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» » » 12 सालों से जेल में कैद हैं एक्ट्रेस सिमरन सूद:आरोप- 4 हत्याओं में शामिल, गैंगस्टर के साथ मिलकर किए बिजनेसमैन के शरीर के टुकड़े

आज अनसुनी दास्तान में हम आपको बताने जा रहे हैं, हीरोइन बनने का ख्वाब देखने वालीं सिमरन सूद की कहानी। सिमरन, दास्तान पर हुआ। सिमरन की कहानी अपने आप में एक मुकम्मल क्राइम थ्रिलर फिल्म है, जिसमें बड़े-बड़े सपने हैं, फिल्मी चकाचौंध है, धोखा, साजिश और कई कत्ल भी हैं। बॉलीवुड की पेज 3 पार्टी में अपनी मौजूदगी से लोगों का ध्यान खींचने वालीं सिमरन सूद बेहद लग्जरी जिंदगी जीती थीं। नील नितिन मुकेश, के.के.मेनन के साथ मिलीं उनकी तस्वीरें इन पार्टियों का सबूत थीं। सिमरन सूद पर आरोप हैं कि वो अपनी खूबसूरती से अमीरजादों को शिकार बनाती थीं, लूटती थीं और फिर हत्या करवा देती थीं। सिमरन के जुर्म की फेहरिस्त में रब ने बना दी जोड़ी और नो वन किल्ड जेसिका के एक्टर अनुज कुमार टिक्कू के पिता का नाम भी दर्ज है, जिनका कत्ल हुआ था। यह इस तरह का इकलौता मामला नहीं था। सिमरन पर प्रोड्यूसर करण कक्कड़ और एयर इंजिया इंजीनियर अनूप दास और उनके पिता की हत्या के भी आरोप थे। कई हत्याकांड में शामिल रहीं सिमरन सूद के जुर्मों का खुलासा एक संयोग और एक व्यक्ति के प्रेसेंज ऑफ माइंड से हुआ, जिसने एक आम दिन कार पार्किंग से गुजरते हुए एक अधेड़ व्यक्ति की हत्या होते देखा। आज अनसुनी दास्तान के 4 चैप्टर में जानिए इस हाईप्रोफाइल हनीट्रैप मामले और कई हत्याकांड की सिलसिलेवार कहानी- सिमरन सूद का असली नाम सीमा सुरेन्द्रनाथ दूसांज था, जिसे ग्लेमर वर्ल्ड के मुताबिक सिमरन सूद कर दिया गया था। लुधियाना से ताल्लुक रखने वालीं सिमरन ने आर्ट्स में डिग्री हासिल की थी। सिमरन बचपन से ही हीरोइन बनने का ख्वाब देखा करती थीं। जब उन्होंने इस ख्वाब के बारे में अपने परिवार को बताया तो हर किसी ने साफ इनकार कर दिया कि अच्छे घर की लड़कियां फिल्मी दुनिया में नहीं जातीं। परिवार से सपोर्ट न मिलने पर सिमरन सूद ने 1995 में अपना घर छोड़ दिया और मुंबई पहुंच गईं। खूबसूरती की बदौलत सिमरन के लिए मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखना मुश्किल नहीं रहा। उन्हें मुंबई में मॉडलिंग का अच्छा काम मिलने लगा। फिल्म इंडस्ट्री की पेज-3 पार्टियों में उनका आना-जाना आम था, जहां वह इंडस्ट्री से जुड़े कई लोगों से मिला करती थीं। आईपीएल की भी कई पार्टीज में उन्हें देखा गया था। 7 अप्रैल 2012 की बात है… ओशिवारा की 25 माला हाईराइज बिल्डिंग के पार्किंग एरिया से गुजरते हुए एक शख्स की नजर पहली मंजिल की खिड़की पर पड़ी। पहले खिड़की का पर्दा टूटकर गिरा, जिसके बाद एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ हो रही मारपीट नजर आई। उन्होंने तुरंत बिल्डिंग के गार्ड से मदद मांगी और भीड़ इकट्ठा कर सभी उस फ्लैट पर पहुंच गए। दरवाजा खटखटाने पर दो नौजवान लड़के बाहर आए। जब उनसे बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वहां कोई बुजुर्ग नहीं है, उन्हें गलतफहमी हुई है। हालांकि खुद को पेइंग गेस्ट बताने वाले उन लड़कों के पैरों पर लगा खून बड़ी अनहोनी की तरफ इशारा कर रहा था। संदिग्ध हालात होने पर उस भीड़ ने फ्लैट को बाहर से लॉक कर दिया और पुलिस को खबर दी। जब पुलिस पहुंची, तो वो दोनों शख्स बालकनी से कूदकर भाग चुके थे और बाथरूम में बुजुर्ग व्यक्ति की लाश थी। मृतक का नाम अरुण कुमार टिक्कू (67) था, जो दिल्ली के एक कारोबारी थे। मौत से पहले अरुण को टॉर्चर किया गया था और उनके शरीर पर चाकुओं से तीन वार किए गए थे। जांच में पहला शक अनुज टिक्कू पर भी गया कि उन्होंने पिता की हत्या करवा दी। हालांकि अनुज के बयान से जांच का नया एंगल सामने आ गया। उन्होंने सिमरन सूद का जिक्र किया। अनुज ने पुलिस को बताया कि वो मुंबई में काम ढूंढते हुए उनकी मुलाकात सिमरन से हुई थी। 2012 में सिमरन ने अनुज की मुलाकात विजय पलांडे से करवाई थी। दोनों ने उनसे कहा कि उन्हें मुंबई में रहने का ठिकाना चाहिए, जिसके लिए अनुज ने उन्हें अपना ओशिवारा स्थित फ्लैट रहने के लिए दे दिया। बीतते समय के साथ सिमरन और विजय उस फ्लैट में कब्जा करने लगे। दोनों ने पहले उस फ्लैट में एक जर्मन महिला को ठहराया, जिसके बाद दो दोस्त धनंजय शिंदे और मनोज गजकोश भी रहने लगे। अनुज के पिता को इससे आपत्ति थी, क्योंकि उस फ्लैट का अच्छा किराया मिल सकता था। अनुज ने जब फ्लैट खाली करने को कहा, तो विजय ने साफ इनकार कर दिया। बात नहीं बनी तो गुस्से में अरुण टिक्कू फ्लेट खाली करवाने सीधे दिल्ली से मुंबई पहुंच गए, जिसके बाद उनकी हत्या उसी फ्लैट में कर दी गई। अरुण के बयान के बाद मुंबई पुलिस ने सिमरन सूद, विजय पलांडे और उसके दो साथियों की गिरफ्तारी की। गिरफ्तारी के बाद विजय ने इकबाल-ए-जुर्म में बताया कि 7 अप्रैल की रात अनुज अपना फ्लैट खाली करवाने आए थे, लेकिन उन्होंने 2 साथियों के साथ मिलकर उनकी हत्या कर दी। अनुज टिक्कू की हत्या से चंद रोज पहले 5 अप्रौल को ही मूवी प्रोड्यूसर करण कक्कड़ लापता हुए थे। परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई थी। शिकायत में परिवार ने बताया कि 5 अप्रैल 2012 को करण ने अपने भाई हनीश को कॉल कर बताया था कि वो जल्द ही एक बड़ी फिल्म में पैसे लगाने वाला है। इसके बाद ही उन्होंने परिवार से कभी संपर्क नहीं किया। करण कक्कड़ के साथ उनकी ऑडी भी गायब थी। पुलिस को इस मामले में जांच की दिशा नहीं मिल रही थी, लेकिन अरुण टिक्कू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए विजय पलांडे और सिमरन के तार इस मामले से भी जुड़े थे। पूछताछ में विजय ने बताया कि जिस करण कक्कड़ की तलाश पुलिस को है, उसे चंद रोज पहले ही मारा जा चुका था। दरअसल, करण कक्कड़ फिल्मों में पैसे लगाना चाहते थे। इस दौरान उनकी मुलाकात सिमरन से हुई थी। सिमरन ने पहले करण कक्कड़ से नजदीकियां बढ़ाईं और फिर उनकी उनकी मुलाकात विजय पलांडे से करवाई। सिमरन ने करण से कहा था कि उन्हें एक बड़ी फिल्म के लिए प्रोड्यूसर की जरुरत है, जिसमें वो करण को इन्वॉल्व कर सकती हैं। 5 अप्रैल 2012 को सिमरन ने करण को एक किराए के फ्लैट में मिलने बुलाया। दोनों ने करण को फ्लैट में बंदी बनाया और उनके क्रेडिट कार्ड से लाखों की शॉपिंग की। फिर 7 अप्रैल को उनका गला काटकर हत्या कर दी। गला काटने से पहले खिलाई थीं 14 नींद की गोलियां अपने इकबाल-ए-जुर्म में विजय पलांडे ने बताया कि गला काटने से पहले उन लोगों ने करण कक्कड़ से पूछा था कि वो नींद की गोलियां खाना चाहेंगे या होश में उनका गला काटा जाए। करण ने दर्द से छुटकारा पाने के लिए नींद की गोलियां खाईं। जब 4 गोलियों से नींद नहीं आई तो उन हत्यारों ने उन्हें 10 गोलियां और खिलाईं और फिर बाथरूम में ले जाकर उनका गला काट दिया। बाथरूम में शावर के नीचे उनकी लाश तब तक रखी गई, तब तक खून पूरी तरह बह नहीं गया। बाद में उनके शरीर के टुकड़े कर उन्हें कुंभरली घाट में फेंक दिया गया। 13 साल पहले बनी सिमरन-विजय की जोड़ी, कर चुके थे 2 कत्ल मॉडलिंग की दुनिया में आने के बाद सिमरन सूद की मुलाकात 90 के दशक के आखिर में कुख्यात अपराधी विजय पलांडे से हुई थी। विजय खुद को रईस प्रॉपर्टी डीलर बताता था। जब विजय को पता चला कि सिमरन महंगे शौक रखती हैं और उन्हें पैसों की जरुरत है, तो उसने उन्हें अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव था अपनी खूबसूरती से अमीरजादों को फंसाकर उनसे लूट करना। सिमरन सूद समझ चुकी थीं कि सिर्फ मॉडलिंग की बदौलत शौक पूरे करना मुश्किल था। विजय की लग्जरी जिंदगी देखकर सिमरन सूद ने भी उससे हाथ मिला लिया। 1997 के आसपास विजय पलांडे से मिलने के बाद सिमरन सूद की जिंदगी बेहद लग्जरी हो चुकी थी। 1997 में वो प्लास्टिक सर्जरी करवाने USA गई थीं। खुद को खूबसूरत रखने के लिए सिमरन ने मुंबई-दुबई में कई प्लास्टिक सर्जरी करवाई थीं। दोनों का टार्गेट ऐसे अमीरजादे होते थे, जो या तो बिजनेस में इन्वेस्ट करना चाहते थे या तो फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए करोड़ों खर्च करने के लिए राजी होते थे। विजय, सिमरन की खूबसूरती और उनके फिल्म इंडस्ट्री के लिंक की मदद से लोगों को फंसाता था, पैसे ऐंठता था और काम होने पर उनका कत्ल कर देता था। 1997 में दिया था 2 कत्लों को अंजाम विजय ने सिमरन की मुलाकात उन्हें अपनी बहन बताते हुए एयर इंडिया इंजीनियर अनूप दास से करवाई। दरअसल, उस समय विजय पलांडे कॉपर चिमनी रेस्टोरेंट में एक वेटर बनकर काम कर रहा था, जहां अनूप का अक्सर आना जाना होता था। अक्सर होने वाली मुलाकातों के जरिए दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। कुछ समय बाद विजय ने अनूप की दोस्ती सिमरन सूद से करवाई। सिमरन ने प्लानिंग के तहत अनूप से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दीं। वो अक्सर अनूप के घर जाया करती थीं, जिससे उनके परिवार वाले भी उन्हें जानने लगे थे। एक रोज सिमरन ने अनूप से कहा कि उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है। दोस्ती की खातिर अनूप ने उन्हें अपना जुहू स्थित अपार्टमेंट रहने के लिए दे दिया। सिमरन और विजय का प्लान अनूप से पैसे लूटने और उसका फ्लैट हड़पने का था। दोनों उन्हीं के फ्लैट में कई महीनों तक रहे, लेकिन अब कुछ बड़ा करना था। 26 जनवरी 1998 को सिमरन और विजय, अनूप को महाबलेश्वर में होने वाली बिजनेस मीटिंग के लिए साथ ले गए। लेकिन उसके बाद से ही उनकी कोई खबर नहीं मिली। चंद दिन बीते, लेकिन अनूप का कोई पता नहीं था, न उनसे संपर्क हो रहा था। जब चिंतित होकर अनूप के पिता स्वराज रंजन ने विजय को कॉल किया, तो वो लगातार यही कहता रहा कि अनूप उनके साथ हैं, काम में देरी होने के चलते वो लौट नहीं सके। 7 दिन बाद विजय ने अनूप के पिता को कॉल कर कहा कि अगर वो अनूप से मिलना चाहते हैं, तो महाबलेश्वर आ जाएं। सिमरन और विजय, दास परिवार से इतने घुल-मिल गए थे कि उन्हें कभी भी उन पर शक नहीं हुआ। स्वराज रंजन, अनूप से मिलने निकले, लेकिन वो भी लौटे ही नहीं। जब पुलिस शिकायत हुई तो सामने आया कि अनूप और उनके पिता स्वराज रंजन की हत्या कर दी गई। जांच में सामने आया कि विजय पलांडे और सिमरन अनूप की जुहू स्थित प्रॉपर्टी हथियाना चाहते थे, लेकिन जब अनूप उनकी मंशा समझ गए तो दोनों ने उनका कत्ल कर दिया। अनूप का कत्ल करने के बाद दोनों ने स्वराज रंजन को मिलने बुलाया और उनसे बेटे को सही सलामत छोड़ने के नाम पर 7 लाख रुपए सिमरन के अकाउंट में ट्रांसफर करवाए और बाद में उनका भी कत्ल कर दिया। सिमरन और विजय ने दोनों शवों के टुकड़े किए और फिर उन्हें ठिकाने लगा दिया। अनूप का शव कुंभरली वैली में मिला था, जबकि स्वराज रंजन का शव सतारा में मिला था। साल 1998 में विजय पलांडे को दोहरे हत्याकांड के आरोप में जेल भेजा गया, जबकि सिमरन को अनूप की प्रॉपर्टी पर गैरकानूनी रूप से कब्जा करने के तहत मामला दर्ज हुआ। नवंबर 1998 में विजय पलांडे को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। साल 2002 में विजय पलांडे पैरोल पर बाहर आया था और पुलिस के हाथों से भाग निकला। विजय पलांडे ने फर्जी दस्तावेज बनवाए, जिनके जरिए वो बैंकॉक भाग गया। उसने दुबई जाकर प्लास्टिक सर्जरी करवाई, जिससे उसका हुलिया काफी हद तक बदल गया था। दोहरे हत्याकांड में नाम आने के बावजूद सिमरन सूद ने मॉडलिंग और एक्टिंग में एक्टिव रहीं। लिंक्स की मदद से सिमरन सूद को साल 2003 में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म अनोखा अनुभव में काम मिला था। फिल्म में वो मोहन जोशी, रजाक खान और दिव्या द्विवेदी के साथ लीड रोल में नजर आई थीं। ये छोटे बजट में बनी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी, लेकिन इसके बाद सिमरन ने इंडस्ट्री में अपने पैर जमा लिए। रिपोर्ट्स की मानें तो सिमरन ने इस फिल्म में पैसे लगाए थे। आगे सिमरन 2002 की फिल्म स्माइल प्लीज में भी नजर आई थीं। सिमरन सूद अपनी फिल्मी दुनिया में मग्न थीं, लेकिन साल 2006 में उनकी जिंदगी में फिर एक बार विजय पलांडे की एंट्री हुई। विजय भारत लौट आया था और फिर उनका साथ चाहता था। दोहरे हत्याकांड के बाद फिर एक बार सिमरन ने विजय से हाथ मिला लिया और 2012 के दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया। चार हत्या के आरोप में विजय पलांडे और सिमरन सूद बीते 12 सालों से जेल में बंद हैं। सिमरन ने कई बार जमानत के लिए याचिका दायर करवाई, हालांकि उन्होंने कभी जमानत नहीं मिल सकी।

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