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» » » सेट पर एक्टर्स-डायरेक्टर्स की देखभाल करते हैं स्पॉटबॉय:20 घंटे काम, लेकिन फीस महीनों नहीं मिलती; गाली और मार भी सहनी पड़ती है

फिल्म सेट पर एक्टर्स, डायरेक्टर्स, क्रू मेंबर्स को मैनेज करने से लेकर इनके खाने-पीने की पूरी जिम्मेदारी स्पॉटबॉय की होती है। इन्हें स्पॉट दादा भी कहा जाता है। हालांकि स्थिति ऐसी कि लोग कहते हैं कि कुछ भी बन जाना, लेकिन कभी स्पॉटबॉय न बनना। यह लोग 20-20 घंटे सेट पर काम करते हैं, लेकिन फीस कब मिलेगी, इसकी गारंटी नहीं रहती। यहां तक कि प्रोड्यूसर्स-डायरेक्टर्स इन्हें गालियां देते हैं। कभी-कभी तो मार भी देते हैं। काम न मिलने के डर से यह लोग चुपचाप शोषण सहते हैं और काम करते हैं। रील टु रियल के इस एपिसोड में हमने स्पॉटबॉय की कंडीशन को जानने के लिए स्पॉटबॉय संतोष, राकेश दुबे और सिने वर्कर्स एसोसिएशन के हेड सुरेश श्यामलाल गुप्ता से बात की। इस एपिसोड को दो चैप्टर में डिवाइड किया है। पहले चैप्टर में स्पॉटबॉय को काम मिलने से लेकर उनकी सैलेरी तक की जानकारी है, जबकि दूसरे चैप्टर में स्पॉटबॉय की सेलेब्स के साथ बॉन्डिंग पर बात होगी। चैप्टर- 1 20-20 घंटे काम करते हैं स्पॉटबॉय 80-90 के दशक में स्पॉटबॉय को शिफ्ट के हिसाब से सिर्फ 8 घंटे काम करना पड़ता था। हालांकि अब कोई फिक्स टाइमिंग नहीं होती है। एक्टर्स के जैसे ही इन्हें 20-20 घंटे काम करना पड़ता है। कई बार तो वर्क लोड इतना होता है कि इन्हें सेट पर ही सोना पड़ता है। फिल्म की शूटिंग के लिए 15-20 स्पॉटबॉय की जरूरत अगर किसी टीवी शो की शूटिंग हो रही है तो 5-6 स्पॉटबॉय की जरूरत पड़ती है। वहीं, फिल्म की शूटिंग के लिए 15-20 स्पॉटबॉय सेट पर मौजूद होते हैं। हालांकि यह नंबर प्रोजेक्ट के हिसाब से बढ़ भी जाते हैं। इन सभी का काम स्पॉटबॉय इंचार्ज डिसाइड करता है। साल भर रोकी जाती है स्पॉटबॉय की पेमेंट स्पॉटबॉय की पेमेंट फिक्स नहीं होती है। एक दिन की शूटिंग के लिए इन्हें 1500 से 2000 रुपए मिलते हैं। स्पॉटबॉय की पेमेंट के बारे में सुरेश कहते हैं- देश आजाद हो गया है, लेकिन इनका भला नहीं हुआ। इनको पेमेंट टाइम पर नहीं मिलती है। अगर इन्होंने एक महीने लगातार काम किया है, तो सैलरी 4-6 महीने बाद मिलती है। कभी-कभार एक साल तक पेमेंट रोक दी जाती है। कई केस तो ऐसे है कि पेमेंट मिली ही नहीं। एक-दो केस मैंने ऐसे देखे हैं कि प्रोडक्शन हाउस वाले पहले 50 हजार फीस देने की बात करते हैं, लेकिन फिल्म बन जाने के बाद नुकसान का हवाला देकर सिर्फ 25 हजार रुपए फीस पर समझौता करने के लिए कहते हैं। अधिकतर स्पॉटबॉय को महीने में सिर्फ 4-5 दिन काम मिलता है स्पॉटबॉय की नौकरी फिक्स नहीं होती है। कभी इनके पास काम होता है, कभी नहीं होता। अधिकतर स्पॉटबॉय को महीने में सिर्फ 4-5 दिन ही काम मिलता है। सारा पैसा घर खर्च में निकल जाता है। बच्चों की फीस और बाकी जरूरतों के लिए तिल-तिल मरना पड़ता है। कइयों को महीने-महीने भर काम नहीं मिलता है। किन्हीं के पास तो सालों से काम नहीं है। या तो वे लोग दूसरा काम करने लगे हैं या उनकी पत्नियां घर खर्च मैनेज कर रही हैं। संतोष बोले- हम बहुत स्ट्रगल करते हैं, लेकिन हमारी कोई सुनने वाला नहीं संतोष कहते हैं- हम लोग बहुत स्ट्रगल करते हैं, लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता। मैंने 1998-99 में काम करना शुरू किया था। उस वक्त तो स्थिति और बदतर थी। कई सेट पर AC नहीं होते थे। गर्मियों में आर्टिस्ट का मेकअप खराब होने का खतरा सबसे ज्यादा होता था। ऐसे में हम बड़े-बड़े पंखों को कंधों पर लेकर उन्हें हवा देते थे। खुद पसीने में तरबतर रहते थे। आज भी हालात में कुछ ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। जैसे कि सेट पर पहले हमें एक्टर्स, डायरेक्टर सबको खाना खिलाना रहता है। फिर जब हमारी बारी आती है तो हजारों काम थमा दिया जाता है। यह भी नहीं देखा जाता है कि हम खा रहे हैं। सब कुछ छोड़कर हमें पहले उनका काम करना पड़ता है। कुछ एक्टर्स हमारी फिक्र करते हैं। दिवंगत सिद्धार्थ शुक्ला, जेनिफर विंगेट जैसे लोग इस लिस्ट में हैं। वहीं, कुशाल टंडन जैसे सितारे छोटी बात पर भड़क भी जाते हैं। फिल्म इंडस्ट्री के लोग हैवान हैं, उन्हें सेफ्टी की चिंता नहीं सिने वर्कर्स एसोसिएशन के हेड सुरेश श्यामलाल गुप्ता ने कहा- फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को हैवान कहना गलत नहीं होगा। करोड़ों की फिल्म बनाते हैं, एक्टर्स की फीस भी करोड़ों में होती है, लेकिन स्पॉटबॉय की सेफ्टी का कोई प्रबंध नहीं होता है। कई बार आग लगने से सेट जल जाता है, लोग मर जाते हैं। बाद में इस मामले को दबा दिया जाता है। परिवार वालों को मुआवजा भी नहीं मिलता है। इस तरह की बातें बाहर नहीं आ पाती हैं। इंडस्ट्री में प्रोड्यूसर्स की लॉबी होती है। एक-दूसरे की असलियत को छिपाने की कोशिश करते हैं। काम नहीं मिलने के डर से स्पॉटबॉय इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं करते। स्थिति इतनी खराब है कि कई बार प्रोडक्शन वाले इन्हें मारते हैं। डायरेक्टर-प्रोड्यूसर गाली देकर बात करते हैं। चैप्टर- 2- अब पढ़िए स्पॉटबॉय और सेलेब्स से उनके कनेक्शन के किस्से… 1700 रुपए मांगने पर जैकी श्रॉफ ने 70 हजार रुपए देने की पेशकश की राकेश दुबे ने जैकी श्रॉफ के साथ काम किया था। इस बारे में उन्होंने बताया- मैंने सुना था कि जैकी दादा हमेशा सभी की बहुत मदद करते हैं। वो दिल के अच्छे इंसान हैं। एक दिन मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी। कोई और रास्ता नहीं था। लास्ट में हिम्मत करके जैकी दादा के पास गया। उन्हें बताया कि दादा, मेरा घर टूट गया है और बच्चे भूखे हैं। उन्होंने मुझसे पूछा कि कितने पैसे चाहिए। मैंने कहा ज्यादा नहीं, बस 1700 रुपए। उन्होंने अपने लड़के से कहा कि मेरे घर 70,000 रुपए भेज दो। मैंने मना किया कि इतने पैसे नहीं चाहिए। फिर अगले दिन उनका आदमी मेरे घर आया, उसने मुझे 1900 रुपए दिए और मेरी जैकी दादा से बात करवाई। लॉकडाउन में अमिताभ बच्चन और सलमान खान ने की मदद राकेश ने बताया कि ऐसे कई सेलेब्स हैं, जो बुरे वक्त में स्पॉटबॉय की मदद करते हैं। जैसे कि लॉकडाउन में अमिताभ बच्चन और सलमान खान ने की थी। इस बारे में उन्होंने कहा- कोविड में मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी। कई लोगों से बात हुई, कई जगह न्यूज भी चली, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। एक बार यूनियन से मदद मिली थी। वहां से 3,000 रुपए की मदद मिली और डेढ़ हजार का राशन आया। वो भी पता चला कि अमिताभ बच्चन और सलमान खान ने दिए थे। उसके अलावा कहीं से मदद नहीं मिली। 1200 रुपए के लिए सुनील शेट्टी से खाए 2 थप्पड़ सुनील शेट्टी के साथ काम करने के एक्सपीरियंस के बारे में राकेश ने कहा- एक बार सुनील शेट्टी के साथ काम कर रहा था। उस समय ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे। मैं सुनील शेट्टी के पास जाकर खड़ा हो गया। उन्होंने पूछा यहां क्यों खड़े हो। मैंने हिचकिचाते हुए कहा कि साहब मुझे 1200 रुपए चाहिए। मेरे मुंह से निकल गया कि मैं बाद में दे दूंगा। उन्होंने फिल्म सिटी में शूटिंग के दौरान मुझे पैसे दे दिए। फिर जब भी सुनील शेट्टी साहब मुझे काम करते देखते थे तो आकर पूछते थे कि मेरे पैसे कहां हैं। मैं कहता था, साहब अभी नहीं है, मैं कमा कर दे दूंगा। ऐसे ही 20-25 दिन बाद उन्होंने दोबारा बुलाकर पूछा कि पैसे किधर हैं। उस समय वो बहुत गुस्सा थे। उन्होंने मुझे फिल्मिस्तान में वैनिटी वैन में बुलाया और फिर पूछा। मैंने कहा अभी मेरा काम बंद चल रहा है, मैं दे दूंगा। उन्होंने कहा कि फिर क्यों कहा था कि मैं वापस कर दूंगा। उन्होंने मुझे दो खींच के मारा। मैंने सोचा कोई बात नहीं वो बड़े आदमी हैं और मैंने पैसे भी लिए हैं, वैन के अंदर मारा तो चलेगा। उस समय मैंने कान पकड़ लिए कि कभी किसी से पैसे नहीं लूंगा। बॉलीवुड की यह स्टोरी भी पढ़िए... लोग कहते थे- बच्चन की नकल करता है:भीष्म बने तो इज्जत मिली, उधार लेकर शक्तिमान बनाया दिग्गज एक्टर मुकेश खन्ना ने तकरीबन 50 साल लंबे करियर में पैसों से ज्यादा आदर्शों और सिद्धांतों को तरजीह दी। करोड़ों रुपए के ऑफर ठुकरा दिए। काम मांगने के लिए किसी फिल्ममेकर के दरवाजे पर नहीं गए। साइड हीरो का रोल नहीं चाहते थे, इसलिए सालों तक बिना काम के घर बैठे। पढ़ें पूरी खबर...

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