पिता अपनी बच्ची के लिए क्या-क्या कर सकता है। इस पर बहुत बात नहीं की जाती है। ज्यादातर हम एक मां और बच्चे के बीच के इमोशन के बारे में बात करते हैं। हम बहुत कम सोचते है कि एक पिता अपने बच्चे के लिए क्या करता है। पिता चुपचाप संघर्ष करते रहता है। तो ये फिल्म इसके ऊपर है। मुझे ये कहानी बहुत पसंद आई। प्रोसेस की बात करूं तो वो कुछ ज्यादा नहीं था क्योंकि ये कोई डार्क फिल्म नहीं है। डांस का हिस्सा रियलिटी शो में है, जो कि एक बैक ड्रॉप है। इसमें प्रोसेस यही रहा कि कितनी सरलता से आप इस इमोशन को दिखा सकते हैं। जब ये करना होता है, ऐसे में अगर आपने एक फीसदी भी ज्यादा किया तो वो फेक लगने लगता है। इस रोल के लिए ज्यादा तैयारी नहीं कर सकते थे। आपको बस सीन को महसूस करना और उसे दिखाना होता है। सवाल- रेमो आपकी फिल्म में डांस और इमोशन का फ्यूजन है। डांस पर आपने पहले भी फिल्में बनाई हैं। ये फिल्म अलग कैसे है? जवाब/रेमो- मैं इतना कह सकता हूं कि मैंने अब तक जितनी फिल्में बनाई है, ये उससे अलग है। आपने कहा डांस और इमोशन का फ्यूजन है। मैं कहूंगा इमोशन इन द डांस है। मेरी फिल्मों में डांस पहले आता है, इमोशन बाद में। लेकिन इस फिल्म में इमोशन पहले है, डांस बाद में। सवाल- इस फिल्म में आपके लिए सबसे चैलेंजिंग और इमोशनल प्वाइंट क्या रहा? जवाब/अभिषेक- इस फिल्म कई सारे सीन्स हैं, जो आपको छू जाते हैं। कई सारे मोमेंट्स हैं, जिनमें मैं असहज रहा। लेकिन वो इमोशनल सीन थे, जो कहानी के लिए जरूरी थे। लेकिन कभी-कभार एक आर्टिस्ट के तौर पर आपको लगता है कि ये बहुत कठिन काम है। ऐसे में इस फिल्में में बहुत सारे इमोशनल सीन हैं, जिन्हें करते हुए मुझे दिक्कत और दर्द हुआ था। रेमो- मेरे लिए चैलेंजिंग कुछ नहीं रहा। मेरी कोशिश थी कि मैंने कहानी जैसी सोची थी, वैसी ही दर्शकों तक पहुंच जाए। हां, इस फिल्म में मेरे लिए इमोशनल प्वाइंट बहुत सारे रहे। मैं जितनी बार भी फिल्म को देखता हूं, उतनी बार इमोशनल हो जाता हूं। मुझे अच्छा भी महसूस होता है। बाप-बेटी के बीच के बहुत सारे सीन या फिर नासिर सर, अभिषेक और इनायत जो फिल्म में धारा का रोल प्ले कर रही हैं, इन सबके बीच के बहुत सारे सीन इमोशनल रहे। मेरे लिए क्लाइमैक्स काफी इमोशनल रहा। सवाल- अभिषेक के डांस में एक स्वैग होता है। इस फिल्म में आपने इमोशन के साथ डांस को कैसे मिक्स किया है? जवाब/रेमो- अभिषेक पहले से ही डांस करते रहे हैं। इनमें स्वैग भी है। मेरे ख्याल से इन्होंने करियर की शुरुआत से ही डांस किया है। मेरी फिल्म डांस के बारे में नहीं है। ये फिल्म एक बाप और बेटी की कहानी है। डांस फिल्म में एक बैक ड्रॉप की तरह आता है। कहानी एक बाप-बेटी और ससुर की होती है, जो अपने दामाद के साथ रहता है। सवाल- सेट की कोई खूबसूरत बात जो आप शेयर करना चाहेंगे? अभिषेक- इस फिल्म के गाने बहुत ही प्यारे हैं। मुझे इस फिल्म का सुपरस्टार गाना बहुत पसंद है। मुझे लगता है कि बच्चों को ये पसंद भी आएगी। फिल्म के क्लाइमैक्स का जो गाना है, वो हमेशा मुझे रूला देता है। मुझे याद है कि हम लोग शूटिंग कर रहे थे और सेट पर मुझे हेडफोन दिया गया इसे सुनने के लिए। मैं गाना सुनते-सुनते रो पड़ा। मेरे साथ पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। उस गाने में जो दर्द है, उसे कोई भी पेरेंट्स महसूस कर सकता है। सवाल- आपके पिता बच्चन साहब आपके सबसे बड़े चीयर लीडर हैं। पूरी दुनिया जिनकी एक्टिंग की दीवानी है, वो शख्स आपके काम की सराहना करते हैं। कैसा महसूस होता है? अभिषेक- मैं सिर्फ धन्यवाद कह सकता हूं। वो मेरे लिए सिर्फ एक पिता समान नहीं हैं। वो मेरे लक्ष्य भी हैं। वो मेरे लिए टॉप स्टैंडर्ड भी हैं। मैं उनका बेटा ही नहीं हूं। मैं उनका सबसे बड़ा फैन भी हूं। जब आपके हीरो, आपके काम को सराहे तो आप खुद को दुनिया में सबसे ऊंचाइयों पर पाते हैं। कभी-कभार ऐसा लगता है कि अब क्या करूं? मैंने पहले भी कहा कि हम लोग ये भूल जाते हैं कि वो सदी के महानायक हैं लेकिन वो एक पिता भी हैं। अपने बच्चों के प्रति उनकी जो भावनाएं हैं, उसे हम नहीं भूल सकते हैं। अंत में, वो भी एक पिता हैं। बच्चे का काम देख रहे हैं। भावुक होंगे। हमें ये भी सोचना चाहिए कि वो भी एक इंसान हैं। और उन्हें भी भावुक होने की इजाजत है। सवाल- बच्चन सर ने सामने से कोई ऐसा कॉम्पलीमेंट दिया है, आपके दिल के करीब है? अभिषेक- बहुत कम...पुरुष व्यक्तिगत तौर पर आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते हैं। मेरी फैमिली एक पढ़ी-लिखी फैमिली है। मेरे दादा जी और नाना जी दोनों लेखक थे। दादा जी कवि थे और नाना जी रिस्पेक्टेड जर्नलिस्ट थे। मैं एजुकेटेड फैमिली से आता हूं और हम सब लिखने में सहज महसूस करते हैं। ऐसे में पापा जो बात मेरे मुंह पर नहीं बोल पाते वो लिखकर देते हैं। मुझे लगता है कि मेरा परिवार सबसे ज्यादा खुलकर तब बात करता है, जब हमें लिखते हैं। मैं भी अपनी बेटी आराध्या के लिए ऐसा ही करता हूं।

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