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» » » खराब एक्टिंग के कारण फिल्म से निकले गए इमरान हाशमी:‘सीरियल किसर' के टैग से परेशान हुए, एक्टर की सक्सेस का कनेक्शन पाकिस्तान से

इमरान हाशमी बॉलीवुड के उन अभिनेताओं में से एक हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और अलग अंदाज से इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान बनाई है। इमरान ने ‘2001 में 'ये जिंदगी का सफर' फिल्म से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा, लेकिन खराब व्यवहार और एक्टिंग के कारण उन्हें फिल्म से निकाल दिया गया। इस फिल्म के दो साल बाद उन्होंने फिल्म ‘फुटपाथ' से आधिकारिक तौर बॉलीवुड में डेब्यू किया। शुरुआती दौर में इमरान को कैमरे से डर लगता था और पहली फिल्म के एक सीन के लिए 40 टेक लेने पड़े थे। फिल्म ‘मर्डर’ ने इमरान के करियर को नई दिशा दी। बोल्ड किरदार निभाने की वजह से उन पर ‘सीरियल किसर’ का टैग लग गया, जिससे वे लंबे समय तक असहज रहे। मगर उसी बोल्ड इमेज ने उन्हें ऐसा स्टार बनाया जो दर्शकों से सीधे दिल की बात कहता है। दिलचस्प बात यह है कि उनकी कई सफल फिल्मों का पाकिस्तान से कनेक्शन रहा है। इमरान हाशमी की कुछ फिल्मों का पाकिस्तान में बड़ा क्रेज रहा है। उनके करियर में पाकिस्तान से जुड़े संगीत और फिल्मी फैन बेस का भी योगदान माना जाता है। इमरान हाशमी ने साबित किया कि सीमित एक्टिंग कौशल के ताने सुनने वाला अभिनेता अगर अपने हुनर पर विश्वास रखे तो वह स्टारडम की हर ऊंचाई छू सकता है। आज की सक्सेस स्टोरी में जानते हैं इमरान हाशमी के करियर और निजी जीवन से जुड़ी कुछ अनकही और खास बातें। पहली फिल्म से निकाले गए इमरान हाशमी ने अपने करियर की शुरुआत 2001 में फिल्म ‘ये जिंदगी का सफर’ से की, लेकिन खराब व्यवहार और कमजोर अभिनय के कारण उन्हें फिल्म से निकाल दिया गया। इससे उन्हें आत्ममंथन का मौका मिला। दो साल बाद 2003 में उन्होंने ‘फुटपाथ’ से आधिकारिक डेब्यू किया। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही, पर इसी फिल्म ने उन्हें पहचान दिलाई। अपने शुरुआती दिनों में वे कैमरे से डरते थे और पहली फिल्म के एक सीन के लिए 40 टेक लेने पड़े थे। ‘मर्डर’ करके बना करियर 2004 में महेश भट्ट की फिल्म ‘मर्डर’ ने उनका करियर बना दिया। इस फिल्म के बोल्ड और रोमांटिक दृश्यों ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और ‘सीरियल किसर’ का टैग दिलाया। मल्लिका शेरावत के साथ उनकी केमिस्ट्री काफी चर्चित रही। मल्लिका ने बाद में कहा कि सेट पर इमरान ने उन्हें बेहद सुरक्षित महसूस कराया और वे एक सज्जन व्यक्ति हैं। हालांकि दोनों के बीच कुछ मतभेद हुए थे, लेकिन फिल्म के रिलीज के 20 साल बाद इमरान ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनके और मल्लिका के बीच जो झगड़ा हुआ था, वह बचकाना था और अब वे फिर से साथ काम करना चाहेंगे। पाकिस्तान में भी चला इमरान का जादू ‘मर्डर’ के बाद ‘जहर’, ‘आशिक बनाया आपने’, ‘अक्सर’, ‘गैंगस्टर’, और ‘आवारापन’ जैसी फिल्मों ने उनकी लोकप्रियता बढ़ाई। 2008 की ‘जन्नत’ उनकी सुपरहिट फिल्म रही, जिसने उन्हें टॉप स्टार्स की सूची में ला खड़ा किया। यह फिल्म उस साल की पांचवीं सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म साबित हुई। फिल्म ‘जन्नत’ की थीम मैच फिक्सिंग पर आधारित थी, जिसमें इमरान ने सट्टेबाज का किरदार निभाया था। यह फिल्म न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान में भी अत्यंत लोकप्रिय हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, जब ‘जन्नत’ पाकिस्तान में रिलीज हुई, तो लाहौर के एक सिनेमाघर में इसे देखने के लिए भारी भीड़ जमा हो गई और वहां पर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई थी। इस फिल्म ने इमरान को टॉप स्टार्स की सूची में ला खड़ा किया और खासतौर पर पाकिस्तान में उनके फैंस की संख्या तेजी से बढ़ी। फिल्म के एक प्रपोजल सीन को भी वहां के दर्शकों ने बहुत पसंद किया। बैड बॉय से सीरियस एक्टर बनने की जद्दोजहद में फीका पड़ा करियर हालांकि उनकी छवि ‘बैड बॉय’ और रोमांटिक किसर’ तक सीमित रह गई। इमरान इस छवि से आगे बढ़कर गंभीर और विविध भूमिकाएं निभाना चाहते थे। ‘शंघाई’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अलग किरदार आजमाए, लेकिन दर्शकों से अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली। ‘राजा नटवरलाल’, ‘मिस्टर एक्स’, ‘अजहर’, ‘वॉई चीट इंडिया’ और ‘द बॉडी’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रहीं। इस बदलाव के दौर में उनकी ब्रांड वैल्यू प्रभावित हुई क्योंकि दर्शक उन्हें पुरानी छवि में देखना ज्यादा पसंद करते थे। बेटे की बीमारी ने बदल दी जिंदगी इमरान हाशमी के व्यक्तिगत जीवन में एक कठिन संघर्ष शामिल था जब जनवरी 2014 में उनके बेटे अयान की तबीयत अचानक बिगड़ी। उस समय परिवार पिज्जा खा रहा था और अयान के पेशाब में खून निकलने पर तुरंत डॉक्टरों को दिखाया गया, जहां किडनी कैंसर का पता चला। अगले ही दिन अयान का ऑपरेशन हुआ और कीमोथेरेपी शुरू हुई। यह संघर्ष लगभग पांच वर्षों तक चला, जिसमें इमरान और उनकी पत्नी परवीन ने हार नहीं मानी और बेटे के सामने कभी कमजोरी नहीं दिखाई। इमरान ने कहा था कि उनकी पूरी दुनिया महज बारह घंटों में बदल गई थी और इस दर्दभरे दौर को शब्दों में बयां करना मुश्किल था। 2019 में अयान पूरी तरह कैंसर से ठीक हो गए और आज वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। इस दौरान इमरान ने बेटे की बीमारी के बारे में एक किताब भी लिखी है। व्यक्तिगत और करियर में आए उतार-चढ़ावों ने उन्हें तोड़ा भी, लेकिन वहीं मजबूत भी बनाया। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब वे खुद को इंडस्ट्री में ‘कमोडिटी’ की तरह महसूस करने लगे थे। बावजूद इसके, उन्होंने हार नहीं मानी और खुद को बॉलीवुड की नई मांगों के अनुसार ढालने का संकल्प लिया। पत्नी देती हैं साथ छोड़ने की धमकी इमरान हाशमी की पर्सनल लाइफ हमेशा से उतनी लाइमलाइट में नहीं रही, जितनी उनकी फिल्मों की चर्चाएं रही हैं। लेकिन उनकी पत्नी परवीन साहनी के साथ उनकी प्रेम कहानी किसी फिल्म की पटकथा से कम नहीं। दोनों ने करीब सात साल तक एक-दूसरे को डेट किया और आखिरकार 14 दिसंबर 2006 को शादी के बंधन में बंधे। परवीन पेशे से शिक्षिका हैं और हमेशा मीडिया की चमक दमक से दूरी बनाए रखती हैं। इमरान के ग्लैमरस करियर के बावजूद उन्होंने सादगी और निजी जीवन को तरजीह दी। दोनों की जोड़ी बॉलीवुड की उन चंद जोड़ियों में से है, जो प्रसिद्धि और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखती है। शुरुआती दौर में जब इमरान की फिल्म ‘मर्डर’ रिलीज हुई, तो उसके बोल्ड और इंटीमेट सीन्स को देखकर परवीन नाराज हुई थीं। लेकिन वक्त के साथ दोनों ने इस मामले को समझदारी से संभाल लिया। इमरान ने कई इंटरव्यू में माना कि परवीन उनकी जिंदगी की सबसे स्थिर ताकत हैं, जिन्होंने हर मुश्किल दौर में उनके साथ खड़े रहकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। इमरान हाशमी बताते हैं कि उनकी पत्नी कभी-कभी मजाक में उन्हें छोड़ने की धमकी देती हैं क्योंकि वे दो साल से लगभग एक जैसी डाइट, सलाद, एवोकाडो, ब्रसल स्प्राउट्स, और स्वीट पोटैटो खाते आ रहे हैं। इस बात को वे मजेदार अंदाज में बताते हैं कि पत्नी उनकी उबाऊ डाइट से परेशान हैं। खलनायक के रूप में दमदार वापसी 2011-2012 के बाद उनके करियर में डाउनफॉल आया, लेकिन उन्होंने अपने अपने दमदार एक्टिंग से सलमान खान के साथ फिल्म ‘टाइगर 3’ से जबरदस्त शुरुआत की। इस फिल्म में इमरान हाशमी ने आतिश रहमान नामक एक शक्तिशाली और कुटिल खलनायक की भूमिका निभाई थी। हालांकि इमरान पहले खलनायक की भूमिका निभाने के लिए राजी नहीं थे। इमरान खान ने बताया- लॉकडाउन के बाद मुझे कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा का फोन आया। उन्होंने कहा कि मनीष शर्मा आपसे मिलना चाहते हैं। जब मैं उनसे मिला तो उन्होंने कहा कि वो ‘टाइगर 3’ के खलनायक की तलाश में हैं। शुरू में मैं थोड़ा हिचकिचाया, क्योंकि खलनायक की एक तय छवि होती है। लेकिन जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी, तो किरदार की गहराई और उसके अलग-अलग रंग देखकर मुझे बहुत दिलचस्प लगा, इसलिए मैंने फिल्म के लिए हां कहा था। इमरान हाशमी का जीवन और करियर संघर्ष इस बात का प्रतीक है कि सफलता और असफलता दोनों ही एक कलाकार की सीख का हिस्सा होते हैं। उन्होंने दर्द, टूटन और हिम्मत से खुद को बार-बार नया रूप दिया और साबित किया कि वे सिर्फ ‘सीरियल किसर’ नहीं, बल्कि एक बहुमुखी अभिनेता हैं। हर फिल्म मेरे लिए एक सबक है एक एक्टर के तौर पर अपने इवोल्यूशन और ग्रोथ के बारे में बात करते हुए इमरान कहते हैं- मैं खुद नहीं जानता कि मैं कितना सीख चुका हूं। हर फिल्म मेरे लिए एक नया सबक लेकर आती है। जिन लोगों के साथ काम करता हूं। चाहे वो डायरेक्टर, को-एक्टर्स या टेक्नीशियंस हों, हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को मिल जाता है। कई सालों से मैंने बस यही कोशिश की है कि हर बार कुछ अलग करूं, हर फिल्म में नया किरदार निभाऊं और अपने आप को पिछले काम से बेहतर बना सकूं। मैं कभी ये नहीं सोचता कि अब मैं पूरी तरह सफल हो गया हूं, क्योंकि जिस दिन कोई एक्टर ये सोच लेता है, उसी दिन उसका ग्रोथ रुक जाता है। मुझे लगता है अगर हर फिल्म को एक नई सीख की तरह लिया जाए, तो करियर लंबा चलता है। लेकिन जैसे ही इंसान सीखना बंद कर देता है, उसका सफर भी धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। जो लोग अपनी कला पर लगातार काम करते रहते हैं, वही लंबे समय तक इंडस्ट्री में बने रहते हैं। मैं बस यही करने की कोशिश करता हूं, सीखता रहूं और बेहतर बनता रहूं। सफलता नहीं, सीख है असली जीत इमरान हाशमी आपकी खूबसूरत जर्नी में सबसे बड़े चैलेंज और सफलता का जिक्र करते हुए कहते हैं- जिंदगी में हर चीज एक तरह का चैलेंज होती है। जब हमारी फिल्में चलती हैं, तो लगता है कि सब कुछ हमारे ही हाथ में है, सफलता हमें बुला रही है। लेकिन कई लोग एक हिट फिल्म के बाद खुद को खो देते हैं। असफलता भी जरूरी होती है, क्योंकि उसके साथ अनुभव और सच्ची सीख मिलती है। कभी-कभी जिस फिल्म पर हम बहुत भरोसा करते हैं, वो दर्शकों तक वैसा असर नहीं छोड़ पाती। यही इस काम की खूबसूरती है। कभी जीत, कभी सीख। क्रिएटिव दुनिया में कई बार हमारी सोच लोगों तक सही तरीके से नहीं पहुंचती, लेकिन हमें फिर से हिम्मत जुटाकर आगे बढ़ना होता है। असली जोश तभी आता है जब हमें अपने काम से सच्चा प्यार होता है। मेरे लिए सफलता वही है जब मैं हर दिन कुछ नया सीखता हूं और अपनी समझ को बढ़ाता हूं। ____________________________________________________________________ पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी पढ़िए... गुलशन देवैया की शुरुआती तीन फिल्में नॉमिनेट हुईं:अवॉर्ड न मिलने पर छलका दर्द; शाहरुख खान की पार्टी में झिझके, ‘कांतारा’ से भरी नई उड़ान गुलशन देवैया का बेंगलुरु से मुंबई तक का सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को कभी छोड़ा नहीं। फैशन इंडस्ट्री से थिएटर और फिर सिनेमा तक पहुंचे गुलशन की मेहनत, ईमानदारी और संवेदनशीलता ने उन्हें खास बनाया। पूरी खबर पढ़ें..

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