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» » » संघर्ष बताते हुए रोए हीरामंडी के ‘ताजदार’ ताहा शाह:रोल के लिए भंसाली के पैर पड़े; एक्टिंग नेचुरल लगे, इसलिए खून तक पी डाला

हाल में रिलीज हुई संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी में ताजदार बलोच के रोल को दर्शकों ने बहुत पसंद किया। यह रोल फैंस के दिलों में इस तरह से घर कर गया कि ताजदार का रोल निभाने वाले ताहा शाह बदुशा नेशनल क्रश भी कहे जाने लगे। हालांकि एक वक्त ऐसा भी था कि इस सीरीज में एक रोल पाने के लिए ताहा, भंसाली का पैर पकड़ गिड़गिड़ाने लगे थे। ताहा दोपहर 2 बजे मुंबई स्थित दैनिक भास्कर के ऑफिस पहुंचे। थोड़ी औपचारिकता के बाद उन्होंने अपने संघर्ष की कहानी सुनानी शुरू की। आज स्ट्रगल स्टोरी में पढ़िए ताहा शाह बदुशा के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी… सऊदी में स्टील का कारोबार देखते थे ताहा मूल रूप से UAE के रहने वाले हैं। वहां के दिनों के बारे वे कहते हैं, ‘मेरा जन्म अबु धाबी में हुआ था। बाद में पूरा परिवार सऊदी शिफ्ट हो गया, जहां मैं अम्मी के साथ रहता था। वे बिजनेस करती थीं। घर की सभी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। 12वीं पास करने के बाद मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन 3-4 महीने बाद वहां जाना बंद कर दिया। ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैं अम्मी के साथ हाथ बंटाना चाहता था। उन्हें अकेले सारा काम करते देख बहुत बुरा लगता था। उस वक्त अम्मी ने स्टील का बिजनेस शुरू किया था। कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने के बाद मैं उस बिजनेस को संभालने लगा। मैं वहां एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का काम देखता था।’ मां की वजह से एक्टिंग की तरफ रुझान हुआ, बिजनेस ठप होने पर मुंबई आए ताहा ने बताया कि अम्मी की वजह से उनका रुझान फिल्मों की तरफ हुआ। उन्होंने बताया, ‘अम्मी को हिंदी फिल्में बहुत पसंद थीं। मैं भी उनके साथ हिंदी फिल्में देखता था। कह सकते हैं कि इसी कारण मैं एक्टिंग की दुनिया की तरफ खिंचता चला गया। मैंने स्कूलिंग खत्म करने के बाद मॉडलिंग शुरू की। बिजनेस के साथ भी मॉडलिंग करता रहा। 2008 में पूरी दुनिया फाइनेंशियल क्राइसिस की चपेट में आ गई। मैंने भी हाथ खड़ा कर लिया कि अब बिजनेस नहीं कर पाऊंगा। सऊदी में रह कर कोई दूसरा काम नहीं कर सकता था। मैंने अम्मी से कहा कि मुझे एक्टर बनना है। उन्होंने झट से इस पर हामी भर दी और कहा- तुरंत मुंबई जाओ, बॉलीवुड में किस्मत आजमाओ। दरअसल, वे खुद एक्ट्रेस बनना चाहती थीं, उन्हें काम का ऑफर भी मिला था, लेकिन उनके परिवार वाले इसके लिए तैयार नहीं थे। फिर अम्मी के सपोर्ट से मैं मुंबई आ गया।’ हिंदी नहीं आती थी, जीरो से खुद से सीखी ताहा ने बताया कि मुंबई आने पर उन्होंने किशोर नमित कपूर एक्टिंग इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया था। जब पहले दिन वे क्लास में पहुंचे तो उन्हें हिंदी में स्क्रिप्ट मिली। जिसे देख कर उनका सिर चकरा गया क्योंकि उन्हें हिंदी पढ़नी नहीं आती थी। वे ढंग से हिंदी बोल भी नहीं पाते थे। तब उन्होंने जीरो से हिंदी सीखने की शुरुआत की, जिसमें वे सफल भी हुए। 600 ई-मेल्स की लिस्ट ने दिलवाया पहला ब्रेक आगे के सफर के बारे में ताहा ने बताया, ‘जनवरी, 2011 में किशोर नमित एक्टिंग इंस्टीट्यूट में कोर्स खत्म हो गया। आगे का कुछ नहीं पता था कि क्या करना है। ऑडिशन कहां होते हैं, ये भी नहीं पता था। तब दोस्तों से पूछ-पूछ कर ऑडिशन देने का सिलसिला शुरू हुआ। कुछ समय बाद मैं एक दिन में 6-6 ऑडिशन देने लगा। एक दिन एक दोस्त ने 600 ई-मेल्स से भरा कागज दिया और कहा- इन सभी पर अपना पोर्टफोलियो भेज दो, क्या पता कहीं से काम मिल जाए। उसकी बात मान कर मैंने सभी 600 मेल्स पर अपना पोर्टफोलियो भेज दिया। कुछ दिन बाद मुझे कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा का कॉल आया। उन्होंने मुझे फिल्म लव का द एंड के ऑडिशन के लिए बुलाया। मैंने ऑडिशन दिया और सिलेक्ट भी हो गया। ये फिल्म यशराज स्टूडियो के बैनर तले बन रही थी। इस फिल्म के साथ दो और फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट ऑफर हुआ। भला एक न्यू कमर के लिए इससे ज्यादा अच्छी शुरुआत क्या हो सकती है।’ लोग कहते थे- गुजारे के लिए टीवी में काम कर लो इतने बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों में काम करने के बाद भी ताहा को वो पहचान नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। इन फिल्मों में काम करने के बाद भी वे छोटे-छोटे रोल के लिए ऑडिशन देते रहे। एक वक्त ऐसा आया कि उनके पास काम की कमी हो गई। तब लोगों ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि फिल्मों का सपना छोड़कर तुम्हें टीवी में काम करना चाहिए। काम मांगने के लिए डायरेक्टर के पीछे भागने लगे थे ताहा ने आगे कहा, ‘मेरे साथ तो ऐसा भी हुआ है कि सुंदर दिखने की वजह से अच्छे प्रोजेक्ट्स हाथ से निकल गए। कास्टिंग टीम कहती थी कि मैं इतना सुंदर हूं कि बाकी लोग के सामने अलग दिखूंगा, इसलिए प्रोजेक्ट्स का हिस्सा नहीं बन सकता। अब इससे बुरा और क्या हो सकता है। कई बार तो काम मांगने के लिए डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के पीछे भागता था, लेकिन निराशा ही हाथ लगती थी। एक बार की बात है। मैं दोस्त के साथ T-Series के ऑफिस वाली लाइन में खड़ा था। तभी देखा कि बड़े डायरेक्टर कार से गुजर रहे हैं। सोचा कि उनसे मिलने और काम मांगने का यही अच्छा मौका है। झट से उनकी कार का पीछा करने लगा। वो कुछ दूर जाकर एक मॉल के पास उतर गए। मैंने भी अपनी कार पार्क की और उनके पीछे दौड़ पड़ा। फिर जाकर उनसे बोला- सर आपसे 2 मिनट बात करनी है। शायद उस दिन उनका मूड अच्छा नहीं था। मेरी बातें सुन कर वे झल्ला गए। उन्होंने मुझे बहुत खरी-खोटी सुनाई, गालियां भी दीं। उन्होंने यह भी कहा कि राह चलता कोई भी आदमी काम मांगने आ जाता है। उनकी इन बातों से बहुत दुख पहुंचा। उस वक्त तो उनको बहुत कोसा, लेकिन आज मेरे मन में उनके प्रति कोई बुरा विचार नहीं है।’ फिल्म से सीन्स हटने पर फूट-फूट कर रोए थे ताहा इस पूरी जर्नी में ताहा को हर मोड़ पर स्ट्रगल फेस करना पड़ा। कई बार उन्हें प्रोजेक्ट्स में कास्ट कर लिया जाता, लेकिन बाद में कोई कारण बता कर निकाल दिया जाता था। ताहा ने कहा, ‘मेरे साथ कई बार ऐसा हुआ है कि प्रोजेक्ट में कास्ट हो जाने के बाद निकाल दिया गया। एक बार तो ऐसा भी हुआ है कि फिल्म की पूरी शूटिंग कर ली थी, लेकिन एडिटिंग के वक्त मेरे सारे सीन्स हटा दिए गए। मैं एक दिन डांस क्लास में था, तभी एक दोस्त का कॉल आया। उसने बताया कि फिल्म में मेरा कोई भी सीन नहीं है। ये सुनते ही मैं सन्न रह गया। कुछ समझ में नहीं आ रहा था। सीने में अजीब सा दर्द उठा और मैं फूट-फूट कर रोने लगा। लगभग 40 मिनट तक मैं रोता रहा। फिर खुद को समझाया कि ऐसा करने से फिल्म में मेरे सीन्स वापस नहीं आ जाएंगे। खुद को दोबारा स्ट्रगल करने के लिए मोटिवेट किया। अगले दिन से फिर से काम मांगने के लिए कास्टिंग डायरेक्टर्स को फोन करने लगा।’ रोल के लिए भंसाली का पैर पकड़ गिड़गिड़ाने लगे थे जब लंबे समय तक ताहा को बॉलीवुड में काम नहीं मिला तो वो फिल्म अलादीन के ऑडिशन के लिए US चले गए। वहां पर काम खोज ही रहे थे कि पूरी दुनिया कोविड महामारी के चपेट में आ गई। इस कंडीशन में उनका वीजा टर्मिनेट कर दिया गया, जिसकी वजह से उन्हें मुंबई आना पड़ा। यहां से आगे के सफर के बारे में ताहा कहते हैं, ‘मेरा एक दोस्त है, तुषार। उसने संजय लीला भंसाली के साथ बहुत काम किया है। मुंबई आने पर उसने मुझे बताया कि भंसाली सर की अपकमिंग सीरीज हीरामंडी की कास्टिंग शुरू हो चुकी है। तुषार ने भंसाली प्रोडक्शन हाउस की कास्टिंग डायरेक्टर श्रुति महाजन को कॉल किया और कहा कि मुझे इस सीरीज में कोई रोल मिल जाए। तुषार के साथ मैं भी कॉल करता था। जहां ऑडिशन होता, वहां चला भी जाता था। ये सिलसिला 15 महीने चला, फिर श्रुति मैम ने मुझे एक रोल के लिए ऑडिशन देने को कहा। सीरीज में उस किरदार का काम सिर्फ 3 दिन का था। ये जान कर मैं दुविधा में पड़ गया कि इस रोल के लिए ऑडिशन दूं या नहीं। तब तुषार और मैंने सोचा कि 1 मिनट का किरदार भी लोगों के जेहन में गहरा असर छोड़ सकता है। यही सोचकर मैंने ऑडिशन दे दिया। सबको मेरा काम पसंद आया और सिलेक्ट हो गया। इस बात को 3 दिन बीते कि भंसाली प्रोडक्शन की तरफ से कॉल आई कि संजय सर मुझसे मिलना चाहते हैं। अगले दिन मैं उनसे मिलने चला गया। हमारी मुलाकात हुई। उन्होंने मेरे पिछले काम के बारे में पूछा और फिर बलराज का रोल ऑफर कर दिया। ये सुनते ही मैं खुश हो गया। जहां कभी मुझे फिल्म से निकाल दिया जाता था, वहां 3 दिन की जगह 30 दिन का रोल ऑफर किया गया। सब कुछ फाइनल हो जाने के बाद मैं वापस घर आ गया। कुछ दिन बाद प्रोडक्शन हाउस से कॉल आई कि मुझसे वो रोल वापस ले लिया गया है। ये सुनते ही मानो पैरों तले जमीन खिसक गई। बिना कुछ सोचे-विचारे मैं संजय सर के पास चला गया। सर के पास जाते ही उनका पैर पकड़ लिया और बोला- सर, कुछ गलती हुई हो तो माफ कर दीजिए, लेकिन इस सीरीज से मत निकालिए। कोई भी रोल दे दीजिए, पर ऐसा ना करिए। फिर सर मुस्कुराते हुए बोले- तुम्हारी आंखों में कुछ है। तुम इस सीरीज में लीड कैरेक्टर ताजदार बलोच का किरदार निभाओगे। इतना सुनते ही मैं खुशी से नाचने लगा। मेरा सभी स्टार कास्ट के साथ लुक टेस्ट हुआ और सब फाइनल हो गया। घर जाते वक्त सर ने मुझसे कहा- तुम पूरी टीम में से किसी के साथ टच में नहीं रहोगे, जो पूछना होगा सिर्फ श्रुति से पूछोगे। घर आने के बाद कई दिन बीत गए, लेकिन शूटिंग के लिए कॉल नहीं आई। उसी दौरान मुझे 3 प्रोजेक्ट्स का ऑफर मिला, उसमें एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट भी था। वे लोग अच्छे पैसे ऑफर कर रहे थे, लेकिन मेरा मन हीरामंडी में ही लगा था। वक्त बीतता चला गया। तीनों प्रोजेक्ट्स पर कन्फर्मेशन देने की लास्ट डेट आ गई। ना चाहते हुए भी मैंने इन प्रोजेक्ट्स में काम करने से मना कर दिया। इस बात को 3 दिन ही बीते थे कि भंसाली प्रोडक्शन टीम से कॉल आई कि सर शूटिंग के लिए बुला रहे हैं। इस तरह से मैं हीरामंडी का ताजदार बलोच बना।’ मौत का सीन फिल्माते वक्त असली खून पिया था सीरीज में ताजदार की मौत वाले सीन के लिए ताहा ने असली खून पिया था। ताहा ने कहा, 'मौत वाले सीन के लिए मैंने असली खून पिया था। जिस वजह से उल्टा लटकने पर मुंह से खून की ही उल्टी होने लगी थी। नाक से भी खून निकल रहा था। इन्हीं वजहों से वो सीन बहुत परफेक्शन के साथ हो पाया।' 2 बार प्यार में धोखा खा चुके हैं ताहा ताहा ने अपनी पर्सनल लाइफ पर भी बात की। उन्होंने बताया कि वे एक लड़की के साथ रिलेशन में थे, लेकिन उस लड़की ने ताहा को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वे हद से ज्यादा उससे प्यार और उसकी केयर करते थे। इस हार्ट ब्रेक के बाद ताहा का प्यार पर से भरोसा हट गया और वे लंबे समय तक किसी के साथ रिलेशन में नहीं आ पाए। 17 साल बाद उन्हें दोबारा प्यार हुआ। दोबारा भी उन्हें धोखा मिला। अब ताहा का प्यार से पूरी तरह से विश्वास उठ चुका है। इस बारे में उन्होंने कहा, ‘अब तो मुझसे प्यार नहीं हो पाएगा। दो बार टूट चुका हूं। अब इन चीजों के लिए वक्त भी नहीं है।’ ग्राफिक्स- विपुल शर्मा

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